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मतदाता पहचान पत्र तथा इसे आधार से जोड़ने की आवश्यकता

Lokesh Pal January 03, 2025 05:45 20 0

संदर्भ : 

फरवरी 2025 में संघ राज्यक्षेत्र दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व, आप (आम आदमी पार्टी) और भाजपा दलों ने एक-दूसरे पर मतदाता सूची में हेराफेरी करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने महाराष्ट्र में मतदाता सूची में फेरबदल को लेकर भी चिंता जताई है। इससे पारदर्शिता के लिए मतदाता पहचान-पत्र को आधार से जोड़ने संबंधी प्रश्न उठ रहे हैं।

मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के पक्ष में तर्क

  • डुप्लिकेट और फर्जी मतदाताओं को समाप्त करना : आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने से मतदाता सूची से डुप्लिकेट या फर्जी प्रविष्टियों की पहचान करने और उन्हें हटाने में मदद मिल सकती है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रत्येक नागरिक के पास केवल एक ही वोट होगा।
  • चुनावी धोखाधड़ी में कमी : आधार का बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण चुनावों के दौरान छद्मवेश और अन्य प्रकार के मतदाता धोखाधड़ी के विरुद्ध एक मजबूत निवारक के रूप में कार्य कर सकता है।
  • मतदाता सूचियों की सटीकता में सुधार : आधार को जोड़ने से निर्वाचन आयोग को वास्तविक समय में हुए प्रवसन या जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को दर्शाते हुए अद्यतन और सटीक मतदाता सूचियाँ बनाए रखने में मदद मिलेगी।
  • मतदाताओं की सुविधा में वृद्धि : आधार से जुड़ी (आधार लिंकेज) मतदाता सूचियाँ मतदाता की निर्बाध पहचान में सहायक हो सकती हैं, जिससे मतदान प्रक्रिया अधिक सुगम और सुलभ हो जाएगी।
  • चुनाव प्रबंधन में लागत दक्षता : सटीक मतदाता डेटाबेस, मतदाता सूचियों के प्रबंधन और अद्यतनीकरण तथा चुनाव संचालन से जुड़ी प्रशासनिक लागतों को कम करने में मदद कर सकता है।
  • चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता : आधार को मतदाता पहचान-पत्र से जोड़ने से चुनावी प्रक्रिया में अधिक विश्वास पैदा हो सकता है तथा हेराफेरी या पक्षपातपूर्ण व्यवहार के आरोपों पर भी अंकुश लग सकता है।

मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के विपक्ष में तर्क

  • गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के लिए जोखिम : यदि मतदाता डेटाबेस को आधार के साथ जोड़ा जाता है, तो व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग संबंधी चिंताएँ उत्पन्न होती हैं, विशेष रूप से भारत में मजबूत डेटा सुरक्षा ढाँचे  की कमी को देखते हुए यह और भी चिंताजनक है।
  • हाशिए पर व्याप्त समूहों का बहिष्कार : कई लोगों, विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में, के पास आधार नहीं है या इसे मतदाता पहचान पत्र के साथ जोड़ने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे संभावित रूप से मताधिकार से वंचित होने की संभावना है।
  • चुनावी धोखाधड़ी का कोई गारंटीकृत समाधान नहीं : यद्यपि आधार लिंकेज से डुप्लिकेट प्रविष्टियों की समस्या हल हो सकती है, लेकिन इससे वोट खरीदने या डराने-धमकाने जैसी चुनावी समस्याओं के अन्य रूपों को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है।
  • कानूनी और संवैधानिक मुद्दे : भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है, कि सब्सिडी और कल्याणकारी लाभ प्राप्त करने के अलावा आधार को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए। इसे मतदान के अधिकार से जोड़ने पर कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • दोषपूर्ण बायोमेट्रिक प्रणालियों पर निर्भरता : आधार प्रणाली का बायोमेट्रिक सत्यापन पूर्णतः विश्वसनीय नहीं है; साथ ही यह भी ज्ञात है, कि यह उन व्यक्तियों के लिए असफल हो जाती है जिनके फिंगरप्रिंट खराब हो जाते हैं या अन्य बायोमेट्रिक विसंगतियाँ होती हैं।
  • राजनीतिक दुरुपयोग की संभावना : ऐसी आशंका है कि आधार को मतदाता पहचान-पत्र से जोड़ने से मतदाता प्रोफाइलिंग और लक्षित राजनीतिक शोषण हो सकता है, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन प्रणाली  प्रभावित हो सकती है।

आगे की राह 

  • विधायी प्रक्रियाओं में सुधार और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा : सरकार को किसी भी नए विधायी प्रावधान को लागू करने से पूर्व जनता के विचारों को आमंत्रित करना चाहिए और गहन संसदीय जाँच की अनुमति देनी चाहिए। भारत जैसे लोकतंत्र में आम नागरिकों और निर्वाचित प्रतिनिधियों को उनके अधिकारों से वंचित करना अस्वीकार्य है। किसी विधेयक पर व्यापक चर्चा आवश्यक है, जिससे उसके महत्त्व, चिंताओं और समाधान के पहलुओं पर विचार किया जा सके।
  • निजता और डेटा सुरक्षा : आधार-मतदाता पहचान पत्र के एकीकरण से पहले सरकार को व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (PDP) कानून लागू करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए, कि सरकारी संस्थाओं को डेटा साझा करने के लिए व्यक्तियों की स्पष्ट सहमति लेनी होगी।
  • डुप्लीकेशन और अन्य पहचान समस्याएँ :  मतदाताओं के नामांकन में डुप्लीकेशन की समस्याएँ मौजूद हैं, लेकिन इन्हें अन्य पहचान प्रक्रियाओं से हल किया जा सकता है। आधार डेटाबेस, जो निवासियों का पहचानकर्ता है, नागरिकता सत्यापित करने के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता। एक दोष-मुक्त मतदाता सूची के लिए व्यापक विधेयक आवश्यक है, जिसमें डेटा साझा करने की सीमा, सहमति प्रक्रिया और निजता के उपाय स्पष्ट हों।

निष्कर्ष

भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए पारदर्शी विधायी प्रक्रियाएँ, दोष-मुक्त मतदाता सूची और निजता की रक्षा अत्यंत आवश्यक है। सरकार को ऐसे प्रावधान लाने चाहिए, जो नागरिक अधिकारों की रक्षा करते हुए विधायी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाएँ । इससे लोकतंत्र में जनता का विश्वास मजबूत होगा तथा एक बेहतर लोकतांत्रिक भारत का निर्माण हो सकेगा।

 

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

निर्वाचन में हेरफेर संबंधी समस्याओं को समाप्त करने में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की क्षमता का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए । निष्पक्षता और मतदाता गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए कौन-से सुरक्षा उपाय किए जा सकते हैं ?

(15 अंक, 250 शब्द)

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