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Lokesh Pal
July 23, 2025 05:00
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हिमालय में बौद्ध धर्म पर नियंत्रण को लेकर, विशेष रूप से दलाई लामा के उत्तराधिकार को लेकर, भारत और चीन के मध्य एक महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक संघर्ष चल रहा है। यह संघर्ष केवल क्षेत्र या व्यापार के विषय में नहीं, बल्कि आस्था से संबंधित है, जो उस क्षेत्र में प्रभाव डालने हेतु चीन का प्राथमिक उपकरण है, जहाँ बुनियादी ढाँचे है और मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
चीन निरंतर बौद्ध धर्म को नियंत्रित करने का प्रयास करता रहा है, खासकर 1959 में दलाई लामा के भारत में शरण लेने के पश्चात् से। उन्हें इस असुरक्षा का भय था, कि बौद्ध धर्म पर नियंत्रण न होने से तिब्बत चीन से अलग हो सकता है। चीन द्वारा अपनाई गई कुछ रणनीतियाँ इस प्रकार हैं:
यह अप्रत्याशित विभाजन भारत के लिए गंभीर चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, जिसने हिमालयी बौद्ध धर्म को भारत और चीन के मध्य छद्म युद्ध में एक मोर्चा बना दिया है।
भारत इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में चीन के समक्ष झुकने का जोखिम नहीं उठा सकता। अगले दलाई लामा की मेज़बानी भारत के लिए एक अवसर और चुनौती दोनों है, यह क्षेत्र में आध्यात्मिक प्रभाव को मज़बूत करने का एक अवसर तो है ही, साथ ही चीन की ओर से तीव्र दबाव का कारण भी बन सकता है।
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