100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

आपातकाल (1975-77): जबरन नसबंदी

Lokesh Pal June 30, 2025 05:00 11 0

संदर्भ:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आरोपित आपातकाल (1975-77) के वर्ष 2025 में 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं, लेकिन राज्य प्रायोजित जबरन नसबंदी भारतीय लोकतंत्र में कम पहचानी जाने वाली घटनाओं में से एक है।

  • नसबंदी के नाम से लोकप्रिय यह अभियान जनसंख्या नियंत्रण की आड़ में चलाया गया था, लेकिन वास्तव में यह राज्य दमन का एक बलपूर्वक और हिंसक रूप था।

आपातकाल के दौरान सामाजिक प्रगति के लिए संजय गांधी के पांच सूत्री कार्यक्रम के बारे में:

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक मुद्दों पर ध्यान देना था, जिसमें प्राथमिक रूप से परिवार नियोजन पर ध्यान दिया गया, जो संजय गांधी के इस विश्वास से प्रेरित था कि तीव्र जनसंख्या वृद्धि भारत की आर्थिक और सामाजिक उन्नति में सबसे बड़ी बाधा है।
  • इस कार्यक्रम में निम्नलिखित पहल भी शामिल की गई थीं:
    • साक्षरता: एक पढ़ाओ एकके नारे के साथ शिक्षा को बढ़ावा देना।
    • दहेज विरोधी: दहेज जैसी कुप्रथा को प्रतिबंधित करने पर ध्यान देना, यद्यपि हकीकत यह कि इस पर कम ध्यान दिया गया।
    • जातिवाद का उन्मूलन: सामाजिक समानता का लक्ष्य, इस पर भी कम जोर दिया गया।
    • वृक्षारोपण: पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को प्रोत्साहित करना।
      • हालाँकि, इन सभी अभियानों को आक्रामक रूप से अपनाया गया था परंतु इनमें से सर्वाधिक विवादास्पद पहलू जबरन नसबंदी था

नसबंदी के बारे में:

  • नसबंदी एक शल्य प्रक्रिया है जो प्रजनन क्षमता को स्थायी रूप से रोक देती है, इसका उपयोग आमतौर पर परिवार नियोजन के लिए किया जाता है।
  • आमतौर पर लोकतान्त्रिक देशों में यह एकस्वैच्छिक विकल्प होता है।
  • हालाँकि, आपातकाल के दौरान, राज्य ने स्वयं जनसंख्या नियंत्रण की आड़ में इस प्रक्रिया को बड़े पैमाने पर प्रायोजित और बलपूर्वक लागू किया।
  • फोर्ड फाउंडेशन, विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी वैश्विक एजेंसियों ने भारत में जनसंख्या नियंत्रण प्रयासों का समर्थन किया था।
  • इस दृष्टिकोण की कुछ सैद्धांतिक जड़ें माल्थुसियन अवधारणा में भी मिलती हैं, जो मानती हैं कि जनसंख्या संसाधनों की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ती है, जिससे गरीबी और अपराध बढ़ते हैं, इसलिए जनसंख्या नियंत्रण अतिआवश्यक हो जाता है।

लक्षित समुदाय और युजनिक्स आरोप:

  • जबरन नसबंदी अभियान ने समाज के विशिष्ट कमज़ोर वर्गों को असंगत रूप से निशाना बनाने का कार्य किया। भारतीय संदर्भ में इसके प्राथमिक लक्ष्यों में निम्नलिखित वर्ग शामिल थे:
  • गरीब व्यक्ति, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग, दलित, अल्पसंख्यक, ग्रामीण समुदाय

नसबंदी: युजनिक्स अभ्यास:

  • यह उस विज्ञान या विश्वास प्रणाली को संदर्भित करता है जिसका उद्देश्य अक्सर चयनात्मक प्रजनन या आनुवंशिक हस्तक्षेप के अन्य रूपों के माध्यम से मानव आबादी की आनुवंशिक गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि इस नीति में युजनिक्स विज्ञान का एक तत्व मौजूद था, जहां अनुपयुक्तयाअयोग्यलोगों को प्रजनन के अधिकार से वंचित किया गया था। अतः साधारण शब्दों में “श्रेष्ठ” नस्ल या जीन पूल को बढ़ावा देना, जबकि “अवांछनीय” या “कमज़ोर” जीनों को कम करने पर ध्यान देना।

जबरन नसबंदी के वैश्विक उदाहरण:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका (1907-1979): 60,000 से अधिक व्यक्तियों, जिनमें मानसिक रूप से बीमार लोग, गरीब लोग, अश्वेत, मूल अमेरिकी और लैटिन महिलाएं शामिल थीं, की नसबंदी की गई, जिसमें अक्सर सुजननिकी का भी प्रयोग किया जाता था।
  • स्वीडन (1935-1976): 63,000 लोगों को अयोग्यमानकर उनकी नसबंदी कर दी गयी; बाद में सरकार ने प्रतिक्रियस्वरूप माफ़ी मांगी और मुआवज़ा प्रदान किया गया।
  • नाजी जर्मनी: आनुवंशिक रूप से रोगग्रस्त संतानों की रोकथाम के लिए 1933 के कानून के तहत लगभग 400,000 लोगों की नसबंदी की गई।
  • पेरू (1990 का दशक): राष्ट्रपति फुजीमोरी के शासनकाल में 300,000 ग्रामीण और स्वदेशी महिलाओं की नसबंदी की गई।
  • चीन: एक संतान की नीति के कारण लाखों लोगों की जबरन नसबंदी की गई, विशेष रूप से जातीय अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया।

