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महिला एवं बाल सशक्तीकरण: तकनीक का उपयोग

Lokesh Pal July 02, 2025 05:15 13 0

संदर्भ:

सामान्यतः समाज के किसी भी वर्ग का सशक्तिकरण मूलभूत आवश्यकताओं तक आसान पहुंच से संभव है। जिनमें मुख्यतः  अधिकार, सेवाएं, सुरक्षा और अवसर आदि शामिल हैं। 

  • पिछले दशक में, अधिक समावेशी और डिजिटल रूप से सशक्त भारत के निर्माण के लिए सरकार की केंद्रित प्रतिबद्धता के माध्यम से इस पहुंच को पुनः परिभाषित और लोकतांत्रिक बनाने का प्रयास किया गया था।

सशक्तिकरण की डिजिटल रीढ़:

  • हालांकि भारत का सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा महत्वपूर्ण रहा है। 
  • इसने जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) त्रिमूर्ति के माध्यम से अभूतपूर्व वित्तीय समावेशन को सुगम बनाया है और विभिन्न क्षेत्रों में विश्वसनीय पहचान सत्यापन को सक्षम बनाया है। यह डिजिटल ढांचा निम्नलिखित का समर्थन करता है:
    • वास्तविक समय डेटा प्रणालियाँ: ये प्रणालियाँ सूचना का त्वरित विश्लेषण करने में सक्षम बनाती हैं, तथा सूचित नीति-निर्माण के लिए अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।
    • उत्तरदायी शासन: ऑनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, वेब पोर्टल और समर्पित एप्लिकेशन नागरिकों को अधिकारियों से सीधे संपर्क करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि शिकायतों की उचित सुनवाई हो और उनका तुरंत समाधान हो।

प्रमुख पहल और तकनीकी हस्तक्षेप:

