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तीसरा संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन : साझा वैश्विक सहमति बनाने का अवसर

Lokesh Pal April 29, 2025 05:15 6 0

संदर्भ: 

आगामी संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन, 2025 का उद्देश्य तात्कालिक चुनौतियों का समाधान करना और महासागर संरक्षण के लिए वैश्विक प्रतिबद्धताएँ स्थापित करना है

भारत और नीली अर्थव्यवस्था

  • तटीय महत्त्व: भारत की तटरेखा कुल 7,517 किमी. लंबी है तथा इसकी एक तिहाई आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती है।
  • विज़न-2030: भारत सरकार के विज़न-2030 में नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) को विकास के 10 प्रमुख आयामों में से एक माना गया है, तथा दैनिक जीवनअर्थव्यवस्था और पर्यावरण में महासागर की भूमिका को मान्यता दी गई है।
  • साझा विरासत और संसाधन: महासागर सभी का है – यह भोजनसुरक्षाऊर्जाव्यापार मार्गसंसाधन और वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान करता है
  • मानव निर्भरता: विश्व भर में प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति अपनी आजीविका के लिए समुद्र पर निर्भर है।

महासागर की भयावह स्थिति

  • प्रदूषण और अतिदोहन: लगभग 8+ मिलियन टन प्लास्टिक अपशिष्ट प्रतिवर्ष समुद्र में प्रवेश करता है (साइंस जर्नल)। अत्यधिक मत्स्यन से एक तिहाई से अधिक मत्स्य समूह प्रभावित होते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: समुद्र का बढ़ता अम्लीकरण, समुद्र स्तर में वृद्धि, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश।
  • प्रशासन और वित्तपोषण में कमी: महासागर में संरक्षण के लिए प्रभावी वैश्विक प्रशासन और पर्याप्त वित्तीय सहायता का अभाव है।
  • बहुपक्षीय सहयोग: समुद्री संकट के पैमाने के अनुरूप बहुपक्षीय कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन, 2025

  • वैश्विक अभिसरण: तीसरा संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (UNOC3) 9 से 13 जून तक फ्रांस और कोस्टारिका द्वारा नाइस (nice) में सह-आयोजित किया जाएगा।
  • व्यापक भागीदारी: अपेक्षित प्रतिभागियों में लगभग 100 राष्ट्राध्यक्ष और सरकार प्रमुख, शोधकर्तावैज्ञानिकआर्थिक अभिनेताकार्यकर्ता और नागरिक शामिल हैं। 
  • उद्देश्य: सम्मेलन का उद्देश्य ठोस, कार्रवाई-उन्मुख प्रतिबद्धताओं के माध्यम से महासागर की रक्षा करना है

नाइस महासागर समझौते

  • ऐतिहासिक अवसर: COP21 और पेरिस समझौते के दस वर्ष बाद, UNOC3 को महासागर संरक्षण के लिए एक बाध्यकारी वैश्विक ढाँचा बनाने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है
  • एसडीजी के साथ संरेखण: ” नाइस महासागर समझौते” 2015 के संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ संरेखित होंगे।
  • मुख्य लक्षित क्षेत्र: बेहतर प्रशासन, वित्तपोषण में वृद्धि, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार |

महासागरीय प्रशासन की सुदृढ़ता

  • उच्च सागर (High Seas) का महत्त्व: उच्च सागर महासागर का 60% से अधिक हिस्सा बनाते हैं और वर्तमान में इनमें अंतर्राष्ट्रीय कानूनी शासन का अभाव है
  • विधिक शून्यता के परिणाम: हाइड्रोकार्बन और प्लास्टिक प्रदूषण, अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित (IUU) मत्स्यन तथा संकटग्रस्त समुद्री प्रजातियों को पकड़ना |
  • BBNJ समझौते की भूमिका: संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के तहत राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे क्षेत्रों की समुद्री जैव विविधता पर समझौता (BBNJइस विधिक शून्यता को समाप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • प्रवर्तन हेतु आवश्यकता: लागू होने के लिए, BBNJ समझौते को कम-से-कम 60 देशों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए

संबंधित समाधान

  • सार्वजनिक और निजी वित्तपोषण की आवश्यकता: महासागर के संरक्षण के लिए सार्वजनिक और निजी वित्तपोषण के साथ-साथ सतत नीली अर्थव्यवस्था के लिए निरंतर समर्थन की आवश्यकता है।
  • संसाधन पुनर्जनन सुनिश्चित करना: महासागर द्वारा प्रस्तुत आर्थिक अवसरों से लाभ प्राप्त करना जारी रखने के लिए, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि समुद्री संसाधनों का पुनर्जनन हो सके
  • यूएनओसी3 में प्रतिबद्धताएँ: नाइस में आयोजित यूएनओसी3 में वैश्विक व्यापार, शिपिंगपर्यटन और निवेश जैसे क्षेत्रों में प्रतिबद्धताओं की घोषणा की जाएगी।
  • अपूर्ण ज्ञान: चंद्रमा और मंगल ग्रह का मानचित्रण करने के बावजूद, हमारे पास अभी भी महासागर की गहराई के बारे में व्यापक समझ का अभाव है, जो पृथ्वी की सतह के 70% हिस्से को कवर करती है
  • वैज्ञानिक संघटन की आवश्यकता: महासागर को प्रभावी ढंग से संरक्षित करने के लिए, हमें विज्ञाननवाचार और शिक्षा को सुनिश्चित करना होगा तथा सार्वजनिक जागरूकता में सुधार करना होगा।

भारत की भागीदारी

  • सांस्कृतिक और शैक्षिक पहुँच: यूएनओसी3 की तैयारी और भारत के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करने के लिए, फ्रांस मई माह में “वी आर द ओशन” महोत्सव की मेजबानी करेगा।
  • स्थान और कार्यक्रम: दिल्ली, चेन्नई, पुदुचेरी और गोवा संग्रहालय में एलायंस फ्रांसेइस द्वारा आयोजित इस महोत्सव में निम्नलिखित कार्यक्रम होंगे:
    • इमर्सिव प्रदर्शनियाँ
    • फिल्म स्क्रीनिंग
    • फ्रांस और भारत के विशेषज्ञों तथा कलाकारों के साथ कार्यशालाएँ और वाद-विवाद।
  • जन भागीदारी: यह महोत्सव जनता को समुद्र से संबंधित विषयों पर सीखनेविचार साझा करने और महत्त्वपूर्ण चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है।

महासागर : एक साझा वैश्विक उत्तरदायित्व

  • तात्कालिकता: जलवायु परिवर्तन में तेजी आने और समुद्री संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण महासागर केवल एक मुद्दा नहीं रह गया है – बल्कि यह हर किसी का मामला है
  • बहुपक्षवाद: बहुपक्षवाद के समक्ष वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, महासागर एक सार्वभौमिक बंधन और साझा उत्तरदायित्व बना हुआ है
  • यूएनओसी3 के लिए विजन: यूएनओसी3 में हमारे लोगोंभावी पीढ़ियों और ग्रह के लिए एक महत्त्वपूर्ण क्षण बनने की क्षमता है।

निष्कर्ष

महासागर भारत के विकास और वैश्विक स्थिरता के लिए केंद्रीय है, इसके पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने और इसके संसाधनों के पुनर्जनन को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। आगामी संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन, 2025 सामूहिक शासन, वित्तपोषण और वैज्ञानिक उन्नति के लिए एक ऐतिहासिक अवसर प्रस्तुत करता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

“महासागर एक वैश्विक साझा संपत्ति है – यह हम सभी का है।” इस संदर्भ में महासागर को एक साझा संसाधन के रूप में मानने के पर्यावरणीय और भू-राजनीतिक आयामों पर चर्चा कीजिए। वैश्विक शासन तंत्र महासागरीय संसाधनों के न्यायसंगत और संधारणीय उपयोग को कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं?

(15 अंक, 250 शब्द) 

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