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भारत में लुप्त होती नौकरियाँ

Lokesh Pal April 15, 2024 05:45 136 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: ओपन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स, स्किल इंडिया मिशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सास (SaaS-software as a service)।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में रोजगार संबंधी चुनौतियाँ, ONDC के मुद्दे एवं बेरोजगारी I

संदर्भ :

भारत को अपनी बढ़ती जनसंख्या की आजीविका के लिए पर्याप्त नौकरियों को सृजित करने की दिशा में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

परिचय:

  • भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, जो सुदृढ़ विस्तार, युवा जनसांख्यिकीय, लोगों के मध्य स्मार्टफोन की व्यापकता और गरीबी के मध्य एक संपन्न अभिजात वर्ग के उद्भव से चिह्नित है।
  • हालाँकि, इन आशाजनक संकेतों के बावजूद, कामकाजी उम्र वाली आबादी का केवल 46.6% हिस्सा ही सक्रिय रोजगार में संलग्न है, जिससे अर्थव्यवस्था की समग्र गतिशीलता में कमी आई है, जबकि अन्य विकासशील बाजारों में रोजगार दर 70% के करीब पाया गया है।

रोज़गार संबंधी चुनौतियाँ:

  • कार्यबल में कौशलता की कमी: भारत के लगभग 950 मिलियन वाले विशाल कार्यबल के बावजूद उल्लेखनीय कौशल की कमी रोजगार के अवसरों में बाधा उत्पन्न करने का कार्य कर रही है।
    •  2023 की भारत कौशल रिपोर्ट के अनुसार केवल आधे भारतीय युवा ही रोजगार के योग्य माने गए हैं, जो कार्यबल के पास मौजूद कौशल और नियोक्ताओं द्वारा माँगे  गए कौशल के मध्य अंतर को दर्शाता है।
  • आर्थिक विकास और नौकरी सृजन पर प्रभाव: कौशल संबंधी यह कमी न केवल उच्च-स्तरीय सेवा क्षेत्रों को प्रभावित करता है बल्कि विभिन्न उद्योगों में कुशल श्रम बल की उपलब्धता को भी प्रभावित करता है, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के प्रयास बाधित होते हैं।
  • निम्न कौशल वाले सेवाओं पर निर्भरता: कौशल वाले रोजगार के सीमित अवसरों के कारण कई व्यक्ति निम्न कौशल वाले सेवा क्षेत्रों में रोजगार ढूंढने हेतु विवश हो जाते हैं।
    • निर्माण, स्ट्रीट वेंडिंग, घरेलू श्रम और इस प्रकार के अन्य व्यवसाय भारत की आबादी  के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से के लिए रोजगार के प्राथमिक स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।
  • निम्न कौशल वाले रोजगार में चुनौतियाँ: हालाँकि, निम्न कौशल वाले रोजगार न्यूनतम वेतन प्रदान करते हैं और साथ ही कर्मचारियों के विकास संबंधी गतिशीलता के अवसरों में भी कमी आती है, जिससे गरीबी और आय असमानता का चक्र बना रहता है।

IT सेक्टर में संकट:

  • सेवाओं और रोजगारविहीन विकास पर जोर: भारत की आर्थिक विकास रणनीति के तहत  पारंपरिक विनिर्माण आधारित विकास के बजाय सेवाओं पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसने रोजगारहीन विकास में योगदान दिया है।
  • भारत के आईटी क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ: आईटी क्षेत्र, जिसे कभी भारत की सेवा अर्थव्यवस्था का एक स्तंभ माना जाता था, यह क्षेत्र पिछले 25 वर्षों में पहली बार संकुचन की स्थिति से गुजर रहा है, जिसकी मुख्य वजह स्वचालन (Automation) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के कारण पारंपरिक भूमिकाओं के विस्थापन एवं नई नियुक्तियों संबंधी धीमी माँग है।

रोजगार सृजन से संबंधित सिफ़ारिशें:

  • वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) की विकास क्षमता: वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC), जिनके द्वारा  बहुराष्ट्रीय निगमों (MNC) को विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान की जाती हैं, वर्ष 2030 तक लाखों लोगों को रोजगार देने और निम्न कौशल वाली सेवाओं की माँग में वृद्धि संबंधी क्षमता के साथ विकास के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेंगे।
  • वैश्विक क्षमता केंद्रों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ: वैश्विक क्षमता केंद्रों द्वारा माता-पिता को वित्तीय, कानूनी और मानव संसाधन संबंधी सहायता से लेकर साइबर में उच्च तकनीक नवाचार समूहों (High tech innovation cluster in AI), एनालिटिक्स और एआई तक की सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
    • 1,500 से अधिक GCC में पहले से ही 1.6 मिलियन लोग कार्यरत हैं, जिनके 2030 तक बढ़कर 4.5 मिलियन होने की उम्मीद की जा रही है।
  • उच्च-स्तरीय सेवा निर्यात: ऐसे केंद्रों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ भारत के सबसे बड़े सेवा संबंधी निर्यातों में से एक बन सकती हैं, जिससे आय सृजन होगा और निम्न कौशल वाले स्तरों से भी सेवाओं की माँग में वृद्धि होगी।
  • टेक स्टार्टअप: भारत के तकनीकी स्टार्टअप हालिया असफलताओं के बावजूद भी रोजगार सृजन की क्षमता प्रदान करते हैं, विशेष रूप से AI, सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर (SaaS), रक्षा और हरित प्रौद्योगिकी जैसे उद्योगों में।
    • ये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई लोगों को रोजगार प्रदान कर सकते हैं।
  • हरित रूपांतरण (Green Transition) : नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता हरित अर्थव्यवस्था में लाखों नए रोजगार सृजित करने का अवसर प्रस्तुत करती है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन, हाइड्रोजन उत्पादन और उत्सर्जन संबंधी कटौती आदि शामिल हैं ।
    •  विश्व आर्थिक मंच द्वारा भारत में “हरित अर्थव्यवस्था” के तहत 50 मिलियन शुद्ध नए रोजगार अवसरों का अनुमान लगाया गया है।
  • विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करना: छोटे और मध्यम आकार के निर्माताओं को विश्वसनीय रोजगार निर्माता बनने हेतु समर्थन प्रदान करना चाहिए I
    •  छोटे और मध्यम आकार के निर्माताओं के निम्न स्वचालन गहन (Less automation intensive) और अधिक श्रम अवशोषक (More labour absorber) होने की संभावना अधिक होती है।
  • छोटे और मध्यम निर्माताओं द्वारा भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे का लाभ उठाना: क्रेडिट उपलब्धता, संसाधनों की सुलभता, लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और ग्राहकों तक पहुँच के लिए भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे (डिजिटल कॉमर्स हेतु ओपन नेटवर्क जो बाजार के विभिन्न पक्षों को एक ही प्रोटोकॉल पर संलग्न करता है) का लाभ उठाया जा सकता है।
    • इससे छोटे और मध्यम आकर के निर्माताओं को बड़े निर्माताओं द्वारा उठाये गए लाभों को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

निष्कर्ष

भारत का आर्थिक भविष्य, एक विविध दृष्टिकोण के माध्यम से रोजगार सृजन की आवश्यकता को पूर्ण करने संबंधी क्षमता पर निर्भर करता है, जिसके अंतर्गत उच्च-स्तरीय सेवा निर्यात को बढ़ावा देना, तकनीकी क्षेत्र के उद्यमियों का पोषण करना, हरित-संक्रमण (Green Transition) को अपनाना और विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करना शामिल है।

Source: The Indian Express 

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न : (UPSC 2022)

Q-“सॉफ्टवेयर, सेवा के रूप में (Software as a Service (SaaS) ” के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. SaaS क्रयकर्ता, प्रयोक्ता अन्तरापृष्ठ को अपनी आवश्यकतानुसार निर्धारित कर आँकड़ों के क्षेत्र में बदलाव कर सकते हैं।

2. SaaS प्रयोक्ता, अपनी चल युक्तियों (मोबाइल डिवाइसेज़) के माध्यम से अपने आंकड़ों तक पहुँच बना सकते हैं।

3. आउटलुक, हॉटमेल और याहू मेल SaaS के रूप हैं।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर -d

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