लर्निंग पावर्टी अर्थात सीखने की गरीबी का आशय विशेषकर 10 साल की उम्र तक के बच्चों की स्कूली शिक्षा और सीखने के संकेतकों को मिलाकर, सरल पाठ्य सामग्री को पढ़ने और समझने में असमर्थता से है।
यह अवधारणा समग्र शैक्षिक विकास में पढ़ने की दक्षता की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है, ठीक उसी तरह जैसे कि बच्चों में बौनेपन व कुपोषण का अभाव उनके स्वस्थ शारीरिक विकास को दर्शाता है।
लर्निंग पावर्टी को समाप्त करने के लाभ
गरीबी में कमी: गरीबी उन्मूलन और समुदायों के बीच साझा समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सीखने की गरीबी को संबोधित करना महत्वपूर्ण है।
सीखने के परिणामों में सुधार: महत्वपूर्ण हस्तक्षेप के बिना, यह अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक 10-वर्षीय बच्चों में से 43% पढ़ने में असमर्थ हो सकते हैं। खराब सीखने के परिणाम शैक्षिक प्रक्रियाओं की अखंडता के बारे में चिंताएँ पैदा करते हैं, क्योंकि कई छात्र वास्तव में सामग्री को समझे बिना ही उत्तीर्ण हो सकते हैं।
उनकी भविष्य की सफलता और राष्ट्र की प्रगति के लिए आलोचनात्मक सोच को विकसित करना आवश्यक है, जो अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दे सकता है।
सतत विकास (एसडीजी) लक्ष्यों की प्राप्ति : सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 4 को प्राप्त करने के लिए सीखने की गरीबी को समाप्त करना आवश्यक है, जिसका उद्देश्य सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना है।
उत्पादकता बढ़ाना: सीखने की गरीबी का संकट भविष्य के कार्यबल और आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है, जिससे अंततः वैश्विक उत्पादकता में कमी आती है।
सीखने की गरीबी बढ़ने के कारण
महामारी के दौरान स्कूल बंद होना: महामारी के कारण स्कूल बंद होने और ऑनलाइन शिक्षा की ओर संक्रमण ने सीखने की गरीबी को बढ़ा दिया है, जिससे छात्रों को काफी नुकसान हुआ है।
खराब शैक्षिकप्रणाली: अपर्याप्त शैक्षिक प्रणाली मर्ज की गई कक्षाओं और अपर्याप्त अध्ययन सामग्री के कारण व्यापक शिक्षा का समर्थन करने में विफल रहती है।
पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों की अनुपस्थिति और अप्रभावी शिक्षण पद्धतियों के उपयोग से भी सीखने के परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
ड्रॉपआउट की उच्च दर : दुनिया भर में कई बच्चों में कुशल तरीके से पढ़ने के कौशल की कमी है, जिसका मुख्य कारण स्कूलों से ड्रॉपआउट की उच्च दर है।
महंगी शिक्षा या आर्थिक मंदी : आर्थिक मंदी अक्सर छात्रों को निजी से सरकारी स्कूलों में धकेलती है, जिससे शिक्षा में गुणवत्ता का अंतर बढ़ता है।
खराब अध्ययन सामग्री : अप्रभावी पाठ्यपुस्तकें और सीखने के संसाधन छात्रों की शैक्षिक क्षमता में बाधा डालते हैं।
कुपोषण: खराब पोषण और अस्वास्थ्यकर वातावरण सीखने की गरीबी को बढ़ाने का प्रमुख कारक है।
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