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भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में महिला सशक्तिकरण

Lokesh Pal April 11, 2025 05:00 9 0

संदर्भ:

हाल ही में, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की भारत की स्टार्टअप नवाचार प्राथमिकताओं पर की गई टिप्पणियों ने उद्यमी समुदाय के भीतर बहस बढ़ा दी है।

भारत में महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप की स्थिति:

  • मान्यता प्राप्त स्टार्टअप: भारत में 1.6 लाख स्टार्टअप हैं जिन्हें सरकार द्वारा समर्थन और मान्यता प्राप्त है। लगभग 73,000 से ज़्यादा स्टार्टअप (लगभग आधे) में कम से कम एक महिला निदेशक हैं, जो बढ़ते लैंगिक समावेशन को दर्शाता है।
  • वैश्विक स्थिति: ट्रैक्सन की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं द्वारा स्थापित तकनीकी स्टार्टअप द्वारा जुटाई गई फंडिंग के मामले में भारत अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। इसके अलावा देश में लगभग 7,000 स्टार्टअप महिलाओं द्वारा संचालित हो रहे हैं, जो भारत के समस्त स्टार्टअप का 7.5% है।

स्टार्टअप्स के बारे में:

  • परिभाषा: स्टार्टअप एक नव स्थापित कंपनी होती है, जो आम तौर पर नवीन उत्पादों या सेवाओं को देने के लिए सीमित संसाधनों के साथ एक छोटे से समूह के माध्यम से बनाई जाती है।
  • योजना: स्टार्टअप इंडिया पहल (2016) युवा और महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
  • स्टार्टअप के प्रकार: रिसर्जेंट इंडिया के अनुसार, स्टार्टअप के मुख्य प्रकारों में स्केलेबल स्टार्टअपलघु व्यवसाय स्टार्टअपलाइफस्टाइल स्टार्टअपखरीदने योग्य स्टार्टअपबड़े व्यवसाय स्टार्टअप और सामाजिक स्टार्टअप शामिल हैं

स्टार्टअप के लिए पात्रता मानदंड:

  • संस्था की आयु: ऐसा संस्थान निगमन की तिथि से 10 वर्ष से कम पुराना नहीं होना चाहिए।
  • पंजीकरण का प्रकार: प्राइवेट लिमिटेड कंपनीपंजीकृत भागीदारी फर्म या एलएलपी के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।
  • वार्षिक कारोबार सीमा: निगमन के बाद से किसी भी वित्तीय वर्ष में रु॰ 100 करोड़ से अधिक नहीं होनी  चाहिए।
  • व्यवसाय संरचना: वह किसी मौजूदा व्यवसाय को विभाजित या पुनर्निर्माण करके नहीं बनाई जानी  चाहिए।
  • नवप्रवर्तन और मापनीयता: किसी उत्पाद, प्रक्रिया या सेवा के विकास या सुधार की दिशा में काम किया होना चाहिए। इसके अतिरिक्त धन और रोजगार सृजन की उच्च क्षमता के साथ एक मापनीय व्यवसाय मॉडल होना चाहिए

महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए सरकारी पहल:

  • प्रक्रिया को सरल बनाना: स्टार्टअप इंडिया कार्य योजना और स्टार्टअप इंडिया: आगे की राह कार्यक्रम ने नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाया है, वित्तपोषण सहायता प्रदान की है, और एक जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक साझेदारियों को प्रोत्साहित किया है।
  • क्षमता निर्माण: महिला उद्यमियों के लिए स्टार्टअप इंडिया क्षमता विकास कार्यक्रम के द्वारा 10 राज्यों में 24 कार्यशालाएं आयोजित की, जिससे 1,300 से अधिक महिलाएं परामर्श और व्यावसायिक मार्गदर्शन के माध्यम से लाभान्वित हुईं।
  • सरकारी वित्तपोषण पहल: स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) स्टार्टअप्स को प्रारंभिक चरण की पूंजी प्रदान करती है।
    • स्टार्टअप्स के लिए फंड्स ऑफ फंड्स (FFS) योजना : यह उद्यम पूंजी फर्मों के माध्यम से अप्रत्यक्ष वित्तपोषण सहायता प्रदान करता है। 
    • स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी योजना (CGSS) : यह स्टार्टअप्स के लिए संपार्श्विक-मुक्त ऋण उपलब्ध कराती है।
  • विनियामक सरलता: सरकार ने टर्नओवर में छूट, पेटेंट आवेदनों को तेजी से निपटाने और आयकर में छूट देकर अनुपालन मानदंडों को आसान बनाया है। इन सुधारों से विशेष रूप से खुदरा, एडटेक और एंटरप्राइज़ टेक में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप को लाभ हुआ है

महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप और प्रभाव:

