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Jan 11 2025

‘कैशलेस ट्रीटमेंट’ योजना

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए ‘कैशलेस ट्रीटमेंट’ के लिए एक राष्ट्रव्यापी योजना शुरू करने की घोषणा की है। 

  • पायलट कार्यक्रम: सड़क दुर्घटना पीड़ितों को नकद रहित उपचार उपलब्ध कराने के लिए पिछले वर्ष चंडीगढ़ में एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया गया था, जिसे बाद में छह राज्यों में विस्तारित किया गया।

योजना के बारे में

  • प्रयोज्यता: यह योजना किसी भी श्रेणी की सड़क पर मोटर वाहनों के उपयोग से होने वाली सभी सड़क दुर्घटनाओं पर लागू होगी।
  • उद्देश्य: इस योजना का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है, जिसमें गोल्डन ऑवर भी शामिल है।
  • नोडल एजेंसी: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगी।
  • कार्यान्वयन: यह कार्यक्रम सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ई-विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (e-Detailed Accident Report- eDAR) एप्लीकेशन और NHA की विनिमय प्रबंधन प्रणाली की कार्यक्षमताओं को मिलाकर एक IT प्लेटफॉर्म के माध्यम से लागू किया जाएगा।
  • मुआवजा: सरकार सात दिनों तक या अधिकतम ₹1.5 लाख तक के उपचार खर्च को कवर करेगी, बशर्ते पुलिस को दुर्घटना के बारे में 24 घंटे के भीतर सूचित किया जाए।
    • हिट एंड रन मामलों में जान गँवाने वाले पीड़ितों के परिवारों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी।

सड़क दुर्घटनाओं संबंधी आँकड़े

  • वर्ष 2023 में सड़क दुर्घटनाओं के कारण 1.8 लाख मौतें हुईं, जिनमें से 66% दुर्घटनाएँ 18 से 34 वर्ष की आयु के व्यक्तियों की थीं।
    • हेलमेट न पहनने के कारण 30,000 मौतें हुईं।

विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएँ 2025

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी प्रमुख रिपोर्ट, विश्व आर्थिक स्थिति एवं संभावनाएँ 2025 (World Economic Situation and Prospects 2025) जारी की। 

आर्थिक विकास परिदृश्य की मुख्य बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था वर्ष 2025 में 6.6% और वर्ष 2026 में 6.7% की दर से बढ़ेगी, जो मजबूत उपभोक्ता खर्च, बढ़े हुए निवेश और मजबूत बुनियादी ढाँचे के विकास से प्रेरित होगी।
  • प्रमुख चालक
    • सरकारी निवेश: बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं (सड़कें, डिजिटल कनेक्टिविटी, आदि) पर महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक व्यय आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है।
    • निर्यात: फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी सेवाओं और वस्तुओं के मजबूत निर्यात से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है।
  • मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान
    • मुद्रास्फीति कम होने की उम्मीद है: उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति वर्ष 2024 में 4.8% से घटकर वर्ष 2025 में 4.3% होने का अनुमान है, जो RBI की लक्ष्य सीमा के भीतर रहेगी।
  • वैश्विक आर्थिक विकास
    • दक्षिण एशिया: इस क्षेत्र में वर्ष 2025 में 5.7% और वर्ष 2026 में 6% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसमें भारत सबसे आगे रहेगा।
    • वैश्विक विकास: वैश्विक अर्थव्यवस्था के वर्ष 2025 में 2.8% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो वर्ष 2024 से अपरिवर्तित रहेगा।

‘ग्लोबल एनर्जी एलायंस फॉर पीपल एंड प्लैनेट’ (GEAPP)

‘ग्लोबल एनर्जी एलायंस फॉर पीपल एंड प्लैनेट’ (GEAAP) एवं अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) ने ISA के मल्टी-डोनर ट्रस्ट फंड (Multi-Donor Trust Fund- MDTF) पर हस्ताक्षर करके अपने सहयोग को मजबूत किया है।

संबंधित तथ्य

  • MDTF का लक्ष्य ISA सदस्य देशों में उच्च प्रभाव वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 100 मिलियन डॉलर जुटाना है।
  • MDTF के उद्देश्य एवं पहल
    • स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण अंतराल को पाटना।
    • ऊर्जा संक्रमणों को प्रबंधित करने के लिए संस्थागत क्षमता को बढ़ाना।
    • स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के लिए लागत-कुशल और मापनीय समाधान प्रदान करना।

‘ग्लोबल एनर्जी एलायंस फॉर पीपल एंड प्लैनेट’ (GEAAP) के बारे में

  • यह उद्यमियों, सरकारों, प्रौद्योगिकी, नीति और वित्तपोषण भागीदारों का एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है।
  • स्थापितकर्ता: IKEA फाउंडेशन, द रॉकफेलर फाउंडेशन और बेजोस अर्थ फंड।
  • उद्देश्य
    • उभरते और विकसित देशों को स्वच्छ ऊर्जा मॉडल अपनाने में मदद करना, जो आर्थिक विकास और सार्वभौमिक ऊर्जा पहुँच का समर्थन करता है।
    • मुख्य लक्ष्य
      • भविष्य में कार्बन उत्सर्जन में 4 गीगाटन की कमी लाना।
      • एक अरब लोगों तक स्वच्छ ऊर्जा की पहुँच बढ़ाना।
      • स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में 150 मिलियन नए रोजगार सृजित करना।
  • GEAPP ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए दो प्रमुख पहलों (DUET और ENTICE 2.0 पहल) की घोषणा की:
    • ऊर्जा संक्रमण के लिए उपयोगिताओं का डिजिटलीकरण (Digitalization of Utilities for Energy Transition-DUET)
      • ग्रिड सिस्टम को डिजिटल बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • ट्रांसमिशन घाटे को कम करने के लिए वास्तविक समय डेटा निगरानी को एकीकृत करता है।
    • ऊर्जा परिवर्तन नवाचार चुनौती (ENTICE 2.0)
      • इसका उद्देश्य नवीन ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देना और उनका विस्तार करना है।

