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विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट (2024)

Lokesh Pal May 16, 2024 05:15 105 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी), संविधान का अनुच्छेद 51 ए (जी), अनुच्छेद 48 ए। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: वन्यजीव अपराध के प्रेरक कारक, पर्यावरण पर वन्यजीव व्यापार का प्रभाव, संगठित अपराध। 

संदर्भ:

  • हाल ही में, ऑस्ट्रिया के वियना में ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) द्वारा विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट 2024 लॉन्च किया गया है।

विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट (2024) के बारे में:

  • यह 2016 और 2020 के प्रकाशित संस्करणों के बाद श्रृंखला की तीसरी रिपोर्ट (2024) है।
  • केंद्र बिन्दु: यह वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों (CITES) में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन में सूचीबद्ध वन्यजीव प्रजातियों के अवैध व्यापार के रुझानों के एक अद्यतन शोध की ओर ध्यान आकर्षित करती है। 

विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट (2024) :

  • वन्यजीव तस्करी की निरंतरता: अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर दो दशकों की सशक्त कार्रवाई के बावजूद विश्व भर में वन्यजीव तस्करी जारी है।
  • सर्वाधिक वन्यजीव/वनस्पति व्यापार वाली प्रजातियाँ : वन्यजीवों और उनके शरीर के अंगों की तस्कारी में सबसे अधिक हाथी, मगरमच्छ, प्रवाल, मांसाहारी जीव, सांप, कछुए, शीशम, पैंगोलिन, कछुए और मोलस्क शामिल थे।
  • भ्रष्टाचार में प्रौद्योगिकी की भूमिका: प्रौद्योगिकी भ्रष्टाचार विनियमन और प्रवर्तन को कमजोर करती है जबकि प्रौद्योगिकी वैश्विक बाजारों तक पहुँच सुनिश्चित करने में तस्करों की क्षमता में वृद्धि करती है।
  • पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव: विविध मामलों से, ऐसा प्रतीत होता है कि अवैध व्यापार ने प्रजातियों के स्थानीय या वैश्विक स्तर पर विलुप्त होने में योगदान दिया है तथा पारिस्थितिक तंत्र को बाधित किया है इसके अतिरिक्त लोगों को प्रकृति से मिलने वाले कई सामाजिक-आर्थिक लाभों को सिमित करने का कार्य किया है।  

वन्यजीव व्यापार और वन्यजीव अपराध:

  • वन्यजीव व्यापार: इसमें जीवित नमूनों, भागों या रूपांतरित उत्पादों सहित जंगली जानवरों और पौधों की बिक्री और विनिमय शामिल है।
  • विस्तार : विभिन्न स्तरों पर, स्थानीय से वैश्विक स्तर तक।
  • विनियमन: सीआईटीईएस द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विनियमित।
  • भारतीय वन्यजीव व्यापार की स्थिति : भारत वन्यजीव तस्करी के लिए शीर्ष 20 देशों में से एक है और हवाई मार्ग से वन्यजीव तस्करी के मामलों में विश्व के शीर्ष 10 देशों में से एक है। 
    • भारत में आंतरिक और बाह्य खासकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीव तस्करी मुख्य रूप से पूर्वोत्तर के मार्गों या हवाई अड्डों के माध्यम से किया जाता है।
    • चेन्नई और मुंबई हवाई अड्डे इस अवैध गतिविधि के प्रमुख केंद्र हैं।
  • प्रमुख तस्करी मार्ग: भारत में विशेषकर मिजोरम और मणिपुर जैसे राज्यों, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और भूमि सीमाओं से वन्यजीवों की बरामदगी की घटनाएँ दर्ज की गई हैं। 
  • भारत तस्करी रिपोर्ट (2022-23) : राजस्व खुफिया विभाग ने 2022-23 में 1,652 स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों और उभयचर प्रजातियों से संबंधित तस्करी के मामलों को दर्ज किया है । 
    • इस रिपोर्ट के द्वारा लगभग 40% बरामदगी को संकटग्रस्त या निकट संकटग्रस्त प्रजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
  • वन्यजीव अपराध: एक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय अपराध जिसमें वन्यजीव प्रजातियों की रक्षा करने वाले राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन शामिल है।

वन्य जीवन एवं संबद्ध अपराध की स्थिति:

