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FTA के केंद्र में वैश्विक क्षमता केंद्रों का विस्तार और भारत के लिए इसके निहितार्थ

Lokesh Pal July 22, 2025 05:15 13 0

संदर्भ:

जैसे-जैसे यूनाइटेड किंगडम और भारत अपने ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैंद्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को पुनः  परिभाषित करने में FTA की क्षमता की मान्यता बढ़ रही है।

  • सहयोग के सर्वाधिक आशाजनक क्षेत्रों में वैश्विक क्षमता केन्द्रों (GCC) का तेजी से विकसित हो रहा पारिस्थितिकी तंत्र शामिल है – एक ऐसा क्षेत्र जहाँ भारत अग्रणी है तथा ब्रिटेन एक महत्त्वपूर्ण साझेदार हो सकता है।

वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) के बारे में

  • GCC बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा आईटी, वित्त, अनुसंधान एवं विकास तथा विश्लेषण जैसे मुख्य व्यावसायिक कार्यों को करने के लिए स्थापित आंतरिक अपतटीय इकाइयाँ हैं।
  • उदाहरण के लिए, यदि गूगल जैसी कोई अमेरिकी कंपनी विशिष्ट परिचालनों के प्रबंधन के लिए भारत में कार्यालय स्थापित करती है, तो वह भारतीय कार्यालय उसका वैश्विक क्षमता केंद्र होगा
  • ये केंद्र महज तृतीय पक्ष आउटसोर्सिंग इकाइयाँ नहीं हैं, ये बहुराष्ट्रीय कंपनी के अपने परिचालन का अभिन्न अंग हैं।

GCC की स्थापना के कारण

  • लागत प्रभावशीलता: भारत जैसे देशों में श्रम प्रायः अपने घरेलू देशों की तुलना में सस्ता होता है।
  • विविध प्रतिभा पूल तक पहुँच: उदाहरण के लिए, भारत कुशल पेशेवरों का एक विशाल और विविध पूल प्रदान करता है।
  • परिचालन का पैमाना: प्रारंभ में, GCC ने कर परिचालन और डेटा विश्लेषण जैसे छोटे, अधिक नियमित कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया। 
    • हालाँकि, उनका दायरा व्यापक रूप से विस्तारित हो गया है और इसमें जटिल और उच्च-मूल्य वाले कार्य भी शामिल हो गए हैं, जिनमें शामिल हैं- साइबर सुरक्षा, अनुसंधान और विकास (R&D), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), उत्पाद नवाचार आदि।

भारत: GCC के लिए एक प्रमुख गंतव्य

वर्तमान में, भारत में 1,500 से अधिक कार्यरत GCC हैं, जिनमें 1.9 मिलियन से अधिक लोग कार्यरत हैं। भारत कई अंतर्निहित लाभों के कारण वैश्विक क्षमता केंद्र स्थापित करने के लिए एक आदर्श स्थान के रूप में उभर कर सामने आता है:

  • विशाल प्रतिभा पूल: भारत में इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और वित्त पेशेवरों का एक विशाल पूल मौजूद है, जिसमें लाखों स्नातक प्रतिवर्ष कार्यबल में प्रवेश करते हैं।
    • इससे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को विविध एवं कुशल कार्यबल तक आसान पहुँच प्राप्त हो जाती है।
  • लागत-प्रभावशीलता: भारत में श्रम लागत अत्यंत कम है, जिससे परिचालन व्यय को अनुकूलित करने की इच्छुक कंपनियों के लिए यह एक आकर्षक गंतव्य बन गया है
  • अंग्रेजी दक्षता: भारतीय कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा अंग्रेजी में कुशल है, जो अंतर्राष्ट्रीय परिचालनों के साथ निर्बाध संचार और एकीकरण की सुविधा प्रदान करता है।
  • मजबूत तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र: गुरुग्राम, बंगलुरू, हैदराबाद और पुणे जैसे प्रमुख भारतीय शहरों में मजबूत तकनीकी बुनियादी ढाँचा है, जो उन्नत परिचालनों का समर्थन करता है।
  • समय क्षेत्र लाभ: भारत का समय क्षेत्र पश्चिमी देशों (जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका) की बहुराष्ट्रीय कंपनियों को 24 घंटे परिचालन बनाए रखने की अनुमति देता है, जिससे निरंतर कार्य चक्र के लिए समय के अंतर का लाभ मिलता है।

मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) के बारे में:

  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दो देशों के बीच एक समझौता है, जो बाधाओं को कम करने या समाप्त करने के माध्यम से व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाता है, जो या तो टैरिफ बाधाएँ (आयात/निर्यात पर कर) या गैर-टैरिफ बाधाएँ (जैसे- कोटा, गुणवत्ता प्रतिबंध) हो सकती हैं। 
  • FTA से व्यवसायों के लिए सीमाओं के पार परिचालन और निवेश करना आसान हो जाता है।
  • प्रस्तावित भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता इस बात का उदाहरण है, कि किस प्रकार ऐसे समझौते वैश्विक क्षमता केंद्रों के विकास को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे सकते हैं
  • ब्रेक्सिट के बाद, ब्रिटेन विविध प्रतिभा पूल तक पहुँच बनाकर वैश्विक नवाचार को बढ़ावा देने के लिए FTA पर हस्ताक्षर करने का इच्छुक है, जो भारत में प्रचुर मात्रा में मौजूद है। 
  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA) महज एक नौकरशाही दस्तावेज नहीं है, बल्कि एक ढाँचा है, जो राष्ट्रों के बीच “ज्ञान-आधारित गलियारे” की सुविधा प्रदान करता है।

FTA – GCC विकास का समर्थन किस प्रकार करता है?

