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Lokesh Pal
October 09, 2025 05:30
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हाल के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों ने निवारक निरोध की संवैधानिक और नैतिक वैधता पर बहस को फिर से चर्चा का विषय बना दिया है।
सार्वजनिक व्यवस्था की रक्षा के लिए बनाई गई निवारक निरोध व्यवस्था, कार्यपालिका की सुविधा का एक साधन बन गई है। संवैधानिक सुधार और न्यायिक संयम के बिना, यह संविधान द्वारा समर्थित मौलिक स्वतंत्रताओं को कमजोर करती रहेगी।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:प्रश्न: निवारक निरोध, जिसे अक्सर एक ‘आवश्यक बुराई’ कहा जाता है, एक संवैधानिक बरमूडा त्रिभुज निर्मित करता है जहाँ ‘स्वर्ण त्रिभुज’ (अनुच्छेद 14, 19 और 21) के मौलिक अधिकार लुप्त होते प्रतीत होते हैं। इस कथन और हाल के न्यायिक निर्णयों के आलोक में, भारत में निवारक निरोध कानूनों द्वारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) |
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