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Lokesh Pal
April 26, 2025 05:15
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106वें संविधान संशोधन द्वारा महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने के बावजूद , 18वीं लोकसभा के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि संसद में उनकी उपस्थिति और सक्रिय भागीदारी के बीच बहुत बड़ा अंतर है।
अतः देखा जा सकता है कि राजनीति में महिलाओं की भूमिका गहरी चिंता का विषय बनी हुई है । केवल जानबूझकर किए गए सुधारों और महिला नेतृत्व को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के माध्यम से ही हम अधिक समावेशी और न्यायसंगत राजनीतिक वातावरण बनाने की उम्मीद कर सकते हैं ।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्नप्रश्न: संवैधानिक गारंटी और नीतिगत पहल के बावजूद, महिलाओं की भागीदारी संसदीय बहस और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सीमित रहती है। अंतर्निहित कारणों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें, इस निरंतर कम प्रतिनिधित्व में योगदान देने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) प्रश्न: ‘संवैधानिक नैतिकता’ संविधान में ही निहित है और इसकी अनिवार्यता पर आधारित है। प्रासंगिक न्यायिक प्रावधानओं के माध्यम से उचित न्याय-निर्णयन हेतु ‘संवैधानिक नैतिकता’ के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) |
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