  • पेशेवरों की आसान आवाजाही: FTA हस्ताक्षरकर्ता देशों के बीच पेशेवरों की सुगम आवाजाही को सरल बनाता है। 
    • इसका अर्थ यह है, कि ब्रिटेन के पेशेवर आसानी से GCC की स्थापना और प्रबंधन के लिए भारत आ सकते हैं, एवं भारतीय पेशेवर आसानी से ब्रिटेन में मूल कंपनियों में जा सकते हैं, जिससे परिचालन सुव्यवस्थित हो जाएगा।
  • डेटा साझाकरण और स्थानांतरण नियमों का संरेखण: यदि FTA देशों के बीच डेटा साझाकरण और स्थानांतरण विनियमों के संरेखण की ओर ले जाता है, तो यह GCC के संचालन को अत्यंत आसान बनाता है। 
    • इसके बाद बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ बिना किसी भय के अपने GCC को संवेदनशील डेटा हस्तांतरित कर सकेंगी, क्योंकि दोनों देश समान डेटा मानकों का पालन करेंगे।
  • दोहरे कराधान से निपटना: FTA में अक्सर दोहरे कराधान से निपटने के प्रावधान शामिल होते हैं, जहाँ किसी कंपनी की आय पर दो बार कर लगाया जाता है (एक बार मेजबान देश में और एक बार अपने देश में)। 
    • इसे कम करके, FTA साझेदार राष्ट्र की कंपनियों (जैसे- यूके की कंपनियाँ) के लिए भारत में निवेश करने और अधिक GCC स्थापित करने को अधिक आकर्षक बनाता है।
  • बौद्धिक संपदा (IP) संरक्षण: कंपनियों के लिए नवाचार सर्वोपरि है और उन्हें अपनी नई रचनाओं के लिए मजबूत बौद्धिक संपदा संरक्षण की आवश्यकता होती है। 
    • FTA में आमतौर पर बौद्धिक संपदा अधिकारों को सुरक्षित और संरक्षित करने के प्रावधान शामिल होते हैं। 
    • यह आश्वासन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मेजबान देश में GCC के भीतर अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार में अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है, क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी बौद्धिक संपदा सुरक्षित है।

सरकारी पहल और भविष्य का दृष्टिकोण

  • भारत सरकार GCC के विकास को सक्रिय रूप से समर्थन प्रदान करती है। 
  • इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने राष्ट्रीय GCC फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए NASSCOM और KPMG जैसे संगठनों को शामिल करते हुए एक उद्योग-नेतृत्व वाली पैनल की स्थापना की है। 
  • बजट 2025 में रेखांकित इस ढाँचे का उद्देश्य GCC को आकर्षित करने और संभावित बाधाओं को दूर करने के लिए राज्यों को मार्गदर्शन प्रदान करना है। 
  • उत्तर प्रदेश जैसे राज्य पहले से ही निवेश आकर्षित करने के लिए GCC सम्मेलनों का आयोजन कर रहे हैं, जो राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का संकेत है।
  • GCC को आकर्षित करने के अलावा, सरकार भारत के प्रतिभा पूल को कुशल बनाने और उन्नत बनाने की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता को भी पहचानती है। 
  • चूँकि बाजार की आवश्यकताएँ तेजी से विकसित हो रही हैं (जैसे- एआई इंजीनियरों की माँग), इसलिए भारत के कार्यबल को प्रासंगिक और प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए निरंतर कौशल उन्नयन आवश्यक है।

निष्कर्ष

वैश्विक क्षमता केंद्रों का वादा मुक्त व्यापार समझौतों के केंद्र में है। भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता एक शक्तिशाली ज्ञान-आधारित गलियारा बनाने के लिए तैयार है, जो भारत की प्रतिभा और ब्रिटेन के निवेश का लाभ उठाकर दोनों देशों को लाभान्वित करेगा। यह प्रयास भारत के लिए अन्य पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के साथ इसी प्रकार के FTA को आगे बढ़ाने के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य कर सकता है, जिससे क्षमता केंद्र के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में इसकी स्थिति और सुदृढ़ हो सकती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) अब केवल बैक-ऑफिस केंद्रों से विकसित होकर बहुराष्ट्रीय निगमों के लिए नवाचार, विश्लेषण और डिजिटल परिवर्तन के रणनीतिक स्तंभ बन गए हैं। वैश्विक GCC पारिस्थितिकी तंत्र में भारत की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए; साथ ही भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और रोज़गार परिदृश्य को मज़बूत करने में GCC की क्षमता पर चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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