  • सक्षम आंगनवाड़ी पहल और पोषण 2.0 कार्यक्रम:
    • आंगनवाड़ी केंद्रों का आधुनिकीकरण: सक्षम आंगनवाड़ी पहल के तहत लगभग 2 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों का आधुनिकीकरण और तकनीकी रूप से उन्नयन किया गया है। ये केंद्र स्मार्ट बुनियादी ढांचे, डिजिटल उपकरणों और नवीन उपकरणों से सुसज्जित हैं, जो महिलाओं और बच्चों के लिए अधिक प्रभावी साबित हो रहे हैं।
    • एकीकृत सेवा वितरण: पोषण 2.0 जैसे कार्यक्रमों की प्रभावशीलता सीधे तौर पर इन आधुनिक आंगनवाड़ी केंद्रों से जुड़ी हुई है। पोषण ट्रैकर, एक समर्पित वेब पोर्टल और एप्लिकेशन की मदद से 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में सेवाओं को एकीकृत किया गया है।
    • बेहतर पोषण वितरण: पोषण ट्रैकर सटीक डेटा प्रविष्टि, सावधानीपूर्वक योजना और पोषक तत्व पूरक वितरण की सटीक ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करता है। यह घर-घर जाकर पॉप-अप संदेश और सूचनाएं भी भेजता है, जिससे लाभार्थियों को आवश्यक सामग्री की कुशल डिलीवरी सुनिश्चित होती है।
    • व्यापक प्रभाव: इस पहल से 10.14 करोड़ व्यक्तियों को लाभ मिलेगा, जिनमें गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं, छह वर्ष से कम आयु के बच्चे और किशोर लड़कियां शामिल हैं।
    • आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाना: वर्तमान डिजिटल युग में लगभग सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन से लैस किया गया है और उन्हें निरंतर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जिससे वे लाभार्थियों की जरूरतों का शीघ्र पता लगाने और उन्हें समझने में सक्षम हो जाती हैं।
    • स्वास्थ्य और पोषण के लिए विजन: पोषण ट्रैकर सक्रिय रूप से ‘ स्वस्थ भारत’ (अच्छी स्वच्छता के साथ स्वस्थ भारत) और ‘सुपोषित भारत’ (पोषण संबंधी कमजोरियों से मुक्त सुपोषित भारत) के विजन में योगदान देता है, जिसका लक्ष्य अधिकतम शारीरिक प्रदर्शन करना है।
    • सामुदायिक केंद्र: आंगनवाड़ी केंद्र अब डिजिटल रूप से सशक्त सामुदायिक केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों को महत्वपूर्ण सेवाओं तक पहुंच प्राप्त करने और समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलती है, जिससे शहरी-ग्रामीण विभाजन को प्रभावी ढंग से हल किया जा सकता है।
    • राष्ट्रीय मान्यता: राष्ट्रीय विकास में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को वर्ष 2025 के लोक प्रशासन उत्कृष्टता के लिए, विशेष रूप से ‘पोषण भी और पढ़ाई भी’ अवधारणा के लिए, प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • प्रौद्योगिकी के साथ रिसाव का मुकाबला: प्रौद्योगिकी के रणनीतिक उपयोग, विशेष रूप से आधार-आधारित बायोमेट्रिक पहचान और चेहरे की पहचान प्रणालियों के उपयोग से, सरकारी लाभों के वितरण में लीकेज में काफी कमी आई है। 
    • इससे यह सुनिश्चित होता है कि पोषण संबंधी पूरक सामग्री और अन्य सामग्रियां केवल पात्र व्यक्तियों तक ही पहुंचाई जाएं, जिससे धोखाधड़ी वाले दावों को रोका जा सके और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
  • महिला सुरक्षा और सहायता के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म:
    • शी-बॉक्स पोर्टल: यह एकल खिड़की पोर्टल है, जहां महिलाएं कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 के  तहत कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के संबंध में शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
    • मिशन शक्ति डैशबोर्ड और मोबाइल एप्लीकेशन: यह प्लेटफॉर्म संकट में फंसी महिलाओं को तत्काल सहायता प्रदान करता है। इस एप्लीकेशन के माध्यम से महिलाएं अपने नजदीकी वन स्टॉप सेंटर को सूचित कर सकती हैं, जो अब देश भर के लगभग प्रत्येक जिले में उपलब्ध है।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): वर्ष 2022 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना पहली संतान के लिए रु॰5,000 और दूसरी संतान लड़की होने पर रु॰6,000 की वित्तीय सहायता प्रदान करती है
    • प्रमुख लाभ : यह योजना बच्चों के प्रारंभिक पोषण और माताओं के शारीरिक स्वास्थ्य में सहायता करती है। 
    • इसके माध्यम से दूसरी बालिका के जन्म के लिए प्रोत्साहन से लिंगानुपात पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा महिला जनसंख्या की वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता है, जिससे महिला सशक्तिकरण में योगदान मिलता है।
    • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): यह योजना वित्तीय हस्तांतरण के लिए, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण प्रणाली का उपयोग करती है, बिचौलियों को समाप्त करती है और यह सुनिश्चित करती है कि धनराशि सीधे लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित हो।
    • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): एक डिजिटल रूप से प्रोग्राम की गई योजना है, जिसमें आधार-आधारित प्रमाणीकरण और मोबाइल-आधारित पंजीकरण का उपयोग किया जाता है, जिसमें सभी वित्तीय लेनदेन ऑनलाइन किए जाते हैं। आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा स्थानीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना : डिजिटल ट्रैकिंग द्वारा समर्थित ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्धता के ठोस परिणाम सामने आए हैं। 
    • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के अनुसार, लिंगानुपात प्रति 1000 लड़कों पर 918 (2014-15) से सुधरकर 930 (2023-24) हो गया है।
    • इसके अतिरिक्त मातृ मृत्यु दर (MMR) में भी सुधार देखा गया है, जो माताओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल परिणामों का संकेत देता है। 
  • बाल संरक्षण और न्याय: 2015 का किशोर न्याय अधिनियम बाल संरक्षण के प्रयासों को बल देता है। इस विचार के माध्यम से, CARINGS पोर्टल ने अनाथ बच्चों के लिए गोद लेने की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव किया है, जिससे यह पारदर्शी, सुलभ और कुशल बन गया है।
    • केयरिंग्स (बाल दत्तक ग्रहण संसाधन सूचना एवं मार्गदर्शन प्रणाली): यह पोर्टल गोद लेने की आवश्यकता वाले बच्चों की सूची बनाता है, भावी माता-पिता को जानकारी तक पहुंच प्रदान करता है, तथा बच्चे के कल्याण और शोषण से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए  दत्तक माता-पिता के व्यवहार की निगरानी करता है।
    • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग लगातार बाल अधिकारों पर नज़र रखता है और सिफारिशें प्रदान करता है।
    • मिशन वात्सल्य डैशबोर्ड बाल संरक्षण के प्रयासों को और मजबूत करता है।

निष्कर्ष:

नया भारत प्रौद्योगिकी के रणनीतिक उपयोग के माध्यम से शासन को स्पष्ट रूप से प्रगतिशील बना रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की डिजिटल पहलों ने न केवल प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया है, बल्कि ठोस सकारात्मक परिणाम भी दिए हैं, जिससे पूरे देश में महिलाओं और बच्चों के सशक्तीकरण का एक नया युग शुरू हुआ है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: डिजिटल गवर्नेंस प्लेटफॉर्म के एकीकरण से भारत में महिलाओं के लिए अधिकारों  और कानूनी सुरक्षा तक पहुँच में किस हद तक सुधार हुआ है? शी-बॉक्स और मिशन शक्ति जैसी योजनाओं के माध्यम से इसे उदाहरण देकर समझाइए। 

(15 अंक, 250 शब्द)    

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