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भारतीय खेलों में डोपिंग का संकट

Lokesh Pal December 26, 2025 05:00 10 0

संदर्भ:

विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत लगातार तीसरे वर्ष डोपिंग उल्लंघन में सबसे अधिक योगदान देने वाला देश बनकर उभरा है, जिससे 2030 कॉमनवेल्थ खेल और 2036 ओलंपिक खेल की मेज़बानी करने की महत्वाकांक्षाओं के बीच संस्थागत विश्वसनीयता पर चिंताएं बढ़ गई हैं।

डोपिंग के बारे में:

  • परिभाषा: डोपिंग से तात्पर्य खिलाड़ियों द्वारा प्रदर्शन बेहतर करने के लिए निषेध किए गए पदार्थों या तरीकों का उपयोग करने से है l जो निष्पक्ष खेल के नियमों का उल्लंघन करता है और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है।
  • प्रकार: एनाबॉलिक स्टेरॉयड, उत्तेजक, एरिथ्रोपोइटिन (EPO), ग्रोथ हार्मोन जैसे पदार्थ।
    • उपयोग किए गए तरीके: रक्त डोपिंग, जीन डोपिंग, मास्किंग एजेंट।
  • प्रतिकूल विश्लेषणात्मक निष्कर्ष (AAF): प्रतिकूल विश्लेषणात्मक निष्कर्ष एक प्रयोगशाला रिपोर्ट है जो डोपिंग परीक्षण के दौरान एकत्र किए गए एथलीट के नमूने (मूत्र/रक्त) में प्रतिबंधित पदार्थ या उसके मेटाबोलाइट्स/मार्करों की उपस्थिति को दर्शाती है।

The Role of WADA and NADA:

  • WADA (विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी): यह खेलों में प्रतिबंधित पदार्थों के उपयोग को रोकने के लिए वैश्विक “पुलिस” के रूप में कार्य करती है।
  • NADA (राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी): यह WADA की भारतीय शाखा के रूप में कार्य करती है।

भयावह वास्तविकता – WADA 2024 रिपोर्ट:

  • शीर्ष स्थान: लगातार तीन वर्षों से भारत डोपिंग के मामलों में विश्व में शीर्ष पर है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में 7,113 परीक्षणों में से 260 मामलों में डोपिंग के प्रतिकूल परिणाम (AAF) संज्ञान में आए है, जिसमें डोपिंग की दर 3.6% है।
  • संख्या के आधार पर फ्रांस (91) और इटली (85) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
  • चीन (24,214) से पीछे, भारत समग्र परीक्षण आंकड़ों में सातवें स्थान पर रहा।

भारत की वैश्विक छवि पर प्रभाव:

  • भारत की मेजबानी की महत्वाकांक्षाएं: कम प्रदर्शन और उच्च डोपिंग का यह प्रचलन विश्व पुलिस एवं अग्निशमन खेल (2029), शताब्दी राष्ट्रमंडल खेल (अहमदाबाद) 2030 और ओलंपिक खेलों की बोली, 2036 जैसी मेगा प्रतियोगिताओं की मेजबानी करने के भारत के सपने को कमजोर कर सकता है।
  • भारत के लिए जोखिम: अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ऐसे देश को खेलों की मेजबानी देने में उपेक्षा कर सकती है जिसकी खेल संस्कृति भ्रष्ट समझी जाती है।

NADA बचाव:

  • उच्च सकारात्मकता दर की व्याख्या: राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) का दावा है कि उच्च सकारात्मकता दर अधिक संख्या में परीक्षणों के कारण है।
  • पूर्व तुलना: कोविड-19 के बाद के युग में, 2022 में AAF और नमूनों की कुल संख्या क्रमशः 125 और 3,865 (3.2% की दर से) थी, और 2023 में यह संख्या क्रमशः 213 और 5,606 (3.8% की दर से) थी।
  • चालू वर्ष परीक्षण (2025): इस वर्ष 16 दिसंबर तक, NADA ने 7,068 परीक्षण किए हैं, जिनमें 110 सकारात्मक मामले सामने आए हैं, यानी सकारात्मक मामलों की दर 5 प्रतिशत है।
  • जागरूकता और निवारक उपाय: डोपिंग पर नियंत्रण करनेके लिए NADA ने जागरूकता अभियान चलाने और “अपनी दवा को जानें” ऐप के उपयोग को प्रोत्साहित करने सहित कई उपाय अपनाए हैं।

