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भारतीय विमानन क्षेत्र में महिला सुरक्षा व पिंक सीट

Lokesh Pal August 31, 2024 05:45 102 0

संदर्भ: 

भारत विमानन क्षेत्र में लैंगिक समानता से संबंधित देशों में दुनिया में सबसे आगे है। भारत में वर्तमान समय में  लगभग 15% पायलट महिलाएँ हैं, जो वैश्विक औसत 5% से कहीं ज़्यादा है। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ वूमेन एयरलाइन पायलट्स की 2021 की रिपोर्ट ने भारत की इस उपलब्धि को 12.4% महिला पायलटों के साथ फ्लाइट डेक पर लैंगिक समानता में भारत को पहला स्थान दिया गया। इस प्रगति के बावजूद, उड़ानों में यौन सुरक्षा एक महत्वपूर्ण वैश्विक चिंता बनी हुई है, जिसमें दुनिया भर में यात्रियों को उत्पीड़न और विभिन्न प्रकार के हमले की घटनाओं से प्रभावित होना पड़ रहा है।

यात्रियों के लिए यौन सुरक्षा चिंताएँ

  • यौन उत्पीड़न एक वैश्विक मुद्दा: हालांकि इस संबंध में, सटीक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन उड़ानों के दौरान महिलाओं को छेड़े जाने, छूने या अनैतिक गतिविधियों व दुर्व्यवहार की कई रिपोर्टें सामने आई हैं, ऐसी घटनाएँ जो अक्सर एयरलाइन कर्मचारियों को रिपोर्ट नहीं की जाती हैं।
  • हमलों की प्रकृति: ये हमले आम तौर पर चोरी-छिपे और अवांछित होते हैं, जिससे पीड़ितों के लिए बेहद असहज अनुभव होता है। हालाँकि समग्र रूप से महिलाएँ प्राथमिक लक्ष्य होती हैं, लेकिन ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहाँ युवा पुरुष या किशोर लड़के भी पीड़ित हुए हैं।
  • यात्रा की श्रेणी अप्रासंगिक: यौन उत्पीड़न का खतरा यात्रा की किसी विशेष श्रेणी तक सीमित नहीं है। महिलाओं को निशाना बनाया जा सकता है चाहे वे इकॉनमी क्लास में बैठी हों या फर्स्ट क्लास में, जिससे यह हर जगह एक व्यापक मुद्दा बन गया है।

दुर्व्यवहार करने वाले यात्रियों के प्रति एयरलाइन्स की प्रतिक्रिया

  • फ्लाइट स्टाफ के लिए प्रशिक्षण: अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों के पास दुर्व्यवहार करने वाले यात्रियों व अनियंत्रित यात्रियों से निपटने के लिए प्रोटोकॉल हैं, जिसमें अपराधियों को नियंत्रित करने के लिए फ्लाइट स्टाफ को प्रशिक्षित करना, उपद्रवी बनने वालों को शराब परोसना बंद करना तथा यदि आवश्यक हो, तो पीड़ितों को अन्य सीटों पर , स्थान उपलब्धता के अनुसार स्थानांतरित करना शामिल है। 
  • कानूनी उपाय: संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में, उड़ान के दौरान उत्पीड़न के शिकार लोग कानूनी उपाय की मांग कर सकते हैं, हालांकि भारत में यह विकल्प अत्यधिक बोझिल न्यायिक प्रणाली के कारण कम व्यवहार्य है।
    • उदाहरण: 2023 में एयर इंडिया की बिजनेस क्लास की उड़ान में नशे में लिप्त यात्री द्वारा पेशाब करने की घटना, इस तरह के व्यवहार को तुरंत और प्रभावी ढंग से संबोधित करने के महत्व को रेखांकित करती है।
  • “पिंक सीट्स” की शुरूआत: इंडिगो एयरलाइंस ने हाल ही में “पिंक सीट्स” की शुरूआत की है, जिससे महिलाओं को अपनी सीट चुनते समय अन्य यात्रियों की लैंगिक जानकारी को देखने की सुविधा मिलेगी और यदि वे पुरुषों के बगल में बैठने से बचना चाहती हैं तो वे महिलाओं के बगल में बैठने का विकल्प चुन सकती हैं।
    • कुछ महिलाओं के लिए अस्थायी राहत: कुछ महिलाओं के लिए, यह विकल्प पुरुष यात्रियों से संभावित अनुचित व्यवहार का सामना करने की चिंता से अस्थायी राहत प्रदान कर सकता है।
    • आरक्षित सीट विकल्पों के निहितार्थ: हालाँकि, यह दृष्टिकोण चिंताएँ पैदा करता है। जो महिलाएँ आराम को प्राथमिकता देती हैं, जैसे कि आगे या बाहर निकलने वाली पंक्ति की सीटें, या खिड़की या गलियारे वाली सीटें चुनना, वे अभी भी खुद को पुरुषों के बगल में बैठी पा सकती हैं। इससे यह धारणा बन सकती है कि जो महिलाएँ “गुलाबी सीटें” नहीं चुनती हैं, वे अधिक “व्यापक सोच वाली” या सुरक्षा संबंधी चिंताओं के प्रति उदासीन होती हैं।