प्रवर्तन और प्रतिरोध के तरीके:

  • नीतिगत एकीकरण: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दुकानों से राशन आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं प्राप्त करने के लिए नसबंदी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया।
  • कोटा और प्रोत्साहन: ब्लॉक अधिकारियों, पंचायत प्रमुखों,शिक्षकों, डॉक्टरों और स्थानीय पुलिस सहित जमीनी स्तर के अधिकारियों को नसबंदी के लिए लक्ष्य दिए गए थे।
    • लक्ष्य पूरा करने वालों को पुरस्कार दिया गया, जबकि नसबंदी कराने वालों को नकद, चावल या नौकरी में वरीयता दी गई
    • इसके विपरीत, अनुपालन न करने पर नौकरी छूट सकती है या वेतन में कटौती हो सकती है।
  • जबरदस्ती और भय: इस कार्यक्रम का उपयोग असहमति को दबाने और भय पैदा करने के लिए भी किया गया।
    • इसी के तहत बिहार में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में भाग लेने वालों के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए उनकी जबरन नसबंदी कर दी गई थी।
    • टिकट विहीन रेल यात्रियों, दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूरों, भिखारियों, विचाराधीन कैदियों और यहां तक ​​कि घुमंतू साधुओं याहिप्पी” (समाज के मूल्यों और रीति-रिवाजों को अस्वीकार करने वाले) जैसे दिखने वालेयुवाओं को भी इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ा।
  • पलायन और हिंसा: जबरदस्ती के कारण कई ग्रामीण अपने घरों से भागकर जंगलों में छिप गए, जहां पुलिस ने उनका पीछा किया।
    • प्रतिरोध के हिंसक दमन के कई उदाहरण हैं, जैसे कि 16 अक्टूबर 1976 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में खालपुर हत्याकांड, जिसमें जबरन नसबंदी का विरोध करने पर 25 लोगों को गोली मार दी गई थी। इस घटना को नसबंदी गोली कांड के नाम से जाना जाता है।
    • हरियाणा के उटावडा गांव में पुलिस ने छापा मारा, बिजली काट दी और 180 लोगों की जबरन नसबंदी कर दी।

आपातकाल के दुरुपयोग:

  • लोगों ने आपातकाल को नसबंदी का वक्तकहा और आपातकाल शब्द ही नसबंदी का पर्याय बन गया, जो सार्वजनिक जीवन में कई लोगों के लिए एक सामाजिक कलंक बन गया।
  • आपातकाल के दौरान हुए दुरुपयोग की जांच के लिए गठित शाह आयोग ने नसबंदी से संबंधित 1,778 मौतें और सैकड़ों लोगों के घायल होने का मामला दर्ज किया था।
    • इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि हजारों नसबंदी अनधिकृत रूप से हुईं।
  • शोधकर्ता पै पनंदिकर और के.जी. जॉली द्वारा प्राप्त आंकड़े:
    • 1975 में 1.3 मिलियन पुरुष नसबंदी।
    • 1976 में 2.6 मिलियन पुरुषों की नसबंदी।
    • 1977 में कुल 8.3 मिलियन नसबंदी हुई – जो विश्व स्तर पर सबसे बड़ा जबरन अभियान था।
  • एक वर्ष के भीतर, कुल नसबंदी – पुरुष और महिला दोनों मिलाकर – 1977 में लगभग 8.3 मिलियन तक पहुंच गई, जिससे यह विश्व स्तर पर अब तक का सबसे व्यापक जबरन नसबंदी अभियान बन गया।
  • उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेशनसबंदी बेल्टमें तब्दील हो गए।
  • आपातकाल के नसबंदी अभियान ने उस बात को उजागर कर दिया जिसे कैमरून के राजनीतिक सिद्धांतकार अचिल एमबेम्बे ने नेक्रोपोलिटिक्सकहा था।
  • हालांकि जबरन नसबंदी प्रयोग एक निर्विवाद विफलता थी, जिसने आपातकाल के बाद 1977 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी की करारी हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आपातकाल से सबक:

  • शक्ति का जिम्मेदार उपयोग: सरकारों को हमेशा अपनी शक्ति व अधिकारों का प्रयोग जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए, दुरुपयोग और अतिक्रमण से बचना चाहिए
  • मानव अधिकारों का महत्व: प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर पर मौलिक अधिकार है, और उनके मानव अधिकारों की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए।
  • राज्य की जवाबदेही: राज्य को अपने कार्यों के लिए जवाबदेह होना चाहिए और अपने निर्णयों के लिए औचित्य प्रदान करना चाहिए, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
  • लोकतंत्र की रक्षा: लोकतंत्र को, चाहे वह कितना भी परिपक्व क्यों न हो, नष्ट होने से बचाने के लिए निरंतर सतर्कता और सुरक्षा की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष:

जबरन नसबंदी अभियान से उत्पन्न विनाशकारी प्रभाव भारत में नैतिक शासन, व्यक्तिगत स्वतंत्रता के प्रति सम्मान और मजबूत लोकतांत्रिक सुरक्षा उपायों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.