  • भारत में आँकड़े: भारत एक जैव-विविधता प्रधान देश है, जहाँ विश्व की लगभग 6.5% ज्ञात वन्यजीव प्रजातियाँ पाई जाती हैं। 
    • विश्व के लगभग 7.6% स्तनधारी और विश्व के 12.6% पक्षी भारत में पाए जाते हैं।
    • विश्व स्तर पर वन्यजीवों और इसके उत्पादों की अवैध माँग के कारण पूरे उपमहाद्वीप में वन्यजीव अपराध में वृद्धि देखी गई है।
  • विश्व वन्यजीवन में गिरावट: डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (WWF) की “लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट, 2020” के अनुसार, 1970 और 2016 के मध्य विभिन्न प्रजातियों की निगरानी की गई आबादी के आकार में औसतन 68% की गिरावट दर्ज की गई है।
    • संयुक्त राष्ट्र समर्थित पैनल, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच (IPBES) 2019 के अनुसार दस लाख से अधिक पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ विलुप्ति की कगार पर हैं, जिनमें से कई दशकों के भीतर खतरे का सामना कर रहीं हैं।
    • IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची इंगित करती है कि तकरीबन 41,000 से अधिक प्रजातियाँ, या सभी मूल्यांकित प्रजातियों में से 28%, विलुप्त होने के कगार पर हैं।

वन्यजीव अपराध की जाँच के लिए प्रावधान:

  • वन्यजीव अपराध से निपटने में वैश्विक सहयोग:
    • वन्यजीव अपराध के समाधान पर अंतर्राष्ट्रीय संघ (ICCWC)
    • आसियान वन्यजीव प्रवर्तन नेटवर्क (आसियान-वेन)
    • दक्षिण एशिया वन्यजीव प्रवर्तन नेटवर्क (SAWEN)
    • अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNTOC), 2000
    • यातायात (वाणिज्य में वनस्पतियों और जीवों का व्यापार रिकॉर्ड विश्लेषण)
  • भारत का कानूनी ढाँचा:
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: भारत में वन्यजीव व्यापार को विनियमित और प्रतिबंधित करने के लिए एक मजबूत कानूनी और नीतिगत ढाँचा है।
    • CITES सदस्यता: भारत 1976 से CITES का सदस्य रहा है।
    • वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB): यह देश में संगठित वन्यजीव अपराध की समस्या के समाधान के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक बहु-विषयक निकाय है।

वन्यजीव अपराध के प्रेरक कारक:

  • रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार: स्थलीय वन्यजीव अपराध, मत्स्य पालन, पादप और ईधन भ्रष्टाचार के प्रमुख चालक है। 
    • यह अवैध शिकार, परिवहन, प्रसंस्करण और उत्पाद की बिक्री सहित आपूर्ति श्रृंखला के प्रत्येक चरण पर अवैध गतिविधियों को सुविधाजनक बनाते हैं।
  • मनी लॉन्ड्रिंग:
    • संगठित अपराध के प्रति आकर्षण: वन्यजीव अपराध वर्तमान में अत्यधिक मुनाफे के कारण आकर्षण का केंद्र बनते जा रहे हैं, अपेक्षाकृत कम जोखिम के साथ बड़े मुनाफे की संभावना के कारण ही यह संगठित अपराध समूहों को आकर्षित करता है।
    • अवैध वित्तीय प्रवाह की लॉन्डरिंग: गैंडे के सींग और हाथीदांत जैसे वन्यजीव उत्पादों की ऊँची कीमतें पर्याप्त अवैध वित्तीय प्रवाह का संकेत देती हैं जिन्हें उनके अवैध मूल को छुपाने के लिए लॉन्डर किया जा सकता है।
  • सीमित वित्तीय जाँच: कई देश वन्यजीव अपराध से जुड़े अपराध की आय या संभावित मनी लॉन्ड्रिंग अपराधों की पहचान करने के लिए वित्तीय जाँच नहीं करते हैं।
    • उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है जो वित्तीय जाँच करता है।
  • विधायी ढाँचे में अंतर: विश्व भर में जाँचकर्ताओं के समक्ष आने वाली मुख्य समस्याओं में से एक विभिन्न देशों में जंगली जानवरों की कानूनी स्थिति में अंतर है।
  • भारत में वन्यजीव तस्करी को प्रेरित करने वाले कारक: वन्यजीव और पौधों की तस्करी के पीछे मुख्य कारण भोजन, दवा, पशु संग्रह, पालतू पशुओं का व्यापार और शरीर के अंगों से कॉस्मेटिक उत्पादों का निर्माण इत्यादि ।

वन्यजीव व्यापार का पर्यावरण पर प्रभाव:

  • प्राकृतिक आवासों की कमी: वन्यजीव व्यापार से प्राकृतिक आवासों और देशी प्रजातियों की आबादी में कमी आती है।
  • आक्रामक प्रजातियों का प्रसार: पालतू पशुओं के व्यापार के कारण पारिस्थितिक तंत्र में आक्रामक प्रजातियों का प्रवेश। 
    • उदाहरण के लिए, लाल कान वाले स्लाइडर कछुए और सकरमाउथ सेलफिन कैटफ़िश।
  • ज़ूनोटिक रोगों का उद्भव: मानव और वन्यजीव के मध्य बढती निकटता की वजह से इबोला, मारबर्ग वायरस रोग, SARS और COVID-19 जैसी ज़ूनोटिक बीमारियों का खतरा रहता है ।

