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अमेरिका द्वारा द रेजिस्टेंस फ्रंट ग्रुप को वैश्विक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया जाना

Lokesh Pal July 21, 2025 05:30 14 0

संदर्भ:

संयुक्त राज्य अमेरिका ने औपचारिक रूप से द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) समूह को, जिसने अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली थी, एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और एक विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी समूह के रूप में नामित किया हैद रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) लश्कर-ए-तैयबा (LET) के प्रॉक्सी के रूप में कार्य करता है।

पदनाम का महत्त्व

  • अमेरिकी विदेश विभाग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल समूहों को नामित करता है, जो अमेरिकी नागरिकों या गठबंधनों के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं तथा वैश्विक शांति एवं सुरक्षा को बाधित करने का प्रयास करते हैं।
  • अमेरिका द्वारा पहलगाम आतंकी हमले को एक गंभीर घटना मानना अमेरिका का विशेष कदम है।
  • भारत के लिए यह कदम समयानुकूल और महत्त्वपूर्ण प्रयास तथा एक कूटनीतिक विजय माना जा रहा है।

छद्म युद्ध का पर्दाफाश

  • इस पदनाम का एक महत्त्वपूर्ण पहलू अमेरिका की आधिकारिक मान्यता है, कि द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) लश्कर-ए-तैयबा (LET) के प्रॉक्सी के रूप में कार्य करता है
  • यह पाकिस्तान के लंबे समय से चले आ रहे इस दावे के विपरीत है, कि लश्कर-ए-तैयबा जिसे पाकिस्तान ने 2001 में स्वयं एक FTO के रूप में सूचीबद्ध किया था, निष्क्रिय हो चुका है
  • वास्तविकता छद्म युद्ध की रणनीति की ओर संकेत करती है, जहाँ नए संगठन अलग-अलग नामों से स्थापित किए जाते हैं, जब मूल समूहों को अंतर्राष्ट्रीय जाँच या प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है, जैसे- पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) द्वारा ग्रे-सूची में डालना आदि
  • इससे जवाबदेही से बचने का प्रयास करते हुए नए रूप में आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखने में मदद मिलती है।

राजनयिक प्रभाव और चुनौतियाँ

  • इससे पूर्व, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने पहलगाम आतंकी हमले के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का स्पष्ट रूप से नाम नहीं लिया गया था, ऐसा कथित तौर पर पाकिस्तान के प्रभाव के कारण हुआ, जो भारत के लिए एक चिंता का विषय था।
  • हालाँकि, अमेरिका द्वारा द रेजिस्टेंस फ्रंट को वर्तमान में विशिष्ट रूप से नामित करने से अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद-1267 प्रतिबंध समिति में भारत का पक्ष मजबूत हो गया है।
    • इस समिति को आतंकवादी समूहों और उनसे जुड़े व्यक्तियों पर यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति जब्ती और हथियार प्रतिबंध सहित अन्य प्रतिबंध लगाने का अधिकार है।
  • हालाँकि अमेरिकी प्रतिबंध एक सकारात्मक कूटनीतिक विकास है, लेकिन यह पहचानना महत्त्वपूर्ण है कि इस तरह की सूची और प्रतिबंध प्रायः प्रतीकात्मक प्रयास होते हैं
  • अमेरिका ने कई बार दोहरे मापदंड अपनाए हैंपाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व के साथ वार्ता करते हुए भारत का समर्थन भी किया है तथा भारत और पाकिस्तान को नैतिक रूप से समान मानने का प्रयास किया है।
  • यह दृष्टिकोण समस्यापूर्ण है, क्योंकि वास्तविक मुद्दा पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रायोजित करना है, न कि केवल दोनों देशों के बीच “तनाव” है।

आगे की राह

  • कूटनीतिक प्रयास: राज्य प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक सहमति बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता बनाए रखना।
  • कानूनी पहल: पाकिस्तान को FATF द्वारा पुनः सूचीबद्ध कराने के लिए सक्रिय प्रयास करना, मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में ले जाना तथा इंटरपोल जैसी अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों का उपयोग आदि।
  • सार्वजनिक आख्यान को आकार देना: आतंकवाद को समर्थन देने में पाकिस्तान की भूमिका पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए वैश्विक मीडिया और जनमत को प्रभावित करने के प्रयासों को मजबूत करना, एक ऐसा क्षेत्र जहाँ भारत के वर्तमान प्रयास कमजोर माने जाते हैं।
  • सैन्य निवारण: किसी भी आतंकवादी कृत्य के लिए सैन्य जवाबी कार्रवाई का विश्वसनीय खतरा स्थापित करना, जिससे पाकिस्तान में भय उत्पन्न हो और भविष्य में हमलों को हतोत्साहित किया जा सके।

निष्कर्ष

द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित करना सही दिशा में उठाया गया एक कदम है, जो एक महत्त्वपूर्ण कूटनीतिक उपकरण प्रदान करता है। केवल एक बहुआयामी और सतत दृष्टिकोण से ही आतंकवाद के वास्तविक समर्थन तंत्र को तोड़ा जा सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

“संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी वैश्विक शक्तियों द्वारा आतंकवादी संगठनों को आतंकवादी घोषित करना भारत के आतंकवाद-रोधी प्रयासों को बल दे सकता है, लेकिन प्रतीकात्मक कार्यवाहियों को आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों पर निरंतर दबाव में बदलना होगा।” इस कथन का, द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को I-J.S. सूची में शामिल किए जाने और सीमापार आतंकवाद के विरुद्ध भारत के प्रयास पर इसके प्रभावों के संदर्भ में, आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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