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Jan 30 2025

हलाल प्रमाणीकरण

18 नवंबर, 2023 को, उत्तर प्रदेश में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने निर्यात वस्तुओं को छोड़कर, राज्य में हलाल प्रमाणीकरण वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री तथा वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया।

हलाल खाद्य उत्पाद

  • “हलाल” एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ इस्लामी कानून के तहत “अनुमेय” (Permissible) है।
  • इसका उपयोग आमतौर पर आहार संबंधी कानूनों के संदर्भ में किया जाता है, जिसमें ऐसे भोजन की चर्चा होती है, जो इस्लामी सिद्धांतों का अनुपालन करता है।
  • मांस को तब हलाल माना जाता है, जब जानवरों को एक विशिष्ट विधि (प्रार्थना करते समय गले की नस में एक कट) का उपयोग करके मारा जाता है।
  • जल, गेहूँ एवं यहाँ तक ​​कि सौंदर्य प्रसाधन जैसी गैर-खाद्य वस्तुओं को भी हलाल प्रमाणित किया जा सकता है यदि उनमें कोई निषिद्ध (हराम) पदार्थ न हो।

हलाल प्रमाण-पत्र कौन जारी करता है?

  • भारत में, हलाल प्रमाणीकरण को विनियमित करने वाला कोई आधिकारिक सरकारी निकाय नहीं है।
  • जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट एवं हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड जैसे निजी संगठन हलाल प्रमाण-पत्र जारी करता है।
  • ये एजेंसियाँ ​​राष्ट्रीय प्रमाणन निकाय प्रत्यायन बोर्ड (NABCB) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्य है।

ऑर्गनोफॉस्फेट 

हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हुई मौतों की एक शृंखला ने ‘ऑर्गेनोफॉस्फेट’ विषाक्तता का संदेह पर उत्पन्न कर दिया है, जो सामान्यत: कीटनाशकों में प्रयोग किया जाने वाला रसायन है।

ऑर्गनोफॉस्फेट क्या है?

  • इन रसायनों का उपयोग फसलों को कीटों से बचाने एवं कीट जनित बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
  • अन्य नाम: फॉस्फेट एस्टर, या OPEs 
  • उपयोग: इनका उपयोग न्यूरॉन गैसों (जैसे सरीन), प्लास्टिक एवं सॉल्वैंट्स में भी किया जाता है।
  • ऑर्गनोफॉस्फेट के संपर्क में आने से इंसानों, जानवरों एवं यहाँ तक ​​कि पौधों के लिए भी हानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • ऑर्गनोफॉस्फेट तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता  हैं।
  • इसमें सल्फर एवं फॉस्फोरस परमाणु उपस्थित होते हैं। 
  • सामान्य ऑर्गनोफॉस्फेट में शामिल हैं:
    • पैराथियान
    • मैलाथियान
    • मिथाइल पैराथियान
    • क्लोरपाइरीफोस
    • डायजिनॉन
    • टेर्बुफोस

डीपसीक (DeepSeek)

डीपसीक चीन द्वारा निर्मित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मॉडल है, जिसने तकनीकी दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है क्योंकि इसने ऐप्पल स्टोर के मुफ्त डाउनलोड के मामले में शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है।

डीपसीक

  • डीपसीक एक मुफ्त AI-संचालित चैटबॉट का नाम है, जो  ChatGPT की तरह दिखता है, एवं कार्य करता है।
  • निर्माण: डीपसीक का निर्माण दिसंबर 2023 में लियांग वेनफेंग द्वारा किया गया था, जो एक उद्यमी होने के साथ साथ हेज फंड हाई-फ्लायर के भी संचालक है।
    • अवस्थित: यह स्टार्ट अप हांग्जो, झेजियांग प्रांत में अवस्थित है।
  • रीजनिंग मॉडल-R1: ये मॉडल क्रमिक रूप से प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न करते हैं तथा ऐसी प्रक्रिया का अनुकरण करते हैं, जैसे मानव समस्याओं या विचारों के माध्यम से तर्क करती हैं।
  • सेंसरशिप: डीपसीक को राजनीतिक रूप से संवेदनशील सवालों से बचने के लिए प्रशिक्षित किया गया है 
    • उदाहरण: BBC के एक प्रतिवादी ने 4 जून, 1989 के तियानमेन स्क्वायर घटना के बारे में ऐप से पूछा है। डीपसीक की ओर से कोई उत्तर नहीं दिया गया। 
  • लागत प्रभावी: डीपसीक को प्रशिक्षित करने में केवल $6 मिलियन (£4.8 मिलियन) खर्च होने का दावा किया गया है, जो ChatGPT-4 की “$100 मिलियन से अधिक” लागत का एक अल्प अंश है।
  • एडवांस AI चिप्स: संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा चीन को एडवांस AI चिप्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से पहले डीपसीक ने अपने मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए लगभग 2,000 एनवीडिया H-800 चिप्स का उपयोग किया है।
    • इसने प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए उच्च-प्रदर्शन चिप्स एवं अधिक किफायती विकल्पों के संयोजन का उपयोग किया है।
  • ओपन सोर्स टेक्नोलॉजी: डीपसीक की नई रिलीज डीपसीक-V3 एवं डीपसीक-R1 को ओपन-सोर्स बनाया गया है।
  • प्रदर्शन क्षमताएँ: डीपसीक AI मॉडल जटिल तर्क प्रदर्शन के लिए बनाए गए हैं, जो गणित, प्रोग्रामिंग एवं नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग में मजबूत प्रदर्शन दर्शाते हैं।

पेरिस AI एक्शन समिट

10-11 फरवरी, 2025 को होने वाली पेरिस AI एक्शन समिट, AI प्रशासन एवं विनियमन पर एक प्रमुख वैश्विक कार्यक्रम है। 

  • इसकी मेजबानी फ्राँसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉ करेंगे, इसकी सह-अध्यक्षता भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जाएगी।

पेरिस AI एक्शन समिट के प्रमुख एजेंडे

  • AI शासन एवं सार्वजनिक हित: AI से समाज को लाभ सुनिश्चित करने के लिए नवाचार तथा विनियमन को संतुलित करना।
  • बाजार संकेंद्रण: आधारभूत AI मॉडलों में माइक्रोसॉफ्ट, अल्फाबेट, अमेजन और मेटा के प्रभुत्व को संबोधित करना।
  • AI सुरक्षा एवं पारदर्शिता: AI ढाँचे की स्थापना के लिए बैलेचले पार्क (2023) एवं सियोल (2024) में पिछले शिखर सम्मेलनों पर निर्माण।
  • वैश्विक AI प्रतिस्पर्द्धा: US-चीन AI प्रगति एवं नियामक बाधाओं के कारण प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए यूरोपीय संघर्ष पर चर्चा की जाएगी।
  • नियामक दृष्टिकोण: विविध AI नीतियों का मूल्यांकन करना, जैसे यूरोपीय संघ का कठोर रुख, ब्रिटेन का नरम रुख और अमेरिका-चीन मॉडल।
  • शिखर सम्मेलन का महत्त्व: यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका ने 500 बिलियन डॉलर की AI परियोजना शुरू की है तथा चीन ने डीपसीक लॉन्च करके AI क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है।

