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Lokesh Pal September 18, 2024 05:00 105 0
“एक आवाज बनो गूंज नहीं।” “Be a voice, not an echo”
—एल्बर्ट आइन्स्टिन
यह उद्धरण स्वतंत्र रूप से सोचने, अपने विचारों को विस्तार देने और दूसरों के विचारों की निष्क्रिय पुनरावृत्ति का विरोध करने के महत्त्व पर प्रकाश डालता है। जब हम किसी अवधारणा को गहराई से समझते हैं तथा उसके संदर्भ और बारीकियों को पूरी तरह समझ पाते हैं, तो हम इस संदर्भ में एक मूल और सुविचारित दृष्टिकोण निर्मित कर पाते हैं। स्वतंत्र विचार प्रगति को बढ़ावा देते हैं, रचनात्मकता को प्रोत्साहित करते हैं और लोगों को यथास्थिति पर सवाल उठाने में सक्षम बनाते हैं। लेकिन जब हमारी समझ ही उथली होगी तो लोग सामान्यतः उन विचारों को अपना लेते हैं जो उन्हें सौंपे जाते हैं, बिना उनकी आलोचनात्मक जाँच किए विचारों को दोहराते हैं।
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