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भारतीय राजनीति में महिलाओं के निम्न प्रतिनिधित्व की समस्या

Lokesh Pal June 28, 2025 05:00 13 0

संदर्भ:

भारतीय राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी बहुत कम है। यह कम प्रतिनिधित्व भारत की वास्तविक सहभागितापूर्ण लोकतंत्र स्थापित करने की महत्त्वाकांक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है।

महिलाओं के अल्प प्रतिनिधित्व का वर्तमान परिदृश्य

  • वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में केवल 13.6% महिला सांसद चुनी गईं, जो 2019 में 14.9% से कम है।
    • केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व में दो महिलाओं को नियुक्त किया, जो 75 वर्षों के इतिहास में पहली बार हुआ।
  • राज्य स्तर पर राज्य विधानसभा चुनावों में महिलाएँ मात्र 9% उम्मीदवार होती हैं तथा किसी भी राज्य में 20% से अधिक महिला विधायक नहीं हैं।
    • उदाहरण के लिए, जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में केवल 4.9% महिला विधायक हैं, जबकि ओडिशा में यह आँकड़ा 13.9% है।
  • वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति विशेष रूप से दयनीय है, महिलाओं के संसदीय प्रतिनिधित्व के मामले में 185 देशों में से भारत 143वें स्थान पर है।
    • यह स्थिति हाल के राजनीतिक दलों के निर्णयों से स्पष्ट होती है, उदाहरण के लिए गुजरात में कांग्रेस पार्टी ने अपने 40 नए जिला अध्यक्षों में केवल एक महिला को नियुक्त किया, जबकि भाजपा ने दो को नियुक्त किया, जिससे स्थानीय स्तर पर भी पार्टी नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं के लिए सीमित अवसरों को रेखांकित किया गया।

महिलाओं के राजनीतिक प्रवेश में प्रमुख बाधाएँ

  • राजनीतिक व्यवस्था और पदानुक्रम: महिलाओं को प्रायः राजनीतिक दलों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की अनुमति नहीं दी जाती है।
    • यदि महिलाएँ पार्टियों के भीतर आगे नहीं बढ़ सकतीं, तो वे चुनाव लड़ने के लिए टिकट हासिल नहीं कर सकतीं, जिससे संसद या राज्य विधानसभाओं में उनका प्रवेश लगभग असंभव हो जाएगा।
  • जीतने की संभावना का मिथक: राजनीतिक दल प्रायः जीतने की संभावना का मिथकका हवाला देते हुए तर्क देते हैं, कि महिला उम्मीदवारों के चुनाव जीतने की संभावना कम होती है, क्योंकि उनके पास पहले से कोई राजनीतिक कार्य या राजनीतिक प्रसिद्धि नहीं होती है।
    • यह तर्क उस चक्र को कायम रखता है, जहाँ महिलाओं को अपना राजनीतिक करियर विकसित करने के अवसर नहीं दिए जाते हैं, जिससे यह धारणा मजबूत होती है कि वे ‘जीतने योग्य’ नहीं हैं।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव: महिला आरक्षण के लिए व्यापक समर्थन के बावजूद, राजनीतिक दलों में अक्सर आंतरिक कोटा लागू करने या आंतरिक पार्टी लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए वास्तविक राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव होता है, जिससे महिलाओं का प्रवेश सुलभ हो सके।
  • कानूनी प्रावधानों में तकनीकी देरी: जबकि महिला आरक्षण अधिनियम, 2023 (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) पारित किया गया था, जिसका लक्ष्य विधायी निकायों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण सुनिश्चित करना है, यह अगली जनगणना के आधार पर परिसीमन की आवश्यकता के कारण 2029 तक तकनीकी रूप से लागू नहीं हो सकता है
  • चुनावों की उच्च लागत: चुनावों में खड़े होना और प्रचार-प्रसार करना वित्तीय रूप से एक महँगा कार्य है, तथा महिलाओं के पास प्रायः स्वतंत्र वित्तीय संसाधन या स्वामित्व का अभाव होता है, जिससे उनके लिए अपने अभियान को वित्तपोषित करना मुश्किल हो जाता है।
  • पितृसत्तात्मक मानसिकता: गहरी पैठी पितृसत्तात्मक मानसिकता और सामाजिक रूढ़िवादिता महिलाओं पर घरेलू जिम्मेदारियों का बोझ डालती है, जिससे उनके लिए राजनीति में पूर्ण रूप से भाग लेना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

