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परीक्षा के लिए उपयोगी विषय : सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण

Lokesh Pal October 28, 2024 06:15 49 0

  • समर्पण  का आशय : समर्पण किसी व्यक्ति के समय, ध्यान, ऊर्जा या स्वयं को किसी विशेष गतिविधि, व्यक्ति या कारण के लिए पूरी तरह से समर्पित करने या लगाने की क्षमता का गुण है। यह प्रतिबद्धता से भिन्न है, जो एक औपचारिक दायित्व है; समर्पण एक भावुक प्रतिबद्धता है जो कर्तव्य की भावना से निर्देशित होती है, जो कुछ आदर्शों से प्रेरित होती है।
  • ‘सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण’ का अर्थ है सार्वजनिक कल्याण की भावना को सबसे ऊपर प्राथमिकता देना, यह सुनिश्चित करना कि एक सिविल सेवक की समर्पण की भावना उनकी आधिकारिक जिम्मेदारियों के साथ एकीकृत हो।

उदाहरण के लिए : के. विजय कुमार एक भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी थे, जिन्होंने 1990 के दशक के अंत में विद्रोही समूह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) का मुकाबला करने के लिए भारत के तमिलनाडु राज्य में विशेष कार्य बल (STF) का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो उनके कार्य के प्रति समर्पण को दर्शाता है ।

  • अपने जीवन के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों और खतरों का सामना करने के बावजूद, कुमार ने क्षेत्र में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अथक प्रयास किया। उन्होंने प्रभावित स्थान पर रहकर, अपनी टीम का नेतृत्व करके क्षेत्र में  उग्रवाद का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए रणनीतिक योजनाएँ तैयार कर, अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण की मिशाल पेश की ।

  • सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता जनता की सुरक्षा और संरक्षा के लिए खुद को खतरे में डालने की उनकी इच्छा से स्पष्ट थी। उन्होंने समुदाय के कल्याण / भलाई और शांति सुनिश्चित करने के लिए, अक्सर व्यक्तिगत समय और आराम का त्याग करते हुए, अथक परिश्रम किया।
  • सार्वजनिक सेवा के प्रति कुमार के समर्पण ने उन्हें न केवल अपने साथी अधिकारियों से बल्कि उन लोगों से भी पहचान और सम्मान दिलाया, जिनकी उन्होंने सेवा की।

समर्पण संबंधी आचरण का महत्त्व :

  • यह सिविल सेवकों को उनके कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है, भले ही काम उबाऊ, अवांछित या थकाऊ क्यों न हो।
  • यह महत्वपूर्ण है क्योंकि सिविल सेवकों को नियमित रूप से कठिन और विविध परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
  • यह सिविल सेवकों में उनके कर्तव्यों और हितधारक व्यक्तियों व समूहों के प्रति सहानुभूति को बढ़ावा देता है।
  • न्याय और समानता जैसे संविधान के आदर्शों , व मूल कर्तव्यों को साकार करने के लिए सार्वजनिक सेवा आवश्यक है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न : 

प्रश्न: “संवैधानिक प्रावधानों की गतिशील व्याख्या से आधारभूत संघीय संतुलन में व्यवधान नहीं होना चाहिए।” ‘नशीली शराब’ पर केंद्र-राज्य के अधिकार क्षेत्र पर हाल ही में आए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आलोक में इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।

 (10 मिनट, 150 शब्द)

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