  • नए युग के क्षेत्र: महिला उद्यमी बी2सी ई-कॉमर्स इंटरनेट-प्रथम ब्रांडस् और फैशन प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण प्रगति कर रही हैं, जो उपभोक्ता-संचालित डिजिटल बाजारों में उनके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
  • सार्वजनिक लिस्टिंग में वृद्धि: जबकि महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप द्वारा अधिग्रहण की संख्या 2021 में 45 से घटकर 2024 में केवल 16 हो गई है, सार्वजनिक लिस्टिंग में वृद्धि हुई है।
  • 2024 में आईपीओ में उल्लेखनीय वृद्धि: 2024 में पांच महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप सार्वजनिक किए गए थे जो इस प्रकार हैं:
    • मोबिक्विक (MobiKwik)
    • उषा फाइनेंशियल।
    • तुनवाल।
    •  इंटीरियर।
    • लॉसिखो।
  • रिसर्जेंस इंडिया रिपोर्ट:  रिसर्जेंस इंडिया के अनुसार, वित्तीय सहायतामार्गदर्शन और एक स्थायी उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र महिला उद्यमियों को महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान कर रहा है।
  • सहायक कारक: अतिरिक्त सहायक कारकों में शामिल हैं: शिक्षापरिवार का समर्थनआत्मविश्वासकौशल प्रशिक्षणविपणन सहायतानियामक छूट, तथा  व्यावसायिक भूमिकाओं में लचीलापन और स्वायत्तता, जो महिलाओं के लिए प्रमुख प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं।
  • समग्र लैंगिक परिदृश्य पर प्रभाव: उद्यमिता के माध्यम से महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता से घरेलू निर्णय लेने की शक्ति में सुधार हो सकता है और पारंपरिक लिंग भूमिकाओं में संभावित बदलाव हो सकता है।
  • दोहरा बोझ: अध्ययनों से ज्ञात होता है कि काम का दोहरा बोझ  महिलाओं पर पड़ रहा है क्योंकि घरेलू ज़िम्मेदारियाँ कई महिलाओं के लिए अपरिवर्तित हैं। व्यवसाय का प्रकार (गतिशील बनाम आवश्यकता-संचालित) एक महिला की सामाजिक और पारिवारिक स्थिति को प्रभावित करता है

भारत में महिला उद्यमिता का वर्तमान परिदृश्य:

  • महिला उद्यमियों के लिए मास्टरकार्ड सूचकांक (2021): इस सूचकांक में, भारत विश्व के कुल 65 देशों में से 57वें स्थान पर है, जो महिला उद्यमियों के लिए सीमित समर्थन और अवसरों को दर्शाता है।
  • ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप रिसर्च एसोसिएशन (2020): भारत की उद्यमशीलता प्रणाली काफी हद तक आवश्यकता-संचालित है, जो कम अवसर-आधारित उपक्रमों को दर्शाती है। 
    • केवल 2.6% महिला वयस्क आबादी उद्यमशीलता गतिविधियों में लगी हुई है।
  • MSMEs वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 के निष्कर्ष: भारत में 80% उद्यम पुरुषों के स्वामित्व वाले हैं।
    • यदि शहरी क्षेत्रों का रुख किया जाए तो ज्ञात होता है कि वहाँ केवल 18.42% उद्यमों का स्वामित्व महिलाओं के पास है। महिलाओं के पास लघु या मध्यम उद्यमों की तुलना में सूक्ष्म उद्यमों का स्वामित्व होने की अधिक संभावना है। → यह भारत में उद्यम स्वामित्व के लिंग आधारित वितरण को दर्शाता है।
  • प्रमुख चुनौतियाँ एवं बाधाएं: महिला उद्यमियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिनमें ग्राहक ऑर्डरों की कमीघरेलू जिम्मेदारियांव्यक्तिगत कर्तव्यआपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानकुशल कार्यबल तक सीमित पहुंच और वित्तीय बाधाएं शामिल हैं
  • महिला श्रम बल भागीदारी: अनेक सुधारों के बावजूद भी, भारत, विश्व स्तर पर सबसे कम महिला श्रम बल भागीदारी दरों वाले देशों में से एक है।
  • महिला उद्यमी नियोक्ता के रूप में: भारत में 71% महिला उद्यमी पाँच या उससे भी कम लोगों को रोजगार देती हैं। अधिक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ, महिला उद्यमियों में अधिक रोजगार सृजित करने और आर्थिक विकास को बढ़ाने की क्षमता है।

निष्कर्ष:

हालांकि वर्तमान समय में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप दृश्यता और समर्थन प्राप्त कर रहे हैं, परंतु लैंगिक असमानतासंसाधन तक सीमित पहुंच और प्रणालीगत चुनौतियों जैसे व्यापक मुद्दे भारत के उद्यमशीलता परिदृश्य में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी को सीमित कर रहे हैं भारत में महिला उद्यमियों की पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए नीति, सलाह और वित्तीय पहुंच के माध्यम से एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता हैं।  

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में महिलाओं की भागीदारी में बाधा डालने वाले करकों की विस्तार पूर्वक जांच करें। लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप इन चुनौतियों का समाधान कैसे कर सकता है और महिला उद्यमियों के लिए अपने व्यवसाय को बढ़ाने और अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए अधिक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र कैसे बना सकता है।

(15 अंक, 250 शब्द)

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