जॉर्जिया मलेरिया-मुक्त प्रमाणित 

जॉर्जिया को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मलेरिया मुक्त प्रमाणित किया गया है, जिसमें 45 देश एवं 1 अन्य क्षेत्र शामिल हैं, जो मलेरिया उन्मूलन की दिशा में वैश्विक प्रगति को रेखांकित करता है।

WHO यूरोपीय क्षेत्र में तुर्की अब एकमात्र ऐसा देश है, जिसे अभी तक मलेरिया-मुक्त प्रमाणित नहीं किया गया है।

मलेरिया के बारे में

  • मलेरिया एक वेक्टर जनित रोग है, जो मादा एनाफिलीज मच्छरों द्वारा फैलता है एवं प्लास्मोडियम प्रोटोजोआ के कारण होता है। 
  • व्यापकता: मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका एवं एशिया में उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों को प्रभावित करता है।
  • संचरण: लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) पर आक्रमण करने से पहले परजीवी यकृत कोशिकाओं में फैलते हैं।
  • परजीवी: पाँच परजीवी प्रजातियाँ मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं, जिनमें ‘प्लास्मोडियम फैल्सीपेरम’ एवं ‘प्लास्मोडियम वाइवैक्स’ सबसे खतरनाक हैं।

WHO प्रमाणन प्रक्रिया: WHO मलेरिया-मुक्त प्रमाणन तब प्रदान करता है, जब कोई देश यह सिद्ध कर देता है कि देश भर में स्वदेशी संचरण कम-से-कम लगातार तीन वर्षों से बाधित है।

बॉम्ब साइक्लोन

मौसम विज्ञानी चक्रवात इओविन की तीव्रता के कारण इसकी तुलना ‘बॉम्ब साइक्लोन’ से कर रहे हैं। 

बॉम्ब साइक्लोन के बारे में

  • बॉम्ब साइक्लोन एक तीव्र मध्य अक्षांशीय तूफान है, जो वायुदाब में तीव्र गिरावट एवं हिम चक्रवात तथा भारी वर्षा जैसी चरम मौसम स्थितियों की विशेषताओं से युक्त है।
  • बॉम्ब साइक्लोन को विस्फोटक ‘साइक्लोजेनेसिस’ या ‘बॉम्बोजेनेसिस’ भी कहा जाता है।
  • “बॉम्बोजेनेसिस” अक्षांश के अनुसार भिन्न होता है।
    • 60 डिग्री अक्षांश पर, यह 24 घंटों में कम-से-कम 24 मिलीबार (24 हेक्टोपास्कल) की गिरावट है।

बॉम्ब साइक्लोन निर्माण में प्रमुख कारक

  • जेट स्ट्रीम प्रभाव: तेज ऊपरी-वायुमंडलीय पवनें (200+ मील प्रति घंटे) चक्रवात की तीव्रता को बढ़ाती हैं।
  • ठंडी-गर्म वायु का संपर्क: अधिक तापांतर के कारण तीव्रता प्रबल होती है।
  • समुद्री ऊष्मा एवं आर्द्रता: गर्म जल, चक्रवात के लिए अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है।

चक्रवात इओविन की वे विशेषताएँ, जो इसे एक ‘बॉम्ब साइक्लोन’ बनाती हैं:

  • अत्यधिक वायुदाब में कमी: चक्रवात इओविन में 24 घंटों में 50-मिलीबार दाब में कमी देखी गई, जो विस्फोटक साइक्लोजेनेसिस के लिए सीमा से दोगुने से भी अधिक है।
  • ब्रिटिश द्वीपों पर प्रभाव: इस चक्रवात के कारण आयरलैंड और स्कॉटलैंड में तेज पवने प्रवाहित हुईं, जिससे मौसम विज्ञान एजेंसियों को रेड वार्निंग देनी पड़ी।
  • हवा की रिकॉर्ड गति: आयरलैंड में 114 मील प्रति घंटे की रफ्तार दर्ज की गई, जो वर्ष 1987 के चक्रवात जैसे पिछले चरम चक्रवात से भी अधिक थी।
  • मार्ग एवं विकास: अमेरिकी पूर्वी तट से शुरू होकर, इसने उत्तरी अटलांटिक में 2,000 मील की यात्रा की, जो एक मजबूत जेट स्ट्रीम एवं रिकॉर्ड स्तर पर गर्म महासागर तापमान से प्रेरित था।

संदर्भ

प्रत्येक वर्ष 28 जनवरी को हमारे देश में पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की जयंती मनाई जाती है। 

लाला लाजपत राय 

  • लाला लाजपत राय भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रवादी नेता थे। 
  • उन्हें लोकप्रिय रूप से ‘पंजाब केसरी’ (पंजाब का शेर) के नाम से भी जाना जाता था। 
  • हिंदू धर्म एवं राष्ट्रवाद में दृढ़ विश्वास रखने वाले, उन्होंने भारत की स्वतंत्रता तथा सामाजिक सुधारों के लिए कार्य किया।
  • प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
    • जन्म-पंजाब के फिरोजपुर के ढुडीके गाँव में हुआ । 
    • शिक्षा- लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में कानून की शिक्षा ग्रहण की।
    • स्वामी दयानंद सरस्वती से प्रभावित होकर आर्य समाज से जुड़ गए।

