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यूपीआई बनाम एटीएम: भारत की डिजिटल क्रांति

Lokesh Pal September 22, 2025 05:30 118 0

संदर्भ:

भारतीय अर्थव्यवस्था में सभी आय वर्गों में डिजिटल भुगतान का तेजी से प्रसार हुआ है।

अर्थव्यवस्था का औपचारीकरण:

  • अनौपचारिक अर्थव्यवस्था: अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में अपंजीकृत फर्म और श्रमिक शामिल होते हैं, जो सरकारी रिकॉर्ड में नहीं होते हैं और कर का भुगतान भी नहीं करते हैं
  • औपचारिक अर्थव्यवस्था: औपचारिक अर्थव्यवस्था में पंजीकृत फर्में शामिल हैं, जो करों का भुगतान करती हैं और जिनके कर्मचारी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) जैसी भविष्य निधि योजनाओं के अंतर्गत आते हैं।
  • औपचारिकता प्राप्त करना: औपचारिकता तीन तरीकों से प्राप्त की जा सकती है: कंपनियों द्वारा स्वयं को पंजीकृत करना [जैसे- वस्तु एवं सेवा कर (GST)], श्रमिकों द्वारा सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्राप्त करना (जैसे- EPFO/ESI) तथा डिजिटल लेनदेन।
  • डिजिटल भुगतान की भूमिका: जब कंपनियाँ डिजिटल भुगतान विधियों का उपयोग करती हैं, तो वे स्वचालित रूप से सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो जाती हैं, जिससे औपचारिकता में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) इस तीसरी विधि का एक प्रमुख प्रेरक रहा है।

यूपीआई का विकास:

  • यूपीआई लेनदेन की मात्रा: अप्रैल और जून 2025 के बीच, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने 34.9 बिलियन लेनदेन दर्ज किए।
  • कुल लेनदेन मूल्य: इन लेनदेन का कुल मूल्य ₹20.4 लाख करोड़ था, जो भारत की कुल निजी खपत का 40% था, जो दो वर्ष पूर्व 24% था
  • क्षेत्रीय विस्तार: यूपीआई का प्रयोग सभी क्षेत्रों में किया जाता है, छोटी सब्जी की दुकानों से लेकर पेट्रोल पंप, बिजली के बिलों के भुगतान और कपड़ों की खरीदारी तक। अब लगभग दो-तिहाई डिजिटल लेनदेन यूपीआई के ज़रिए होते हैं
  • उच्च-मूल्य वाले लेनदेन: यूपीआई पर्याप्त वित्तीय राशियों का प्रबंधन करता है, जिसमें ऋण भुगतान में ₹857 करोड़ (जुलाई 2025) और शेयर बाजार तथा म्यूचुअल फंड में लगभग ₹61,000 करोड़ का निवेश शामिल है।

नकदी विरोधाभास के संबंध में:

  • नकदी विरोधाभास: नकदी विरोधाभास वह घटना है, जहाँ यूपीआई के माध्यम से नकदी रहित लेनदेन के उच्च स्तर के बावजूदअर्थव्यवस्था में कुल नकदीकी व्यापक कमी नहीं आई है।
  • वैश्विक रुझान: जर्मनी जैसे अन्य विकसित राष्ट्र भी व्यापक डिजिटल उपयोग के साथ-साथ उच्च नकदी स्तर बनाए रखते हैं
  • एहतियाती बचत: लोग अनिश्चितता के विरुद्ध सुरक्षा जाल के रूप में घर पर नकदी रखना जारी रखते हैं, जो “मूल्य का भंडारण” कार्य करता है
  • अनौपचारिक लेन-देन: ब्लैक मार्केट और रियल एस्टेट जैसे बड़े सौदों में नकदी के प्रयोग का प्रभुत्व रहता है, जहाँ भुगतान का एक बड़ा हिस्सा खातों से बाहर किया जाता है
  • परिवर्तन का प्रमाण: यद्यपि कुल नकदीमें नाटकीय रूप से गिरावट नहीं आई है, लेकिन उपभोक्ता व्यवहार बदल रहा है। 2019 और 2025 के बीच एटीएम लेनदेन की संख्या आधी हो गई है, जबकि अर्थव्यवस्था का आकार दुगुना हो गया है।
    • बचत के उद्देश्यों के लिए नकदी का उपयोग 12.5% ​​(2020-21) से घटकर4% (2023-24) हो गया है, क्योंकि लोग घर पर नकदी जमा करने की बजाय म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में निवेश करना पसंद कर रहे हैं।

भारत का डिजिटल भुगतान परिवर्तन: अधिक नकदी से कम नकदी आधारित अर्थव्यवस्था की ओर

  • विभक्ति बिंदु: एकीकृत डेटा को देखते हुए – उच्च UPI उपयोगकम ATM निकासी औरबचत में नकदी की निम्न हिस्सेदारी – भारत अब एक परिवर्तन बिंदु पर है, जो गणित में एक ऐसे बिंदु को संदर्भित करता है जहाँ एक वक्र की दिशा बदल जाती है
  • कम नकदी अर्थव्यवस्था में परिवर्तन: प्रचलन में मुद्रा में कमी आने की उम्मीद है, जो यह दर्शाता है कि भारत शीघ्र ही कम नकदी अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करेगा। अधिक नकदी अर्थव्यवस्था से “कम नकदी” अर्थव्यवस्था में जाएगा, जो कि यूपीआई जैसी डिजिटल भुगतान प्रणालियों को अपनाने से प्रेरित होगा

भारतीय अर्थव्यवस्था के औपचारीकरण में डिजिटल भुगतान के लाभ:

  • औपचारिकता के लिए एक उपकरण के रूप में डेटा: आधार और यूपीआई के क्रियान्वयनकर्ता नंदन नीलेकणी ने कहा कि “डेटा नया तेल है।” (Data is the new oil)
    • यूपीआई ने प्रत्येक छोटे लेनदेन को डेटा में परिवर्तित कर दिया है, जो औपचारिकता के लिए सबसे प्रभावी उपकरण के रूप में कार्य करता है।
  • नागरिकों के लिए सरलीकरण: डिजिटल लेनदेन ने भुगतान और वित्तीय पहुँच को सुलभ बनाकर नागरिकों के जीवन को सरल बना दिया है।
  • नकदी पर निर्भरता में कमी: डिजिटल तकनीक अपनाने से दिन-प्रतिदिन के लेन-देन में नकदी पर निर्भरता कम हो गई है।
  • विस्तृत कर आधार: लेन-देन के औपचारीकरण से कर आधार का विस्तार हुआ है, जिससे कर चोरी अधिक कठिन हो गई है।

आगे की राह:

  • ब्लैक इकोनॉमी पर अंकुश: सरकार को ब्लैक इकोनॉमी पर नियंत्रण प्राप्त करना होगा, विशेष रूप से रियल एस्टेट और चुनावों में, ताकि नकदी के उपयोग को और कम किया जा सके।
  • वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना: नागरिकों को घर पर नकदी जमा करने की बजाय बैंकों में निवेश करने या धन जमा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे उनका मूल्य कम हो जाता है।
  • मुद्रा-जीडीपी अनुपात: मुद्रा-जीडीपी अनुपात पहले ही 2022 में 12.9% से घटकर 2025 में 10.9% हो गया है, तथा औपचारिकता को बनाए रखने के लिए निरंतर निगरानी आवश्यक होगी।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत में नकदी-प्रधान अर्थव्यवस्था और यूपीआई-संचालित अर्थव्यवस्था के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए। यूपीआई ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कौन-से लाभ पहुँचाए हैं?

(10 अंक, 150 शब्द)

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