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Lokesh Pal
June 16, 2025 05:00
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हमें इस बात के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है कि संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण देश के सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श का परिणाम है। यह पूरे राष्ट्र की सामूहिक बुद्धिमता और विविध आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।
भारतीय संविधान राष्ट्र की सामूहिक सभ्यतागत बुद्धिमत्ता को दर्शाता है जैसे कि “एकं सत् विप्रा बहुधा वदंति“, अशोक के अभिलेखों में दिखाई गई धार्मिक सहिष्णुता, आदि और प्रस्तावना गणराज्य की आत्मा को अभिव्यक्त करती है।
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