प्रणालीगत मुद्दे:

  • परीक्षण से पलायन: एथलीट प्रायः प्रतियोगिताओं के दौरान डोपिंग नियंत्रण अधिकारियों से बचते हैं।
  • सहायक कर्मचारियों का सह-अपराध: इसमें सिर्फ एथलीट ही शामिल नहीं होते। कोच, फिजियोथेरेपिस्ट और डॉक्टर भी डोपिंग सामग्री की आपूर्ति करते हैं। इनमें से कई को “डोपिंग में सहायता” के आरोप में निलंबित किया जा चुका है।

डोपिंग के कारण:

  • आवश्यकता: हरियाणा जैसे राज्यों में, राष्ट्रीय पदक को सरकारी नौकरी, उदाहरण के लिए पुलिस या रेलवे में, प्राप्त करने का एक निश्चित मार्ग माना जाता है, जिससे खिलाड़ी आसान मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।
  • लालच: अंतरराष्ट्रीय पदकों के साथ मिलने वाले भारी नकद पुरस्कार और प्रसिद्धि की प्राप्ति में उचित निर्णय लेने में एथलीट असफल हो सकते हैं।
  • अज्ञानता: एथलीट कभी-कभी अज्ञात रूप से टर्बुटालाइन जैसे प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन कर लेते हैं, जो आम खांसी की दवाइयों में पाए जाते हैं।
    • उदाहरण: क्रिकेटर पृथ्वी शॉ को इसी तरह की एक चूक के कारण प्रतिबंध का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, कोच और डॉक्टरों सहित सहायक कर्मचारी कभी-कभी “विटामिन” के बहाने प्रतिबंधित दवाएं देकर खिलाड़ियों को गुमराह करते हैं।

आगे की राह:

  • राष्ट्रीय डोपिंग विरोधी विधेयक 2025: वर्तमान में, NADA मुख्य रूप से खेल मंत्रालय के अधीन एक प्रशासनिक निकाय है, लेकिन विधेयक का उद्देश्य इसे एक वैधानिक निकाय में बदलना है, जिससे इसे आदेशों को लागू करने की अधिक शक्ति प्राप्त होगी।
  • NADA की स्वतंत्रता: विशेषज्ञों का सुझाव है कि हितों के टकराव से बचने के लिए NADA को खेल मंत्रालय से पूरी तरह स्वतंत्र बनाया जाना चाहिए और उन्नत “माइक्रो-डोजिंग” तकनीकों का पता लगाने के लिए अधिक धन की आवश्यकता है।
  • जागरूकता: खिलाड़ियों को इस बात से अवगत कराया जाना चाहिए कि डोपिंग पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। उन्हें सेवन से पहले किसी पदार्थ के प्रतिबंधित होने की पुष्टि करने के लिए “अपनी दवा को जानें” ऐप का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

ओलंपिक का आदर्श वाक्य Citius, Altius, Fortius (तेज़, ऊँचा, मज़बूत) उत्कृष्टता की खोज को दर्शाता है, लेकिन डोपिंग के बढ़ते मामलों के वर्तमान संदर्भ में, अधिक ईमानदार को खेल में सत्यनिष्ठा पर बल देने के लिए जोड़ा जाना चाहिए। वास्तविक खेल उपलब्धि केवल पदक जीतने में नहीं, बल्कि ईमानदारी से पदक जीतने में निहित है।

मुख्य अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: भारत 2030 शताब्दी राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी की तैयारी कर रहा है, ऐसे में खेल जगत में उसका निम्न प्रदर्शन और डोपिंग की उच्च दर 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए बोली लगाने की उसकी महत्वाकांक्षा को कमजोर कर सकती है। इस संदर्भ में, डोपिंग प्रथाओं से जुड़े नैतिक मुद्दों का विश्लेषण करें और खेल जगत में सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के उपाय सुझाएं।

(15 अंक, 250 शब्द)

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