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Lokesh Pal
October 16, 2025 05:15
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अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता, डिजिटल प्रभुत्व और संरक्षणवाद के कारण वैश्विक आर्थिक व्यवस्था संरचनात्मक पुनर्संरेखण (structural realignment) से गुज़र रही है, जिससे असमानता का खतरा उत्पन्न हो रहा है, लेकिन यह वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) जिसमें भारत भी शामिल है, को एक अधिक निष्पक्ष विश्व अर्थव्यवस्था को आकार देने के अवसर भी प्रदान करता है।
भारत और वैश्विक दक्षिण के लिए, यह घरेलू पुनर्समायोजन, रणनीतिक कौशल और निष्पक्षता तथा आत्मनिर्भरता में निहित सहकारी अंतर्राष्ट्रीयता के माध्यम से समावेशी तथा समतामूलक प्रणाली का सह-निर्माण करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।
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