लाला लाजपत राय का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में भूमिका
    • 19वीं सदी के अंत में कांग्रेस में शामिल हुए एवं कई विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया।
    • वर्ष 1920 में उन्हें अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।
    • ब्रिटिश शासन के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की माँग करते हुए कांग्रेस के उग्रवादी दल का समर्थन किया।
    • वर्ष 1907 में ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर मांडले जेल भेज दिया गया, लेकिन रिहाई के बाद भी उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा।
    • बाल गंगाधर तिलक एवं बिपिन चंद्र पाल के साथ मिलकर लाल-बाल-पाल तिकड़ी बनाई, जिसने आक्रामक राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।
    • वर्ष 1920 (कलकत्ता अधिवेशन) में कांग्रेस अध्यक्ष बने, जहाँ असहयोग आंदोलन को आधिकारिक तौर पर अपनाया गया।
  • स्वदेशी आंदोलन में योगदान
    • बंगाल विभाजन के बाद शुरू किए गए स्वदेशी आंदोलन (1905) में सक्रिय रूप से भाग लिया।
    • लोगों को ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार करने एवं भारतीय उद्योगों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
    • भारत पर ब्रिटिश आर्थिक नियंत्रण को कमजोर करने के लिए स्थानीय रूप से निर्मित उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा दिया।
  • असहयोग आंदोलन में नेतृत्व (1920)
    • वर्ष 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन (NMC) में अग्रणी भूमिका निभाई।
    • कांग्रेस ने उनकी अध्यक्षता में आंदोलन को मंजूरी दी।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन में भूमिका (1930)
    • महात्मा गांधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) का सक्रिय समर्थन किया।
    • नमक सत्याग्रह एवं दांडी मार्च में भाग लिया।
    • भारतीयों को ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार करने, ब्रिटिश अधिकारियों के साथ सहयोग से इनकार करने एवं अनुचित कानून तोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
    • विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के कारण कई बार जेल गए।
  • पंजाब की राजनीति में भूमिका
    • पंजाब को हानि पहुँचाने वाली ब्रिटिश नीतियों का कड़ा विरोध किया।
    • रॉलेट एक्ट (1919) का विरोध किया, जिसने अंग्रेजों को बिना मुकदमा चलाए लोगों को गिरफ्तार करने की अनुमति दी थी।
    • जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919) के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
    • पंजाब में शिक्षा को बढ़ावा दिया एवं लाहौर में नेशनल कॉलेज (अब D.A.V. कॉलेज) की स्थापना की।
  • सामाजिक योगदान
    • छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष किया एवं सामाजिक सुधार के लिए कार्य किया।
    • अकाल प्रभावित लोगों की मदद करने एवं धर्म परिवर्तन रोकने के लिए हिंदू राहत आंदोलन (1897) की स्थापना की।
    • सामाजिक कल्याण के लिए काम करने के लिए ‘सर्वेंट्स ऑफ पीपुल सोसायटी’ (1921) की स्थापना की।
  • साहित्यिक योगदान: लाला लाजपत राय एक लेखक भी थे। उनकी कुछ प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल हैं-
    • युवा भारत
    •  इंग्लैंड डेब्ट टू इंडिया 
    • एवोल्यूशन ऑफ जापान 
    • पॉलिटिकल फ्यूचर ऑफ इंडिया
    • प्रॉब्लम ऑफ नेशनल एजुकेशन 
    • द डिप्रेस्ड ग्लासेस और 
    • यात्रा वृत्तांत ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका’।
  • संस्थागत योगदान
    • हिसार बार काउंसिल
    • हिसार आर्य समाज
    • हिसार कांग्रेस
    • नेशनल DAV प्रबंध समिति
    • पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना (1894)।
    • वर्ष 1917 में न्यूयॉर्क में होमरूल लीग ऑफ अमेरिका की स्थापना की गई।

मृत्यु 

  • वर्ष 1928 में, लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध एक मौन विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते समय, अधीक्षक जेम्स स्कॉट के नेतृत्व में ब्रिटिश पुलिस द्वारा उन पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया था।
  • कुछ सप्ताह बाद शरीर की चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

संदर्भ

हाल ही में शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER), 2024 जारी की गई है।

ASER  सर्वेक्षण 

  • यह एक वार्षिक नागरिक-आधारित सर्वेक्षण है, जो ग्रामीण भारत में बच्चों की स्कूली शिक्षा एवं अधिगम स्तर का विश्वसनीय अनुमान प्रदान करता है।
  • ASER स्कूल-आधारित सर्वेक्षण के बजाय एक घरेलू सर्वेक्षण है एवं ASER सर्वेक्षण, वर्ष 2011 के जनगणना फ्रेमवर्क का उपयोग करता है।
  • ‘बेसिक’ ASER डिजाइन: यह प्रत्येक जिले से 30 गाँवों और प्रत्येक गाँव से 20 घरों का यादृच्छिक चयन करता है, जिससे प्रत्येक जिले में कुल 600 घर या पूरे देश के लिए लगभग 3,00,000 घर का चयन किया गया है।
  • आयु मूल्यांकन: 3 आयु समूहों के लगभग 6.5 लाख बच्चों का बुनियादी शिक्षा एवं अंकगणित कौशल में सर्वेक्षण किया गया है।
    • प्री-प्राइमरी (आयु 3 से 5), प्राथमिक (6 से 14), एवं माध्यमिक (15 से 16)। 
  • संचालन: ASER सर्वेक्षण का समन्वय ASER केंद्र द्वारा किया जाता है एवं NGO प्रथम नेटवर्क द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
    • प्रत्येक जिले में स्थानीय भागीदार संगठनों के लगभग 30,000 स्वयंसेवक सर्वेक्षण करते हैं।

ASER सर्वेक्षण 2024 की मुख्य विशेषताएँ

  • वर्ष 2018 के पूर्व COVID ​​​​स्तरों की तुलना में, बड़े पैमाने पर सरकारी स्कूलों के नेतृत्व में राज्यों में मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता (FLN) में समग्र सुधार देखा गया।
  • FLN कौशल: कक्षा 3 और 5 के अधिकांश बच्चे अभी भी अपनी स्थानीय भाषा में कक्षा 2 के स्तर की पाठ्य सामग्री पढ़ने या सरल गणित के प्रश्न हल करने में असमर्थ हैं।

