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Lokesh Pal
December 20, 2025 05:30
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‘सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहेवियर चेंज फॉर चिल्ड्रन’ (C-LAB) और ‘आउटलाइन इंडिया’ के एक नए अध्ययन (2025) के अनुसार, पाँच राज्यों—असम, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान—के कुल 757 गाँवों में 10,474 लड़कियाँ स्कूल नहीं जा रही हैं।
यह अध्ययन 14 वर्ष के बाद शिक्षा के एक महत्त्वपूर्ण अंतर को उजागर करता है, जहाँ कानूनी सुरक्षा की समाप्ति और सामाजिक बाधाएँ लड़कियों को कक्षाओं से बाहर धकेल देती हैं। लैंगिक रूप से न्यायपूर्ण मानव पूँजी विकास सुनिश्चित करने के लिए RTE को 18 वर्ष तक विस्तारित करना और अन्य सुरक्षा उपाय करना अनिवार्य है।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्नप्रश्न. संवैधानिक और विधिक गारंटियों के बावजूद भारत में स्कूल छोड़ने की दर, विशेषकर लड़कियों के बीच, एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत में लड़कियों के बीच स्कूल ड्रॉपआउट में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों की चर्चा कीजिए तथा स्कूली शिक्षा के सार्वभौमीकरण को प्राप्त करने पर इसके प्रभावों का परीक्षण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) |
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