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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal December 23, 2025 04:02 9 0

ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का LVM3-M6  मिशन ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा, जो निम्न भू कक्षा में स्थापित किया जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा वाणिज्यिक संचार उपग्रह है।

ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 संचार उपग्रह के बारे में

  • परिचय: ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 एक अगली पीढ़ी का वाणिज्यिक संचार उपग्रह है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका की AST स्पेसमोबाइल द्वारा विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य बिना किसी विशेष भू-आधारित उपकरण के, सामान्य मोबाइल स्मार्टफोन तक सीधे अंतरिक्ष आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना है।
  • मिशन का उद्देश्य: डायरेक्ट-टू-डिवाइस सैटेलाइट  ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का प्रदर्शन एवं संचालन, जिससे निम्न भू कक्षा आधारित अवसंरचना के माध्यम से दूरस्थ, वंचित तथा आपदा-प्रभावित क्षेत्रों में निर्बाध मोबाइल संपर्क सुनिश्चित किया जा सके।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • सीधे स्मार्टफोन से संपर्क: स्थलीय टॉवरों या उपग्रह फोन के बिना सेलुलर ब्रॉडबैंड सुविधा।
    • निम्न भू कक्षा में तैनाती: पृथ्वी के निकट संचालन के कारण कम विलंबता तथा बेहतर संकेत क्षमता।
    • उच्च वहन क्षमता आधारित डिजाइन: अब तक निम्न पृथ्वी कक्षा में तैनात किए गए सबसे बड़े और भारी वाणिज्यिक संचार उपग्रहों में से एक।
    • महत्त्व: यह मिशन वैश्विक वाणिज्यिक प्रक्षेपण बाजार में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करता है तथा अगली पीढ़ी की उपग्रह-आधारित मोबाइल ब्रॉडबैंड अवसंरचना को आगे बढ़ाता है।

प्रक्षेपण यान के बारे में: LVM3-M6

  • प्रक्षेपण यान मार्क-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का अधिक वहन क्षमता वाला त्रि-चरणीय रॉकेट है।
  • वहन क्षमता: प्रक्षेपण के समय द्रव्यमान लगभग 640 टन, ऊँचाई 43.5 मीटर तथा भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा तक 4,200 किलोग्राम पेलोड ले जाने की क्षमता।
  • संरचना
    • प्रथम चरण: दो ठोस स्ट्रैप-ऑन (S200),
    • द्वितीय चरण: द्रव ईंधन आधारित कोर चरण (L110),
    • तृतीय चरण: क्रायोजेनिक ऊपरी चरण  (C25)
  • मिशन का महत्त्व: यह LVM3 की छठी परिचालन उड़ान है तथा इसे LVM3 द्वारा प्रक्षेपित किया गया, जो अब तक का सबसे भारी पेलोड है।
    • इस यान ने चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 तथा दो वनवेब मिशनों के अंतर्गत 72 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है।

ऑटोफैगी (Autophagy)

जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (JNCASR) के शोधकर्ताओं ने एक्सोसिस्ट कॉम्प्लेक्स की पहचान की है, जिसे पारंपरिक रूप से स्राव के लिए जाना जाता है और अब इसे प्रारंभिक ऑटोफैगोस जैवजनन में एक महत्त्वपूर्ण अनुपस्थित कारक के रूप में पाया गया है।

  • JNCASR विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अधीन एक स्वायत्त संस्था है।

ऑटोफैगी (Autophagy) के बारे में

  • ऑटोफैगी एक संरक्षित कोशिकीय स्व-संरक्षण प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त अंगों, प्रोटीन समुच्चयों तथा रोगजनकों को लाइसोसोम-आधारित अपघटन द्वारा नष्ट कर पुनः उपयोग के योग्य बनाती है, जिससे कोशिकीय संतुलन बना रहता है।
  • एक्सोसिस्ट कॉम्प्लेक्स (Exocyst Complex): एक्सोसिस्ट कॉम्प्लेक्स आठ प्रोटीनों द्वारा निर्मित एक विकासात्मक रूप से संरक्षित प्रोटीन-संयोजन है, जो कोशिका झिल्ली तक लक्षित पुटिका परिवहन में सहायक होता है।
    • हालिया शोध के अनुसार, यह प्रारंभिक ऑटोफैगोसोम निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो स्राव तंत्र को कोशिकीय अपशिष्ट से जोड़ता है।
    • ‘एक्सोसिस्ट कॉम्प्लेक्स’ की कमी ऑटोफैगोसोम निर्माण को बाधित करती है, जिससे कोशिकीय अपशिष्ट निकासी दोषपूर्ण हो जाती है। इस प्रक्रिया को यीस्ट मॉडल सिस्टम का उपयोग करके स्पष्ट किया गया है।
  • ऑटोफैगी की प्रक्रिया
    • ऑटोफैगी प्रक्रिया की शुरुआत एक झिल्लीनुमा संरचना से होती है, जिसे फैगोफोर कहा जाता है, जो धीरे-धीरे प्रसारित होकर क्षतिग्रस्त कोशिकीय घटकों को अपने भीतर समाहित कर लेती है।
    • यह संरचना आगे चलकर द्वि-झिल्ली युक्त ऑटोफैगोसोम में परिवर्तित हो जाती है, जिसे प्रायः कोशिका की अपशिष्ट थैली” के रूप में वर्णित किया जाता है।
    • इसके पश्चात् ऑटोफैगोसोम लाइसोसोम के साथ विलय करता है, जहाँ इसके अंदर की सामग्री का अपघटन कर पुनः कोशिकीय उपयोग हेतु उपलब्ध कराया जाता है।
    • यह प्रक्रिया विशेष रूप से दीर्घायु कोशिकाओं, जैसे न्यूरॉन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है, क्योंकि वे कोशिका विभाजन द्वारा क्षति को कम नहीं कर सकतीं।