छठी पीढ़ी का एयरो इंजन

DRDO प्रमुख ने अपने भाषण में भारत द्वारा विदेशी निर्माता के साथ सह-विकास के माध्यम से छठी पीढ़ी के एयरो इंजन के विकास को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्य बिंदु

  • भारत को करीब 4-5 बिलियन डॉलर का निवेश करना होगा, यानी 40,000 करोड़ से 50,000 करोड़ रुपये और अनुसंधान एवं विकास के लिए रक्षा बजट को मौजूदा 5% से बढ़ाकर 15% करना होगा।
  • प्रौद्योगिकी विकास: स्थिर भागों के लिए सिंगल-क्रिस्टल ब्लेड पाउडर मेटलर्जी डिस्क और सिरेमिक मैट्रिक्स कंपोजिट जैसी तकनीकों को विकसित करने की आवश्यकता है।
  • सुविधाएँ: प्रत्येक उप-प्रणाली के लिए परीक्षण सुविधाएँ, एक उच्च-ऊँचाई परीक्षण सुविधा, उड़ान परीक्षण-बिस्तर, डिस्क बनाने के लिए विनिर्माण सुविधाएँ, जिसमें एक फोर्ज प्रेस शामिल है, जो 50,000 टन प्रेस कर सकता है आदि।

छठी पीढ़ी के विमानों के बारे में

  • छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान, 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की तुलना में दृश्य-सीमा से परे की क्षमताओं, स्टेल्थ, कंप्यूटेशनल पॉवर और हथियार आदि के मामले में बेहतर होंगे।
    • वे वर्तमान में दुनिया में कहीं भी परिचालन में नहीं हैं।
  • छठी पीढ़ी के विमानों के विकास की घोषणा निम्न देशों द्वारा की गई है:- अमेरिका, चीन, रूस, यूके-जापान-इटली और फ्राँस-जर्मनी-स्पेन।
  • उदाहरण
    • द टेम्पेस्ट: यू.के., इटली और जापान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित।
    • फ्राँस और जर्मनी द्वारा भविष्य की लड़ाकू वायु प्रणाली (FCAS)।
    • अमेरिका F-35 के प्रतिस्थापन पर कार्य कर रहा है।
    • चीन का प्रोटोटाइप फाइटर चेंगदू J-36।
  • विशेषताएँ: संयुक्त राज्य अमेरिका के दिशा-निर्देशों के अनुसार, छठी पीढ़ी के विमान के लिए कुछ आवश्यकताएँ हैं:-
    • डिजिटल इंजीनियरिंग: निर्माण और औद्योगिकीकरण प्रक्रियाओं में तेजी लाना।
    • उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता: सेकंड में आवश्यक लक्ष्यीकरण डेटा प्रदान करने के लिए, संगणना और नेटवर्किंग में सुधार ने हवाई युद्ध में मौलिक रूप से क्रांति ला दी है।
    • नए गतिशील एवं गैर-गतिशील हथियार
    • उपकक्षीय उड़ानों की क्षमता: कम अवधि के लिए कम जगह में कार्य करने में सक्षम होना, जिससे वे विमान-रोधी प्रणालियों से बच सकें और उत्तरजीविता में उल्लेखनीय सुधार कर सकें।
    • इन विमानों में लेजर जैसे निर्देशित-ऊर्जा हथियारों का संभावित उपयोग देखा जा सकता है।
    • रडार और इन्फ्रारेड सिग्नेचर को कम करने के लिए सामग्रियों पर लागू की गई नई नैनो तकनीकें।
    • ‘थर्ड एयर स्ट्रीम’ इंजन: या तो प्रणोदन दक्षता में सुधार और ईंधन की खपत को कम करने के लिए या उच्च थ्रस्ट और कूलिंग के लिए कोर के माध्यम से अतिरिक्त वायु प्रवाह प्रदान करने हेतु वायु प्रवाह का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करना।

मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा

मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के कुछ महीनों बाद, केंद्र सरकार ने इस संबंध में एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की।

संबंधित तथ्य

  • पाँच और भाषाओं यानी मराठी, बंगाली, असमिया, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।
  • पहले की शास्त्रीय भाषाएँ: तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, संस्कृत और उड़िया।

शास्त्रीय भाषाएँ क्या हैं?

  • भारतीय शास्त्रीय भाषाएँ, जिन्हें शास्त्रीय भाषा के नाम से भी जाना जाता है, ऐसी भाषाओं को संदर्भित करती हैं, जिनकी गहरी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, समृद्ध साहित्यिक परंपराएँ और अनूठी सांस्कृतिक विरासत होती है।
  • इन भाषाओं ने क्षेत्र के बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, इनके ग्रंथ साहित्य, दर्शन और धर्म जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

शास्त्रीय भाषा की स्थिति के लिए मानदंड: भारत में शास्त्रीय भाषा के रूप में वर्गीकृत होने के लिए संस्कृति मंत्रालय के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है:

  • प्राचीन उत्पत्ति: भाषा में 1,500-2,000 वर्षों की अवधि में अपने प्रारंभिक ग्रंथों/अभिलेखित इतिहास की उच्च प्राचीनता होनी चाहिए।
  • साहित्यिक विरासत: भाषा में प्राचीन साहित्य या ग्रंथों का एक समूह होना चाहिए, जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता है।
  • मौलिकता: साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए और किसी अन्य भाषण समुदाय से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए।
  • आधुनिक अवतारों से असंततता: उक्त भाषा और साहित्य अपने आधुनिक प्रारूप से अलग होना चाहिए और शास्त्रीय भाषा और उसके बाद के रूपों या उसकी शाखाओं के बीच एक स्पष्ट असंततता होनी चाहिए।

संदर्भ

प्रयागराज में आगामी महाकुंभ मेला, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित होगा, पृथ्वी पर सबसे बड़े मानव समारोहों में से एक होगा, जिसमें अनुमानित 400 मिलियन प्रतिभागी भाग लेंगे।

