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भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय और उनकी हाशिए की स्थिति

Lokesh Pal April 05, 2025 05:00 4 0

संदर्भ:

31 मार्च को प्रतिवर्ष  मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर दृश्यता दिवस, ट्रांसजेंडर समुदाय के संघर्ष और समाज के साथ उनके अनुकूलन की ओर ध्यान आकर्षित करता है।

भारत में ट्रांसजेंडर समुदायों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ

  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019:  इस अधिनियम के होने के बावजूद , भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को गहन भेदभावआर्थिक हाशिए पर होने और आवश्यक सेवाओं तक सीमित पहुँच का सामना करना पड़ रहा है
  • अधिनियम के कार्यान्वयन में समस्याएँ: अधिनियम कानूनी मान्यता और सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका क्रियान्वयन दयनीय है। 
    • दिसंबर 2023 तक 24,115 पहचान पत्र आवेदनों में से केवल 15,800 को मंजूरी दी गई, 3200 से अधिक आवेदन 30 दिन की अवधि से ज्यादा लंबित थे।
    • दिल्ली में ट्रांसजेंडरों की जनसंख्या 4,200 से अधिक (जनगणना 2011 के आँकड़ों के अनुसार) होने के बावजूद केवल 23 पहचान पत्र जारी किए गए।
  • नौकरशाही बाधाएँ: प्रमाणन प्रक्रिया बोझिल है और स्व-पहचान के वैश्विक सिद्धांत का खंडन करती है। कानून पुलिस उत्पीड़नपरिवार द्वारा अस्वीकृति और सामाजिक बहिष्कार को संबोधित करने में विफल हैं, जिससे इसका प्रभाव सीमित हो जाता है।
  • आर्थिक बहिष्कार: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, 92% ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को कार्यबल से बाहर रखा गया है, जिससे इस समुदाय के अधिकांश लोग सेक्स वर्कर्स बनने को मज़बूर हैं। 
    • 2022 के एक अध्ययन में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों में बेरोज़गारी दर 48% दर्ज की गई, जो राष्ट्रीय औसत 7-8% से काफी अधिक है
  • कार्यस्थल पर भेदभाव: कार्यस्थल पर भेदभाव भर्ती के समय से शुरू होता होकर शत्रुतापूर्ण वातावरण में जारी रहता है, जिसमें शामिल हैं:
    • लिंग-तटस्थ शौचालयों का अभाव;
    • सहकर्मियों द्वारा बहिष्कार;
    • मानव संसाधन विभाग और कार्यालय प्रबंधन से सीमित समर्थन आदि।
  • उद्योग जगत की सीमित प्रतिक्रिया: हालाँकि टाटा स्टील जैसी कंपनियों ने 100 से अधिक ट्रांसजेंडर कर्मचारियों की भर्ती की है, लेकिन उद्योगों में इस तरह के प्रयास दुर्लभ हैं।
  • शैक्षिक असमानताएँ: ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सशक्तीकरण में शिक्षा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन प्रणालीगत भेदभाव तीव्र असमानताएँ उत्पन्न करते हैं।
    • 2011 की जनगणना के अनुसार, ट्रांसजेंडर साक्षरता दर केवल 56.1% थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 74.04% है
  • शैक्षणिक स्थानों में बाधाएँ: 2016 के केरल के एक अध्ययन में पाया गया, कि 58% ट्रांसजेंडर विद्यार्थी उत्पीड़न, समर्थन में कमी और भेदभाव जैसे वातावरण के कारण पढ़ाई छोड़ देते हैं। शैक्षणिक संस्थानों में प्रायः लिंग-तटस्थ अवसंरचनात्मक ढाँचेसमावेशी नीतियों और भावनात्मक समर्थन प्रणालियों का अभाव होता है
  • स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में बाधाएँ: ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को भेदभाववित्तीय बहिष्कार और स्वास्थ्य सेवा में अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे का सामना करना पड़ता है।
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) और आयुष्मान भारत जैसी नीतियों के बावजूद, उन तक इन सुविधाओं की आवश्यक पहुँच में कमी है।
    • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के एक सर्वेक्षण से पता चला है, कि 27% लोगों को उनकी लैंगिक पहचान के कारण चिकित्सा देखभाल से वंचित रखा गया।
  • कवरेज संबंधी चुनौतियाँ: लिंग-पुष्टि उपचार (Gender-affirming treatments) की लागत ₹2 लाख से ₹5 लाख के बीच है, जिससे ये अधिकांश लोगों की पहुँच से बाहर हो जाते हैं। ‘आयुष्मान भारत टीजी प्लस’ कार्ड  ₹5 लाख वार्षिक कवरेज प्रदान करता है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में खामियाँ हैं
  • प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी: चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मचारियों के पास ट्रांसजेंडर-विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए प्रशिक्षण की कमी है। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता गंभीर रूप से अपर्याप्त है, जिससे अवसाद और चिंता की दर बढ़ जाती है।
  • अवसरों में अंतराल: ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को कार्यस्थल पर पूर्वाग्रहपहचान दस्तावेजीकरण संबंधी बाधाओंस्वास्थ्य देखभाल भेदभाव और ऋण एवं रोज़गार तक सीमित पहुँच का सामना करना पड़ता है, जो सामूहिक रूप से उनके सामाजिक और आर्थिक समावेशन में बाधा डालते हैं।

