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Lokesh Pal
July 24, 2025 05:00
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ब्रिक्स समूह की शुरुआत विश्व की चार प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के एक प्रतीकात्मक गठबंधन के रूप में की गई थी। परंतु इसमें समय के साथ महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है यही कारण है कि आज इसे वैकल्पिक वैश्विक शासन के लिए एक मंच के रूप में देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिक्स का विस्तार केवल पश्चिम विरोधी भावना नहीं है, बल्कि विभिन्न देशों द्वारा एक अधिक समतापूर्ण और बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था की महत्त्वाकांक्षा का प्रतिबिंब है। इसमें प्रत्येक नए सदस्य की अपनी विशिष्ट रणनीतिक प्रेरणाएँ हैं जिनका विस्तृत विवरण इस प्रकार है:
ब्रिक्स ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पश्चिमी प्रभुत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक (WB) जैसे वैश्विक शासन संरचनाओं का सामना करने के लिए सक्रिय रूप से वैकल्पिक संस्थानों का निर्माण किया है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे पश्चिमी देशों के पक्षधर हैं।
विश्वसनीय संस्थाओं, बहुलतावादी शासन और लागू करने योग्य मानदंडों के बिना ब्रिक्स उन्हीं असमानताओं को दोहरा सकता है, जिनसे बचना उसका मुख्य लक्ष्य है।
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