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पंजाब में बाढ़ जैसी आपदा के मद्देनज़र भारत में आपदा प्रबंधन की आवश्यकता

Lokesh Pal September 08, 2025 05:30 119 0

संदर्भ:

पंजाब, जिसे प्रायः देश का ‘अन्न का कटोरा’ कहा जाता है, को बार-बार भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ता है, जो एक उल्लेखनीय विडंबना है कि देश का अन्न भंडार स्वयं जलमग्न हो जाता है | हालाँकि पंजाब में बाढ़ कोई नई आपदा नहीं है, लेकिन 2025 की आपदा विशेष रूप से तीव्र है, जो 1988 के बाद से सबसे गंभीर बाढ़ आपदा है

बाढ़ हेतु उत्तरदायी भौगोलिक तथा प्राकृतिक कारक:

  • ‘पंजाब’ नाम का अर्थ ही “पाँच नदियों की भूमि” (पंच + आब) है, जो इसकी बारहमासी नदियों को संदर्भित करता है, जिनमें से तीन मुख्य नदियाँ रावी, ब्यास और सतलुज हैं।
    • ये नदियाँ हिमालय से निकलती हैं और उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी लेकर आती हैं, जो पंजाब को अत्यधिक उत्पादक बनाती है
    • देश का एक छोटा हिस्सा होने के बावजूद, पंजाब कुल उत्पादन का 20% गेहूँ और 15% चावल उत्पादित करता है।
  • हिमालयी अपवाह: हिमालय से निकलकर पंजाब में बहने वाली नदियाँ, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे ऊपरी क्षेत्रों में भारी वर्षा के दौरान, पर्याप्त मात्रा में पानी लेकर आती हैं।
  • अत्यधिक स्थानीय वर्षा: समस्या को और जटिल बनाते हुए, पंजाब में अक्सर स्थानीय स्तर पर भारी वर्षा होती है, जो ऊपरी क्षेत्रों से आने वाले पानी के साथ मिलकर रावी, ब्यास और सतलुज नदियों में काफी अधिक उफान पैदा कर देती है।
  • जटिल जल विज्ञान: पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाली असंख्य छोटी-छोटी धाराएँ और छोटी नदियाँ पंजाब के जल विज्ञान की जटिलता को और बढ़ा देती हैं।
  • ‘धुसी बंध’ (मृदा तटबंध): नदी के किनारों पर छोटे, कमजोर मिट्टी के तटबंध होते हैं, जिन्हें ‘धुसी बंध’ के नाम से जाना जाता है।
    • जब दबाव में वृद्धि के कारण नदी का जल-स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है, तो ये कमजोर संरचनाएँ अक्सर टूट जाती हैं, जिससे मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ आती है।

बाढ़ के लिए उत्तरदायी मानव-निर्मित तथा प्राकृतिक कारक:

  • बाँध प्रबंधन दुविधा (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड – BBMB):
    • भाखड़ा (सतलुज नदी), पोंग (ब्यास नदी) और थिएन (रावी नदी) जैसे प्रमुख बाँधों का प्रबंधन भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा किया जाता है।
    • बीबीएमबी को लगातार दुविधा का सामना करना पड़ता है: क्या बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए बाँधों में पर्याप्त जल स्तर बनाए रखा जाए या फिर अतिरिक्त वर्षा को अवशोषित करने के लिए मानसून के मौसम में उन्हें अपेक्षाकृत खाली रखा जाए।
    • 2025 की रिपोर्ट से पता चला, कि बीबीएमबी ने बाँधों को भरा रखा तथा मानसूनी वर्षा जल के लिए पर्याप्त स्थान बनाने में असफल रहा, परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में वर्षा का जल जमा हो गया | बीबीएमबी को बाँध के गेट अचानक और असमन्वित तरीके से खोलने के लिए बाध्य होना पड़ा, जिससे प्रत्यक्ष रूप से बाढ़ आ गई।
  • विश्वास की कमी:
    • पंजाब सरकार ने आरोप लगाया है, कि केन्द्र सरकार ने बीबीएमबी में पंजाब और हरियाणा के स्थायी अधिकारियों के स्थान पर केन्द्र सरकार के अधिकारियों को नियुक्त किया है, जिससे ‘विश्वास की कमी’ उत्पन्न हुई है।
    • बाढ़ की समय पर चेतावनी न दिए जाने तथा बाँधों से अचानक, असमन्वित तरीके से पानी छोड़े जाने को शासन की स्पष्ट विफलता बताया गया है।
  • अवैध रेत खनन: पंजाब की नदियों के किनारे व्याप्त अवैध रेत खनन माफिया “धुसी बाँधों ” को कमजोर कर देता है और प्राकृतिक नदी चैनलों को बाधित करता है, जिससे पानी का दबाव बढ़ने पर बाढ़ का प्रभाव बढ़ जाता है।
  • गाद संचयन: नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) में वर्षों से गाद जमा होने से उनकी जल-वहन क्षमता कम हो गई है, जिससे थोड़ी सी भी अधिक वर्षा होने पर वे उफान पर आ जाती हैं | साथ ही गाद हटाने के प्रयास भी अपर्याप्त रहे हैं।
  • पाकिस्तान की कंक्रीट की दीवार: पाकिस्तान ने रावी नदी के किनारे एक मजबूत कंक्रीट की दीवार का निर्माण किया है।
  • जब जल स्तर बढ़ता है, तो यह मजबूत अवरोध प्रवाह को भारतीय पक्ष की ओर मोड़ देता है, जहाँ कमजोर “धुसी बाँध” के टूटने की अधिक संभावना होती है, जिसके परिणामस्वरूप पंजाब में बाढ़ आ जाती है।

आगे की राह:

  • बीबीएमबी परिचालन में सुधार: बाँधों से जल भंडारण और निर्गम के संबंध में आँकड़ों और उचित बाढ़ प्रबंधन प्रोटोकॉल के आधार पर व्यवस्थित निर्णय लेने की आवश्यकता है।
    • पंजाब सरकार के साथ विश्वास बढ़ाने के लिए बाँध संचालन पारदर्शी होना चाहिए।
  • संरचनात्मक उपाय:
    • उल्लंघनों को रोकने के लिए “धूसी बाँधों” को मजबूत करना महत्त्वपूर्ण है।
    • नदी संरचनाओं की सुरक्षा के लिए अवैध रेत खनन पर कठोर कार्रवाई आवश्यक है।
    • नदियों की जल-वहन क्षमता को बहाल करने के लिए नियमित रूप से गाद निकालना आवश्यक है।
  • सक्रिय प्रयास: बाढ़ चेतावनी प्रणाली को आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके महत्त्वपूर्ण रूप से मजबूत करने की आवश्यकता है।
    • बाढ़ की पूर्व और प्रभावी चेतावनियाँ समुदायों को बेहतर तैयारी करने में सक्षम बना सकती हैं, जिससे बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सकता है|

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ से जान-माल का भारी नुकसान तथा लोग विस्थापित हुए हैं। इन आपदाओं के पीछे के प्राकृतिक तथा मानवीय कारकों का विश्लेषण कीजिए और राज्य में बाढ़ प्रबंधन और सहनशीलता बढ़ाने के उपाय सुझाइए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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