Lokesh Pal
May 21, 2025 05:00
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भारत चरम मौसम, बढ़ते तापमान और अनियमित मानसून के कारण बढ़ते जलवायु संकट का सामना कर रहा है। पर्याप्त वैज्ञानिक साक्ष्यों और बढ़ते खतरों के बावजूद, भारत की नीति प्रतिक्रिया अब भी समन्वित दृष्टिकोण से रहित है तथा जलवायु भौतिक जोखिम (Climate Physical Risk – CPR) के मूल्यांकन हेतु कोई व्यापक संस्थागत ढाँचा उपलब्ध नहीं है।”
भारत की जलवायु प्रत्यास्थता, प्रतिक्रियात्मक प्रतिक्रियाओं से सक्रिय, डेटा-संचालित जोखिम आकलन की ओर परिवर्तित होनी चाहिए। एक मजबूत CPR ढाँचा यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि विकसित भारत के तहत प्रगति,संधारणीय और भविष्य के लिए स्थाई हो।
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