कुंभ मेले के बारे में

  • 12 वर्षों में चार बार मनाया जाता है।
  • यह सभा 4 अलग-अलग स्थानों पर होती है:
    • हरिद्वार में: गंगा नदी के तट पर।
    • उज्जैन में: शिप्रा नदी के तट पर।
    • नासिक में: गोदावरी नदी (दक्षिण गंगा) के तट पर।
    • प्रयागराज में: गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर।
  • वर्ष 2017 में: कुंभ मेले को यूनेस्को (UNESCO) द्वारा भारत की ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ (Intangible Cultural Heritage) घोषित किया गया।
    • इस सूची में कुंभ मेले को ‘पवित्र घड़े का उत्सव’ (The Festival Of The Sacred Pitcher) बताया गया है, जहाँ तीर्थयात्री पवित्र नदी में स्नान करते हैं या डुबकी लगाते हैं।

कुंभ मेले के प्रकार

आवृत्ति

स्थानों

महत्व

महाकुंभ मेला यह प्रत्येक 144 वर्ष या 12 पूर्ण कुंभ मेले के बाद आता है। प्रयागराज सबसे बड़ा और सबसे महत्त्वपूर्ण 
अर्द्ध कुंभ मेला प्रत्येक 6 वर्ष में प्रयागराज से हरिद्वार महाकुंभों के बीच मध्य बिंदु सभा।
माघ मेला  प्रत्येक वर्ष प्रयागराज महाकुंभ का छोटा संस्करण, जो प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

संदर्भ

नीति आयोग के महिला उद्यमिता मंच (WEP) ने न्यू शॉप के साथ साझेदारी में ‘एम्पोवहर बिज’ (EmpowHER Biz) – सपनों की उड़ान लॉन्च किया। यह ‘अवार्ड टू रिवॉर्ड’ (ATR) कार्यक्रम के तहत भारत की सुविधा खुदरा शृंखला है।

एम्पोवहर बिज (EmpowHER Biz) 

  • उद्देश्य: एक मजबूत खुदरा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना, जो महिला उद्यमियों को सशक्त बनाता है और इस क्षेत्र में सतत् विकास को बढ़ावा देता है।
  • इस पहल के तहत, 18-35 वर्ष की आयु के 50 प्रतिभागियों को विशिष्ट मानदंडों के आधार पर एक ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा।
  • इनमें से शीर्ष 20 प्रतिभागियों को न्यू शॉप फ्रेंचाइजी शुल्क पर 100% छूट मिलेगी।
  • इससे उन्हें प्रवेश में काफी कम बाधाओं के साथ अपने खुदरा व्यवसायों का स्वामित्व और संचालन करने का अधिकार मिलेगा।
  • इसे दिल्ली NCR, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात की महिलाओं के लिए लॉन्च किया गया है।
  • साथ ही, यह इच्छुक महिला उद्यमियों को खुदरा प्रबंधन, डिजिटल उपकरण, वित्तीय साक्षरता और व्यवसाय विकास को कवर करते हुए मेंटरशिप और व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करेगा।

महिला उद्यमिता मंच

  • यह भारत में महत्त्वाकांक्षी और स्थापित महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने  उनका समर्थन करने के लिए नीति आयोग द्वारा की गई पहल है।
  • इसका उद्देश्य उन्हें अपने उद्यम शुरू करने से लेकर उसे बढ़ाने और उसका विस्तार करने तक की यात्रा में सहायता करना है।
  • वर्ष 2018 में, इसे नीति आयोग में एक एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म के रूप में शामिल किया गया और वर्ष 2022 में इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी में बदल दिया गया।
  • यह प्लेटफॉर्म उद्योग संबंधों को मजबूत करने और मौजूदा कार्यक्रमों एवं सेवाओं के बारे में महिला उद्यमियों की जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्य करता है।
  • ये सेवाएँ 6 मुख्य केंद्रीय क्षेत्रों में प्रदान की जाती हैं:
    • समुदाय एवं नेटवर्किंग
    • वित्तपोषण एवं वित्तीय सहायता
    • इन्क्यूबेशन और एक्सलरेशन
    • अनुपालन और कर सहायता
    • उद्यमी कौशल
    • मार्गदर्शन और विपणन सहायता।
  • वर्ष 2023 से, WEP के अंतर्गत ‘अवार्ड टू रिवॉर्ड’ (Award to Reward) पहल भी हितधारकों के लिए प्रभावशाली कार्यक्रम विकसित करने हेतु ‘प्लग एंड प्ले फ्रेमवर्क’ प्रदान करती है।

संदर्भ 

भारत के विदेश मंत्री ने विदेशों में भारतीयों को दोहरी नागरिकता प्रदान करने की चुनौतियों को स्वीकार किया।

दोहरी नागरिकता 

  • दोहरी नागरिकता का अर्थ है कि किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से दो या दो से अधिक देशों के नागरिक के रूप में मान्यता दी जाती है, जो उन देशों के संबंधित कानूनों पर आधारित है।
  • नागरिकता निर्धारित करने के लिए कोई वैश्विक मानक नहीं है और नागरिकता को नियंत्रित करने वाले कानून देश-दर-देश अलग-अलग होते हैं, कभी-कभी एक-दूसरे के साथ विरोधाभासी भी होते हैं।
  • दोहरी नागरिकता की अनुमति देने वाले देशों के उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया।
  • दोहरे नागरिकों के अधिकार
    • दोहरी नागरिकता वाले व्यक्ति को दोनों देशों की नागरिकता से जुड़े अधिकार प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
      • पासपोर्ट रखने का अधिकार।
      • दोनों देशों में निवास करने, कार्य करने और संपत्ति रखने का अधिकार।
      • मतदान करने और राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग लेने का अधिकार।