अलगाव से परे यौन सुरक्षा पर ध्यान देना

  • सांस्कृतिक बदलाव की जरूरत: “मैनस्प्रेडिंग” और “मैन-सिटिंग” जैसे व्यवहारों की निरंतरता सांस्कृतिक बदलाव की जरूरत को उजागर करती है। अतः पुरुषों को जागरूक किया जाना चाहिए कि आर्मरेस्ट जैसी साझा जगहें उनका विशेष क्षेत्र नहीं हैं, और असंगत व्यवहार को स्वीकार करने के बजाय संबोधित किया जाना चाहिए।
  • महिलाओं की यौन सुरक्षा को महत्व : यौन सुरक्षा के मूल मुद्दे को महिलाओं को पुरुषों से अलग करके संबोधित नहीं किया जाना चाहिए। इसके बजाय, ध्यान अपराधियों को अलग-थलग करने और उनसे निपटने पर होना चाहिए। महिलाओं को पुरुषों के पास बैठने से वंचित करना, जागरूकता का अभाव व मानसिक धारणा या अलगाव है जो मूल समस्या का समाधान नहीं करता है।

आगे की राह 

  • शीर्ष श्रेणी के सुरक्षा प्रोटोकॉल सुनिश्चित करना: लैंगिक प्रतिनिधित्व में अग्रणी होने के नाते, इंडिगो को मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल सुनिश्चित करने में भी अग्रणी होना चाहिए। इसमें एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित और संवेदनशील चालक दल होना चाहिए जो उत्पीड़न के मामलों को जल्दी और कुशलता से पहचान कर उन पर कार्रवाई करने में सक्षम हो।
  • घेट्टोकरण को अस्वीकार करना: इसका तात्पर्य है (ghettoization) पृथक्करण। एयरलाइन को महिलाओं को “गुलाबी सीटों” जैसी पहलों के साथ खुद को अलग-थलग करने के लिए प्रोत्साहित करने के बजाय सुरक्षा उपायों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह धारणा कि “पुरुष हमेशा पुरुष ही रहेंगे” को महिलाओं के पीछे हटने का कारण नहीं माना जाना चाहिए। इसके बजाय, अपराधियों को जवाबदेह ठहराने और ऐसा माहौल बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए जहाँ सभी यात्री सुरक्षित महसूस कर सकें।

निष्कर्ष 

पिंक सीट्स भारतीय विमानन क्षेत्र में, लैंगिक असमानताओं को दूर करने में समावेशी नीतियों और लक्षित समर्थन के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाती है। महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व को बढ़ावा देकर, लिंग-संवेदनशील कार्यक्रमों में निरंतर निवेश सतत महिला सशक्तिकरण, विकास और समानता के लिए महत्वपूर्ण है।

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