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Lokesh Pal January 02, 2025 05:00 19 0
1960 के दशक में किए गए “मिलग्राम प्रयोग” ने इस बात का अध्ययन किया की, कि व्यक्ति किस सीमा तक अधिकारों का पालन करते हैं, भले ही यह उनके नैतिक मूल्यों के साथ टकराव की स्थित में क्यों न हो। इसे सामाजिक मनोविज्ञान में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अध्ययनों में से एक माना जाता है।
प्रयोग में तीन निम्नलिखित भूमिकाएँ शामिल थीं:
शिक्षक को शिक्षार्थी से प्रश्न पूछने का कार्य सौंपा गया था। प्रयोगकर्ता ने शिक्षक को निर्देश दिया, कि प्रत्येक गलत उत्तर के लिए उसे 15 वोल्ट से 450 वोल्ट तक के वोल्टेज के साथ बिजली के झटके दिए जाएँ ।
विभिन्न परीक्षणों में परिणाम आश्चर्यजनक और सुसंगत थे:
मिलग्राम प्रयोग से मानव व्यवहार के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी सामने आई:
उपर्युक्त निष्कर्षों का प्रयोग यह समझने के लिए किया गया है, कि कैसे साधारण व्यक्ति, होलोकॉस्ट (विनाश या बलि) जैसी प्रक्रियाओं में भाग ले सकते हैं तथा अपने कार्यों को कथित व्यापक हित के लिए केवल “आदेशों का पालन” बताकर तर्कसंगत बना सकते हैं।
आत्मचिंतन: उपर्युक्त दुविधा में यदि आप शिक्षक के स्थान पर होते, तो क्या करते? |
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