  • सरकारी स्कूल में नामांकन: इसमें महामारी से पहले के स्तर पर वापसी देखी गई। 
    • उदाहरण: सरकारी स्कूलों में नामांकित 6-14 वर्ष के बच्चों का प्रतिशत वर्ष 2018 में 65.6% था, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 72.9% हो गया और अब गिरकर 66.8% हो गया है।
  • पठन कौशल: सर्वेक्षण में पाया गया कि वर्ष 2018 में कोविड-पूर्व स्तर की तुलना में सभी कक्षाओं में पठन कौशल में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी कक्षा 3 और 5 के अधिकांश बच्चे कक्षा 2 के स्तर की पाठ्य सामग्री पढ़ने में असमर्थ हैं।
    • उदाहरण: सरकारी स्कूलों में नामांकित कक्षा 3 के 23.4% छात्र वर्ष 2024 में कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ने में सक्षम थे, जबकि वर्ष 2018 में यह 20.9% था।
      • कक्षा 3 के 76.6% छात्र पाठ पढ़ने में असमर्थ थे, जो 19 भाषाओं में उपलब्ध कराए गए थे।
  • बुनियादी संख्यात्मक कौशल: सरकारी एवं निजी दोनों स्कूलों में बच्चों ने बुनियादी अंकगणित (संख्याओं को पहचानना, दहाई के अंकों वाली संख्याओं को घटाना, एवं तीन अंकों की संख्याओं को एक अंक से विभाजित करना) में पर्याप्त सुधार दर्शाया है।
    • उदाहरण: कक्षा 5 के छात्रों में, विभाजन की समस्याओं को हल करने वालों का अनुपात वर्ष 2018 में 27.9% से बढ़कर वर्ष 2024 में 30.7% हो गया है, जिसमें लगभग 70% अभी भी पीछे हैं।
  • राज्यवार प्रदर्शन: कक्षा 2 का पाठ पढ़ने में सक्षम बच्चों की संख्या में विभिन्न राज्यों में सुधार हुआ है।
    • 4 से 5.9 प्रतिशत अंक की वृद्धि: हिमाचल प्रदेश एवं बिहार। 
    • 6 से 9.9 प्रतिशत अंक की वृद्धि: ओडिशा, हरियाणा, पश्चिम बंगाल एवं झारखंड। 
    • 10 प्रतिशत अंक की वृद्धि: हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा एवं उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 के स्तर की तुलना में सबसे अधिक सुधार देखा गया।
      • उत्तर प्रदेश में वर्ष 2018 में 12.3% से 15% अंक की वृद्धि देखी गई एवं वर्ष 2024 में 27.9% हो गई।
  • डिजिटल साक्षरता: 14 वर्ष से 16 वर्ष की आयु के 89% किशोरों के पास घर पर स्मार्टफोन तक पहुँच है, जबकि 31.4% के पास स्वयं का अपना फोन है।
    • उपयोग: 57% ने इसका उपयोग शिक्षा-संबंधी मामलों के लिए एवं 76% ने सोशल मीडिया ब्राउज करने के लिए किया है।
    • लैंगिक सुरक्षा: लड़कियों की तुलना में लड़के अपने फोन पर सुरक्षा सुविधाओं के बारे में अधिक जागरूक थे, 62% जानते थे कि किसी प्रोफाइल को कैसे ब्लॉक या रिपोर्ट किया जाए, 55.2% जानते थे कि प्रोफाइल को निजी कैसे बनाया जाए, एवं 57.7% जानते थे कि पासवर्ड कैसे बदला जाए।
  • सुधार के कारण
    • मुख्य फोकस क्षेत्र के रूप में मूलभूत शिक्षा: सरकार ने NEP 2020 के माध्यम से वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालय में सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता प्राप्त करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
    • निपुण भारत (NIPUN bharat): मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता (FLN) के लिए केंद्रित वित्तपोषण के साथ-साथ संदेश पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। 
    • मूल्यांकन: शिक्षकों एवं छात्रों के अधिक जुड़ाव के साथ आंतरिक तथा बाह्य मूल्यांकन स्कूली शिक्षा चर्चा का हिस्सा बन गया है।
    • प्रशिक्षण: शिक्षक प्रशिक्षण आदि के लिए राज्यों के साथ जुड़ाव एवं समन्वय का स्तर भी बढ़ रहा है।

संदर्भ

हाल ही में उपभोक्ता मामलों के विभाग के लीगल मेट्रोलॉजी डिवीजन द्वारा ड्राफ्ट लीगल मेट्रोलॉजी (भारतीय मानक समय) नियम, 2025 प्रकाशित किए गए है।

  • मसौदा 14.02.2025 तक सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा गया है। 

ड्राफ्ट नियमों की मुख्य विशेषताएँ

  • ये नियम एक सरकारी परियोजना का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य IST को मिलीसेकंड से माइक्रोसेकंड सटीकता के साथ प्रसारित करके ‘वन नेशन, वन टाइम’ प्राप्त करना है।  
    • इस परियोजना का लक्ष्य संपूर्ण भारत में पाँच विधिक मेट्रोलॉजी प्रयोगशालाओं से IST का प्रसार करने के लिए प्रौद्योगिकी एवं बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना है। 
  • लक्ष्य: नियमों का लक्ष्य एकरूपता एवं सटीकता सुनिश्चित करते हुए सभी क्षेत्रों में भारतीय मानक समय (IST) को अनिवार्य समय संदर्भ के रूप में स्थापित करना है। 
  • उद्देश्य: नियमों में समन्वयन के लिए प्रक्रिया, कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश और सटीकता के लिए मानक निर्धारित किए गए हैं, ताकि IST के साथ राष्ट्रव्यापी संरेखण सुनिश्चित किया जा सके और बेहतर प्रशासन, साइबर सुरक्षा तथा परिचालन दक्षता की सुविधा मिल सके।
  • तैयार: नियम सचिव (उपभोक्ता मामले) की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा तैयार किए जाते हैं, समिति में ये भी शामिल हैं,
    • राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL), ISRO, IIT कानपुर, NIC, CERT-In, SEBI और रेलवे, दूरसंचार और वित्तीय सेवाओं जैसे प्रमुख सरकारी विभागों के प्रतिनिधि।
  • समय का संदर्भ: कानूनी, प्रशासनिक और आधिकारिक दस्तावेजों में समय के सभी संदर्भों को केवल भारतीय मानक समय (IST) के संदर्भ में माना जाएगा।
  • सिंक्रनाइजेशन अनिवार्य: IST के साथ कानूनी, प्रशासनिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों का सिंक्रनाइजेशन अनिवार्य है।

लीगल मेट्रोलॉजी 

  • मेट्रोलॉजी माप का वैज्ञानिक अध्ययन है एवं लीगल मेट्रोलॉजी (विधिक माप विज्ञान) माप तथा माप उपकरणों के लिए कानूनी आवश्यकताओं का अनुप्रयोग है।
    • लीगल मेट्रोलॉजी सार्वजनिक सुरक्षा, पर्यावरण, ग्राहकों और व्यापारियों की सुरक्षा भी करती है और निष्पक्ष व्यापार के लिए आवश्यक है।
  • विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009: विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009 के अनुसार, भारत में सभी पैकेज्ड सामान, जैसे निर्यात सामान, खाद्य पदार्थ एवं उपभोक्ता उत्पादों की बिक्री या वितरण के लिए उपभोक्ता मामलों के मेट्रोलॉजी विभाग से लीगल मेट्रोलॉजी प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है। 
  • प्राधिकरण: लीगल मेट्रोलॉजी निदेशक, विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009 के तहत पूर्व-पैकेज्ड वस्तुओं सहित वजन एवं माप के अंतर-राज्यीय व्यापार एवं वाणिज्य से संबंधित एक वैधानिक प्राधिकरण है।
  • प्रवर्तन: यह अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, राज्य सरकारों द्वारा विधिक माप विज्ञान नियंत्रक एवं अन्य विधिक माप विज्ञान अधिकारियों द्वारा किया जाता है।

