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भारत में शहरी संकट तथा गंभीर वायु प्रदूषण

Lokesh Pal December 01, 2025 05:30 88 0

सन्दर्भ:

भारत विषाक्त वायु, कमजोर राजनीतिक जवाबदेही और असफल नगरपालिका प्रशासन से चिह्नित एक बिगड़ते शहरी संकट का सामना कर रहा है।

संकट और राजनीतिक प्रतिक्रिया

  • गंभीर प्रदूषण: उत्तर भारत और मुंबई में वायु की गुणवत्ता इतनी खराब है, कि साँस लेना मुश्किल हो रहा है। यह न्यूयॉर्क जैसे शहरों से बिल्कुल अलग है।
  • विरोधाभास: भारत का लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत बनना है, फिर भी वह बुनियादी स्वच्छ वायु उपलब्ध नहीं करा सकता।
  • नेतृत्व संबंधी समस्या: इस मुद्दे पर नेता चुप हैं, जो एक राष्ट्रीय जलवायु आपातकाल बन गया है।
  • सकारात्मक विकास: जनता जागरूक हो रही है तथा न्यायाधीशों और चिकित्सकों के विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से वायु प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा बन गया है
  • सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, स्वच्छ वायु का अधिकार जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) के अंतर्गत शामिल है।
  • किफायती आवास संकट: शहरों में आने वाले प्रवासी अक्सर उच्च किराया देते हैं (उदाहरण के लिए, मुंबई में एक छोटे से कमरे के लिए ₹7,000 प्रति माह) या उन्हें शिफ्टों में या फुटपाथ पर सोने के लिए बाध्य होना पड़ता है।
  • झुग्गी बस्तियों संबंधी आँकड़े: 2011 की जनगणना से पता चला है, कि शहरी आबादी का 17% हिस्सा झुग्गी बस्तियों में रहता है (यह संख्या अब संभवतः बहुत अधिक है)।

शासन संबंधी प्राथमिकताएँ और विफलताएँ

  • नेता की प्राथमिकताएँ: नेता सार्वजनिक सेवा और शासन की बजाय चुनाव जीतने और सत्ता के खेल पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • वर्तमान लक्ष्य: राजनीतिक दल स्वच्छ वायु और जल जैसे महत्त्वपूर्ण शहरी बुनियादी ढाँचे पर ध्यान देने की बजाय बड़े मंदिरों और मूर्तियों के निर्माण जैसे सार्वजनिक धार्मिक प्रदर्शनों को प्राथमिकता देते हैं।
  • ऐतिहासिक अवनति: चार हजार वर्ष पूर्व, सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान शहरों की निर्माण योजना बनाई गई थी और नालियों को ढक दिया गया था
    • आज भारत जलभराव की समस्या से जूझ रहा है और कूड़े के पहाड़ों के बीच रह रहा है, जो व्यापक गिरावट का संकेत है।
  • स्थानीय शासन संबंधी विफलता: मूल समस्या स्थानीय शासन में है
    • नगरपालिका अधिकारी प्रायः सेवा की अपेक्षा भ्रष्टाचार को प्राथमिकता देते हैं
    • अवैध कॉलोनियाँ रिश्वतखोरी के माध्यम से बनाई जाती हैं और नगरपालिका अधिकारियों की जवाबदेही लगभग शून्य होती है।
    • यह शिथिलता व्यापक वी.वी.आई.पी. संस्कृति के अंतर्गत और भी गंभीर हो जाती है, जहाँ स्थानीय अधिकारी स्वच्छ वायु, जल, जल निकासी और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे मूल नागरिक कर्तव्यों की तुलना में काफिलों, प्रोटोकॉल और औपचारिक चापलूसी को प्राथमिकता देते हैं

आगे की राह

  • प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित महापौरों की व्यवस्था लागू करना: भारत को शहरी शासन में जवाबदेही और त्वरित निर्णय लेने को सुनिश्चित करने के लिए, स्पष्ट कार्यकारी शक्तियों के साथ प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित महापौर प्रणाली की ओर बढ़ना चाहिए।
  • 74वें संविधान संशोधन को मजबूत करना: शहरी स्थानीय निकायों को योजना, बजट, बुनियादी ढाँचे और सेवा वितरण पर वास्तविक अधिकार देने के लिए 74वें संशोधन को और मजबूत किया जाना चाहिए
  • राज्य सरकारों पर निर्भरता में कमी: मुख्यमंत्रियों से शक्तियाँ नगर-स्तरीय नेतृत्व को हस्तांतरित की जानी चाहिए, ताकि शहरी शासन को राज्य की राजधानियों द्वारा दूर से नियंत्रित न किया जा सके।
  • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ तालमेल बनाना: भारत लंदन और न्यूयॉर्क जैसे वैश्विक मॉडल संबंधी तत्त्वों को अपना सकता है, जहाँ सशक्त महापौरों ने स्वच्छ, अधिक कुशल और बेहतर प्रबंधित शहर प्रदान किए हैं।

निष्कर्ष

स्वच्छ वायु, सुरक्षित जल और किफायती आवास के बिना भारत के जीवन-यापन की सुगमता और तीव्र आर्थिक विकास के लक्ष्य का कोई अर्थ नहीं है। प्रदूषण को राष्ट्रीय आपातकाल मानना ​​और भ्रष्टाचार मुक्त शहरी शासन सुनिश्चित करना, 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु अनिवार्य है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत में तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण ने बुनियादी ढाँचा विकास और कमज़ोर नगरपालिका प्रशासन को पीछे छोड़ दिया है। भारत में शहरी बुनियादी ढाँचे के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। सतत और सुशासित शहरों के लिए किन सुधारों की आवश्यकता है?

(10 अंक, 150 शब्द)

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