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ब्रिटेन एफटीए: भारत के पश्चिमी राष्ट्रों के साथ संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि

Lokesh Pal July 28, 2025 05:00 16 0

संदर्भ:

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भारत के पश्चिमी देशों के साथ संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ है। यह समझौता महज एक व्यापार समझौता नहीं है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत के विकसित आत्मविश्वास और स्पष्ट दृष्टिकोण का प्रतीक है।

एफटीए के बारे में

  • मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) दो या दो से अधिक देशों के बीच एक संधि है, जो व्यापार में आने वाली बाधाओं जैसे- टैरिफ, आयात कोटा और निर्यात प्रतिबंधों को कम करने या समाप्त करने के लिए की जाती है।
  • एफटीए का उद्देश्य सीमापार व्यापार को अधिक सुगम, सस्ता और पूर्वानुमानित बनाना तथा व्यापार की मात्रा में विस्तार करना है।

भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था के लिए भारत-यूके एफटीए के लाभ

  • शून्य टैरिफ: ब्रिटेन में प्रवेश करने वाले 99% भारतीय उत्पादों पर 0% टैरिफ लगेगा।
  • निर्यात में वृद्धि: भारतीय निर्यातक अब ब्रिटेन को वस्त्र, आभूषण, इलेक्ट्रिक वाहन, समुद्री उत्पाद और जेनेरिक दवाइयाँ जैसे अधिक उत्पाद भेज सकेंगे, क्योंकि ब्रिटेन का बाजार अब शून्य टैरिफ के साथ भारतीय वस्तुओं के लिए खुला है।
  • प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त: इससे भारत को चीन और वियतनाम जैसे देशों पर बढ़त मिलेगी, जिनकी वस्तुएँ ब्रिटेन में लागू टैरिफ के कारण अधिक महँगी होंगी।
  • अनुमानित वृद्धि: ब्रिटेन को भारत के निर्यात में 30-40% की वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • भारत में आर्थिक प्रभाव: इस निर्यात वृद्धि का तात्पर्य अधिक कारखानों की स्थापना, अधिक कार्य तथा अधिक नौकरियों के सृजन से है।
  • लाभार्थी राज्य: गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को उनकी उच्च निर्यात मात्रा के कारण सबसे अधिक लाभ होने का अनुमान है।

भारत को ब्रिटेन के निर्यात से लाभ

  • ब्रिटेन के उत्पाद जैसे- स्कॉच व्हिस्की, लक्जरी वाहन (जैसे- जगुआर लैंड रोवर), कॉस्मेटिक उत्पाद और डेयरी उत्पादों पर भारत में टैरिफ कम हो जाएगा।
    • उदाहरण: ब्रिटेन की व्हिस्की पर टैरिफ, जो वर्तमान में 150% है, उसे तुरंत आधा करके 75% कर दिया जाएगा तथा अगले 10 वर्षों में इसे घटाकर 40% कर दिया जाएगा।

सेवाओं और पेशेवरों के लिए लाभ

  • सरकारी निविदाएँ: ब्रिटेन की कंपनियाँ अब भारत सरकार द्वारा जारी निविदाओं के लिए बोली लगा सकेंगी।
  • आसान वीजा सुविधाएँ: योग शिक्षकों, रसोइयों और तकनीकी कर्मचारियों सहित भारतीय पेशेवरों को ब्रिटेन के लिए अल्पकालिक वीजा (2 वर्ष तक) प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
  • सामाजिक सुरक्षा: यदि भारतीय कामगार पहले से ही भारत में इसी प्रकार की प्रणाली में योगदान दे रहे हैं, तो उन्हें ब्रिटेन की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में योगदान देने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • एमएसएमई सशक्तीकरण: भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को प्रमुख लाभार्थियों के रूप में पहचाना गया है, क्योंकि उनके उत्पाद अब ब्रिटेन के बाजार में बिना टैरिफ के बेचे जा सकते हैं।