संबंधित उपाय एवं आगे की राह

  • नीतिगत प्रगति: 2024 में, वित्त मंत्रालय ने LGBTQIA+ व्यक्तियों को संयुक्त बैंक खाते खोलने और भागीदारों को लाभार्थियों के रूप में नामित करने की अनुमति दी।
  • नीतिगत उपायों की आवश्यकता: स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य पर अनिवार्य प्रशिक्षण।
    • लिंग-पुष्टि उपचार (Gender-affirming treatments) के लिए बीमा समावेशन, समर्पित ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य क्लीनिकों की स्थापना और समुदाय की आवश्यकताओं के अनुरूप मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार आदि।
  • विभिन्न राज्यों द्वारा किए गए प्रयास: कुछ राज्यों ने प्रगतिशील कदम उठाए हैं, महाराष्ट्र ने कॉलेजों में ट्रांसजेंडर सेल स्थापित किए हैं। केरल विश्वविद्यालय ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए आरक्षित सीटें और छात्रावास की सुविधा प्रदान करता है।
  • विविध मीडिया प्रतिनिधित्व: मीडिया को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को विभिन्न भूमिकाओं में चित्रित करना चाहिए, जैसे- पेशेवर, नेताओं और कलाकारों के रूप में – न कि केवल पीड़ितों या हास्य कलाकार के रूप में। सकारात्मक प्रतिनिधित्व परिदृश्य को बदल सकता है और मुख्यधारा की स्वीकृति को बढ़ावा दे सकता है।
  • संस्थाओं में पूर्वाग्रहों को दूर करना: परिवार, स्कूल और कार्यस्थलों में भेदभाव के कारण ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को हाशिए पर रखा जाता है। लिंग-असंवेदनशील वातावरण शिक्षा, रोज़गार और सामाजिक स्थानों में बहिष्कार में योगदान देता है।
  • सांस्कृतिक समर्थन: हमसफ़र ट्रस्ट द्वारा ‘आई एम आल्सो ह्यूमन’ अभियान जैसी पहलने पूर्व-धारणाओं को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। तमिलनाडु के ‘कूवगम महोत्सव’ जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम पारंपरिक और धार्मिक मंचों के माध्यम से दृश्यता और स्वीकृति को बढ़ावा देते हैं।
  • भेदभाव विरोधी कानून: भेदभाव विरोधी कानून लागू करना, समावेशी नियुक्ति को बढ़ावा देना और ट्रांसजेंडर उद्यमियों को सहायता प्रदान करना आर्थिक एकीकरण के लिए महत्त्वपूर्ण है। सरकार और कॉर्पोरेट निकायों को समान अवसर और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतीकात्मक प्रक्रियाओं एवं संकेतों से आगे बढ़ना चाहिए

निष्कर्ष

सामाजिक धारणाओं को परिवर्तित करने के लिए दृश्यता से कहीं अधिक,  वास्तविक समावेशनविधिक संरक्षण और संस्थागत सुधार की आवश्यकता होती है। वास्तविक समानता केवल सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से ही प्राप्त की जा जाएगी, जो सार्वजनिक और निजी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की गरिमा, अधिकारों और एकीकरण को बनाए रखती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

ट्रांसजेंडर अधिकारों के बारे में बढ़ती जागरूकता के बावजूद, भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कानूनी और आर्थिक सशक्तीकरण में व्यापक अंतराल बने हुए हैं। उनकी कानूनी मान्यता और आर्थिक समावेशन को बढ़ाने के लिए कौन-से उपाय किए जाने आवश्यक हैं?

(15 अंक, 250 शब्द)

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