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शाकाहारी दुग्ध (वीगन मिल्क) की बढ़ती लोकप्रियता और इसके स्वास्थ्य संबंधी कारक

Lokesh Pal July 22, 2025 05:00 9 0

संदर्भ:

शाकाहारी दुग्ध या वीगन मिल्क (Vegan milk) पशु आधारित डेयरी दुग्ध का एक पादप-आधारित विकल्प है। इसे सोया, बादाम, जई, नारियल, चावल और काजू आदि स्रोतों से बनाया जाता है। यद्यपि यह गाय या भैंस के दुग्ध जैसा दिखता है और कभी-कभी इसका स्वाद भी वैसा ही होता है, लेकिन इसका स्रोत पूरी तरह से पौधों पर आधारित है।

शाकाहारी दुग्ध की उत्पादन प्रक्रिया

  • शाकाहारी दुग्ध बनाने की सामान्य प्रक्रिया में पादप-आधारित घटक को भिगोना, मिश्रित करना और फिर छानना शामिल है। 
  • इसके बाद स्वाद और पोषण बढ़ाने के लिए कैल्शियम, विटामिन या फ्लेवरिंग जैसे पदार्थ मिलाए जाते हैं। 
  • उदाहरण के लिए, बादाम को भिगोया जाता है, मिश्रित किया जाता है और फिर बादाम का दुग्ध बनाने के लिए इसे फ़िल्टर किया जाता है

बढ़ती लोकप्रियता के कारण

  • लैक्टोज असहिष्णुता (Lactose Intolerance): भारत में लगभग 60% लोग, लैक्टोज को सहन या पचा नहीं सकते हैं, जो पशु दुग्ध में पाया जाने वाला एक प्रकार का शर्करा है।
    • लैक्टोज के सेवन से गैस, पेट दर्द या दस्त जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। 
    • बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं, कि वे लैक्टोज असहिष्णु हैं।
  • डेयरी उत्पाद एलर्जी: कुछ व्यक्तियों को जीवन के शुरुआती दिनों में डेयरी प्रोटीन से एलर्जी हो जाती है, जिससे शाकाहारी दुग्ध एक पसंदीदा विकल्प बन जाता है।
  • स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ:
    • गाय के दुग्ध में संतृप्त वसा होती है, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती है। हालाँकि, वनस्पति-आधारित दुग्ध में असंतृप्त वसा होती है, जो कोलेस्ट्रॉल से संबंधित जोखिमों को कम करती है।
    • कई स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व्यक्ति कम वसा, कम कैलोरी और रसायन मुक्त विकल्प चाहते हैं, जिसके लिए शाकाहारी दुग्ध एक उत्कृष्ट विकल्प है।
    • कोविड-19 महामारी ने शाकाहारी दुग्ध उद्योग के विकास को और तीव्र कर दिया, क्योंकि लोग स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो गए।
  • नैतिक विचार: कुछ उपभोक्ता पशुओं के प्रति प्रेम के कारण शाकाहारी दुग्ध पसंद करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि पशुओं से दुग्ध लेना अनैतिक है, क्योंकि इससे उनकी संतानों को नुकसान पहुँच सकता है। इस दृष्टिकोण से, वनस्पति-आधारित विकल्प अधिक नैतिक माने जाते हैं।
  • मिलावट की चिंता: गाय और भैंस के दुग्ध में मिलावट की चिंता के कारण भी लोग पौधों पर आधारित विकल्पों को पसंद करते हैं, जिन्हें अधिक सुरक्षित माना जाता है।
  • फोर्टिफिकेशन: शाकाहारी दुग्ध को कैल्शियम, विटामिन और प्रोटीन जैसे अतिरिक्त पोषक तत्त्वों के साथ फोर्टिफाइड किया जा सकता है, जिससे इसका आकर्षण बढ़ जाता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: पशुपालन, विशेष रूप से डेयरी फार्मिंग, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। इसके विपरीत, पौधे ग्रीनहाउस गैसों को अवशोषित करते हैं, जिससे शाकाहारी दुग्ध पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल विकल्प बन जाता है।

विवाद : ‘दुग्ध’ या ‘पेय पदार्थ’?

  • पादप-आधारित उत्पादों के नामकरण को लेकर एक व्यापक विवाद है। डेयरी उद्योग का तर्क है, कि पौधों से प्राप्त उत्पादों को ‘दुग्ध’ के रूप में लेबल नहीं किया जाना चाहिए। 
  • उनका तर्क है, कि ’दुग्ध’ का तात्पर्य विशेष रूप से स्तनधारियों की स्तन ग्रंथियों द्वारा उत्पादित तरल पदार्थ से होना चाहिए। 
  • उनके अनुसार, ‘सोया दुग्ध’ या ‘बादाम दुग्ध’ जैसे शब्दों का प्रयोग उपभोक्ताओं के बीच भ्रम उत्पन्न करता है और वे गलती से इन्हें डेयरी दुग्ध समझ लेते हैं।

डेयरी उद्योग के समर्थन में तर्क

  • संयुक्त राष्ट्र समर्थित कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग दुग्ध को स्तनधारियों की स्तन ग्रंथियों से प्राप्त होने वाले दुग्ध के रूप में परिभाषित करता है।
  • भारत की राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी भी शाकाहारी दुग्ध को “दुग्ध” कहने के खिलाफ है, क्योंकि वह इसे आपातकालीन आवश्यकता की बजाय एक “फैंसी विकल्प” मानती है।
  • डेयरी उद्योग के समर्थक इस बात पर प्रकाश डालते हैं, कि पशु दुग्ध एक “पूर्ण मैट्रिक्स” है, जिसमें 500 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्त्व होते हैं और जो मानव विकास और शरीर प्रणाली के रखरखाव के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, जिसकी तुलना पादप-आधारित विकल्प नहीं कर सकते।
  • वे “सोया दुग्ध” या “बादाम दुग्ध” के स्थान पर “सोया पेय” या “बादाम पेय” जैसे शब्दों का प्रयोग करने का सुझाव देते हैं।

बाजार की वृद्धि और दृष्टिकोण

  • इसके नाम पर विवाद के बावजूद, शाकाहारी दुग्ध का बाजार विश्व स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है। 
  • अनुमानों के अनुसार 2023 से 2027 के बीच 6-8% की वृद्धि दर रहेगी।
  • 2023 तक शाकाहारी दुग्ध बाजार का वैश्विक मूल्य $2.1 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • यह वृद्धि मुख्यतः स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता, युवाओं में शाकाहारी विकल्पों के प्रति बढ़ती प्राथमिकता तथा लैक्टोज असहिष्णुता के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण है।
  • यह प्रवृत्ति एक नई तरह की खाद्य क्रांति का प्रतीक है।

भारत का दुग्ध परिदृश्य

  • भारत में प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता प्रभावशाली है, जो प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 471 ग्राम है, जो वैश्विक औसत 322 ग्राम से काफी अधिक है। 
  • भारतीय चिकित्सा परिषद प्रति व्यक्ति औसतन 280 ग्राम दुग्ध की खपत की सिफारिश करती है। 
  • पारंपरिक दुग्ध की उच्च उपलब्धता के बावजूद, भारत में शाकाहारी दुग्ध की माँग बढ़ रही है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

पादप-आधारित दुग्ध की बढ़ती लोकप्रियता भारत और विश्व स्तर पर उपभोक्ताओं की पसंद को नवीन स्वरूप प्रदान कर रही है। पादप-आधारित दुग्ध की माँग को बढ़ाने वाले कारकों का परीक्षण कीजिए और पारंपरिक डेयरी उद्योग के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों की चर्चा कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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