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भारत में शहरी गरीबी: एक गंभीर सामाजिक समस्या

Lokesh Pal September 12, 2025 05:00 16 0

संदर्भ:

यह एक बड़ा शहरी विरोधाभास है, जहाँ आँकड़े शहरी गरीबी और बेरोजगारी में कमी दर्शाते हैं, लेकिन वास्तविकता में असमानता बढ़ रही है।

विश्व बैंक के आँकड़े बनाम वास्तविक आँकड़ें:

  • शहरी गरीबी में कमी: विश्व बैंक के आँकड़ों के अनुसार, यदि गरीबी रेखा $15 प्रतिदिन निर्धारित की जाए, तो भारत में शहरी गरीबी 2011 में 10.7% से घटकर आज 1.1% हो गई है।
  • गरीबी रेखा की तुलना: 3.65 डॉलर प्रतिदिन की अधिक महत्त्वाकांक्षी गरीबी रेखा के साथ, शहरी गरीबी 2011 में 5% से घटकर वर्तमान में 17.2% हो गई है।
  • विरोधाभासी वास्तविकताएँ: कम बेरोजगारी के सरकारी दावों के बावजूद, ये आँकड़े “स्वर्ण युग” को दर्शाते हैं, लेकिन वास्तविकता इससे एकदम पृथक है।

ग्रामीण और शहरी गरीबी के मध्य अंतर:

  • आय का स्रोत: ग्रामीण गरीब कृषि पर निर्भर हैं, जबकि शहरी गरीब अनौपचारिक क्षेत्र पर निर्भर हैं, जहाँ रोज़गार की कोई सुरक्षा नहीं है (“काम नहीं तो वेतन नहीं”)।
  • सेवाओं तक पहुँच: शहरी क्षेत्रों में सेवाएँ (स्कूल, अस्पताल, पानी की पाइप) तो उपलब्ध हैं, लेकिन वे गरीबों के लिए वहन करने योग्य नहीं हैं।
  • सामाजिक नेटवर्क: ग्रामीण समुदाय मजबूत सामाजिक सुरक्षा जाल सृजित करते हैं, लेकिन शहरी निवासी अक्सर अलग-थलग पड़ जाते हैं और उन्हें समर्थन की कमी होती है।

शहरी गरीबी के कारण:

  • अनियोजित विकास: किफायती आवास की कमी के कारण प्रवासी झुग्गी-झोपड़ियाँ बनाने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अव्यवस्थित शहरीकरण होता है।
  • क्षेत्रीय असमानता: टियर 2 और टियर 3 शहर अपनी आबादी को बनाए रखने के लिए पर्याप्त रूप से विकसित नहीं हैं, जिसके कारण दिल्ली, मुंबई और बंगलूरू जैसे महानगरों पर भारी दबाव पड़ता है।
  • सामाजिक सुरक्षा में कमी: कई प्रवासियों के पास निवास प्रमाण या स्थानीय राशन कार्ड नहीं होते, जिससे वे व्यवस्था में पीछे रहकर सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं।
  • अंतर-पीढ़ीगत जाल: खराब शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ झुग्गी-झोपड़ियों में पले-बढ़े बच्चों के अनौपचारिक क्षेत्र में ही बने रहने की संभावना है, जिससे पीढ़ियों तक गरीबी बनी रहेगी।

शहरी गरीबी दूर करने के लिए सरकारी योजनाएँ:

  • एक राष्ट्र एक राशन कार्ड: प्रवासियों को देश में कहीं भी राशन प्राप्त करने की सुविधा देता है।
  • स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0: स्वच्छता के अलावा, यह मलिन बस्तियों में सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध कराता है, जिससे विशेष रूप से महिलाओं के लिए सम्मान और सुरक्षा बढ़ती है।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी: इसका उद्देश्य किफायती आवास उपलब्ध कराना और मलिन बस्तियों के विकास पर अंकुश लगाना है।
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM): कौशल विकास (हुनर से रोजगार) और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • पीएम स्वनिधि योजना: स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी जमानत के ऋण प्रदान करती है, जिन्हें आमतौर पर ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है।

आगे की राह:

  • समावेशी शहरीकरण: निर्णय लेने की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और शहरी नियोजन में लोगों को शामिल करना, जैसा कि केरल की कुटुम्बश्री योजना में उदाहरण दिया गया है, जिसने स्थानीय महिला नेटवर्क के माध्यम से राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया।
  • टियर 2 और टियर 3 शहरों को सशक्त बनाना: छोटे शहरों (जैसे- लखनऊ, इंदौर, सूरत) में रोजगार के अवसर और बेहतर बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना, जिससे बड़े शहरों पर प्रवास का दबाव कम हो सके।
  • सतत शहरीकरण: शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को सशक्त बनाना और स्वच्छता के लिए “जन आंदोलन” को बढ़ावा देना, इंदौर मॉडल के समान, जहाँ स्वच्छता गर्व का विषय बन गई।
  • सशक्तीकरण और लक्षित सामाजिक सुरक्षा: कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना और श्रम-प्रधान उद्योगों को बढ़ावा देना।
    • दस्तावेजों या डिजिटल साक्षरता की कमी के कारण सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित रह जाने वाले अनेक लोगों की समस्या का समाधान भी शामिल है।

निष्कर्ष:

अनुमान है, कि 2050 तक शहर भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 75% और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 60% का योगदान देंगे। $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के लिए केवल ऊँची इमारतों की नहीं, बल्कि समावेशी विकास की आवश्यकता है। एक स्मार्ट शहर सभी के लिए सम्मान और अवसर सुनिश्चित करता है, जहाँ कोई भी फुटपाथ पर न सोए

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत में शहरी गरीबी ग्रामीण गरीबी से अलग, चुनौतियों का एक अनूठा समूह प्रस्तुत करती है। शहरी गरीबी के प्राथमिक कारणों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए और मौजूदा सरकारी हस्तक्षेपों की प्रभावकारिता पर चर्चा कीजिए। सतत और समावेशी शहरी आजीविका के सृजन के लिए एक बहुआयामी रणनीति भी सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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