100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत की आज़ादी की लिबास ख़तरे में है!

Lokesh Pal August 20, 2024 05:45 55 0

संदर्भ :

2022 में भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर, सरकार ने ध्वज संहिता में संशोधन करके ‘मशीन-निर्मित पॉलिएस्टर बंटिंग’ को शामिल किया और साथ ही पॉलिएस्टर झंडों को माल और सेवा कर (जीएसटी) से छूट दी। इस कदम ने पॉलिएस्टर झंडों को खादी झंडों के समान कर के दायरे में ला दिया।

स्वतंत्रता दिवस, 2024 (9-15 अगस्त) से पहले के सप्ताह में प्रधानमंत्री द्वारा ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का पुनः आह्वान हमें अपने राष्ट्रीय ध्वज के महत्त्व और खादी उद्योग के लिए उपर्युक्त संशोधनों के निहितार्थों पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है।

खादी का ऐतिहासिक महत्त्व

  • भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण पारंपरिक रूप से “हाथ से काते और हाथ से बुने ऊन/कपास/रेशमी खादी झंडों” से किया जाना चाहिए।
    • खादी, जिसे महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान चरखे से बुना था, का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व अत्यंत गहरा है। खादी हमारे गौरवशाली अतीत के साथ भारतीय आधुनिकता और आर्थिक जीवन शक्ति का प्रतीक है।
    • यह औपनिवेशिक शासन के दौरान संप्रभुता और आत्मनिर्भरता का एक साधन था, जो स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय एकीकरण एवं पुनरोद्धार का प्रतिनिधित्व करता रहा है।

सरकार का निर्णय और उसका प्रभाव

  • 2022 में, मशीन से बने पॉलिएस्टर बंटिंग को ध्वज संहिता में शामिल करने और इसे जीएसटी से छूट देने का सरकार का निर्णय तथा इसे खादी झंडों के समान कर के दायरे में रखना एक महत्त्वपूर्ण बदलाव था।
  • कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (केकेजीएसएस) [भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा मान्यता प्राप्त एकमात्र राष्ट्रीय ध्वज निर्माण इकाई] भारत के खादी उद्योग पर राज्य प्रायोजित हमले के रूप में देखे जाने के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई।
  • यह नीति परिवर्तन ऐसे समय में आया है जब भारत, जो अब पॉलिएस्टर निर्माण का वैश्विक केंद्र नहीं रहा, मुख्य रूप से चीन से पॉलिएस्टर यार्न का शुद्ध आयातक बन गया है। यह परिवर्तन चीन के साथ तनाव और प्रधानमंत्री की ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों के बीच हमारे राष्ट्रीय गौरव को क्षीण करता है ।
  • इस परिवर्तन का महात्मा गांधी के सबसे बड़े उत्तराधिकारियों – हमारे खादी सूत कातने वालों और बुनकरों पर भी सीधा और भयावह परिणाम होगा।

हथकरघा उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव

  • विमुद्रीकरण, दंडात्मक जीएसटी नीतियों और अनियोजित कोविड-19 लॉकडाउन ने कई हथकरघा श्रमिकों को अपना पेशा छोड़ने पर मजबूर कर दिया है।
  • सरकार की उपेक्षा ने हमारी हथकरघा परंपराओं को नष्ट कर दिया है, जो हमारे साझा इतिहास और संस्कृति का प्रमाण हैं।

 हथकरघा श्रमिकों पर जीएसटी का बोझ

  • हथकरघा श्रमिकों पर जीएसटी का अत्यधिक बोझ है, चूँकि यह अंतिम उत्पाद और कच्चे माल जैसे धागे, रंग और रसायन दोनों पर लगाया जाता है | हथकरघा को जीएसटी से छूट देने के लिए श्रमिकों की लगातार मांगों के बावजूद उन्हें नज़रअंदाज़ किया गया है।
  • बढ़ती लागत, विशेष रूप से बिजली और कपास फाइबर के लिए, उद्योग पर और भी ज़्यादा दबाव डालती है।
  • कारीगरों को सहायता देने के लिए शुरू की गई विश्वकर्मा सम्मान  योजना में हथकरघा कताई करने वालों और बुनकरों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे इन महत्त्वपूर्ण श्रमिकों को मिलने वाली सहायता में कमी का पता चलता है।

खादी की कम होती मांग और वैश्विक प्रासंगिकता

  • खादी की सरकारी मांग में कमी आई है क्योंकि विभाग इसकी खरीद के लिए अनिवार्यताओं की अनदेखी करते हैं या उन्हें दरकिनार कर देते हैं।
  • भारतीय हथकरघों के लिए वैश्विक बाजार बनाने हेतु कम प्रयास किए गए हैं, जबकि वैश्विक उपभोक्ता टिकाऊ और निष्पक्ष व्यापार उत्पादों को अधिक महत्त्व दे रहे हैं।
  • बाजार को विनियमित करने में विफलता ने अर्द्ध-मशीनीकृत खादी और पारंपरिक हाथ से काती गई खादी के बीच भ्रम पैदा किया है, जिसका प्रभाव हमारे खादी कातने वालों की आजीविका पर पड़ रहा है, जो अपनी कड़ी मेहनत के बावजूद अपर्याप्त मज़दूरी पाते हैं।

आगे की राह

  • हमें समाज और अर्थव्यवस्था में भारत की हथकरघा परंपराओं की भूमिका को फिर से परिभाषित करना होगा।
  • भारतीय हथकरघा की वैश्विक उपलब्धि और संवर्द्धन को मजबूत करना ताकि उनकी अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति का विस्तार हो सके।
  • ध्वज संहिता में हाल ही में किए गए संशोधन को रद्द करना, जो पॉलिएस्टर बंटिंग की अनुमति देता है और खादी जैसी पारंपरिक सामग्री के उपयोग को वापस लाना।
  • खादी और हथकरघा क्षेत्रों को समर्थन और पुनर्जीवित करने के उपायों को लागू करना, उनकी वृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष

पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा “भारत की स्वतंत्रता की पोशाक” के रूप में वर्णित इस कपड़े को हमारे राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में फिर से स्थापित किया जाना चाहिए। हथकरघा उद्योग का संरक्षण न केवल आर्थिक कारणों से बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। भारत की विविध हथकरघा परंपराएँ, जैसे- चंदेरी, मुगा रेशम और पोचमपल्ली, हमारी विरासत का अभिन्न अंग हैं। इस क्षेत्र की सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा MSME का समर्थन और हथकरघा उत्पादों पर जीएसटी में छूट देना आवश्यक है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

“खादी, जो कभी भारत के गौरवशाली अतीत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक थी, अब अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है।”  इस कथन के आलोक में खादी उद्योग को पुनर्जीवित करने संबंधी आवश्यक कदमों पर चर्चा कीजिए ।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.