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हिंद महासागर एक नई नीली अर्थव्यवस्था का उद्गम स्थल है

Lokesh Pal December 13, 2025 06:30 20 0

सन्दर्भ:

हिंद महासागर वैश्विक जलवायु, आर्थिक और भू-राजनीतिक परिवर्तनों के केंद्र बिंदु के रूप में उभर रहा है, जिसके कारण एक नई नीली अर्थव्यवस्था के ढांचे की मांग उठ रही है।

भारत का महासागरीय दृष्टिकोण – UNCLOS से लेकर वर्तमान चुनौतियों तक

  • संयुक्त राष्ट्र समुद्री सीमा समझौते (UNCLOS) में भारत: 1970-80 के दशक में UNCLOS वार्ता के दौरान, भारत ने महासागरों के केवल संसाधन-आधारित दृष्टिकोण का विरोध किया, कमजोर राज्यों का समर्थन किया और मानव जाति की साझा विरासत” का समर्थन करते हुए महासागरीय संसाधनों के साझा वैश्विक स्वामित्व पर बल दिया।
  • नेहरू का दृष्टिकोण: 1950 के दशक में, जवाहरलाल नेहरू ने भारत की समृद्धि को समुद्रों से जुड़ा हुआ देखा और समुद्री शासन में प्रभुत्व के स्थान पर सहयोग पर बल दिया।
  • आधुनिक खतरे: हिंद महासागर, जो विश्व की एक तिहाई आबादी का घर है, तीव्र जलवायु भेद्यता का सामना कर रहा है, जो साझा संसाधनों के बढ़ते दुरुपयोग की त्रासदी को दर्शाता है।

हिंद महासागर क्षेत्र के लिए प्रमुख खतरे

  • तापमान में वृद्धि और अम्लीकरण: महासागर अतिरिक्त COको अवशोषित कर रहे हैं, जिससे वे गर्म और अधिक अम्लीय हो रहे हैं, जो समुद्री जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
  • समुद्र के बढ़ते जलस्तर: समुद्र के बढ़ते जलस्तर से मालदीव जैसे छोटे द्वीपीय देशों के अस्तित्व को खतरा है।
  • अवैध, अनियमित और बिना सूचना के मछली पकड़ना (IUU): IUU मछली पकड़ने में संलग्न बड़े ट्रॉलर समुद्री जीवन को नष्ट कर देते हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा और आजीविका का संकट उत्पन्न होता है।

भारत की ब्लू ओशन रणनीति के तीन स्तंभ

  • प्रबंधन: भारत नियम निर्माण से आगे बढ़कर व्यवहार में लाने की कोशिश कर रहा है, हिंद महासागर को प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र के बजाय स्थिरता की प्रयोगशाला के रूप में देख रहा है और चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स जैसी रणनीतिक चुनौतियों के बावजूद सहयोग और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली को बढ़ावा दे रहा है।
  • लचीलापन: यह स्वीकार करते हुए कि जलवायु परिवर्तन को तत्काल रोका नहीं जा सकता, भारत अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकियों (जैसे, सुनामी चेतावनी प्रणाली) को साझा करके और क्षेत्रीय संकटों में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में कार्य करके एक क्षेत्रीय लचीलापन और महासागर नवाचार केंद्र बनना है।
  • समावेशी विकास: नीली अर्थव्यवस्था के माध्यम से, भारत संरक्षण के साथ विकास को आगे बढ़ा रहा है – जैसे –हरित शिपिंग, अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा (समुद्री पवन फार्म), और जलीय संसाधनों से प्राप्त जैव-आधारित दवाएं।

ब्लू ओशन रणनीति के पक्ष में तर्क

  • वैश्विक वित्तपोषण में बढ़ता ध्यान: अंतर्राष्ट्रीय वित्त पोषण महासागर संरक्षण और नीली अर्थव्यवस्था को तेजी से प्राथमिकता दे रहा है।
  • प्रमुख वैश्विक पहलें:
    • ब्लू इकोनॉमी एंड फाइनेंस फोरम (BEFF) 2025: 25 बिलियन यूरो का निवेश पाइपलाइन; लगभग सार्वजनिक-निजी समानता के साथ 8.7 बिलियन यूरो की नई प्रतिबद्धताएं।
    • कॉमन ओशन कोएलिशन द्वारा वित्तपोषण: महासागर संबंधी कार्यों के लिए प्रतिवर्ष 7.5 बिलियन डॉलर की प्रतिज्ञाएँ।
    • लैटिन अमेरिका विकास बैंक: 2030 तक नीली अर्थव्यवस्था का लक्ष्य दोगुना करके 2.5 अरब डॉलर कर दिया गया है।
    • COP-30 (ब्राजील): बेलेम एक्शन एजेंडा के तहत वन ओशन पार्टनरशिप शुरू की गई, जिसका लक्ष्य 2030 तक 20 अरब डॉलर जुटाना है।

हिंद महासागर में भारत के लिए आगे की राह 

  • हिंद महासागर ब्लू फंड: भारत को एक हिंद महासागर ब्लू फंड की स्थापना करनी चाहिए, जो समुद्री परियोजनाओं के लिए वेंचर कैपिटल फंड की तरह कार्य करे और सतत समुद्री पहलों को वित्त पोषित करें। जिससे क्षेत्रीय सद्भावना का निर्माण किया जा सके और समुद्री शासन में भारत के नेतृत्व को सुदृढ़ किया जा सके।
  • सतत विकास के माध्यम से सुरक्षा: नौसैनिक प्रभुत्व और पारंपरिक सुरक्षा उपायों से ध्यान हटाकर जलवायु और संसाधन-आधारित संकट पर ध्यान केंद्रित करना, स्थिरता सुनिश्चित करना और समुद्री डकैती को रोकना।
  • क्षेत्रीय पहलों को सुदृढ़ बनाना: सागर पहल (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास, 2015) जैसे कार्यक्रमों का विस्तार करना ताकि हिंद महासागर को शांति, स्थिरता और समृद्धि के क्षेत्र के रुप में स्थापित किया जा सके l
  • सहयोगात्मक दृष्टिकोण: भारत को क्षेत्रीय संकटों में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में स्थापित करने वाली परामर्शात्मक और परिणाम-उन्मुख रणनीतियों को बनाए रखने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

जलवायु संबंधी तनाव और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बीच, भारत की ब्लू ओशन रणनीति – जो प्रबंधन, लचीलापन और समावेशी विकास पर आधारित है – हिंद महासागर को स्थिरता, स्थायित्व और साझा समृद्धि के क्षेत्र में परिवर्तित करने का एक सहयोगात्मक मार्ग प्रदान करती है।

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: भारत,बढ़ते भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी समुद्री रणनीति में स्थिरता और समावेशी विकास को एकीकृत करके हिंद महासागर में किस प्रकार नेतृत्व कर सकता है, इस पर चर्चा कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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