दोहरी नागरिकता के लाभ

दोहरी नागरिकता की हानियाँ

  • वैश्विक आवागमन में आसानी: कुछ पासपोर्ट विशिष्ट देशों की यात्रा को प्रतिबंधित करते हैं, जिसके लिए अतिरिक्त वीजा की आवश्यकता होती है।
    • दूसरा पासपोर्ट यात्रा में लचीलापन बढ़ाता है और नौकरशाही संबंधी बाधाओं को दूर करता है।
  • व्यावसायिक अवसर: दोहरी नागरिकता से व्यापारिक लेन-देन सरल हो जाता है और दूसरे देश में आर्थिक अवसर खुल जाते हैं।
  • सुरक्षा: दूसरा पासपोर्ट किसी के अपने देश में राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक अस्थिरता की स्थिति में एक बैकअप योजना प्रदान करता है।
  • जीवन की बेहतर गुणवत्ता: दोहरे नागरिक दूसरे देश में बेहतर स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और समग्र जीवनशैली लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
  • विभाजित निष्ठा: यह अंतरराष्ट्रीय तनाव के समय में परस्पर विरोधी निष्ठा का कारण बन सकता है।
  • जटिल कानूनी दायित्व: दोहरी नागरिकता वाले व्यक्ति दोनों देशों के कानूनों एवं विनियमों के अधीन होते हैं।
    • इसमें कर दायित्व और सैन्य सेवा आवश्यकताएँ शामिल हो सकती हैं।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: यदि किसी शत्रु राष्ट्र का कोई व्यक्ति नागरिकता रखता है तो सुरक्षा संबंधी चिंताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • संसाधनों का दोहन: दोहरी नागरिकता लोगों को पूर्ण प्रतिबद्धता के बिना दोनों देशों से आर्थिक लाभ लेने का अधिकार दे सकती है।
    • इससे संसाधनों का दोहन हो सकता है।
  • राजनयिक मुद्दे: दोहरी नागरिकता के संबंध में विवाद के विरोधाभासी नियम संबंधित देशों के बीच तनाव उत्पन्न कर सकते हैं।

दोहरी नागरिकता पर भारत का रुख 

  • भारतीय संदर्भ
    • भारतीय संविधान दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है।
    • पासपोर्ट अधिनियम 1967 के तहत
      • भारतीय नागरिकों को विदेशी नागरिकता प्राप्त करने पर अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा।
      • इसके बाद भारत विदेशी नागरिकता प्राप्त करने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों को ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (Overseas Citizen of India-OCI) का दर्जा प्रदान करता है।
        • यह विभिन्न लाभ प्रदान करता है, लेकिन पूर्ण राजनीतिक अधिकार नहीं देता है।
        • OCI का उल्लेख नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7A में किया गया है।
        • OCI लाभ
          • OCI कार्डधारकों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
            • भारत में वीजा-मुक्त यात्रा।
            • भारत में कार्य करने और रहने की अनुमति।
            • मतदान और सार्वजनिक पद धारण करने के अलावा भारतीय नागरिकों के समान आर्थिक विशेषाधिकार।
अनिवासी भारतीय (Non Resident Indians-NRIs)

  • NRI भारतीय नागरिक हैं, जिनके पास भारतीय पासपोर्ट है।
  • विदेश में मत देने के अधिकार को छोड़कर उनके पास भारतीय नागरिकों के सभी अधिकार हैं।
  • वे भारतीय नागरिकता बनाए रखते हैं और संविधान के भाग II (अनुच्छेद 5-11) द्वारा शासित होते हैं।
  • NRI भारत में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत मतदान के लिए पंजीकरण करा सकते हैं, लेकिन मतदान करने के लिए उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में शारीरिक रूप से उपस्थित होना चाहिए।

भारतीय मूल के लोग (People of Indian Origin-PIO)

  • PIO भारतीय नागरिक नहीं हैं और उन्हें भारत में कोई राजनीतिक अधिकार नहीं प्राप्त है।

अंतर

विशेषता

अनिवासी भारतीय (NRI) 

भारतीय मूल का व्यक्ति (PIO) 

नागरिकता  भारतीय नागरिक दूसरे देश का नागरिक
निवास लंबे समय तक भारत से बाहर निवास करता है। भारतीय मूल के विदेशी नागरिक
कानूनी स्थिति भारतीय नागरिकता बरकरार रखता है। भारतीय नागरिक नहीं
मतदान अधिकार भारतीय चुनावों में मतदान करने के लिए पात्र। भारतीय चुनावों में मतदान करने के लिए अपात्र
सार्वजनिक कार्यालय भारत में सार्वजनिक पद धारण करने के लिए पात्र भारत में सार्वजनिक पद धारण करने के लिए अपात्र
वीजा आवश्यकताएँ भारत आने के लिए आम तौर पर वीजा की आवश्यकता होती है। एक निश्चित अवधि के लिए वीजा-मुक्त भारत की यात्रा कर सकते हैं।
संपत्ति अधिकार भारत में संपत्ति खरीद और स्वामित्व कर सकते हैं। भारत में अधिकांश प्रकार की संपत्ति का स्वामित्व और खरीद कर सकते हैं।
निवेश अधिकार भारत में निवेश कर सकते हैं। कुछ प्रतिबंधों के साथ भारत में निवेश कर सकते हैं।
कर लगाना भारत में अर्जित आय पर कर उनके निवास देश के अनुसार कर लगाया जाएगा।

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संदर्भ

प्रधानमंत्री ने 9 जनवरी, 2025 को ओडिशा के भुवनेश्वर में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस वर्ष का थीम है:- “विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान” (Diaspora’s contribution to a Viksit Bharat)

प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) 