आगे की राह

  • महिला आरक्षण अधिनियम (नारी शक्ति वंदन अधिनियम), 2023: महिला आरक्षण अधिनियम (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण प्रदान करता है।
    • हालाँकि, महिला आरक्षण विधेयक को वास्तव में प्रभावी बनाने के लिए, राजनीतिक दलों को जमीनी स्तर पर महिला नेताओं को प्रशिक्षित करने और उनका मार्गदर्शन करने में निवेश करना होगा।
  • आकांक्षी महिला नेता: राजनीतिक दलों को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के भीतर या स्वयं सहायता समूहों (SHG), गैर-सरकारी संगठनों (NGO) और पंचायतों जैसे बाह्य स्रोतों से आकांक्षी महिला नेताओं की सक्रिय रूप से पहचान करनी और उन्हें तैयार करना चाहिए।
    • 73वें और 74वें संविधान संशोधन, जो पंचायतों में महिलाओं के लिए 33% के आरक्षण का प्रावधान करते हैं, अनुभवी महिला नेताओं का एक समृद्ध समूह प्रदान करते हैं, जिन्हें मुख्यधारा की राजनीति में लाया जा सकता है।
  • संगठनात्मक संरचनाओं में महिलाएँ: एक बार पहचान हो जाने के बाद, महिलाओं को राजनीतिक दलों के मुख्य संगठनात्मक ढाँचे में एकीकृत किया जाना चाहिए, जिससे उन्हें अनुभवी नेताओं से सीखने और अपने राजनीतिक क्षेत्र को विकसित करने के अवसर प्रदान किए जा सकें।
  • आंतरिक पार्टी कोटा: राजनीतिक दलों के लिए टिकट वितरण के लिए आंतरिक कोटा प्रणाली अपनाना महत्त्वपूर्ण है, जिसमें प्रारंभ में 10-15% का लक्ष्य बनाया जा सकता है, जिसे धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।
    • आइसलैंड, फिनलैंड, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड जैसे देशों में राष्ट्रीय कोटा के बिना भी महिलाओं का बेहतर प्रतिनिधित्व देखा गया है, क्योंकि उनके राजनीतिक दलों ने स्वेच्छा से आंतरिक कोटा लागू किया है।
    • उदाहरण: ऑस्ट्रेलिया की लेबर पार्टी के संविधान में राज्य शाखा स्तर पर महिलाओं की समान भागीदारी को अनिवार्य बनाया गया है।
  • निर्णय प्रक्रियाओं में महिलाओं को सशक्त बनाना: महिलाओं को दलों के भीतर निर्णय लेने वाले निकायों में महत्त्वपूर्ण भूमिका दी जानी चाहिए, न कि उन्हें परिधीय भूमिकाओं तक सीमित रखा जाना चाहिए।
  • वित्तीय सहायता: चुनाव अभियानों के लिए महिला उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए नीतियाँ स्थापित की जानी चाहिए
  • सुरक्षित वातावरण और मार्गदर्शन: राजनीतिक दलों को एक सहायक संस्कृति और बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने की आवश्यकता है, जिसमें यौन उत्पीड़न के खिलाफ आचार संहिता और महिलाओं के लिए एक सहायता प्रणाली का निर्माण शामिल है।
    • पुरुष नेताओं को यह सिखाया जाना चाहिए, कि वे महिलाओं को अपनी शक्ति के लिए खतरा न मानकर सहयोगी के रूप में देखें।
    • महिलाओं को नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए तैयार करने हेतु क्षमता निर्माण और मार्गदर्शन कार्यक्रम भी महत्त्वपूर्ण हैं।
  • सामाजिक मानसिकता में परिवर्तन: राजनीतिक और विधिक सुधारों के अलावा, महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी को सीमित करने वाले सामाजिक दृष्टिकोण को परिवर्तित करने की व्यापक आवश्यकता है।

निष्कर्ष

इन उपायों के क्रियान्वयन से न केवल महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक नींव भी मजबूत होगी, तथा अंतिम क्षण में आरक्षण संबंधी उपायों से आगे बढ़कर वास्तविक महिला सशक्तिकरण और भागीदारी की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकेगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

2029 के लोकसभा चुनावों में महिला आरक्षण लागू होने की संभावना के साथ, महिला नेताओं के नेतृत्व को सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों को अब कौन-से कदम उठाने चाहिए? भारतीय राजनीति में महिलाओं के निम्न प्रतिनिधित्व के वर्तमान संदर्भ में उपायों का मूल्यांकन कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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