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हिरोशिमा का परमाणु हमला और उसके वर्तमान निहितार्थ

Lokesh Pal August 06, 2025 05:15 17 0

संदर्भ:

हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु हमले के 80 वर्ष पश्चात, बढ़ते शस्त्रागार और परमाणु हथियारों के बावजूद, परमाणु हथियारों का प्रयोग न करने का वैश्विक मानदंड विद्यमान है। हालाँकि, हालिया भूराजनीतिक तनाव और परमाणु आधुनिकीकरण अब इस संयम को और भी कमज़ोर कर रहे हैं।

हिरोशिमा और नागासाकी की आपदा

  • लिटिल बॉय: 6 अगस्त, 1945 को सुबह 8:15 बजे, संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर लिटिल बॉयनामक एक परमाणु बम गिराया। इस एक ही हमले में 7,000 लोगों की मृत्यु हो गई
  • फैटमैन: तीन दिन बाद, 9 अगस्त को नागासाकी परफैटमैननामक एक और परमाणु बम गिराया गया। इस हमले में 400 लोगोंकी मृत्यु हो गई और बाद में विकिरण के कारण कई और लोगों की मृत्यु हुई।
  • प्रारंभिक आकलन: नागासाकी में जीवित बचे एक व्यक्ति के अनुसार, बमबारी के तुरंत बाद अमेरिकी ब्रिगेडियर जनरल थॉमस फैरेल ने घोषणा की, कि हमले से प्रभावित सभी लोग मर चुके हैं और बम का कोई प्रभाव अब नहीं बचा है
    • राहत केन्द्र बंद कर दिए गए।
    • 1945 के अंत तक हिरोशिमा हमले में मरने वालों की संख्या 70,000 तक पहुँच गई, जिनमें से कई लोगों ने बमबारी के बाद के महीनों में चोट और परमाणु विकिरण के प्रभाव के कारण दम तोड़ दिया, बिना यह समझे कि उन्हें क्या हुआ था।

हिबाकुशा का संघर्ष

  • परमाणु हमले में जीवित बचे लोगों का नामहिबाकुशारखा गया
  • ये लोग गंभीर रूप से प्रभावित हुए, लेकिन प्रारंभिक विस्फोटों से बच निकलने में सफल रहे।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान पर अमेरिकी अधिपत्य के कारण उनकी आवाजें दबा दी गईं, लेकिन परमाणु युद्ध की वास्तविक क्रूरता को उजागर करने में यह आवाज महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुई।

कैसल ब्रावो टेस्ट (1954)

  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रशांत महासागर में कैसल ब्रावोनामक थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण किया
  • विस्फोट अनुमान से दुगुना शक्तिशाली था, जिसके कारण व्यापक रेडियोधर्मी विकिरण हुआ।
  • 86 मील दूर स्थित जापानी मछली पकड़ने वाली नावलकी ड्रैगनभी इस विस्फोट के प्रभाव में आ गई।
  • सभी चालक दल के सदस्यों को तीव्र विकिरण की वजह से गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा, जिससे परमाणु हथियारों के दीर्घकालिक मानवीय प्रभाव पर प्रकाश पड़ा।

विकिरण बीमारी के प्रति वैश्विक जागरूकता

  • लकी ड्रैगन घटना ने वैश्विक स्तर पर इस बात को स्वीकार करने पर बाध्य कर दिया, कि परमाणु हथियार न केवल तत्काल मृत्यु का कारण बनते हैं, बल्कि धीमी और दर्दनाक विकिरणसंबंधी पीड़ा का भी कारण बनते हैं
  • इससे परमाणु हथियारों के बारे में चर्चा सामरिक उपयोगिता से हटकर मानवीय परिणामों की ओर मुड़ गई

हिबाकुशा समर्थन का उद्भव: निहोन हिडैंक्यो

  • इस रहस्योद्घाटन के बाद, हिबाकुशा नेनिहोन हिडांक्योनामक एक समूह का गठन किया
  • इस समूह के सदस्यों ने विश्व की यात्रा की और परमाणु हमलों के अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए। उनके प्रयासों ने विश्व में परमाणु हथियारों के विरुद्ध एक मज़बूत नैतिक तर्क तैयार किया।
  • उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को तब मान्यता मिली, जब निहोन हिडांक्यो को उनके कार्य के लिए 2024 में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था।