  • अपवाद: वैज्ञानिक, खगोलीय एवं नेविगेशन आदि जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए वैकल्पिक टाइमस्केल (GMT, आदि) के उपयोग की अनुमति है, लेकिन पूर्व सरकारी अनुमोदन के साथ IST का उपयोग करने से छूट दी गई है। 
  • सार्वजनिक संस्थानों के लिए: सरकारी कार्यालयों एवं सार्वजनिक संस्थानों को नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल (NTP) एवं प्रिसिजन टाइम प्रोटोकॉल (PTP) जैसे सिंक्रोनाइजेशन प्रोटोकॉल को अपनाना आवश्यक है।
  • विश्वसनीयता: साइबर अटैक या व्यवधानों के दौरान लचीलापन एवं विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए साइबर सुरक्षा उपाय तथा वैकल्पिक संदर्भ तंत्र निर्धारित किए गए हैं।
  • अनुपालन एवं निगरानी: उल्लंघनों के लिए लगाए गए दंड के साथ सभी क्षेत्रों में अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए समय-सीमा का समय-समय पर ऑडिट किया जाएगा। 
  • महत्त्व
    • व्यापक ढाँचा: यह विभिन्न क्षेत्रों में सटीक और एकसमान समय पालन प्राप्त करेगा, जैसे,
      • नेविगेशन, दूरसंचार, पॉवर ग्रिड, बैंकिंग, डिजिटल प्रशासन एवं अत्याधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान, जिसमें गहन अंतरिक्ष नेविगेशन तथा गुरुत्वाकर्षण तरंग का पता लगाना शामिल है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक: अभी IST को सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSPs) एवं इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) द्वारा अनिवार्य रूप से नहीं अपनाया गया है, जिनमें से कई GPS जैसे विदेशी समय स्रोतों पर निर्भर हैं। 
  • रियल टाइम अनुप्रयोग: यह रणनीतिक, गैर-रणनीतिक, औद्योगिक और सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए एकीकृत तथा सटीक समय-निर्धारण ढाँचा प्रदान करेगा। 
  • महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे का सुचारू संचालन: ये नियम संचार नेटवर्क, बैंकिंग, तकनीकी बुनियादी ढाँचे, उभरती प्रौद्योगिकियों (5G प्रौद्योगिकियाँ, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, IoT) और सार्वजनिक सेवाओं को समन्वित करते हैं, जिससे निर्बाध बातचीत संभव होती है और आर्थिक दक्षता बढ़ती है।
  • औद्योगिक प्रतिस्पर्द्धात्मकता: नियम उद्योगों को सटीक वित्तीय लेन-देन, कुशल विनिर्माण, तकनीकी एकीकरण एवं वैश्विक व्यापार इंटरैक्शन को बढ़ाने की सुविधा प्रदान करेंगे।
  • प्रशासनिक प्रभावशीलता: यह आपातकालीन प्रतिक्रिया समन्वय का समर्थन करने एवं सार्वजनिक परिवहन के लगातार शेड्यूल को सुनिश्चित करने जैसी सटीक एवं समन्वित प्रवर्तन गतिविधियों को संचालित करने की सरकार की क्षमता को बढ़ाएगी।

भारतीय मानक समय (IST) 

  • भारतीय मानक समय (IST) को ब्रिटिश काल के दौरान 1 जनवरी, 1906 को अपनाया गया था एवं वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के बाद पूरे देश के लिए आधिकारिक समय के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी।
  • भारतीय मानक समय (IST) UTC (Coordinated Universal Time) पर आधारित है, जिसका ऑफसेट +5:30 घंटे है।
  • समन्वित सार्वभौमिक समय (UTC) फ्राँस के सेव्रेस में स्थित इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट एंड मेजर्स (BIPM) द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • देशांतर: IST की गणना मिर्जापुर क्लॉक टॉवर के पास से गुजरने वाले 82°30’E पर IST संदर्भ देशांतर से की जाती है।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: CSIR-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (CSIR-NPL) रखरखाव के लिए जिम्मेदार है एवं इसे इलाहाबाद वेधशाला की मदद से UTC तक मापन के लिए उत्तरदायी है।
  • डेलाइट सेविंग टाइम (DST): भारत मानक समय में वर्ष 1945 के बाद से डेलाइट सेविंग टाइम नहीं है।
    • इसका उपयोग वर्ष 1962 के चीन-भारत युद्ध एवं वर्ष 1965 एवं वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान संक्षेप में किया गया था।
  •  IANA टाइम जोन डेटाबेस: IANA टाइम जोन डेटाबेस में इसे एशिया/कोलकाता के रूप में दर्शाया गया है।

संदर्भ

हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के नामदफा नेशनल पार्क एवं टाइगर रिजर्व में एक नर हाथी को देखा गया है।

  • यह 12 वर्षों में पहली बार देखा गया है, इसकी आखिरी उपस्थिति वर्ष 2013 में दर्ज की गई थी।

संबंधित तथ्य

  • संरक्षण का महत्त्व: इस बार हाथी को जंगल के काफी अंदर देखा गया, जो पूर्व के वर्षों में सीमांत क्षेत्रों के पास देखे जाने के विपरीत है।
    • यह प्रवासन पैटर्न की संभावित पुनर्स्थापन का संकेत देता है एवं निरंतर संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
  • पारंपरिक प्रवास मार्ग: हाथियों ने ऐतिहासिक रूप से नामदफा राष्ट्रीय उद्यान के माध्यम से नामसाई (अरुणाचल प्रदेश) एवं म्याँमार के बीच प्रवास किया था।
    • इस मार्ग में बोगा पहाड़, बुलबुलिया, फर्मबेस, एम्बेयॉन्ग, 52वाँ माइल नाला, कोडबोई, म्याँमार (Boga Pahad-Bulbulia-Firmbase-Embeyong-52nd Mile Nallah-Kodboi-Myanmar) शामिल था।

