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छात्रों के अधिक प्रभावी रूप से सीखने के तरीके

Lokesh Pal May 29, 2025 05:15 26 0

संदर्भ:

अनुभव आधारित शिक्षा व्यक्ति में समालोचनात्मक सोच और परिस्थितियों के अनुसार ढलने की क्षमता विकसित करती है, जो वर्तमान ज्ञान-प्रधान युग में एक अत्यंत आवश्यक कौशल (skill) बनता जा रहा है।

अनुभवात्मक शिक्षा का आशय:

  • इसका अर्थ है अनुभव के माध्यम से सीखना, केवल सिद्धांतों के आधार पर नहीं।
  • सैद्धांतिक आधार: यह शिक्षाशास्त्री डेविड कोल्ब ( David Kolb) के कार्य पर आधारित है, और जॉन डेवी (John Dewey), जीन पियाजे (Jean Piaget) तथा कर्ट लेविन (Kurt Lewin) द्वारा समर्थित है।

 गार्डनर एवं कोल्ब के शिक्षण सिद्धांत:

  •  गार्डनर का बहु-बौद्धिकता सिद्धांत: बुद्धिमत्ता एकसमान नहीं होती (जैसा कि पारंपरिक रूप से माना जाता है), बल्कि यह बहुआयामी होती है और लोग विभिन्न प्रकार से अपने कौशलों का उपयोग करते हुए अलग-अलग तरीकों से सीखते हैं।
  •  कोल्ब का अनुभवात्मक शिक्षण सिद्धांत (ELT): अधिगम एक चक्रीय प्रक्रिया है जो अनुभव पर आधारित होती है, और व्यक्ति सबसे बेहतर तभी सीखते हैं जब वे सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और उस अनुभव पर चिंतन करते हैं।
    •  कोल्ब के अनुभवात्मक शिक्षण चक्र के 4 चरण:
      •  ठोस अनुभव: प्रत्यक्ष और व्यावहारिक क्रिया।
      •  चिंतनात्मक अवलोकन: अनुभव की समीक्षा और विश्लेषण।
      •  अमूर्त अवधारणात्मकता: अवधारणाओं और विचारों का निर्माण करना।
      •  व्यावहारिक जीवन में सक्रिय प्रयोग: नए विचारों को वास्तविक जीवन में सक्रिय रूप से प्रयोग करना।
      •  अनुभवों का व्यावहारिक चक्र हर बार गहन सीखने की संस्कृति को दोहराता रहता है।

अनुभवात्मक शिक्षण की आवश्यकता के कारण:

  • परीक्षा-केंद्रित प्रणाली: वर्तमान शिक्षा केवल रटकर याद करने और उच्च दबाव वाली परीक्षाओं पर केंद्रित है, न कि वास्तविक समझ या कौशल विकास पर
  • आलोचनात्मक सोच का अभाव: छात्र मुख्य रूप से आधारभूत कौशल जैसे स्मृति और समझ विकसित करते हैं; जबकि आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता की उपेक्षा होती है।
    •  ब्लूम के वर्गीकरण के अनुसार: स्मृति सबसे आधारभूत है, जबकि सृजनात्मकता इसका शीर्ष स्तर है।
  • वास्तविक दुनिया की जरूरतों से संगत न होना: आज की दुनिया सहयोग, समस्या-समाधान और अनुकूलनशीलता जैसी क्षमताओं की मांग करती है, जिन्हें केवल परीक्षा से नहीं सीखा जा सकता।
  • सामाजिक-भावनात्मक विकास: स्कूलों को छात्रों को न केवल शैक्षणिक रूप से ही, बल्कि पारस्परिक संबंधों और आत्म-जागरूकता की दृष्टि से भी तैयार करना चाहिए
  • समग्र शिक्षा: सीखने में सांस्कृतिक, भावनात्मक और नागरिक योग्यताएँ शामिल होनी चाहिए, जिन्हें अनुभवात्मक शिक्षा पोषित करने में मदद करती है।
  • शहरी-ग्रामीण अंतर को पाटना: यदि इसे समान रूप से लागू किया जाए, तो अनुभवात्मक शिक्षा सभी छात्रों को सार्थक रूप से शामिल करके असमानताओं को कम कर सकती है।
  • न्यूरोप्लास्टिसिटी: यह मस्तिष्क अनुभव के साथ पुनर्गठित और अनुकूलित हो सकता है और अनुभवात्मक शिक्षा इस क्षमता का उपयोग करके जीवन भर सीखने की संस्कृति को संभव बनाती है।