परमाणु बम का प्रयोग

1945 के बाद से कोई और परमाणु हमला नहीं हुआ है। इस अनुपस्थिति के लिए दो मुख्य कारण उत्तरदायी ठहराए जा सकते हैं:

  • निहोन हिडांक्यो जैसे समूहों द्वारा विकसित नैतिक मामला, जिसने परमाणु हथियारों के उपयोग को कलंकित किया।
  • निवारण का सिद्धांत, जिसके तहत अधिक राष्ट्रों (जैसे- सोवियत संघ) द्वारा परमाणु हथियार प्राप्त करने से पारस्परिक विनाश का भय उत्पन्न होता है, जिससे किसी भी एक शक्ति को परमाणु युद्ध शुरू करने से रोका जा सकता है।

आधुनिक परमाणु परिदृश्य और चुनौतियाँ

  • परिष्कृत हथियार: शीत युद्ध के बाद से परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी के बावजूद, आज के हथियार अधिक खतरनाक और परिष्कृत हैं।
  • सामरिक परमाणु हथियारों का विकास: ये छोटे, अत्यधिक सटीक परमाणु हथियार हैं, जिन्हें व्यापक शहरी विनाश किए बिना विशिष्ट स्थानों को लक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे उनकी संभावित उपयोगिताएक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
    • यह बड़े थर्मोन्यूक्लियर हथियारों से बिल्कुल विपरीत है, जो एक साथ कई शहरों को नष्ट कर सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और कानूनी स्थितियाँ

  • परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) विभिन्न देशों को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकती है।
    • हालाँकि, यह मौजूदा परमाणु शक्तियों को अपने शस्त्रागार का उपयोग करने या उन्हें निरस्त्र करने से नहीं रोकता है।
    • एनपीटी द्वारा परमाणु संपन्न राष्ट्रों को “सद्भावनापूर्वक” पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में कार्य करने का आह्वान, हथियारों को एक अलग श्रेणी में रखता है।
  • व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) परमाणु प्रयोगों पर प्रतिबंध लगाती है, लेकिन परमाणु हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं लगाती है।
  • 2017 में स्थापित परमाणु हथियार निषेध संधि (TPNW) परमाणु हथियारों के उपयोग और परीक्षण दोनों पर प्रतिबंध लगाती है।
    • हालाँकि, किसी भी परमाणुसशस्त्र राष्ट्र ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिससे इसकी प्रभावशीलता सीमित हो गई है।
  • वर्ष 1996 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने कहा, कि परमाणु हथियारों का उपयोगसामान्यतः मानवीय कानूनों के विपरीतहोगा, लेकिन वह उनकी वैधता पर कोई निश्चित कानूनी निर्णय जारी करने से रुक गया।

वैश्विक संघर्षों में परमाणु खतरों का पुनः विकास

  • यूक्रेन के मामले में रूस के परमाणु रुख ने परमाणु उपयोग न करने के दीर्घकालिक मानदंड को चुनौती दी है।
  • भारत ने भी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान परमाणु खतरों का उल्लेख करते हुए परमाणु ब्लैकमेलके खिलाफ चेतावनी दी थी।

निष्कर्ष

परमाणु हथियारों के प्रयोग के 80 वर्ष पश्चात, हम परमाणु बम के प्रयोग को लेकर आत्मसंतुष्टि की ओर बढ़ने का ख़तरा झेल रहे हैं। परमाणु नतीजों की सत्यता को व्यापक रूप से समझने के लिए अमेरिका के थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण को समझने की आवश्यकता है। हमें परमाणु हमले के ख़तरों को पुनः समझने से पहले एक और हमले का इंतज़ार नहीं करना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

हिरोशिमा और नागासाकी के 80 वर्ष पश्चात, परमाणु हथियार वैश्विक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बने हुए हैं। परमाणु शस्त्रागारों से उत्पन्न समकालीन चुनौतियों पर चर्चा कीजिए, मौजूदा परमाणु शासन तंत्रों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिए, तथा भविष्य में किसी भी परमाणु दुर्घटना को रोकने के लिए रणनीतियाँ प्रस्तावित कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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