नामदफा टाइगर रिजर्व के बारे में

  • अवस्थिति: चांगलांग जिले, अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। यह दक्षिण-पूर्व में म्याँमार की सीमा पर स्थित है एवं कमलांग वन्यजीव अभयारण्य के साथ एक सीमा साझा करता है। यह मिशमी पहाड़ियों (उत्तर-पूर्वी हिमालय) के ‘दफा बम’ पर्वतमाला एवं पटकाई पर्वतमाला के बीच स्थित है।
  • वन: विविध प्रकार के वन शामिल हैं:
    • उत्तरी उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन
    • उत्तर भारतीय उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन
    • पूर्वी हिमालयी आर्द्र शीतोष्ण वन
    • आर्द्र अल्पाइन झाड़ी वन
  • नदी प्रणाली: नामदफा नदी रिजर्व से उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है। इस रिजर्व का नाम नामदफा नदी से लिया गया है।
    • नामदफा नदी अरुणाचल प्रदेश के ‘दफा बम’ ग्लेशियरों से निकलती है एवं दक्षिण की ओर बहती हुई ‘नोआ-दिहिंग’ नदी में मिल जाती है।
  • जैव-भौगोलिक महत्त्व: भारतीय उपमहाद्वीप एवं भारत-चीन जैव-भौगोलिक क्षेत्रों के जंक्शन पर स्थित है।
  • जीव-जंतु: हाथी, हिमालयी काले भालू एवं ‘सन बीयर’, हूलॉक गिब्बन (भारत का एकमात्र वानर) तथा स्लो लोरिस सहित विविध वन्यजीवों का क्षेत्र।
  • वनस्पतियाँ: अद्वितीय प्रजातियाँ जैसे पिनस मर्कुसी एवं एबिस डेलावी (पार्क के लिए विशेष); ब्लू वांडा, एक दुर्लभ तथा लुप्तप्राय आर्किड एवं मिशमी टीटा (कॉप्टिस टीटा), एक औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग स्थानीय जनजातियों द्वारा बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है।

संदर्भ

भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रम ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड (Troop Comforts Limited) की एक इकाई, ऑर्डनेंस क्लोथिंग फैक्टरी (Ordnance Clothing Factory-OCF), अवाडी ने सूरीनाम गणराज्य को भारत का पहला रक्षा निर्यात ऑर्डर निष्पादित किया।

  • दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत के रक्षा मंत्रालय द्वारा अपने समकक्ष सूरीनाम रक्षा मंत्रालय को सैन्य यूनिफॉर्म प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है।

सूरीनाम 

  • अवस्थिति: दक्षिण अमेरिका का उत्तरी किनारा, उत्तरी और पश्चिमी गोलार्द्ध दोनों में अवस्थित है।
  • सीमाएँ: ब्राजील (दक्षिण), फ्रेंच गुयाना (पूर्व), गुयाना (पश्चिम), अटलांटिक महासागर (उत्तर)।
  • भूगोल: यह देश भौगोलिक रूप से तटीय तराई (उत्तर) और वर्षावनों एवं सवाना (पश्चिम एवं दक्षिण) में विभाजित है।
  • सबसे ऊँचा बिंदु: विल्हेल्मिना पर्वत में जुलियानाटॉप (1,230 मीटर / 4,035 फीट)।
  • तटरेखा: लगभग 386 किमी., जिसमें मैंग्रोव एवं निचले मैदान शामिल हैं।
  • नदियाँ: प्रमुख नदियों में कोपेनेम, कोरेंटाइन, ग्रैन, लूसी, मैरोवीने, निकेरी, सरमाका शामिल हैं।
  • वनस्पति: उष्णकटिबंधीय वर्षावन 90% भूमि को शामिल करते हैं, जिसमें विशाल जैव विविधता है।
  • खनिज: बॉक्साइट, सोना, तेल और काओलिन से भरपूर।
  • संरक्षित क्षेत्र: 14% भूमि को राष्ट्रीय उद्यान और प्रकृति भंडार के रूप में नामित किया गया है।

संदर्भ 

हाल ही में रवांडा समर्थित M23 विद्रोहियों ने पूर्वी कांगो (Congo) के रणनीतिक शहर गोमा (Goma) पर अधिकार करने का दावा किया है।

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) 

  • DRC, मध्य अफ्रीका में स्थित अल्जीरिया के बाद अफ्रीका का दूसरा सबसे बड़ा देश है। 
  • चूँकि भूमध्य रेखा इससे होकर गुजरती है, इसलिए यह उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों में स्थित है।
    • यह पूर्वी गोलार्द्ध में प्रधान मध्याह्न रेखा के पूर्व में स्थित है।
  • इसकी सीमा उत्तर में मध्य अफ्रीकी गणराज्य और दक्षिण सूडान, पूर्व में युगांडा, रवांडा, बुरुंडी और तंजानिया, दक्षिण-पूर्व में जांबिया और दक्षिण-पश्चिम में अंगोला से लगती है।
  • इसकी राजधानी किंशासा, कांगो नदी के किनारे अवस्थित है, जो अफ्रीका की एकमात्र नदी है यह भूमध्य रेखा को दो बार पार करती है।
  • कटंगा पठार एक प्रमुख खनन क्षेत्र है, जो कोबाल्ट, ताँबा, टिन, रेडियम, यूरेनियम और हीरे जैसे खनिजों से समृद्ध है।
  • सबसे ऊँची चोटी: माउंट स्टेनली (Mt. Stanley)
  • वर्ष 2021 में, खनिज समृद्ध इतुरी और उत्तरी किवु प्रांतों में हमलों के परिणामस्वरूप सैकड़ों लोग मारे गए और कई लोग विस्थापित हुए।
  • गोमा पूर्वी कांगो में एक रणनीतिक शहर है, जो इस क्षेत्र की विशाल और बड़े पैमाने पर अप्रयुक्त खनिज संपदा का केंद्र है।

रवांडा 

  • रवांडा, भूमध्य रेखा के दक्षिण में पूर्व-मध्य अफ्रीका में स्थित एक भू-आबद्ध देश है।
  • यह अफ्रीकी ग्रेट लेक्स क्षेत्र में स्थित है और इसकी राजधानी किगाली है।
  • रवांडा की सीमा उत्तर में युगांडा, पूर्व में तंजानिया, दक्षिण में बुरुंडी और पश्चिम में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य से लगती है।
  • देश की प्रमुख नदियों में मुकुंगवा नदी (नील बेसिन में) और रुसीजी नदी (कांगो बेसिन में) शामिल हैं।
  • किवु झील रवांडा की सबसे बड़ी झील है और अफ्रीका की छठी सबसे बड़ी झील है।
    • यह रवांडा और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के बीच एक प्राकृतिक सीमा का निर्माण करती है।
  • विक्टोरिया झील रवांडा के साथ सीमा साझा नहीं करती है।
  • सबसे ऊँचा स्थान: देश के उत्तर-पश्चिम में विरुंगा पर्वत पर रवांडा की सबसे ऊँची चोटी, माउंट करिसिंबी स्थित है।
  • अल्बर्टाइन रिफ्ट क्षेत्र (Albertine Rift region), जो पश्चिमी रवांडा के अधिकांश भाग को शामिल करता है, अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है।

संदर्भ

हाल ही में दुर्लभ कॉर्पस फ्लावर (Corpse Flower) का सिडनी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूयॉर्क, अमेरिका में एक साथ पुष्पन हुआ है, जो कि एक दशक से अधिक समय के बाद सिडनी में पहली बार पुष्पन का प्रतीक है।

