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चुनावों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग

Lokesh Pal April 20, 2024 05:15 169 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: डीपफेक, शैलोफेक, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: चुनावों में AI के  उपयोग का दायरा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़ी चुनौतियाँ।

संदर्भ:

  • चुनावों को प्रभावित करने हेतु दुनिया भर में एआई और डीपफेक के उपयोग में वृद्धि हो रही है।

परिचय:

  • 2024 के चुनावों पर AI के संभावित प्रभाव: 2024 के चुनाव, जिसमें 50+ देशों में 4 बिलियन से अधिक मतदाता भाग ले रहे हैं, पर AI के काफी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
  • लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर AI का खतरा: AI लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के समक्ष चुनौती प्रस्तुत करते हैं।

डीपफेक:

  • डीपफेक की उत्पत्ति: पहली बार 2017 में एक Reddit उपयोगकर्ता द्वारा हॉलीवुड हस्तियों के अश्लील वीडियो बनाने के लिए उपयोग किया गया था।
  • डीपफेक का प्रसार: AI ने डीपफेक सामग्री को सृजित करना आसान और सुलभ बना दिया है। इसके द्वारा फेक वीडियो 2 मिनट से भी कम समय में निर्मित किए जा सकते हैं।
  • भारत में डीपफेक: 71% वयस्क भारतीय नागरिक इंटरनेट का उपयोग करते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश डिजिटली निरक्षर हैं, जिससे डीपफेक एक खतरनाक मुद्दा बन गया है।
  • वायरल होने का जोखिम: नकली वीडियो आसानी से सोशल मीडिया पर वायरल हो सकते हैं और चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं।

लोकतंत्र के समक्ष AI से जुड़े जोखिम:

  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की अनिवार्यता: लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव अनिवार्य हैं।
  • AI-जनित वीडियो की प्रभाविता: AI-जनित वीडियो मतदाताओं की पसंद को प्रभावित कर सकते हैं, गलत सूचनाएँ सृजित कर सकते हैं और फेक न्यूज़ प्रसारित कर सकते हैं।
    • यह लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना करता है और निष्पक्ष चुनाव में बाधक बनता है।
    • डीपफेक वीडियो राजनीतिक उम्मीदवारों को बदनाम कर सकते हैं, जैसा कि अर्जेंटीना और इंडोनेशिया में देखा गया है।
    • राजनेता भी अपनी छवि सुधारने और मतदाताओं को आकर्षित करने हेतु डीपफेक का उपयोग कर रहे हैं।

भारतीय चुनावों में AI की भूमिका:

  • भारतीय राजनीति में AI का बढ़ता प्रभाव: भारत में AI का प्रमुखता से उपयोग किया जा रहा है, उदाहरण के तौर पर डीएमके पार्टी और पीएम मोदी को देखा जा सकता है।
  • विश्व आर्थिक मंच की चेतावनी: विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2024 भारतीय चुनावों के लिए एआई के खतरे पर प्रकाश डालती है।
  • राजनीतिक दलों द्वारा अनैतिक सामग्री के निर्माण का प्रयास : इंडियन डीपफेकर कंपनी के संस्थापक ने खुलासा किया कि राजनीतिक दलों ने नकली, अनैतिक वीडियो बनाने के लिए उनसे संपर्क किया।

सूचना युद्ध और विदेशी हस्तक्षेप

  •  राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन: दुश्मन देश लक्षित देश की संप्रभुता का उल्लंघन करते हुए जानबूझकर चुनावों को प्रभावित करने हेतु  AI का उपयोग कर सकते हैं।
    • रूस पर अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगता रहा है।
  • माइक्रोसॉफ्ट की चेतावनी: माइक्रोसॉफ्ट ने सूचित किया है कि चीन अमेरिका और भारत में चुनावों को प्रभावित करने के लिए डीपफेक का उपयोग करने की तैयारी कर रहा है।
  • संभावित खतरा: पाकिस्तान की ISI भी AI का उपयोग कर भारतीय चुनावों में अव्यवस्था उत्पन्न करने का प्रयास कर सकती है।

परिणाम और समाधान:

  • लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए खतरा: व्यापक AI हेरफेर, लोकतांत्रिक संस्थानों में विश्वास को कम कर सकता है और दंगों को प्रेरित कर सकता है, जिससे देश की एकता और अखंडता   प्रभावित हो सकती है।
  • सोशल मीडिया कंपनियों की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया कंपनियों ने डीपफेक को नियंत्रित करने हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।
  • स्व-नियमन प्रयास: डीपफेक कंपनियों ने एथिकल एआई गठबंधन घोषणापत्र के माध्यम से स्व-नियमन को अपनाया है।
  • एल्गोरिथम की चुनौतियाँ: सोशल मीडिया एल्गोरिदम नकली वीडियो का पता लगाने में विफल हो रहे हैं, और उपयोगकर्ता वीपीएन का उपयोग करके उन्हें अपलोड कर सकते हैं, जिससे ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है।
  • सार्वजनिक शिक्षा का महत्व: वास्तविक और नकली वीडियो की पहचान करने हेतु,लोगों को एआई सृजित वीडियो के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है।
  • डीपफेक की पहचान हेतु गूगल के प्रयास: गूगल जैसी कंपनियों ने डीपफेक की पहचान के लिए शक्ति जैसे टूल लॉन्च किए हैं।

निष्कर्ष: 

लोगों की स्वतंत्रता और देश की चुनावी निष्पक्षता को सुनिश्चित करने हेतु चुनावों में एआई के खतरे को दूर  करना लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

प्रश्न.”वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क” क्या है?                                                       (UPSC:2011)

  1. यह एक संगठन का एक निजी कंप्यूटर नेटवर्क है, जहां दूरस्थ उपयोगकर्ता संगठन के सर्वर के माध्यम से एन्क्रिप्टेड जानकारी संचारित कर सकते हैं।
  2. यह एक सार्वजनिक इंटरनेट पर एक कंप्यूटर नेटवर्क है जो उपयोगकर्ताओं को संचारित सूचनाओं की सुरक्षा बनाए रखते हुए उनके संगठन के नेटवर्क तक पहुंच प्रदान करता है।
  3. यह एक कंप्यूटर नेटवर्क है जिसमें उपयोगकर्ता एक सेवा प्रदाता के माध्यम से कंप्यूटिंग संसाधनों के साझा पूल तक पहुंच सकते हैं।
  4. ऊपर दिए गए कथनों (a), (b) और (c) में से कोई भी वर्चुअल  प्राइवेट नेटवर्क का सही विवरण नहीं है।

उत्तर: (b)                                                                                   

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