आगे की राह:

  • विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट (2024) की सिफारिशों पर प्रतिक्रिया : यह प्रतिक्रिया उन समाधानों का उपयोग करने के महत्त्व पर जोर देती है जिन्हें तैयार किया जा सकता है और आपराधिक संरचनाओं, वित्तीय प्रोत्साहनों और तस्करी श्रृंखलाओं के विकसित माँग पैटर्न में अंतर्दृष्टि प्राप्त करके इन प्रयासों में सहायता के लिए चल रहे वन्यजीव अपराध अनुसंधान की क्षमता पर जोर दिया गया है। 
    • आपराधिक न्याय प्रतिक्रियाओं को स्रोत से लेकर अंतिम बाजार तक आधुनिक, मजबूत और सामंजस्यपूर्ण बनाया जाना चाहिए।
    • रणनीतिक हस्तक्षेप: हजारों वन्यजीव प्रजातियों के प्रभावित होने और अलग-अलग बाजारों की एक विस्तृत श्रृंखला के कारण कई पर्यावरणीय और सामाजिक नुकसान हो रहे हैं, वन्यजीव तस्करी को कम करने के लिए हस्तक्षेप को प्राथमिकता की आवश्यकता है।
  • भ्रष्टाचार और प्रौद्योगिकी आधारित जाँच: विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट, 2024 ने भ्रष्टाचार और प्रौद्योगिकी को भी ऐसे क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया है जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
    • संचार अवरोधन, गुप्त ऑपरेशन, सुनने और ट्रैकिंग उपकरणों का उपयोग, नियंत्रित डिलीवरी आदि सहित विशेष जाँच तकनीकों के अधिक से अधिक उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
    • खुफिया संग्रह और व्यापक वन्यजीव डेटासेट: सुरक्षित और समय पर खुफिया जानकारी साझा करने के लिए बेहतर खुफिया संग्रह विधियों और विकासशील ढाँचे और प्रोटोकॉल की आवश्यकता है।
  • तालमेल और सहयोग: समुद्री वन्यजीव तस्करी का मुकाबला करने के लिए भारतीय तट रक्षक और वन/पुलिस/सीमा शुल्क के मध्य तालमेल  और सहयोग आवश्यक हैं ।
    • ज्ञान अंतराल को पाटने के लिए व्यापार श्रृंखला में मजबूत सामंजस्य, मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेटा और विश्लेषणात्मक क्षमता के निर्माण के लिए निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है।
    • सभी प्रकार के वन्यजीव अपराध आपस में जुड़े हुए हैं अतः समग्र रूप से संगठित अपराध से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है।
  • वन्यजीव अपराध को वित्तीय अपराध के रूप में संबोधित करना: वन्यजीव तस्करी से संबंधित वित्तीय खुफिया जानकारी साझा करने के लिए एफआईयू-भारत, और वन/पुलिस/सीमा शुल्क/ के मध्य समन्वय और सहयोग स्थापित करना।
    • वित्तीय अपराध के रूप में वन्यजीव अपराध की जाँच करने और उस पर अंकुश लगाने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों का उपयोग करना चाहिए।

निष्कर्ष:

अंततः, वन्यजीव अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सरकारी एजेंसियों, कानून प्रवर्तन, नागरिक समाज और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को शामिल करते हुए एक व्यापक और समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यक है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                                ( UPSC : 2019 )

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन (UNCAC)] का ‘भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल’ होता है।
  2. UNCAC अब तक का सबसे पहला विधितः बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार-निरोधी लिखत है।
  3. राष्ट्र-पार संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट ट्रांसनैशनल ऑर्गेनाइज्ड क्राइम (UNTOC)] की एक विशिष्टता ऐसे एक विशिष्ट अध्याय का समावेशन है, जिसका लक्ष्य उन संपत्तियों को उनके वैध स्वामियों को लौटाना है जिनसे वे अवैध तरीके से ले ली गई थीं।
  4. मादक द्रव्य और अपराध विषयक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय [यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स ऐंड क्राइम (UNODC)] संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा UNCAC और UNTOC दोनों के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिए अधिदेशित है।

उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?

  1. केवल 1 और 3
  2. केवल 2, 3 और 4
  3. केवल 2 और 4
  4. 1, 2, 3 और 4

उत्तर : (c)

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