कॉर्पस फ्लावर (Corpse Flower

  • वैज्ञानिक नाम: अमोर्फोफैलस टाइटेनम (Amorphophallus Titanum) 
  • ‘कॉर्पस फ्लावर’ अपने विशाल आकार के कारण पहचाना जाता है तथा इसकी गंध सड़ते हुए मांस की तरह होती है।
  • यह अपने असामान्य पुष्पन चक्र तथा परागण के लिए अपमार्जक कीटों को आकर्षित करने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध है।
  • आवास स्थान: ‘कॉर्पस फ्लावर’ इंडोनेशिया के पश्चिमी सुमात्रा के वर्षावनों की मूल प्रजाति है।
    • इंडोनेशिया में इसे बुंगा बंगकाई (Bunga Bangkai) के नाम से जाना जाता है, जहाँ बुंगा का अर्थ फूल तथा बंगकाई का तात्पर्य शव (Corpse) होता है।
  • आकार एवं संरचना: यह पौधा 3 मीटर (लगभग 10 फीट) तक ऊँचा हो सकता है।
    • इसमें एक लंबा, फालिक शेप्ड स्पैडिक्स (एक केंद्रीय स्पाइक) होता है, जो एक बड़े, पर्पल स्पैथ (पंखुड़ी जैसी संरचना) से घिरा होता है, जो पुष्पन के दौरान खुलता है।
  • पुष्पन चक्र: ‘कॉर्पस फ्लावर’ बहुत कम पुष्पित होता है, आमतौर पर प्रत्येक 7 से 10 वर्ष या उससे अधिक समय में एक बार।
  • पुष्पन सिर्फ एक दिन तक रहता है।
    • इसका पुष्पन चक्र इसके अंडरग्राउंड कॉर्म (बल्ब जैसी संरचना) में संगृहीत ऊर्जा की मात्रा पर निर्भर करता है।
    • पौधा कई पत्ती चक्रों से गुजरता है, जो इसे पुष्पन की अवस्था में प्रवेश करने से पहले पर्याप्त ऊर्जा भण्डारण करने में मदद करता है।
  • गंध: फूल से एक तीक्ष्ण, अप्रिय गंध निकलती है, जो सड़े हुए मांस के समान होती है।
    • यह दुर्गंध मक्खियों और मांसाहारी मधुमक्खियों जैसे अपमार्जकों को आकर्षित करती है, जो इसके परागण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • मादा पुष्पन के दौरान निकलने वाले रसायन, जो इसे गंध देते हैं वे हैं:
    • डाइमेथिल डाइसल्फाइड (Dimethyl Disulfide): लहसुन जैसी गंध उत्सर्जित करता है।
    • डाइमेथिल ट्राइसल्फाइड (Dimethyl Trisulfide): सड़े हुए मांस और गोभी जैसी गंध देता है।
    • 3-मिथाइलबुटानल (3-Methylbutanal): खाद्य पनीर जैसी गंध उत्पन्न करता है।
    • डाइमेथिल सल्फाइड और मेथेनथिऑल (Dimethyl sulfide & Methanethiol): दोनों की गंध उबली या सड़ी हुई गोभी जैसी होती है।
    • मिथाइल थायोएसीटेट (Methyl Thioacetate): इसमें गंधक के समान तीव्र गंध होती है।
    • आइसोवालेरिक एसिड (Isovaleric Acid): पैरों में आने वाली गंध के लिए उत्तरदायी है।
  • परागण: ‘कॉर्पस फ्लावर’ परागण के लिए सड़े हुए कीड़ों पर निर्भर करता है।
    • इसमें नर एवं मादा दोनों फूल होते हैं, लेकिन मादा फूल पहले खिलते हैं ताकि स्व-परागण को रोका जा सके।
  • IUCN में संरक्षण स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)
    • कारण: आवास विनाश, वनों की कटाई एवं अवैध शिकार।

संदर्भ

हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जनजातियों और राज्य से बाहर पलायन कर गए मूल निवासियों को छोड़कर राज्य के सभी निवासियों के लिए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code-UCC) को आधिकारिक रूप से लागू किया।

संबंधित तथ्य 

  • उत्तराखंड स्वतंत्रता के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया है।

उत्तराखंड की UCC की मुख्य विशेषताएँ

  • विवाह एवं तलाक विनियम
    • मुस्लिम पर्सनल लॉ से हलाला, इद्दत और तलाक जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया गया।
    • महिलाओं के लिए समान संपत्ति एवं विरासत के अधिकार सुनिश्चित किए गए हैं।
    • विवाह, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप के ऑनलाइन पंजीकरण को अनिवार्य बनाया गया है।
    • धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह किए जा सकते हैं, लेकिन 60 दिनों के भीतर पंजीकरण अनिवार्य है।
    • तलाक के लिए पुरुष और महिला दोनों के पास समान आधार हैं, जिससे तलाक की प्रक्रिया में लैंगिक तटस्थता सुनिश्चित होती है।
  • ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ में अधिकार
    • मकान मालिक पंजीकृत लिव-इन युगल को आवास देने से इनकार नहीं कर सकते हैं।
    • लिव-इन रिलेशनशिप (UCC से पहले या बाद में) को लागू होने के एक महीने के भीतर पंजीकृत किया जाना चाहिए।
    • लिव-इन रिलेशनशिप को आपसी सहमति से ऑनलाइन या ऑफलाइन समाप्त किया जा सकता है।
    • लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान गर्भधारण की सूचना बच्चे के जन्म के 30 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए।
  • वसीयत पंजीकरण: हस्तलिखित/टाइप की गई वसीयत अपलोड करने, ऑनलाइन फॉर्म भरने या तीन मिनट का वीडियो रिकॉर्ड करने के विकल्प।
    • सशस्त्र बल के कर्मचारी और नाविक लचीले नियमों के तहत ‘विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत’ बना सकते हैं।
    • वसीयतनामा उत्तराधिकार के लिए वसीयत और कोडिसिल (वसीयत का एक पूरक दस्तावेज) के निर्माण, रद्दीकरण और संशोधन को सरल बनाता है।
  • प्रशासनिक ढाँचा
    • उप-पंजीयक 15 दिनों के भीतर (या आपात स्थिति में तीन दिन) आवेदनों का सत्यापन करते हैं।
    • अस्वीकृति की अपील 30 दिनों के भीतर रजिस्ट्रार के समक्ष की जा सकती है; आगे की अपीलें अगले 30 दिनों के भीतर रजिस्ट्रार-जनरल के समक्ष की जा सकती हैं।
  • प्रवर्तन एवं दंड: उल्लंघनकर्ताओं को शुरू में चेतावनी दी जाती है; बार-बार उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया जाता है।

