100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

चुनाव आयोग में रिक्त पद

Lokesh Pal March 12, 2024 05:00 133 0

संदर्भ:

मार्च 2023 में उच्चतम न्यायालय द्वारा भारत के चुनाव आयोग (ECI) के लिए एक चयन समिति के गठन के आदेश के ठीक एक वर्ष बाद और संसद द्वारा CJI को चयन समिति से बाहर करने संबंधी कानून पारित करने के तीन माह उपरांत चुनाव आयोग की स्थिति यह है कि उसमें चुनाव आयुक्त की दो रिक्तियाँ देखने को मिल रही हैं। इसे देखते हुए लग रहा है कि इस कानून के परीक्षण करने का समय अब आ गया।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: चुनाव आयोग के संबंध में।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: चुनाव आयोग (EC) – प्रावधान, सुरक्षा उपाय और चुनाव आयोग के सामने आने वाले मुद्दे और चुनौतियाँ।

चुनाव आयोग के संबंध में:

  • संवैधानिक प्रावधान: संविधान के अनुच्छेद 324 में कहा गया है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और राष्ट्रपति द्वारा तय संख्या में चुनाव आयुक्त (EC) शामिल होंगे।
  • जनादेश: ECI का महत्त्वपूर्ण कार्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है, जिससे अगले चुनावों तक सरकार चलाने के लिए एक जिम्मेदार और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राजनीतिक प्रणाली का निर्माण हो सके।
  • सरकार के साथ संबंध: ECI और उसके उत्तरदायित्व किसी भी मायने में सरकारी कार्यों पर निर्भर नहीं है।
    •  चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता लागू करने के अलावा न तो सरकारी नीति या कार्रवाई की जाँच करता है और न ही इसे नियंत्रित करता है। इसकी कार्यप्रणाली मतदाताओं के साथ जुड़ी है और उनके अधिकारों की रक्षा करना, चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।
  • सुरक्षा उपाय: अनुच्छेद 324 (5) में प्रावधान है कि “मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके कार्यालय से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान तरीके और समान आधारों के अलावा किसी और तरीके से नहीं हटाया जाएगा और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के बाद उनकी सेवा की शर्तें नहीं हटाई जाएंगीं।” 

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023 के बारे में:

  • नियुक्ति: CEC और EC की नियुक्ति एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता/लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल होंगे।
    • इस समिति में कोई भी पद रिक्त होने की स्थिति में भी चयन समिति की सिफारिशें मान्य होंगी।
  • खोज समिति: कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक खोज समिति द्वारा चयन समिति को नामों का एक पैनल प्रस्तावित किया जाएगा।
  • CEC और EC का वेतन और सेवा शर्तें: CEC और EC के वेतन और सेवा शर्तें कैबिनेट सचिव के समान होंगे।
    • हालाँकि, वर्ष 1991 के अधिनियम के तहत पूर्व में इनके वेतन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के वेतन के बराबर थेI

अधिनियम से जुड़े प्रमुख मुद्दे:

  • चयन प्रक्रिया: चयन समिति में सरकार के बहुमत के कारण चयन प्रक्रिया में सरकार का प्रभुत्व हो सकता है, जिससे इनकी स्वतंत्रता पर प्रभाव पड़ेगा।
  • सरकारी एकाधिकार: संविधान में रिक्ति के बावजूद चयन समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने से उम्मीदवारों के चयन में सरकारी सदस्यों का प्रभावी रूप से एकाधिकार हो सकता है।
  • सरकारी प्रभाव: CEC और EC का वेतन कैबिनेट सचिव के बराबर करने से सरकार का इनपर प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि कैबिनेट सचिव का वेतन सरकार द्वारा तय किया जाता है। यह स्थिति सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन के विपरीत है, जिसे संसद के एक अधिनियम के माध्यम से तय किया जाता है।
  • उपयुक्त उम्मीदवारों का बहिष्कार: CEC और EC द्वारा अर्द्ध-न्यायिक कार्य भी किए जाते  हैं। इन पदों को वरिष्ठ नौकरशाहों तक सीमित करने से अन्य उपयुक्त उम्मीदवार चयन से बाहर हो सकते हैं।

भारत में विभिन्न अन्य महत्त्वपूर्ण संस्थान:

  • संसद: यह अपने विधायी अधिकार क्षेत्र के माध्यम से सरकार पर नियंत्रण रखती है।
  • न्यायपालिका: यह विधायिका द्वारा पारित कानूनों की जाँच करती है और सरकार के निर्णयों की वैधता की जाँच करती है।
    • कुछ इसी प्रकार का कार्य न्यायाधिकरणों द्वारा किया जाता है।
  • अटॉर्नी जनरल: यह सरकार को सलाह देने का कार्य करता है और कभी-कभी अदालतों में सरकार का प्रतिनिधित्व भी करता है।
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक: यह सरकारी खातों का प्रबंधन करता है और सरकारी व्यय का लेखा-जोखा रखता है।
  • लोक सेवा आयोग: यह सरकार के लिए विभिन्न नौकरशाहों की भर्ती का कार्य करता है और कुछ सेवा मामलों में सलाह भी देता है।
  • संविधान अन्य संस्थाओं का भी प्रावधान करता है, जिनमें से कुछ का स्थायी अस्तित्व नहीं होता है, उदाहरणस्वरूप  वित्त आयोग या परिसीमन आयोग, जो समय-समय पर राज्य के स्वतंत्र अंगों के रूप में विभिन्न सिफारिशों हेतु गठित किए जाते हैं।
  • वित्त आयोग: यह केंद्र और राज्यों के बीच राजकोषीय संबंध, करों के हस्तांतरण और केंद्रीय हस्तांतरण के अन्य तरीकों के संबंध में एक वित्तीय ढाँचे को प्रस्तुत करता  है।
  • परिसीमन आयोग: यह विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं के परिसीमन का प्रस्ताव करता है।

निष्कर्ष:

भारतीय संविधान द्वारा कई संस्थाओं का प्रावधान किया गया है जो हमारे लोकतंत्र की रीढ़ माने जाते  हैं। हालाँकि, प्रत्येक संस्था का एक अलग उद्देश्य और चरित्र होता है, लेकिन अब समय आ गया है कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता की रक्षा और अभिवृद्धि हेतु कार्रवाई की जाए।

समाचार स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.