100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत में गिग इकॉनमी के संदर्भ में इंस्टा-कॉमर्स की निराशाजनक स्थिति

Lokesh Pal March 19, 2025 05:15 39 0

संदर्भ:

स्टार्ट-अप संस्थापकों ने सार्वजनिक रूप से गिग श्रमिकों के अधिकारों का समर्थन करने का दावा किया, लेकिन गुप्त रूप से उन कानूनों का विरोध किया जो वास्तव में उनकी रक्षा करते हैं।

शहरी श्रम बाज़ारों में शोषण

  • श्रम नीलामी: कई शहरी केंद्रों में, श्रमिक सुबह-सुबह औजारों के साथ काम की प्रतीक्षा में इकट्ठा होते हैं। नियोक्ता या ठेकेदार (ठेकेदार) बोली लगाकर श्रमिकों का चयन करते हैं, जिसमें सबसे कम वेतन वाले लोगों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • शक्ति असंतुलन: अधिशेष श्रम एक आपूर्तिकर्ता का बाजार बनाता है, जिससे श्रमिकों को अलाभकारी और हताशाजनक वार्ता के लिए बाध्य होना पड़ता है। 
    • ठेकेदार बिचौलियों की तरह कार्य करते हैं और नियोक्ताओं के लिए अधिकतम लाभ सुनिश्चित करते हुए श्रमिकों के वेतन में कटौती करते हैं
  • मज़दूर मंडियाँ: ये अनौपचारिक रोज़गार बाज़ार नीलामी की तरह काम करते हैं, जहाँ मज़दूरी निष्पक्ष वार्ता से नहीं बल्कि इस आधार पर तय की जाती है, कि कौन सबसे कम वेतन पर कार्य करना स्वीकार कर सकता है। नीचे की ओर यह दौड़ दिहाड़ी श्रमिकों की अनिश्चित स्थितियों को उजागर करती है।

गिग इकॉनमी से संबंधित चुनौतियाँ

  • डिजिटल शोषण: गिग प्लेटफॉर्म मज़दूर मंडियों में देखे जाने वाले श्रम नीलामी मॉडल की नकल करते हैं और उसे बढ़ाते हैं। बिचौलिया (ठेकेदार) अब वह व्यक्ति है, जो मज़दूरी, शर्तों और काम की उपलब्धता को नियंत्रित करता है। 
    • ऐसा प्रतीत होता है, कि श्रमिकों के पास ’विकल्प’ है, लेकिन वास्तव में वे बाध्यतावश कोई भी कार्य स्वीकार कर लेते हैं
    • उदाहरण: उबर और ओला जैसे राइड-हेलिंग ऐप्स ड्राइवरों को कर्मचारियों की बजाय ‘भागीदारों’ के रूप में वर्गीकृत करते हैं तथा उन्हें पीएफ या स्वास्थ्य बीमा जैसे लाभ देने से इनकार कर देते हैं।
  • अदृश्य शोषण: उपभोक्ता केवल सेवा को देखते हैं, कर्मचारी के संघर्षों (जैसे- प्रदूषण, सामाजिक सुरक्षा, थकावट आदि) को नहीं देखते।
  • रोज़गार सुरक्षा का अभाव: गिग श्रमिकों को न तो रोज़गार की सुरक्षा मिलती है, न ही कोई निश्चित वेतन और न ही कोई लाभ, जिससे वे आय अस्थिरता के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
    • उदाहरण:  डिलीवरी पार्टनर का किराया गणना पर कोई नियंत्रण नहीं होता है, क्योंकि प्लेटफॉर्म अपारदर्शी एल्गोरिदम के माध्यम से आए का निर्धारण करते हैं
  • सामूहिक सौदेबाजी का अभाव: कोई सामूहिक सौदेबाजी नहीं होती – प्रत्येक कर्मचारी अलग-थलग रहता है तथा सबसे कम वेतन वाले रोज़गार के लिए लाखों लोगों से प्रतिस्पर्धा करता है। गिग प्लेटफॉर्म शोषण को रोज़गार सृजन बताकर उचित ठहराते हैं।
    • उदाहरण: प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण स्विगी और ज़ोमैटो पर खाद्य वितरण करने वाले कर्मचारियों को प्रति डिलीवरी भुगतान में समय के साथ कमी देखने को मिली है।
  • श्रम अनिश्चितता: “इंस्टा मेड्स” जैसी सेवाएँ 49/घंटा पर घरेलू सहायता प्रदान करती हैं, जो मानव श्रम का अवमूल्यन करती हैं। श्रमिक निम्न वेतन और अधिकारों की कमी के खिलाफ़  विरोध प्रदर्शन भी करते हैं, जिसका न के बराबर प्रभाव होता है

विधायी संघर्ष और व्यावसायिक प्रतिरोध

  • विधायी अनिच्छा: राजस्थान ने गिग श्रमिकों के अधिकारों का समर्थन करने में अग्रणी भूमिका निभाई| गिग श्रमिकों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा ढाँचे, व्यक्तिगत कार्य डेटा तक वास्तविक समय पर पहुँच और चर्चा के लिए त्रिपक्षीय बोर्ड के साथ एक स्वतंत्र शिकायत निवारण तंत्र की माँग की। किन्तु पारित होने के बावजूद नई सत्तारूढ़ सरकार ने इसके कार्यान्वयन को रोक दिया है।
  • कॉर्पोरेट लॉबिंग: नैसकॉम और सीआईआई ने राज्य सरकारों पर दबाव डाला और तर्क दिया:
    • गिग श्रमिक “साझेदार” होते हैं, कर्मचारी नहीं – इसलिए, उन्हें कोई कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती।
    • श्रमिकों को अपनी आय के आँकड़ों तक पहुँच नहीं होनी चाहिए।
    • मनमाने ढंग से समाप्ति से कोई सुरक्षा नहीं।
    • कोई स्वतंत्र शिकायत निवारण तंत्र नहीं है।
    • कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने प्रगतिशील कानूनों का वादा करने में देरी की और इसके बजाय एक समिति का गठन किया।
  • छद्म समर्थन: अर्बन कंपनी के संस्थापक ने गिग वर्कर सुरक्षा के खिलाफ कॉर्पोरेट सबमिशन पर हस्ताक्षर किए, जबकि सार्वजनिक रूप से उन्होंने श्रमिकों के सम्मान का समर्थन करने का दावा किया।
  • पी.आर. अभियान बनाम वास्तविकता: कम्पनियाँ श्रमिक कल्याण की बात करती हैं, लेकिन वास्तविक कानूनी सुरक्षा का विरोध करती हैं।

निष्कर्ष

आधुनिक डिजिटल दासता के खिलाफ लड़ाई जारी है, क्योंकि श्रमिक मान्यता, अधिकार और उचित व्यवहार के लिए प्रयास कर रहे हैं। स्पष्ट है कि गिग श्रमिक देश के प्रमुख कार्यबल हैं, जिनके अधिकारों की सुरक्षा सरकार का प्रमुख दायित्व होना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

गिग इकॉनमी डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से श्रम शोषण का एक आधुनिक संस्करण प्रस्तुत करती है। यह भारत में सामाजिक-आर्थिक समानता, श्रम अधिकारों और शासन संबंधी ढाँचों को किस प्रकार प्रभावित करती है, विश्लेषण कीजिए। नवाचार और श्रमिक सुरक्षा दोनों को संबोधित करने वाले व्यापक समाधान भी सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.