अनुभवात्मक शिक्षण से संबंधित प्रचलित तरीके:

  • पूछताछ-आधारित शिक्षा: छात्र प्रयोगों और प्रश्नों के माध्यम से विषयों को गहराई से समझने का प्रयास करते हैं।
  • सहयोगात्मक शिक्षा: समूह आधारित सामूहिक गतिविधियाँ छात्रों को सहपाठियों से सीखने और विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने के अवसर प्रदान करती हैं।
  • भूमिका निर्वहन और सिमुलेशन: वास्तविक जीवन की परिस्थितियों को अभिनय द्वारा प्रस्तुत करना सहानुभूति और निर्णय लेने की क्षमता विकसित करता है।
  • कला और हस्तकला: रचनात्मक गतिविधियाँ विषयों की गहन समझ को प्रोत्साहित करती हैं और अभिव्यक्ति की संस्कृति को सशक्त बनाती हैं।
  • बाहरी शिक्षा: फील्ड ट्रिप कक्षा की पढ़ाई को वास्तविक दुनिया के अनुभवों से संबद्ध करने में सक्षम बनाती हैं।
  • खेल और गतिविधियाँ: इंटरैक्टिव अभ्यास सीखने को रोचक और यादगार बनाते हैं।
  • फ़्लिप्ड क्लासरूम: छात्र पाठ्य सहगामी सामग्री को घर पर सीखते हैं और कक्षा में उस पर चर्चा तथा व्यावहारिक अनुप्रयोग करते हैं।
  • प्रौद्योगिकी और सिमुलेशन: डिजिटल संसाधन अमूर्त या दूरस्थ अवधारणाओं को सजीव रूप में प्रस्तुत करते हैं, जैसे वर्चुअल लैब्स आदि।

अनुभवात्मक शिक्षण से संबंधित चुनौतियाँ:

  • संसाधन गहन प्रक्रिया: इसके लिए प्रशिक्षित शिक्षकों, सामग्री, लॉजिस्टिक्स और बुनियादी संरचना की आवश्यकता होती है, जिसकी भारत में अक्सर कमी रहती है।
  • छात्रों की तत्परता: अनेक छात्र विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, उन बुनियादी कौशलों से वंचित हैं जो अनुभवात्मक शिक्षण से लाभ उठाने के लिए आवश्यक हैं।
    •  उदाहरण: क्या कक्षा आठ के वे छात्र जो कक्षा दो स्तर की अंग्रेजी समझने में संघर्ष करते हैं, वे आलोचनात्मक सोच के लिए तैयार हैं?
  • मूल्यांकन संबंधी कठिनाई: रचनात्मकता या सहयोग जैसे अनुभवात्मक परिणामों को मापना जटिल होता है।
    •  सांस्कृतिक और भाषाई बाधाएँ भी परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं।
  • एक समान मॉडल की सीमाएँ: समान अनुभवात्मक तरीके अलग-अलग पृष्ठभूमि और क्षमताओं वाले विविध शिक्षार्थियों के अनुकूल नहीं हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

हालाँकि, इसका अर्थ यह नहीं है कि अनुभवात्मक शिक्षण के लिए सम्पूर्ण प्रणाली में व्यापक बदलाव की आवश्यकता है; इसे वर्तमान व्यवस्था में समग्र दृष्टिकोण के रूप में सम्मिलित किया जा सकता है।

  • अनुभवात्मक शिक्षण में विभिन्न अधिगम शैलियों वाले छात्रों को सशक्त बनाने की क्षमता होती है

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न. भारत की परीक्षा-केंद्रित शिक्षा प्रणाली उच्च स्तरीय संज्ञानात्मक कौशलों को किस प्रकार बाधित करती है और अनुभवात्मक शिक्षण किन तरीकों से इन कमियों को दूर कर सकता है? इसका मूल्यांकन कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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