संभावित अनुप्रयोग

  • तंत्रिका अपक्षयी रोग: यह शोध अल्जाइमर, पार्किंसन तथा हंटिंगटन रोगों में बाधित ऑटोफैगी को पुनर्स्थापित करने में सहायक हो सकता है, जहाँ विषैले प्रोटीनों का संचय न्यूरॉनों को क्षति पहुँचाता है।
  • कैंसर चिकित्सा: ऑटोफैगी विनियमन की समझ से संदर्भ-विशिष्ट हस्तक्षेप संभव हो सकते हैं, जो प्रारंभिक ट्यूमर निर्माण को समाप्त करने के साथ-साथ कैंसर कोशिकाओं द्वारा ऑटोफैगी के दुरुपयोग को रोक सकें।
  • औषधि विकास: प्रारंभिक चरण के आणविक नियामकों की पहचान ऑटोफैगी मार्गों के सटीक विनियमन हेतु नए चिकित्सीय लक्ष्य प्रदान करती है।

राष्ट्रीय गणित दिवस

 

महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती के उपलक्ष्य में पूरे भारत में 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया गया।

राष्ट्रीय गणित दिवस के बारे में 

  • शिक्षा, वैज्ञानिक उन्नति और रोजमर्रा की समस्या-समाधान में गणित के महत्त्व के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय गणित दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
  • उत्पत्ति: भारत सरकार ने दिसंबर 2011 में राष्ट्रीय गणित दिवस की स्थापना की, 22 दिसंबर को श्रीनिवास रामानुजन की जयंती मनाने के रूप में घोषित किया।
  • इसका उद्देश्य गणितीय सोच को प्रोत्साहित करना, अनुसंधान संस्कृति को मजबूत करना और गणित को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के लिए एक मूलभूत अनुशासन के रूप में उपलब्ध करके छात्रों को प्रेरित करना है।

श्रीनिवास रामानुजन के बारे में 

  • परिचय: श्रीनिवास रामानुजन (1887-1920), भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ थे, जिनका जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु में हुआ था।
  • योगदान: उन्होंने संख्या सिद्धांत, अनंत शृंखला, विभाजन, निरंतर भिन्न और मॉड्यूलर रूपों में पथ-प्रदर्शक योगदान दिया, जिनमें से कई आधुनिक गणित और सैद्धांतिक भौतिकी को प्रभावित करते रहे।
    • वर्ष 1729, जिसे हार्डी-रामानुजन संख्या के नाम से जाना जाता है, सबसे छोटी धनात्मक पूर्णांक संख्या है, जिसे दो धनात्मक घनों के योग के रूप में दो अलग-अलग तरीकों से व्यक्त किया जा सकता है: 1³ + 12³ और 9³ + 10³
  • विरासत: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रायोजित रामानुजन पुरस्कार, विकासशील देशों के युवा शोधकर्ताओं में गणितीय उत्कृष्टता और वैश्विक पहचान को बढ़ावा देकर श्रीनिवास रामानुजन की विरासत को आगे बढ़ाता है।
  • मृत्यु: 26 अप्रैल, 1920 को 32 वर्ष की आयु में कुंभकोणम, भारत में तपेदिक के कारण उनका निधन हो गया।

अमूल्य: अदम्य श्रेणी का तीव्र गश्ती पोत 

हाल ही में भारतीय तटरक्षक बल के जहाज अमूल्य (Amulya), जो नई पीढ़ी की अदम्य श्रेणी का तीव्र गश्ती पोत है, को गोवा में शामिल किया गया, जिससे भारत की तटीय सुरक्षा को मजबूती मिली है।

भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के जहाज ‘अमूल्य’ के बारे में

  • परिचय: ICG का जहाज अमूल्य, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित आठ अदम्य श्रेणी के तीव्र गश्ती पोतों में से तीसरा है, जो उन्नत समुद्री क्षमता को दर्शाता है।
  • विशेषताएं
    • स्वदेशी डिजाइन: 60% से अधिक स्वदेशी घटकों से निर्मित, आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया’ पहलों के अनुरूप।
    • प्रचालन और प्रदर्शन: दो 3,000 किलोवाट डीजल इंजनों द्वारा संचालित, यह 27 समुद्री मील की अधिकतम गति और 1,500 समुद्री मील की संचालन क्षमता प्राप्त करता है।
    • परिचालन क्षमता: अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों और प्रणालियों से सुसज्जित, यह समुद्र में उच्च गतिशीलता और त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।
  • बेस: यह पोत ओडिशा के पारादीप में तैनात रहेगा और तटरक्षक क्षेत्र (पूर्वोत्तर) के कमांडर के प्रशासनिक और परिचालन नियंत्रण में रहेगा।

महत्त्व

  • तटीय सुरक्षा: भारत के समुद्री क्षेत्रों में निगरानी, ​​अवरोधन, खोज एवं बचाव, तस्करी विरोधी और प्रदूषण नियंत्रण को मजबूत करता है।
  • रक्षा आत्मनिर्भरता: स्वदेशी जहाज निर्माण और नौसेना प्रणाली एकीकरण में भारत की बढ़ती क्षमता को दर्शाता है।
  • बेड़े का आधुनिकीकरण: भारतीय तटरक्षक बल के बेड़े के विस्तार में योगदान देता है, जिससे समुद्री प्रशासन और कानून प्रवर्तन को मजबूती मिलती है।

राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC)

भारत और नीदरलैंड ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के विकास में सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे समुद्री विरासत सहयोग को मजबूती मिलेगी।

राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) के बारे में 

  • राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर गुजरात के लोथल में स्थित एक महत्त्वाकांक्षी सांस्कृतिक और पर्यटन परियोजना है, जिसे विश्व के सबसे बड़े समुद्री धरोहर परिसर के रूप में परिकल्पित किया गया है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य विश्व स्तरीय संग्रहालयों, अनुसंधान सुविधाओं, संयुक्त प्रदर्शनियों और शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारत की 4,500 वर्ष पुरानी समुद्री विरासत को प्रदर्शित करना है।
    • इसे बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता प्राप्त है।
  • महत्त्व: NMHC समावेशी शिक्षा, धरोहर संरक्षण और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देते हुए भारत के समुद्री इतिहास को वैश्विक मंच पर स्थापित करना चाहता है।

लोथल के बारे में

  • लोथल, हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता) के सबसे दक्षिणी स्थलों में से एक है, जो भारत की प्रारंभिक समुद्री और शहरी नियोजन विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
  • स्थान: यह गुजरात के भाल क्षेत्र में, भोगवो और साबरमती नदियों के बीच, खंभात की खाड़ी के निकट स्थित है।
  • विशेषताएँ
    • विश्व का सबसे प्राचीन ज्ञात गोदीवाड़ा, जो उन्नत ज्वारीय और समुद्री इंजीनियरिंग का संकेत देता है।
    • मनके बनाने की कार्यशालाओं और व्यापक व्यापार नेटवर्क के प्रमाण मिले हैं।
    • मेसोपोटामिया और मिस्र के साथ लगभग 4,000 वर्ष पुराने समुद्री व्यापार संबंध।
  • अतिरिक्त तथ्य: इस स्थल की खोज वर्ष 1954 में एस.आर. राव ने की थी और इसे वर्ष 2014 में यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।

व्हाइट स्पॉट डिजीज’

केंद्र सरकार ने संसद को सूचित किया कि राष्ट्रीय निगरानी में व्हाइट स्पॉट डिजीज’ के मामले सामने आने के बावजूद आंध्र प्रदेश में झींगा मछली के उत्पादन में अधिक नुकसान नहीं हुआ है।

