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भारत में स्टार्ट-अप क्रांति

Lokesh Pal October 19, 2024 05:00 67 0

संदर्भ :

भारत नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरा है, जो वर्तमान में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम बन गया है। यह उपलब्धि सरकारी नीतियों, सार्वजनिक-निजी भागीदारी तथा देश भर में नवाचार को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों से प्रेरित है।

भारत का तकनीकी विकास

  • लगभग एक दशक पूर्व भारत वैश्विक नवाचार रैंकिंग के न्यूनतम स्तरों पर था।
  • 1990 के दशक में तकनीकी विकास पर ध्यान केंद्रित करना शुरू हुआ तथा भारत दुनिया के स्टार्ट-अप परिदृश्य में एक प्रमुख भागीदार बन गया है।
  • तकनीकी और नवाचार को अपनाने की देश की क्षमता ने इसे चीन, इज़राइल, स्टॉकहोम और तेल अवीव जैसे नवाचार केंद्रों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करते हुए सबसे आगे खड़ा किया है।

नवाचार को बढ़ावा देने वाली प्रमुख पहल

  • मजबूत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र : भारत की उन्नति इसकी विशाल ज्ञान पूंजी, एक गतिशील स्टार्टअप परिदृश्य और सार्वजनिक तथा निजी अनुसंधान संस्थाओं के बीच सहयोगात्मक प्रयासों से प्रेरित है।
  • सरकारी नेतृत्व वाले कार्यक्रम : अटल नवाचार मिशन के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा जैव प्रौद्योगिकी विभागों की पहलों ने राष्ट्रीय नवाचार वातावरण को समृद्ध किया है।
  • नीति-संचालित नवाचार : नीति आयोग ने इलेक्ट्रिक वाहन, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और वैकल्पिक ऊर्जा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में नवाचार को अनुकूलित करने के प्रयासों का नेतृत्व किया है। इसने इस दिशा में कार्य करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ सहयोग भी किया है।
  • मुख्य संकेतकों में सुधार : भारत ने घरेलू उद्योग विविधीकरण, पेटेंट विकास और सांस्कृतिक तथा रचनात्मक सेवाओं के निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति प्रदर्शित की है।

भारत में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम का विकास

  • 2015 : स्टार्टअप इंडिया पहल की शुरुआत
    • इस प्रमुख कार्यक्रम ने नवाचार को बढ़ावा देकर, उद्यमिता के लिए एक सक्षम वातावरण निर्मित करते हुए भारत के स्टार्ट-अप क्षेत्र की नींव रखी।
  • 2018 : भारत 100 यूनिकॉर्न तक पहुँचा
    • भारत ने 100 से अधिक यूनिकॉर्न (बिलियन-डॉलर स्टार्ट-अप) के साथ एक बड़ी उपलब्धि हासिल की, जिसने विभिन्न क्षेत्रों में उच्च-मूल्य वाली कंपनियों का निर्माण करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।
  • 2023 : 68,000 टेक स्टार्ट-अप
    • भारत का स्टार्ट-अप इकोसिस्टम अपनी वृद्धि जारी रखता है, देश भर में हजारों अभिनव टेक कंपनियाँ उभर रही हैं।
  • 2030 : 1,80,000 स्टार्ट-अप तक अनुमानित वृद्धि
    • विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक भारतीय स्टार्ट-अप परिदृश्य में और भी अधिक वृद्धि होगी, जिसमें अनुमानित संख्या 1,80,000 स्टार्ट-अप होगी।

