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भारत को एक नए आर्थिक मॉडल की आवश्यकता क्यों है

Lokesh Pal December 27, 2025 05:15 23 0

संदर्भ:

1991 के एलपीजी (LPG – उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण) सुधारों के बाद उच्च जीडीपी विकास दर के बावजूद, भारत अपने वर्त्तमान आर्थिक मॉडल से उत्पन्न एक गंभीर बहुआयामी सामाजिक-आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

वर्तमान आर्थिक मॉडल से उत्पन्न संकट:

  • रोजगारविहीन संवृद्धि (Jobless Growth):2% की जीडीपी विकास दर के बावजूद, भारत रोजगारविहीन संवृद्धि का अनुभव कर रहा है।
    • इसका प्रमाण हज़ारों पीएचडी (PhD) धारकों और इंजीनियरों द्वारा चपरासी (Peon) के पदों के लिए आवेदन करने से मिलता है।
    • 800 मिलियन लोगों को अभी भी खाद्य सब्सिडी की आवश्यकता है, जो यह दर्शाता है कि विकास का लाभ जनसमूह तक नहीं पहुँच रहा है।
  • प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised Unemployment): 60% आबादी कृषि पर निर्भर है, फिर भी यह क्षेत्र जीडीपी में केवल 15-20% का योगदान देता है, जिससे निम्न उत्पादकता और किसानों की आत्महत्या जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • निर्जन गाँव (Ghost Villages): पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में युवा अवैध रूप से विदेश प्रवास के लिए जमीनें बेच रहे हैं, जिससे पीछे छूटे गाँवों में केवल बुजुर्ग ही रह गए हैं।
  • क्षेत्रीय असमानता (Regional Disparity): भारत की जीडीपी में केवल 10 शहरों का योगदान 25% है, जिससे अत्यधिक शहरी संकुलन (Urban Congestion) और मलिन बस्तियों (Slums) में रहने वाले प्रवासियों के बीच सामाजिक संबंधों का विखंडन हो रहा है।
  • कठोर जीवन स्थितियाँ: शहरों में व्यापक वायु और जल प्रदूषण है, और अधिकारी नगरपालिका सेवाओं की बढ़ती मांग के साथ तालमेल बिठाने में असमर्थ हैं।
    • उदाहरण: सर्दियों में, नई दिल्ली और भारत के कई अन्य शहरों की वायु लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक (Hazardous) हो जाती है।
    • मेट्रो वाले शहरों में भी यातायात संकुलन (Traffic Congestion) और विलंब की स्थिति अत्यंत भयावह है।
  • रुपये की गिरावट: रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए 2006 की तारापोर समिति (Tarapore Committee) की योजना अभी भी अप्रभावित है क्योंकि डॉलर के मुकाबले मुद्रा में गिरावट जारी है।
  • सीमित तकनीकी नेतृत्व: सकारात्मक पक्ष पर, भारत को सॉफ्टवेयर और फार्मास्यूटिकल्स जैसे ज्ञान-आधारित क्षेत्रों में काफी सफलता मिली है, लेकिन वहाँ भी यह वैश्विक अग्रणी (World Leader) नहीं है।
    • कोविड-19 काल के दौरान, भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने कई देशों के लिए टीकों का उत्पादन किया, लेकिन इसकी तकनीक आयातित थी।
    • भारत ने अभी तक एक भी विश्व स्तरीय एआई/एमएल (AI/ML) ऐप विकसित नहीं किया है।
    • इसके अलावा, भारत अन्य उभरती विश्व-प्रमुख तकनीकों जैसे बैटरी और भंडारण, इलेक्ट्रिक वाहन (EV), नई फार्मास्यूटिकल्स और जीन एडिटिंग (Gene Editing) में अग्रणी भूमिका नहीं निभा रहा है, जबकि इसमें क्षमता विद्यमान है।

निष्कर्ष:

वर्त्तमान मॉडल के लगभग 35 वर्षों के बाद, भारत की शैक्षणिक संस्थाओं, थिंक टैंकों और जागरूक नागरिकों को भारत के लिए एक नए आर्थिक मॉडल की विशेषताओं पर तुरंत ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह तात्कालिकता इसलिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2047 में केवल 22 वर्ष ही शेष हैं।

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत के 1991 के बाद के आर्थिक मॉडल ने उच्च जीडीपी विकास तो प्रदान किया है, लेकिन यह पर्याप्त रोजगार सृजन या संतुलित क्षेत्रीय विकास में परिवर्तित नहीं हो पाया है। इस विकास मॉडल की संरचनात्मक सीमाओं का परीक्षण कीजिए और 2047 में स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते भारत के लिए एक नए आर्थिक मॉडल की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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