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खेलों को राष्ट्रीय प्राथमिकता क्षेत्र क्यों बनाया जाना चाहिए?

Lokesh Pal November 05, 2025 05:30 18 0

संदर्भ:

भारत खेलों को अवकाश की गतिविधि के बजाय रणनीतिक राष्ट्रीय निवेश के रूप में देख रहा है, साथ ही राष्ट्रीय खेल नीति 2025 का लक्ष्य खेलों को शिक्षा, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास के साथ एकीकृत करना है।

खेल में निवेश का औचित्य

  • विकास का इंजन: खेल एक ऐसी आबादी का निर्माण करता है जो स्वस्थ, कुशल, लचीली और आत्मविश्वासी होती है, जो एक उन्नत अर्थव्यवस्था का “इंजन” है।
  • विरासत नियोजन: प्रमुख आयोजनों की मेजबानी करते समय विरासत नियोजन पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परिणामी बुनियादी ढाँचे और निवेश से स्थायी सामाजिक बदलाव हो, जहाँ खेल दैनिक जीवन का हिस्सा बन जाएं।

नई राष्ट्रीय खेल नीति (NSP) 2025

  • प्रासंगिक उत्कृष्टता पर ध्यान देना: हालाँकि चुनौती यह है कि कभी-कभार मिलने वाली जीत का जश्न मनाने से आगे बढ़कर खेलों को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाया जाए
  • पारिस्थितिकी तंत्र पर ध्यान: NSP 2025 पहले की नीतियों से अलग है, जिसमें कुलीन प्रतिभाओं और पदकों पर बल दिया जाता था, इसके बजाय वर्त्तमान में जमीनी स्तर पर, शिक्षा और पेशेवर स्तरों पर संपूर्ण खेल पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • NSP 2025 के पांच परस्पर जुड़े स्तंभ:
    • उत्कृष्टता: पदक प्राप्त करना और शीर्ष प्रदर्शन करना।
    • शिक्षा: खेलों को अकादमिक अध्ययन के साथ एकीकृत करना।
    • सामूहिक भागीदारी: यह सुनिश्चित करना कि हर कोई खेले।
    • आर्थिक विकास: खेलों के माध्यम से रोजगार और धन का सृजन।
    • सामाजिक विकास: खेल के माध्यम से समाज में सुधार।
  • खेल और शारीरिक गतिविधि (SAPA): नीति में SAPA शब्द का उल्लेख किया गया है तथा विभिन्न क्षेत्रों में इसके एकीकरण की वकालत की गई है:
    • शिक्षा: खेल-कूद के समय को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, इसे खाली समय नहीं समझना चाहिए।
    • शहरी नियोजन: नए शहरों के निर्माण के समय खेल के मैदान अनिवार्य होने चाहिए।
    • स्वास्थ्य देखभाल: डॉक्टरों को 30 मिनट तक पैदल चलने/शारीरिक गतिविधि करने की सलाह देनी चाहिए।
    • आर्थिक नीति निर्माण: खेल वित्तपोषण का उचित बजट निर्धारण किया जाना चाहिए।
  • सार्वजनिक कल्याण: खेल को एक सार्वजनिक कल्याण के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो सभी को लाभ पहुंचाता है, तथा एक बल गुणक है, जहाँ निवेश किया गया प्रत्येक रुपया बेहतर स्वास्थ्य, मजबूत समुदायों और आर्थिक विकास में कई गुना लाभ प्रदान करता है।

आर्थिक क्षमता और स्वास्थ्य लाभ

  • वर्तमान आर्थिक स्थिति: भारत के सकल घरेलू उत्पाद में खेलों का योगदान मात्र 0.1% तथा कुल रोजगार में 0.5% है, जबकि विकसित देशों में यह GDP में 1-6% तथा कुल रोजगार में 4% है, जो महत्वपूर्ण विकास क्षमता को दर्शाता है
  • 2047 का लक्ष्य (विकसित भारत): 2047 तक खेल GDP में 2% का योगदान दें तथा कुल रोजगार में 4% का सृजन करें।
  • रोजगार सृजन क्षेत्र: खेलों में प्रमुख विकास के अवसरों में बुनियादी ढाँचा, खेल प्रौद्योगिकी (डेटा एनालिटिक्स, ऐप्स, फैंटेसी लीग), गेमिंग, विनिर्माण (उपकरण, परिधान), सेवाएं (फिटनेस प्रशिक्षक, फिजियोथेरेपिस्ट, पोषण विशेषज्ञ) और मीडिया (पत्रकारिता, प्रसारण) शामिल हैं।
  • मूक महामारी से मुकाबला: भारत में 60% से ज़्यादा मौतें मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी गैर-संचारी बीमारियों (NCD) के कारण होती हैं। खेल आवश्यक निवारक स्वास्थ्य सेवा के रूप में कार्य करते हैं, जीवनशैली संबंधी जोखिमों (मोटापा, स्क्रीन टाइम) से निपटने और मानसिक स्वास्थ्य (अवसाद, चिंता) में सुधार करते हैं।
  • वित्तीय प्रभाव: यदि भारत सक्रिय हो जाए तो 2047 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की लागत में 15 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है

कार्यान्वयन और सहकारी संघवाद

  • राज्य का विषय: खेल राज्य का विषय है
  • सफलता की कहानी: ओडिशा को एक प्रमुख उदाहरण के रूप में उद्धृत किया जाता है, जिसने हॉकी टीम को प्रायोजित किया, विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचे (कलिंग स्टेडियम) का निर्माण किया, और प्रमुख कार्यक्रमों की मेजबानी की, जिससे राज्य का प्रभावी नेतृत्व प्रदर्शित हुआ।
  • केन्द्र की भूमिका: केन्द्र सरकार को राज्यों को प्रोत्साहित करना चाहिए तथा धन, विशेषज्ञता और प्रशिक्षण उपलब्ध कराना चाहिए।
  • निगरानी और प्रेरणा: खेलों को बढ़ावा देने, सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने और क्षेत्रों में निरंतर सुधार को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों को रैंक करने के लिए खेल और शारीरिक गतिविधि का एक राष्ट्रीय सूचकांक (SAPA) विकसित किया जाना चाहिए।
  • निजी क्षेत्र की आवश्यकता: महत्वाकांक्षी 2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र की मजबूत भागीदारी की आवश्यकता है, जिसमें अकादमियां (जैसे JSW स्पोर्ट्स, रिलायंस फाउंडेशन), स्पोर्ट्स टेक स्टार्टअप और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहल शामिल हैं।

निष्कर्ष

खेलों में निवेश करना कोई लागत नहीं बल्कि एक रणनीतिक राष्ट्रीय निवेश है जो एक स्वस्थ समाज और मजबूत अर्थव्यवस्था का निर्माण करता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: खेलों को राष्ट्रीय विकासात्मक प्राथमिकता के बजाय एक विवेकाधीन क्षेत्र के रूप में देखा जाता है। खेलों को प्राथमिकता वाले क्षेत्र का दर्जा क्यों दिया जाना चाहिए? इस बदलाव को संस्थागत रूप देने के लिए किन नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है?

(10 अंक, 150 शब्द)

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