  • प्रारंभ: भारत सरकार द्वारा वर्ष 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शुरू किया गय।
  • आवृत्ति: 9 जनवरी को द्विवार्षिक रूप से मनाया जाता है।
  • तिथि का महत्त्व
    • वर्ष 1915 में महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने की याद दिलाता है।
    • भारत के विकास और स्वतंत्रता संग्राम में प्रवासी भारतीयों के योगदान का प्रतीक है।
  • प्रवासी भारतीय दिवस के प्राथमिक लक्ष्य हैं:
    • भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को याद करना।
    • विदेशों में भारत के बारे में बेहतर समझ उत्पन्न करना।
    • भारत के उद्देश्यों का समर्थन करना और दुनिया भर में स्थानीय भारतीय समुदायों के कल्याण के लिए कार्य करना।
    • प्रवासी भारतीयों को अपनी पैतृक भूमि की सरकार और लोगों के साथ जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान करना।
  • प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार: कार्यक्रम के हिस्से के रूप में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार नामक एक पुरस्कार दिया जाता है।
    • यह किसी अनिवासी भारतीय, भारतीय मूल के व्यक्ति अथवा उनके द्वारा स्थापित एवं संचालित किसी संगठन या संस्था को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
  • वर्ष 2025 में प्रमुख पहल
    • प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना: भारत की विरासत को देखने के लिए प्रवासी पर्यटकों के लिए विशेष रेलगाड़ियाँ।
    • प्रवासी विरासत का दस्तावेजीकरण: प्रवास की कहानियों को संरक्षित करने के प्रयास (जैसे, मांडवी से मस्कट)।
    • प्रौद्योगिकी पर जोर: तकनीकी नवाचारों में प्रवासी योगदान को उजागर करना।
    • सांस्कृतिक पहुँच: रामायण, ओडिशा की विरासत और तमिल सांस्कृतिक संबंधों (जैसे, तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र) पर जोर।

प्रवासी/डायस्पोरा (Diaspora) 

  • शब्द ‘डायस्पोरा’ ग्रीक शब्दों डाया (जिसका अर्थ है “के माध्यम से”) और स्पोरा (जिसका अर्थ है “बिखरना”) से लिया गया है, जिसका अर्थ है फैलाव या बिखराव।
  • शुरू में, इस शब्द का प्रयोग विशेष रूप से यहूदी लोगों के फैलाव के लिए किया जाता था, लेकिन अब यह किसी भी ऐसे समूह पर लागू होता है, जो अलग-अलग क्षेत्रों में बिखरे होने के बावजूद सांस्कृतिक पहचान बनाए रखता है।
  • डायस्पोरा के प्रमुख तत्त्वों में सामूहिक स्मृति, सांस्कृतिक प्रतिधारण, मेजबान समाजों में एकीकरण और मातृभूमि से जुड़ाव की निरंतर भावना शामिल है।

प्रवासी भारतीयों का ऐतिहासिक विकास

  • प्राचीन प्रवास: भारत से पहला दर्ज प्रवास, पहली शताब्दी के दौरान राजस्थान से पूर्वी यूरोप में रोमानी लोगों का प्रवास था।
    • लगभग 500 ई. में, चोल साम्राज्य ने दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रवास को सुगम बनाया, जिसका प्रभाव इंडोनेशिया, मलेशिया और कंबोडिया जैसे क्षेत्रों पर पड़ा।
  • औपनिवेशिक युग (19वीं-20वीं सदी): पुराना प्रवास वर्ष 1833 में दास प्रथा के उन्मूलन के बाद 19वीं सदी की शुरुआत में शुरू हुआ और 20वीं सदी के मध्य तक चला।
    • गिरमिटिया मजदूरी प्रणाली के तहत भारतीयों को मॉरीशस, त्रिनिदाद, फिजी और सूरीनाम जैसे उपनिवेशों में चीनी और रबर के बागानों में कार्य करने के लिए ले जाया जाता था। इस प्रणाली को वर्ष 1916 में समाप्त कर दिया गया था, लेकिन तब तक 1.5 मिलियन से अधिक भारतीय पलायन कर चुके थे।
  • नया प्रवासी (1960 के दशक के बाद): नया प्रवासी दौर 1960 के दशक के बाद शुरू हुआ और इसमें कुशल पेशेवरों की माँग के कारण अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में प्रवास शामिल था।
    • अमेरिका में हार्ट-सेलर अधिनियम (Hart-Celler Act) (1965) और कनाडा में पॉइंट्स सिस्टम (1968) जैसी नीतियों ने कुशल आप्रवासन को सुगम बनाया। 
  • खाड़ी क्षेत्र में प्रवासी (वर्ष 1970 के बाद): खाड़ी प्रवासी 1970 के दशक में क्रूड तेल की माँग के दौरान उभरे, जिसमें अर्द्ध-कुशल और अकुशल श्रमिक अस्थायी संविदात्मक योजनाओं के तहत खाड़ी देशों में चले गए।
    • इस समूह को मेजबान देशों में सीमित अधिकारों और कोई प्रकृतिकरण संबंधी नीतियों का सामना करना पड़ा।
  • आधुनिक काल: वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी में प्रगति ने कुशल प्रवास को बढ़ावा दिया।
    • 1990 के दशक में भारत के आईटी बूम ने अमेरिका जैसे देशों में भारतीयों के प्रवास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

भारतीय प्रवासियों की श्रेणियाँ

भारतीय प्रवासियों को कानूनी परिभाषाओं और भारत से उनके संबंध के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे- अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indians- NRIs), भारतीय मूल के व्यक्ति (Persons of Indian Origin-PIOs) और भारत के विदेशी नागरिक (Overseas Citizens of India-OCIs)

  • अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indian- NRI)
    • परिभाषा: एक भारतीय नागरिक जो अनिश्चित अवधि के लिए रोजगार, व्यवसाय या किसी अन्य उद्देश्य से भारत से बाहर रहता है।
    • मुख्य विशेषताएँ
      • भारतीय पासपोर्ट रखता हो।
      • मतदान का अधिकार और भारत में संपत्ति खरीदने की क्षमता (कृषि भूमि को छोड़कर) का लाभ उठाता है।
      • कर देयता भारत में उनके प्रवास की अवधि पर निर्भर करती है (NRI स्थिति बनाए रखने के लिए एक वित्तीय वर्ष में 182 दिनों से कम)।
  • भारतीय मूल के व्यक्ति (Persons of Indian Origin-PIO)
    • परिभाषा: कोई विदेशी नागरिक (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, ईरान, भूटान, श्रीलंका और नेपाल को छोड़कर) जो:
      • किसी भी समय भारतीय पासपोर्ट धारण किया हो, या
      • किसी भारतीय नागरिक का बच्चा, पोता या परपोता हो, या
      • किसी भारतीय नागरिक या PIO का जीवनसाथी हो।
    • मुख्य विशेषताएँ
      • वर्ष 2015 में PIO का दर्जा OCI के साथ मिला दिया गया; अब सभी PIO कार्डधारकों को OCI माना जाता है।
      • इससे पहले, PIO को OCI की तुलना में भारत-विशिष्ट लाभों तक सीमित पहुँच थी।
  • भारत के विदेशी नागरिक (Overseas Citizens of India-OCI)
    • परिभाषा: भारतीय मूल का एक विदेशी नागरिक जो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7A के तहत OCI कार्डधारक के रूप में पंजीकृत है।
    • मुख्य विशेषताएँ
      • OCI कार्डधारकों को भारत में वीजा-मुक्त यात्रा और संपत्ति स्वामित्व (कृषि भूमि को छोड़कर) जैसे अन्य लाभ मिलते हैं।
      • भारत में वोट नहीं दे सकते, सार्वजनिक पद नहीं सँभाल सकते या सरकारी नौकरी नहीं कर सकते।
      • विशेषाधिकारों को सुव्यवस्थित करने के लिए वर्ष 2015 में PIO योजना के साथ विलय कर दिया गया।