एफटीए वार्ता में भारत का प्रमुख दृष्टिकोण

  • कृषि संबंधी विषयों पर वार्ता नहीं: भारत ने अपने कृषि क्षेत्र पर वार्ता करने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया।
    • भारत ने कृषि को अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया, जो किसानों की आय और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है तथा कहा, कि वह इस पर कोई समझौता नहीं करेगा।
  • ब्रिटेन की स्वीकृति और भारत की दृढ़ता: ब्रिटेन सरकार ने भारत के रुख को समझा और कृषि क्षेत्र को खोलने के लिए भारत पर और दबाव नहीं डाला, जिससे भारत के रुख के प्रति सम्मान प्रदर्शित होता है। यह भारत की बेहतर स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
    • यह दृष्टिकोण भारत की व्यावहारिकता को उजागर करता है, औद्योगिक व्यापार और वार्ता के लिए खुला रहना, लेकिन देश की दीर्घकालिक प्रगति के लिए महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर दृढ़ रहना।

भविष्य के संबंधों के लिए भारत-यूके एफटीए

  • अन्य एफटीए के लिए ब्लूप्रिंट: यह एफटीए यूरोपीय संघ, आसियान, जापान, अमेरिका जैसे अन्य देशों के साथ भारत की भविष्य की व्यापार वार्ताओं के लिए एक उदाहरण के रूप में कार्य करेगा।
  • ब्रिटेन के साथ समझौते का लाभ उठाना: भारत अब पूरे विश्वास के साथ अमेरिका जैसे देशों को बता सकता है, कि चूँकि उसने ब्रिटेन के साथ भी अपने कृषि क्षेत्र के द्वार नहीं खोले, इसलिए वह उनके साथ भी ऐसा नहीं करेगा।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका वार्ता: संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एफटीए वार्ता वर्तमान में एक महत्त्वपूर्ण चरण में है।
    • अमेरिका ने भारतीय आयात पर 25% टैरिफ लगाया था, लेकिन विद्यमान एफटीए वार्ता के कारण यह निर्णय 1 अगस्त तक स्थगित कर दिया गया है।
    • यदि अमेरिका खाद्य डेटा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भारत पर अत्यधिक दबाव डालता है, तो इससे वार्ता प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

वैश्विक व्यापार में भारत का बढ़ता विश्वास

  • ब्रिटेन की कमजोर स्थिति: ब्रेक्सिट के बाद, ब्रिटेन को तत्काल मजबूत व्यापार साझेदारों की आवश्यकता थी और वह भारत के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करने का इच्छुक था।
  • समान शर्तें: भारत अब एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था है और पश्चिमी देशों के साथ समान स्तर पर वार्ता करता है। यह उन शर्तों को अस्वीकार कर सकता है, जो उसके हितों के अनुकूल नहीं हैं।
    • पश्चिमी देश भारत के बड़े बाजार और आर्थिक शक्ति के कारण उसकी मांगों के अनुरूप समायोजन कर रहे हैं।
  • सक्रिय संपर्क: भारत के आर्थिक विकास और वैश्विक प्रासंगिकता के लिए अब एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) आवश्यक हैं। भारत ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के साथ सक्रिय रूप से एफटीए पर हस्ताक्षर कर रहा है, जो एक परिपक्व व्यापारिक दृष्टिकोण दर्शाता है।

निष्कर्ष

यह समझौता भारत के एक गैर-व्यापारिक राष्ट्र से एक आत्मविश्वासी और मुखर वैश्विक अभिकर्ता के रूप में रणनीतिक परिवर्तन को रेखांकित करता है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित अभ्यास प्रश्न

हाल ही में हस्ताक्षरित भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भारत की व्यापार कूटनीति में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। भारत के लिए इसके संभावित आर्थिक लाभों का परीक्षण कीजिए और बताइए कि यह भविष्य के एफटीए के लिए देश की उभरती व्यापारिक स्थिति को किस प्रकार प्रदर्शित करता है?

(10 अंक, 150 शब्द)

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