व्हाइट स्पॉट डिजीज’ के बारे में

  • व्हाइट स्पॉट डिजीज’ झींगा में होने वाला एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो व्हाइट स्पॉट सिंड्रोम वायरस (WSSV) के कारण होता है और तटीय मत्स्यपालन के लिए एक बड़ा खतरा है।
  • प्रभाव: यह रोग कुछ ही दिनों में बड़े पैमाने पर झींगा की मृत्यु का कारण बन सकता है, जिससे झींगा पालकों को अत्यधिक आर्थिक नुकसान होता है और निर्यात-उन्मुख मत्स्यपालन मूल्य शृंखला बाधित होती है।
  • उपचार और प्रबंधन: ‘’व्हाइट स्पॉट डिजीज’’ का कोई अचूक उपचार नहीं है; इसका प्रबंधन PCR-आधारित परीक्षण के माध्यम से शीघ्र निदान, फार्म की सख्त स्वच्छता, नियंत्रित स्टॉक घनत्व और संक्रमित स्टॉक को शीघ्र हटाने पर निर्भर करता है।
  • रोकथाम
    • राष्ट्रीय निगरानी: जलीय पशु रोगों के लिए राष्ट्रीय निगरानी कार्यक्रम (NSPAAD) के माध्यम से PMMSY के अंतर्गत शीघ्र निदान और रिपोर्टिंग हेतु कार्यान्वित।
    • जैव सुरक्षा उपाय: आयातित ब्रूडस्टॉक का अनिवार्य संगरोध, तटीय मत्स्य पालन प्राधिकरण (CAA) के साथ हैचरी और फार्मों का पंजीकरण, और विशिष्ट रोगजनक मुक्त (SPF) झींगा स्टॉक को बढ़ावा देना।
    • प्रौद्योगिकी अपनाना: रोगों के जोखिम को कम करने के लिए बायोफ्लॉक प्रौद्योगिकी (BFT) और पुनर्संचारी मत्स्यपालन प्रणालियों (RAS) को प्रोत्साहन।
  • सरकारी सहायता उपाय
    • मत्स्यपालन फसल बीमा: PM-MKSSY के तहत कवरेज प्रदान किया जाता है और प्रभावित किसानों को बीमा दावों का भुगतान किया जाता है।
    • डिजिटल रिपोर्टिंग: ‘रिपोर्ट फिश डिजीज’ मोबाइल ऐप किसानों, फील्ड अधिकारियों और मत्स्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच वास्तविक समय में समन्वय स्थापित करने में सक्षम बनाता है।

विश्व ध्यान दिवस

विश्व ध्यान दिवस प्रत्येक वर्ष 21 दिसंबर को मनाया जाता है, ताकि शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए ध्यान के लाभों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाई जा सके।

विश्व ध्यान दिवस के बारे में

  •  21 दिसंबर को मनाया जाता है, जो शीतकालीन संक्रांति (उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात) के साथ संरेखित है।
  • विश्व ध्यान दिवस 2025 का विषय: “आंतरिक शांति – वैश्विक सद्भाव”
  • घोषणाकर्ता: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा दिसंबर 2024 में, भारत द्वारा सह-प्रायोजित एक प्रस्ताव के माध्यम से।
  • उद्देश्य: व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक कल्याण, ध्यान और आंतरिक शांति को बढ़ावा देना।
  • वैश्विक महत्त्व: ध्यान को एक औषधि रहित, निवारक स्वास्थ्य अभ्यास के रूप में प्रदर्शित करना, जो सतत् विकास लक्ष्य 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण) के अनुरूप है।
  • भारत की भूमिका: योग और ध्यान परंपराओं में भारत के नेतृत्व और वसुधैव कुटुंबकम् के दर्शन को दर्शाता है।
  • तिथि का प्रतीकात्मक महत्त्व: शीतकालीन संक्रांति परिवर्तन, नवजीवन और आंतरिक रूपांतरण का प्रतीक है, जो ध्यान के उद्देश्य को प्रतिबिंबित करती है।
  • पालन विधि: विश्व स्तर पर सामूहिक ध्यान सत्रों, जन जागरूकता कार्यक्रमों और डिजिटल अभियानों के माध्यम से इसे मनाया जाता है।

ध्यान के बारे में

  • ध्यान’ एक प्राचीन मन-शरीर अभ्यास है, जो वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एकाग्रता और जागरूकता को प्रशिक्षित करता है।
  • धार्मिक, योगिक और धर्मनिरपेक्ष परंपराओं में निहित, इसका अभ्यास हजारों वर्षों से विभिन्न संस्कृतियों में किया जाता रहा है।
  • इसमें सचेतता, केंद्रित ध्यान और एकाग्र चिंतन जैसी तकनीकें शामिल हैं।
  • इस अभ्यास का उद्देश्य मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक शांति और शारीरिक आराम प्राप्त करना है।
  • वैज्ञानिक अध्ययनों से तनाव में कमी, एकाग्रता में सुधार, भावनात्मक संतुलन और बेहतर नींद जैसे लाभ सामने आए हैं।
  • वर्तमान में, डिजिटल प्लेटफॉर्म और ऐप्स ने ध्यान को व्यापक रूप से सुलभ बना दिया है, जिससे यह आधुनिक जीवनशैली का अभिन्न अंग बन गया है।

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