NRI, PIO और OCI की तुलना

पहलू

NRI

PIO (OCI में विलय)

OCI

परिभाषा विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिक। भारतीय मूल का विदेशी नागरिक। OCI के रूप में पंजीकृत विदेशी नागरिक।
नागरिकता भारतीय पासपोर्ट धारक। विदेशी नागरिकता और PIO कार्ड धारक। विदेशी नागरिकता; OCI कार्डधारक।
मतदान अधिकार हाँ नहीं नहीं
सरकारी नौकरियाँ हाँ नहीं नहीं
वीजा की आवश्यकता आवश्यक नहीं पहले आवश्यक था; अब OCI में विलय कर दिया गया है। भारत में वीजा-मुक्त आजीवन प्रवेश।
नागरिकता के लिए पात्रता पहले से ही भारतीय नागरिक हैं। भारत में 7 वर्ष का निवास। 5 वर्ष OCI के रूप में तथा 1 वर्ष निवास के रूप में।

प्रवासी भारतीयों का महत्त्व

125 देशों में फैले 35 मिलियन से अधिक प्रवासी भारतीय, भारत के वैश्विक प्रभाव, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • आर्थिक योगदान
    • प्रेषण: भारत को वर्ष 2024 में 129.1 बिलियन डॉलर (वैश्विक प्रेषण का 14.3%) प्रेषण प्राप्त हुआ, जो किसी एक वर्ष में किसी देश के लिए अब तक का सबसे अधिक था।
      • अमेरिका, UAE और यू.के. जैसे देशों से आने वाले धन से भारत में गरीबी कम करने, शिक्षा के लिए धन जुटाने और बुनियादी ढाँचे को समर्थन देने में मदद मिलती है, विशेषकर केरल और पंजाब जैसे राज्यों में।
    • व्यापार और निवेश: प्रवासी सदस्य भारत में व्यापार को सुगम बनाते हैं और निवेश को बढ़ावा देते हैं।
      • सुंदर पिचई (गूगल) और सत्य नडेला (माइक्रोसॉफ्ट) जैसे भारतीय-अमेरिकी उद्यमी भारत की तकनीकी साझेदारी और वैश्विक ब्रांडिंग में योगदान देते हैं।
    • श्रम शक्ति और विदेशी मुद्रा: खाड़ी में कार्य करने वाले लोग भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
      • उदाहरण: खाड़ी प्रवासी, मुख्य रूप से केरल और तमिलनाडु से, प्रतिवर्ष अरबों डॉलर धन भेजते हैं।
  • सांस्कृतिक कूटनीति
    • भारतीय संस्कृति का प्रचार: प्रवासी समुदाय सक्रिय रूप से भारतीय परंपराओं, भाषाओं, त्योहारों, योग और आयुर्वेद को दुनिया भर में संरक्षित और बढ़ावा देता है।
      • उदाहरण: इंडोनेशिया में रामलीला प्रदर्शन, यू.के. संसद में दिवाली समारोह और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक विरासत को उजागर करते हैं।
    • वैश्विक मान्यता: प्रवासी योगदान ने भारतीय प्रथाओं को मान्यता प्रदान की है।
      • उदाहरण: यूनेस्को द्वारा योग को विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के हिस्से के रूप में शामिल करना।
    • कला और साहित्य में प्रतिनिधित्व: भारतीय मूल के कलाकार और लेखक भारत की सांस्कृतिक छवि को निखारते हैं।
      • उदाहरण: सलमान रुश्दी और झुंपा लाहिड़ी जैसे लेखक भारतीय आख्यानों को वैश्विक मंच पर लाने में प्रमुख भोमिका निभाई है।
  • राजनीतिक प्रभाव
    • भारत के हितों की पैरवी करना: प्रवासी समुदाय मेजबान सरकारों पर भारत के अनुकूल नीतियों के लिए पैरवी करता है।
      • उदाहरण: भारतीय-अमेरिकी संगठनों ने वर्ष 2008 में अमेरिका-भारत परमाणु समझौते की वकालत की।
    • मेज़बान देशों में प्रतिनिधित्व: भारतीय मूल के नेता प्रमुख राजनीतिक पदों पर हैं, जो भारत के प्रभाव को दर्शाते हैं।
      • उदाहरण: कमला हैरिस (यू.एस.ए), ऋषि सुनक (यू.के.), और एंटोनियो कोस्टा (पुर्तगाल)।
    • राजनयिक पुल: प्रवासी समुदाय मेजबान देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाता है।
      • उदाहरण: कनाडा में, भारतीय प्रवासी समुदाय मजबूत व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों में योगदान देता है।
  • सामाजिक और ज्ञान योगदान
    • मानव पूँजी और विशेषज्ञता: कुशल भारतीय पेशेवर वैश्विक उद्योगों को बढ़ावा देते हैं, जबकि प्रतिभा के लिए भारत की प्रतिष्ठा को मजबूत करते हैं।
      • उदाहरण: भारतीय डॉक्टर और नर्स यू.के. और यू.एस.ए. में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों का अभिन्न अंग हैं।
    • ज्ञान हस्तांतरण: प्रवासी सदस्य भारत में विशेषज्ञता साझा करते हैं और नवाचार को बढ़ावा देते हैं।
      • उदाहरण: ग्लोबल इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी अलायंस विदेशों में भारतीय मूल के पेशेवरों और भारत में स्टार्टअप के बीच ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।
    • परोपकार और शिक्षा: प्रवासी संगठन भारत में सामाजिक कल्याण और शैक्षिक पहलों को वित्तपोषित करते हैं।
      • उदाहरण: अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन (AIF) भारत में शैक्षिक कार्यक्रमों और आपदा राहत का समर्थन करता है।
  • वैश्विक छवि निर्माण
    • भारत की सॉफ्ट पॉवर को बढ़ाना: प्रवासी समुदाय की सफलता की कहानियाँ नवाचार और संस्कृति में वैश्विक नेता के रूप में भारत की क्षमता को उजागर करती हैं।
      • उदाहरण: सुंदर पिचाई और इंद्रा नूई (पेप्सिको) जैसे भारतीय मूल के सीईओ भारत की वैश्विक छवि को बेहतर बनाते हैं।
    • रूढ़िवादिता का मुकाबला करना: प्रवासी समुदाय विकासशील राष्ट्र के रूप में भारत की पुरानी धारणाओं को चुनौती देते हैं।
      • उदाहरण: अमेरिका और ब्रिटेन में भारतीय समुदाय की आर्थिक और सामाजिक उपलब्धियाँ भारत की आधुनिक पहचान को मजबूत करती हैं।
  • सामरिक और कूटनीतिक महत्त्व
    • वैश्विक गठबंधनों को मजबूत करना: प्रवासी समुदाय भारत की विदेश नीति के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद करता है।
      • उदाहरण: अफ्रीकी संघ की G20 सदस्यता के लिए भारत के समर्थन में प्रवासी समुदाय की पैरवी ने योगदान दिया।
    • संकट सहायता: संकट के दौरान प्रवासी भारतीयों का योगदान भारत के साथ एकजुटता दर्शाता है।
      • उदाहरण: कोविड-19 के दौरान, विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के समुदायों ने चिकित्सा आपूर्ति, ऑक्सीजन सांद्रता और वित्तीय सहायता भेजी।
    • रणनीतिक उपस्थिति: अमेरिका, UAE और यू.के. जैसे देशों में बड़े भारतीय समुदाय भारत की वैश्विक भागीदारी में मूल्यवान संपत्ति के रूप में कार्य करते हैं।