विभिन्न सरकारी कार्यक्रम एवं पहलें

  • स्टार्टअप इंडिया मिशन : नवाचार को बढ़ावा देने और स्टार्टअप के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए शुरू की गई।
  • निधि : विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के निधि (नवाचारों के विकास और दोहन के लिए राष्ट्रीय पहल) कार्यक्रम ने देश भर में प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटरों तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमियों के पार्कों का एक नेटवर्क स्थापित किया है, जो नवाचार व्यावसायीकरण को बढ़ावा देता है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी : नीति आयोग ने सम्पूर्ण भारत में रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास को तीव्र करने के लिए रेल मंत्रालय के साथ सहयोग किया है।
  • फार्मास्युटिकल उद्योग नवाचार : फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भारतीय फर्मों ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए अनुबंध निर्माण और नैदानिक ​​परीक्षण जैसे नए व्यवसाय मॉडल अपनाए हैं, जिससे वैश्विक नवाचार प्रक्रियाओं में भागीदारी संभव हुई है।
  • अटल नवाचार मिशन (AIM): AIM ने जमीनी स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है।
    • इसने 650 से अधिक जिलों में 4,880 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब स्थापित किए हैं, जो दो मिलियन से अधिक विद्यार्थियों को अभिनव उपकरण प्रदान करते हैं।
    • AIM ने अटल इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने के लिए 102 विश्वविद्यालयों और संस्थानों का चयन किया है, जो 900 से अधिक स्टार्ट-अप को बढ़ावा देंगे।
    • अटल न्यू इंडिया चैलेंज (ANIC): राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने वाले समाधान-आधारित नवाचारों को प्रोत्साहित करना। 24 से अधिक चुनौतियों का आयोजन किया गया है, जिसमें 950 आवेदनों में से 52 परियोजनाओं को अनुदान और मार्गदर्शन के लिए चुना गया है।
  • विभिन्न मापदंडों पर भारत की रैंकिंग : भारत अब वैश्विक स्तर पर शीर्ष निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था है। 
    • 37 निम्न-मध्यम आय वर्ग अर्थव्यवस्थाओं में प्रथम तथा मध्य और दक्षिणी एशिया की 10 अर्थव्यवस्थाओं में प्रथम स्थान पर है। 
    • 2015 में 81वें स्थान पर रहने के बाद, भारत आज विश्व में 40वें स्थान पर पहुँच गया है। 
    • ICT सेवाओं के निर्यात में भारत पाँचवे स्थान पर, उद्यम पूंजी प्राप्ति में छठे स्थान पर, विज्ञान और इंजीनियरिंग स्नातकों में ग्यारहवें स्थान पर तथा वैश्विक कॉर्पोरेट अनुसंधान एवं विकास निवेशकों में तेरहवें स्थान पर है।
  • टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्टार्टअप्स की वृद्धि
    • बुनियादी ढाँचे का विकास : छोटे शहरों में बेहतर कनेक्टिविटी और डिजिटल बुनियादी ढाँचे ने पारंपरिक तकनीकी केंद्रों के बाहर स्टार्टअप के लिए उपजाऊ भूमि तैयार की है।
    • स्थानीय समस्या समाधान : छोटे शहरों में उद्यमी क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं, जिससे व्यापक प्रयोज्यता वाले अभिनव समाधान सामने आ रहे हैं।
    • प्रतिभा प्रतिधारण : टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्टार्टअप की वृद्धि स्थानीय प्रतिभा को बनाए रखने और इन क्षेत्रों से प्रतिभा पलायन को परिवर्तित करने में मदद कर रही है।
  • क्षेत्र-विशिष्ट विकास : नीति आयोग के नेतृत्व में की गई पहलों के माध्यम से, भारत रणनीतिक क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है|
  • हेल्थटेक : टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म और AI-संचालित डायग्नोस्टिक टूल पूरे भारत में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच को परिवर्तित कर रहे हैं।
  • एग्रीटेक : बेहतर कृषि समाधान और आपूर्ति शृंखला अनुकूलन कृषि उत्पादकता को बढ़ा रहे हैं।
    • भारत इस दिशा में पहले से ही बांस ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों का उपयोग कर रहा है ।
  • फ़िनटेक : मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, डिजिटल भुगतान समाधान और नियोबैंक वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहे हैं ।
  • एडटेक : व्यक्तिगत शिक्षण प्लेटफ़ॉर्म और स्थानीय भाषा की सामग्री पूरे भारत में शिक्षा का लोकतंत्रीकरण कर रही है।

अन्य उपाय 

  • डीप टेक पर ध्यान : क्वांटम कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और जैव प्रौद्योगिकी जैसी उभरती तकनीकियों में निवेश में वृद्धि भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर बनाएगी।
    • ICET (महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पर पहल) जैसी पहलों पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत का सहयोग इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • वैश्विक सहयोग : अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी को मजबूत करने से सीमापार नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा होगी, जिससे भारत वैश्विक विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठा सकेगा।
  • सतत नवाचार : पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए हरित प्रौद्योगिकियों तथा परिपत्र अर्थव्यवस्था समाधानों पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।
  • समावेशी विकास : जमीनी स्तर पर नवाचार पर निरंतर ध्यान केंद्रित करना और तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों का समर्थन करना व्यापक दर्शकों तक पहुँचने और अधिक समावेशी वातावरण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।

निष्कर्ष

भारत अपनी नवाचार यात्रा जारी रखते हुए, वर्ष 2047 तक स्वयं को वैश्विक नवाचार नेता के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखता है। अपनी युवा, तकनीक आधारित जनसंख्या तथा स्टार्ट-अप समर्थित पारिस्थितिकी तंत्र के साथ, भारत आने वाले दशकों में वैश्विक नवाचार के भविष्य को आकार देने हेतु बेहतर स्थिति में है।

मुख्य परीक्षा संबंधी अभ्यास प्रश्न 

विश्लेषण कीजिए, कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्टार्ट-अप के उद्भव के साथ उद्यमिता का लोकतंत्रीकरण भारत के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को कैसे बदल रहा है। इस वृद्धि को बनाए रखने के लिए कौन-से उपाय किए जा सकते हैं?

(15अंक, 250 शब्द)

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