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डिजिटल दशक: समावेशन से तकनीकी नवाचार तक भारत की यात्रा

Lokesh Pal July 05, 2025 05:00 61 0

संदर्भ

पिछले दशक में भारत ने डिजिटल क्रांति सुनिश्चित की है।

  • पूर्व के उदाहरणों से ज्ञात होता है कि इंटरनेट तक पहुंच सीमित थी, डिजिटल साक्षरता कम थी, तथा सरकारी सेवाओं तक ऑनलाइन पहुंच भी दुर्लभ थी।
  • लेकिन आज, डिजिटल क्रांति के माध्यम से 1.4 अरब भारतीयों के जीवन में इस क्रांति का असर स्पष्ट दिखाई दे रहा है, जो शासन, शिक्षा, लेन-देन और राष्ट्र निर्माण को प्रभावित कर रहा है।

डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए भारत द्वारा की गई पहल

  • इंटरनेट पहुंच: 2014 में भारत में लगभग 250 मिलियन इंटरनेट कनेक्शन थे। परंतु आज यह संख्या बढ़कर 970 मिलियन से अधिक हो गई है, जो डिजिटल पहुंच में भारी वृद्धि को दर्शाता है।
  • ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क: देश भर में 4.2 मिलियन किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल का व्यापक नेटवर्क बिछाया गया है।
    • यह ऐतिहासिक उपलब्धि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 11 गुना अधिक है, जिससे सबसे दूरदराज के गांवों में भी इंटरनेट पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी।
  • तीव्र 5G रोलआउट: भारत का 5G रोलआउट विश्व स्तर पर सबसे तेज़ है, जिसमें केवल दो वर्षों में लगभग 481,000 5G बेस स्टेशन स्थापित किए गए हैं।
    • यह हाई-स्पीड इंटरनेट न केवल शहरी केंद्रों तक पहुंचता है, बल्कि गलवान, सियाचिन और लद्दाख जैसी महत्वपूर्ण सैन्य चौकियों तक भी पहुंचता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए त्वरित सूचना साझा करने और निर्णय लेने में सुविधा होती है।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के साथ शासन और अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव:

भारत की वर्तमान डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना इसके डिजिटल परिवर्तन की रीढ़ है, जो निर्बाध सेवाओं के साथ ही इसके आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाता है:

  • इंडिया स्टैक: यह राष्ट्र की डिजिटल रीढ़ है, जो एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस तंत्र के रूप में कार्य करता है जो स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देता है।
    • यह पहचान सत्यापन और दस्तावेज़ प्रबंधन के लिए डिजिलॉकर, आधार और ईकेवाईसी जैसे आवश्यक उपकरणों को एकीकृत करता है, जिससे डिजिटल इंटरैक्शन सुरक्षित और कुशल हो जाता है।
  • एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI): आज एकीकृत भुगतान इंटरफेस एक वैश्विक बेंचमार्क बन गया है, जो वास्तविक समय में धन हस्तांतरण के साथ सालाना 100 बिलियन से अधिक लेनदेन का प्रबंधन करता है
    • विश्व भर में वास्तविक समय पर होने वाले डिजिटल लेन-देन में से लगभग आधे लेन-देन भारत में होते हैं, जो इसकी अद्वितीय स्वीकार्यता को दर्शाता है।
  • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT): डीबीटी के माध्यम से आज नागरिकों को सीधे 44 ट्रिलियन रुपये से अधिक हस्तांतरित करके इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव सुनिश्चित किया है।
    • इससे बिचौलियों का सफाया हो गया है और अनुमानतः 3.48 ट्रिलियन रुपए की लीकेज बच गई है, तथा जन-धन, आधार और मोबाइल (JAM) त्रिमूर्ति के माध्यम से यह सुनिश्चित हुआ है कि लाभ लक्षित लाभार्थियों तक कुशलतापूर्वक पहुंच सके।
  • स्वामित्व योजना: इस पहल ने 24 मिलियन से अधिक संपत्ति कार्ड जारी करके और 647,000 गांवों का मानचित्रण करके, स्पष्ट स्वामित्व रिकॉर्ड प्रदान करके भूमि संबंधी अनिश्चितताओं को काफी कम कर दिया है।
  • अन्य प्रमुख डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI): आधार योजना, कोविन, डिजीलॉकर, फास्टैग, पीएम-वाणी और वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है और इन्हें विश्व स्तर पर अपनाया जा रहा है।
    • CoWIN: इस प्लेटफॉर्म ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सुगम बनाया, कोविड-19 टीकाकरण के लिए 2.2 बिलियन क्यूआर-सत्यापन योग्य प्रमाणपत्र जारी किए।
    • डिजिलॉकर: 540 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ, डिजिलॉकर 7.75 बिलियन से अधिक दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से होस्ट करता है, जिससे दस्तावेजों को भौतिक रूप से ले जाने और सत्यापन की आवश्यकता समाप्त हो गई है।

अवसर का लोकतंत्रीकरण और उद्यमियों को सशक्त बनाना:

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) और छोटे उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए एक शक्तिशाली इंजन है:

  • मुद्रा योजना का एकीकरण: उद्यमी ऑनलाइन मुद्रा ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें खाता एग्रीगेटर ढांचे के माध्यम से ऋण पात्रता का मूल्यांकन किया जाता है। यह सुव्यवस्थित प्रक्रिया उन्हें तेजी से उद्यम शुरू करने में सक्षम बनाती है।
  • ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC): यह ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के एकाधिकार को समाप्त करता है, और खरीदारों और विक्रेताओं के बीच एक सहज कनेक्शन प्रदान करता है।
    • ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स ने हाल ही में 200 मिलियन लेनदेन को पार कर लिया है, जिसमें से 100 मिलियन लेनदेन केवल पिछले छह महीनों में दर्ज किए गए हैं।
    • यह विविध विक्रेताओं को बिचौलियों के बिना देश भर के ग्राहकों तक पहुंचने का अधिकार देता है।
  • सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM): GeM आम नागरिकों और व्यवसायों को सरकारी विभागों और मंत्रालयों को सीधे माल और सेवाएं बेचने की अनुमति देता है
    • इस प्लेटफॉर्म ने 50 दिनों में 1 ट्रिलियन रुपये से अधिक सकल व्यापारिक मूल्य हासिल किया है और 2.2 मिलियन विक्रेताओं को आपस में जोड़ा है, जिसमें 180,000 से अधिक महिला-नेतृत्व वाले MSME शामिल हैं, जिन्होंने 46,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर पूरे किए हैं।

नवाचार और एआई में भारत का वैश्विक नेतृत्व

  • स्टार्टअप इकोसिस्टम: भारत अब वैश्विक स्तर पर शीर्ष तीन स्टार्टअप इकोसिस्टम देशों में शामिल है, जहाँ 180,000 से अधिक स्टार्टअप सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। इसकी यह तरक्कीतकनीकी पुनर्जागरणका प्रतीक है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मिशन: भारत कौशल विकास और उत्पाद नवाचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता में अपनी क्षमताओं का तेजी से विस्तार कर रहा है।
    • 1.2 बिलियन डॉलर का भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मिशन 34,000 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPU) तक पहुंच प्रदान करता है, जो कि प्रति GPU घंटे 1 डॉलर से भी कम की बेजोड़ वैश्विक कीमत पर उपलब्ध है, जिससे भारत सबसे किफायती कंप्यूटिंग गंतव्य बन गया है।
    • एआई पर नई दिल्ली घोषणापत्र: यह एक जिम्मेदार और मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ नवाचार को बढ़ावा देता है, तथा नैतिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) विकास पर जोर देता है।
    • इस लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए देश भर में एआई उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
  • वैश्विक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) रिपोजिटरी और सामाजिक प्रभाव निधि: 2023 में अपनी G20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना रिपोजिटरी और 25 मिलियन डॉलर का सामाजिक प्रभाव निधि लॉन्च किया
    • यह निधि वैश्विक दक्षिण (मुख्य रूप से अफ्रीका और दक्षिण एशिया) के देशों को समावेशी डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र अपनाने में मदद करने तथा उनके विकास में आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक संतुलन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।

आगे की राह:

  • डिजिटल गवर्नेंस से वैश्विक नेतृत्व तक: भारत को डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) जैसे UPI, डिजीलॉकर और CoWIN के वैश्विक प्रदाता के रूप में उभरकर डिजिटल गवर्नेंस में अपनी सफलता को, विशेष रूप से विकासशील देशों के संदर्भ में, आगे बढ़ाना चाहिए।
  • विश्व के लिए भारतदृष्टिकोण: भारत को वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय नवाचार साझेदार बनने की दिशा में अपने डिजिटल दृष्टिकोण को पुनः उन्मुख करना चाहिए, तथा निर्भरता या ऋण जाल बनाने के बजाय नैतिक और समावेशी तकनीकी समाधान प्रदान करना चाहिए।
  • जमीनी स्तर पर नवाचार और उद्यमिता: सरकार को स्थानीय स्टार्टअप, MSME और कारीगरों को समर्थन देकर जमीनी स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिए, विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में, ताकि स्केलेबल डिजिटल समाधान विकसित किए जा सकें।
  • प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर भारत: भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भरता कम करने और तकनीकी संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल हार्डवेयर, अर्धचालक और क्लाउड बुनियादी ढांचे के घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • सभी के लिए समावेशी डिजिटल पहुंच: इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों का विस्तार करना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिलाएं, दिव्यांग और हाशिए पर पड़े समुदाय डिजिटल क्रांति में पूरी तरह शामिल होकर सेवाओं का आनंद ले सकें।
  • नैतिक और मानव-केंद्रित प्रौद्योगिकी में अग्रणी: भारत को जिम्मेदार, पारदर्शी और मानव-केंद्रित विकास और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी प्रौद्योगिकियों की तैनाती को बढ़ावा देकर वैश्विक मानक स्थापित करना चाहिए।
  • नवप्रवर्तन के लिए युवाओं और प्रतिभाओं को प्रेरित करना: भारत को डिजिटल कौशल, अनुसंधान और नवप्रवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र में अधिक निवेश करना चाहिए जो युवाओं, छात्रों और उद्यमियों को वैश्विक प्रभाव वाली सफल प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए प्रेरित करे।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत का डिजिटल परिवर्तन शासन के लिए एक उपकरण से वैश्विक नेतृत्व के लिए एक मंच के रूप में विकसित हुआ है। डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के संदर्भ में इस पर चर्चा करें।

(10 अंक, 150 शब्द)

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