प्रवासी भारतीयों के समक्ष चुनौतियाँ

  • सामाजिक चुनौतियाँ
    • भेदभाव और नस्लवाद: कई प्रवासी सदस्यों को मेजबान देशों में नस्लीय पूर्वाग्रह और ज़ेनोफ़ोबिया का सामना करना पड़ता है।
      • उदाहरण: ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों ने वर्ष 2009-2010 में नस्लीय रूप से प्रेरित हमलों का अनुभव किया।
    • एकीकरण के मुद्दे: सांस्कृतिक मतभेद और रूढ़िवादिता मेजबान समाज में एकीकरण में बाधा डालती है।
      • उदाहरण: यूरोप में प्रवासी समुदायों को अक्सर भाषा और परंपराओं के कारण स्थानीय संस्कृतियों के साथ घुलने-मिलने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
    • पहचान का संकट: युवा पीढ़ी अक्सर अपने मेजबान देश की संस्कृति के साथ अपनी भारतीय विरासत को संतुलित करने के लिए संघर्ष करती है।
      • उदाहरण: यूएसए में भारतीय मूल के युवा कभी-कभी अपनी भारतीय परवरिश और अमेरिकी जीवनशैली के बीच पहचान के संघर्ष का अनुभव करते हैं।
  • राजनीतिक और कानूनी चुनौतियाँ
    • राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अभाव: कई देशों में, भारतीयों के पास सामुदायिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए पर्याप्त राजनीतिक आवाज नहीं है।
      • उदाहरण: खाड़ी देशों में, भारतीय श्रमिकों के पास कोई मतदान अधिकार या राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं है।
    • प्रतिबंधात्मक आव्रजन नीतियाँ: मेजबान देश समय-समय पर वीजा और आव्रजन कानूनों को सख्त करते हैं।
      • उदाहरण: अमेरिका ने H-1B वीजा कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे कुशल भारतीय पेशेवर प्रभावित हुए हैं।
    • कानूनी प्रतिबंध: खाड़ी देशों में भारतीय मूल के व्यक्तियों को संपत्ति के स्वामित्व या नागरिकता प्राप्त करने के सीमित अधिकारों का सामना करना पड़ता है।
      • उदाहरण: सऊदी अरब में प्रवासी नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकते, चाहे वे कितने भी समय तक वहाँ रहें।
  • भू-राजनीतिक चुनौतियाँ
    • वैश्विक संघर्षों का प्रभाव: भू-राजनीतिक संकटों के दौरान प्रवासी समुदायों को अक्सर मेजबान देशों में शत्रुता का सामना करना पड़ता है।
      • उदाहरण: रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन में भारतीय छात्रों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें वहाँ से निकालना पड़ा।
    • मेज़बान देशों में ध्रुवीकरण: पश्चिमी देशों में बढ़ते राष्ट्रवाद और विदेशी लोगों के प्रति घृणा, जैसा कि ब्रेक्सिट-युग के यू.के. या यू.एस.-चीन व्यापार युद्ध के दौरान देखा गया, ने भारतीय मूल के समुदायों के लिए चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।
  • आर्थिक चुनौतियाँ
    • रोजगार में शोषण: विशेष रूप से खाड़ी देशों में रहने वाले प्रवासी कामगारों को खराब कामकाजी परिस्थितियों, कम वेतन और सीमित नौकरी सुरक्षा का सामना करना पड़ता है।
      • उदाहरण: कतर में निर्माण श्रमिकों ने कफाला प्रणाली के तहत शोषणकारी प्रथाओं की रिपोर्ट की है।
    • प्रतिभा पलायन: विदेशों में प्रवास करने वाले कुशल पेशेवरों के कारण भारत के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कमी हो रही है।
      • उदाहरण: डॉक्टरों और नर्सों के विकसित देशों में प्रवास के कारण भारत को स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
  • सांस्कृतिक चुनौतियाँ
    • विरासत का क्षरण: युवा प्रवासी पीढ़ी अक्सर भारतीय संस्कृति, भाषा और परंपराओं से संपर्क खो देती है।
      • उदाहरण: त्रिनिदाद और फिजी में भारतीय मूल के समुदाय हिंदी और तमिल भाषाओं को संरक्षित करने में चुनौतियों की रिपोर्ट करते हैं।
    • सांस्कृतिक संघर्ष: मेजबान समुदाय कभी-कभी भारतीय सांस्कृतिक प्रथाओं को विदेशी या पुराना मानते हैं।
      • उदाहरण: अरेंज मैरिज और शाकाहार जैसी प्रथाएँ पश्चिमी समाजों में गलतफहमियाँ पैदा कर सकती हैं।
  • भारत के समक्ष चुनौतियाँ
    • सीमित सरकारी सहायता: विदेश में स्थित भारतीय मिशनों की कभी-कभी संकटग्रस्त प्रवासी सदस्यों को अपर्याप्त सहायता देने के लिए आलोचना की जाती है।
      • उदाहरण: कोविड-19 महामारी के दौरान, खाड़ी देशों से फँसे भारतीय श्रमिकों को वापस लाने में देरी हुई।
    • असंगत नीतिगत ढाँचे: प्रवासी भारतीयों की आवश्यकताओं को पूरा करने और उनके निवेश या योगदान को सुव्यवस्थित करने के लिए स्पष्ट नीतियों का अभाव।
      • उदाहरण: वर्ष 2015 में विलय से पहले PIO और OCI योजनाओं ने भ्रम उत्पन्न किया था।
    • प्रेषण हस्तांतरण की उच्च लागत: भारत में प्रेषण संबंधी विनिमय शुल्क, खासकर कम आय वाले श्रमिकों के लिए उच्च बना हुआ है।

