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युवा बेरोजगारी और शिक्षा

Lokesh Pal June 13, 2024 05:15 301 0

संदर्भ:

कुछ बेरोज़गारी स्वाभाविक है। युवाओं में बेरोज़गारी की प्राकृतिक दर समग्र प्राकृतिक दर से ज़्यादा हो सकती है। लेकिन भारत में युवा बेरोज़गारी की वास्तविक संख्याएँ चौंका देने वाली हैं ।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता:  कौशल भारत कार्यक्रम, नई शिक्षा नीति आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी के प्रमुख कारण, शिक्षा प्रणाली में सुधार के उपाय आदि।

भारत में बेरोजगार युवा

  • स्नातकों में से एक तिहाई से भी कम युवा बेरोजगार हैं, और माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त वर्ग के लिए बेरोजगारी दर लगभग पाँच में से एक है।
  • यह स्थिति क्यों है, और इसके बारे में क्या किया जा सकता है ऐसे अनेक प्रश्नों के समाधान के लिए नौकरी के बाजार में आपूर्ति पक्ष और मांग पक्ष दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।
  • हालाँकि, जब तक अन्यथा निर्दिष्ट न किया जाए, यहाँ ध्यान नौकरियों की मांग पर है।
  • कई शिक्षित युवा नौकरी की तलाश में हैं, लेकिन वास्तव में यह नौकरियों की महज एक काल्पनिक मांग है, भले ही नौकरी चाहने वाले गंभीर क्यूं न हों।
  • केवल उचित कौशल, शिक्षा या भविष्य में संभावित योगदान के संकेत द्वारा समर्थित मांग ही नौकरियों की प्रभावी मांग का समाधान कर सकती है।
  • इससे पता चलता है कि ऐसी नौकरियों की मांग वास्तव में बहुत अधिक नहीं है।
  • इससे स्पष्ट है, उचित रूप से अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा केवल सीमित अनुपात के छात्रों को ही उपलब्ध है ।
  • कई नियोक्ता, विभिन्न तरीकों से, इन पात्र उम्मीदवारों को नौकरी की पेशकश करते हैं अतः समस्या अच्छी गुणवत्ता युक्त शिक्षा व कौशल की है।
  • सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी उन युवाओं में है जिनके पास डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट तो है लेकिन वे सार्थक रूप से शिक्षित या कुशल नहीं हैं। हालाँकि, इन छात्रों और उनके परिवारों की धारणा यह है कि उनके पास अच्छी नौकरी होनी चाहिए।
  • दुर्भाग्य से, यह एक काल्पनिक सोच है और वास्तविकता से परे है । इसका मतलब यह नहीं है कि छात्रों या उनके परिवारों को दोष दिया जाए और किसी भी तरह से उनकी परेशानी बढ़ाई जाए क्योंकि दोष  भारत में समय के साथ विकसित हुई शिक्षा प्रणाली में है। 
  • हमारे देश में आज भी अच्छी गुणवत्तायुक्त शिक्षा का संकट है भले ही मीडिया में इस पर कोई सुर्खियाँ न हो।
  • दोष शिक्षा प्रणाली में है। युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी इसका एक लक्षण है और इसी लक्षण मात्र को मीडिया कवरेज मिलता है।

इन समस्याओं से निपटने का प्रभावी तरीका क्या है?

  • हमें शिक्षा को चरणबद्ध व व्यापक रूप से पुनर्गठित करने की आवश्यकता है।
  • हालांकि शिक्षा पर अधिक सार्वजनिक व्यय महत्वपूर्ण है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।
  • हमें अन्य कदम उठाने की आवश्यकता है, जैसे कि शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण नीति का विकल्प खोजना।
  • शिक्षा में राजनीति और विचारधारा की भूमिका को समाप्त करने की आवश्यकता है।
  • यह उन पाठ्यक्रमों के बारे में भी है जो सामान्यतः उपलब्ध कराए जाते हैं और जो उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं।
  • साथ ही, संकाय सदस्यों की भर्ती और पदोन्नति की नीति पर भी गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
  • यहां तक ​​कि शैक्षणिक संस्थानों के लिए भूमि आवंटन की नीति पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
  • हमें कौशल भारत कार्यक्रम और नई शिक्षा नीति के सभी प्रावधानों के साथ ही और अधिक गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
  • छात्रों के प्रमाणन की विश्वसनीयता पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है। जो छात्र उच्च ग्रेड प्राप्त करते हैं, उनमें से कई वास्तव में बहुत अधिक शिक्षित या प्रतिभाशाली नहीं होते।
  • अनेक बार देखा गया है कि रटकर अंक प्राप्त करना , प्रश्नपत्र लीक होना, परीक्षा हॉल में नकल करना, परिणामों में हेराफेरी, पक्षपात आदि समस्याएँ आम हैं।

अन्य मुद्दे

  • दोषपूर्ण परीक्षा प्रणाली: भारत में परीक्षाएँ , कुल मिलाकर, बहुत विवेकपूर्ण नहीं हैं। चूँकि उच्च अंक गुणवत्ता के संकेत के रूप में अविश्वसनीय हैं, इसलिए अक्सर उच्च बेरोजगारी होती है, यहाँ तक कि उन लोगों में भी जो अन्यथा निष्पक्ष परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करते हैं।
  • इसके अलावा, जो लोग कम अंक लाते हैं, वे जरूरी नहीं कि अयोग्य हों। कुछ लोगों के अंक दोषपूर्ण परीक्षा प्रणाली के कारण कम हैं।
  • युवाओं का एक अन्य उपसमूह प्रतिभाशाली है, लेकिन उनकी क्षमता अक्सर स्टैंड-अप कॉमेडी, आभूषण डिजाइनिंग, यूट्यूब वीडियो बनाने आदि जैसे क्षेत्रों में संलग्न होती है , जिसके लिए मुख्यधारा में कोई विश्वसनीय प्रमाणन नहीं है।
  • इसलिए, वे तब तक बेरोजगार रहेंगे जब तक कि वे किसी तरह अपने आप को स्थापित करने का विकल्प नहीं ढूंढ लेते और उम्मीद है कि वे नौकरी नहीं छोड़ेंगे।
  • कुछ लोगों का मानना ​​है कि आपूर्ति पक्ष में रोजगार सृजन सीमित होने के कारण , अधिक छात्रों को शिक्षित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
  • व्यापक तस्वीर को नजरंदाज किया जा रहा है। जो लोग सार्थक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर पाए हैं, उनके लिए नौकरियां उपलब्ध नहीं हैं।
  • लेकिन यदि उम्मीदवार योग्य हो तो उसे कोई न कोई रोजगार या व्यवसाय अवश्य मिल जाता है।
  • इसलिए युवा बेरोजगारी के एकमात्र समाधान के रुप में शिक्षा उपयोगी है, बशर्ते कि इसकी गुणवत्ता कम न हो और आर्थिक नीति ऐसी हो कि हमारे पास सार्थक रूप से अनुमोदक, सक्षम और अच्छी तरह से विनियमित अर्थव्यवस्था हो। 

निष्कर्ष

भारत में, युवा बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए व्यापक शैक्षिक सुधार, शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता, विश्वसनीय प्रमाणन और सार्थक रोजगार अवसर सृजित करने के लिए समग्र रुप से एक  सक्षम आर्थिक नीति की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: भारत में स्नातकों और डिप्लोमा धारकों की बढ़ती संख्या के बावजूद, युवा बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण चिंता बनी हुई है। शिक्षित युवाओं में उच्च बेरोजगारी दर के पीछे के कारणों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें और इस मुद्दे को हल करने के उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

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