प्रवासी भारतीयों से संबंधित भारत सरकार की प्रमुख पहल

  • भारत को जानो कार्यक्रम (KIP): इसका उद्देश्य शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रवासी युवाओं (18-30 वर्ष) को उनकी भारतीय जड़ों से जोड़ना है।
  • प्रवासी भारतीयों का भारत विकास फाउंडेशन (IDF-OI): भारत में सामाजिक और विकास परियोजनाओं के लिए प्रवासी समुदाय से परोपकारी योगदान को प्रोत्साहित करता है।
  • ई-माइग्रेट पोर्टल: भारतीय श्रमिकों के लिए विदेशों में रोजगार को सरल और विनियमित करता है, विशेष रूप से खाड़ी देशों में।
  • वंदे भारत मिशन (VBM): कोविड-19 महामारी के दौरान विदेशों में फँसे भारतीयों को वापस लाने के लिए एक व्यापक प्रत्यावर्तन पहल।
  • प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना: भारत में महत्त्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की यात्रा करने के लिए प्रवासी समुदाय के वृद्ध सदस्यों के लिए तीर्थ यात्राएँ आयोजित करती है।
  • अंतर-सरकारी श्रम प्रवास समझौते: ये समझौते श्रम और जनशक्ति मुद्दों पर सहयोग के लिए एक व्यापक ढाँचा प्रदान करते हैं।
    • इनमें एक संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से कार्यान्वयन के प्रावधान भी शामिल हैं, जहाँ समय-समय पर बैठकों में श्रमिकों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
  • प्रवासी भारतीय बीमा योजना (PBBY): यह भारत से प्रवास करने वाले सभी भारतीय श्रमिकों के लिए उपलब्ध एक बीमा योजना है, जिसके लिए बीमा कंपनियों को नाममात्र प्रीमियम का भुगतान करना होता है।

प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ाव को मजबूत करने के लिए आगे की राह

  • कांसुलर सहायता को मजबूत करना: विशेषकर खाड़ी देशों में काम करने वालों के लिए भारतीय दूतावासों के माध्यम से सेवाओं को बढ़ाना, ताकि शोषण और आपात स्थितियों जैसे मुद्दों का समाधान किया जा सके।
  • प्रवासी निवेश को बढ़ावा देना: भारत में प्रवासी-नेतृत्व वाले निवेशों के लिए प्रोत्साहन और सुव्यवस्थित प्रक्रियाएँ बनाना, विशेष तौर पर बुनियादी ढाँचे और स्टार्टअप में।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक पहुँच: युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और विरासत में शामिल करने के लिए भारत को जानो कार्यक्रम (KIP) और भारत को जानो क्विज जैसे कार्यक्रमों का विस्तार करना।
  • नीतिगत संरेखण: उनकी जरूरतों को पूरा करने, OCI से संबंधित मुद्दों को सरल बनाने और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक प्रवासी नीति विकसित करना।
  • सॉफ्ट पॉवर का लाभ उठाना: भारत के वैश्विक प्रभाव और सॉफ्ट पॉवर को बढ़ाने के लिए आईटी, स्वास्थ्य सेवा और राजनीति जैसे क्षेत्रों में प्रवासी समुदाय की उपलब्धियों का उपयोग करना।
  • कौशल विकास में सहयोग: प्रवासी समुदाय को वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्द्धी बनाए रखने के लिए कौशल विकास पहलों के लिए मेजबान देशों के साथ भागीदारी करना।

निष्कर्ष 

भारतीय प्रवासी भारत और विश्व के बीच एक महत्त्वपूर्ण सेतु हैं, जो आर्थिक विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और वैश्विक प्रभाव में योगदान देते हैं। प्रवासी भारतीय दिवस 2025, “विकसित भारत” को आकार देने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका का जश्न मनाते हुए, उनके अमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए, अपने वैश्विक समुदाय के साथ जुड़ने की भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

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