भारत में समान नागरिक संहिता

  • समान नागरिक संहिता (UCC) एक प्रस्तावित कानूनी ढाँचा है, जिसका उद्देश्य धार्मिक रीति-रिवाजों पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों को सभी नागरिकों पर लागू होने वाले एकीकृत नागरिक कानूनों से बदलना है, चाहे उनका धर्म या नृजातीयता कुछ भी हो।
  • यह समानता, धर्मनिरपेक्षता और लैंगिक न्याय को बढ़ावा देते हुए विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे मामलों को एक सामान्य ढाँचे के तहत संबोधित करने का प्रयास करता है।
  • UCC की मुख्य विशेषताएँ
    • समान आवेदन: यह हिंदुओं, मुसलमानों, ईसाइयों और अन्य लोगों के लिए धर्म-विशिष्ट व्यक्तिगत कानूनों को प्रस्थापित करता है।
      • यह विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों में सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है।
    • धर्मनिरपेक्ष एवं समावेशी: एक धर्मनिरपेक्ष कानूनी प्रणाली की कल्पना करती है, जो धार्मिक या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के बावजूद समान व्यवहार सुनिश्चित करती है।
      • विधि के समक्ष समानता को बढ़ावा देती है और व्यक्तिगत कानूनों में निहित भेदभावपूर्ण प्रथाओं को समाप्त करती है।
    • लैंगिक न्याय पर ध्यान: व्यक्तिगत कानूनों में लैंगिक-आधारित भेदभाव को संबोधित करना, विवाह, तलाक, संपत्ति और उत्तराधिकार में समान अधिकारों के साथ महिलाओं को सशक्त बनाना।

वैश्विक स्तर पर UCC की स्थिति

  • फ्राँस: नेपोलियन नागरिक संहिता (1804) सभी नागरिकों पर समान कानून लागू करती है, व्यक्तिगत मामलों में धर्मनिरपेक्षता सुनिश्चित करती है। 
  • जर्मनी: जर्मन नागरिक संहिता (BGB, 1900) जर्मन साम्राज्य के सभी नागरिकों पर समान रूप से शासन करती है। यह संहिता आज भी प्रभावी है, हालांकि इसे संशोधित किया गया है। 
  • तुर्किए: इस्लामी व्यक्तिगत कानूनों की जगह ‘स्विस मॉडल’ पर आधारित एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (1926) को अपनाया। 
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और यू. के.: कोई समान नागरिक संहिता नहीं है, क्योंकि पारिवारिक कानून राज्य (संयुक्त राज्य अमेरिका) के अनुसार अलग-अलग हैं और धार्मिक समूह (यू.के.) व्यक्तिगत मामलों में स्वायत्तता बनाए रखते हैं। 
  • चीन: नागरिक संहिता (2021) सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होती है, जिसमें विवाह, विरासत एवं संपत्ति के अधिकार शामिल हैं।
  • सऊदी अरब: शरिया-आधारित कानूनों का पालन करता है, जिसमें परिवार एवं विरासत कानूनों पर सख्त धार्मिक प्रभाव है। 
  • यू.ए.ई: गैर-मुसलमानों के लिए धर्मनिरपेक्ष पारिवारिक कानून (2022) लागू किया, जिसमें नागरिक विवाह और विरासत के अधिकार की अनुमति दी गई।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • स्वतंत्रता-पूर्व काल: ब्रिटिश शासन के दौरान और बाद में संविधान सभा की बहसों में चर्चा की गई।
    • 1835 ईसवी में, एक ब्रिटिश रिपोर्ट ने कानूनी एकरूपता की सिफारिश की, लेकिन हिंदुओं और मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को इसमें शामिल नहीं किया।
    • पुर्तगाली नागरिक संहिता 1867: गोवा में गोवा नागरिक संहिता (पुर्तगाली नागरिक संहिता 1867) के तहत एक समान नागरिक संहिता है, जो सभी गोवावासियों पर समान रूप से लागू होती है, चाहे उनका धर्म या नृजातीयता कुछ भी हो।
    • बी. एन. राव समिति (1941): हिंदू कानूनों को संहिताबद्ध करने के लिए गठित, महिलाओं के लिए समान अधिकारों की सिफारिश की गई।
  • स्वतंत्रता के बाद के घटनाक्रम: संविधान के अनुच्छेद-44 में समान नागरिक संहिता को राज्य नीति निदेशक सिद्धांत के रूप में शामिल किया गया।
    • अनुच्छेद-44: राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।

भारत में व्यक्तिगत कानून

  • समवर्ती क्षेत्राधिकार: विवाह, तलाक, उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत कानून विषय सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची के अंतर्गत आते हैं।
  • हिंदू व्यक्तिगत कानून और समान नागरिक संहिता: इन कानूनों (जो सिखों, जैनियों और बौद्धों पर भी लागू होते हैं) को वर्ष 1956 में संसद द्वारा संहिताबद्ध किया गया था। इस संहिता विधेयक को चार भागों में विभाजित किया गया है:
    • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: एक विवाह प्रथा की स्थापना की गई तथा हिंदू विवाहों को विघटित अनुबंध बना दिया गया।
    • हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956: बेटियों एवं विधवाओं के लिए उत्तराधिकार अधिकारों में सुधार किया गया।
    • हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम, 1956: पिता के बाद माँ को बच्चे का स्वाभाविक संरक्षक बनाया गया।
    • हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956: लड़कियों को गोद लेने की अनुमति दी गई तथा पत्नियों और विधवाओं को भरण-पोषण का अधिकार दिया गया।
  • वर्ष 1937 का शरिया कानून: भारत में सभी भारतीय मुसलमानों के निजी मामलों को नियंत्रित करता है।
    • इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सरकार व्यक्तिगत विवादों में हस्तक्षेप नहीं करेगी। इसके बजाय, एक धार्मिक प्राधिकरण कुरान और हदीस की अपनी समझ के आधार पर निर्णय लेगा।
  • ईसाई, पारसी और यहूदी: ये तीन समुदाय वर्ष 1925 के भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत शासित थे।

UCC से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के उल्लेखनीय मामले

  • शाह बानो बेगम बनाम भारत संघ (1985): इस मामले में तलाक के बाद मुस्लिम महिला को अपने पति से भरण-पोषण पाने के अधिकार के पक्ष में निर्णय दिया गया।
    • न्यायालय ने लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
    • हालाँकि, सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 के माध्यम से इस निर्णय को पलट दिया, जिससे लैंगिक न्याय पर धार्मिक व्यक्तिगत कानूनों को बल मिला।
  • सरला मुद्गल बनाम भारत संघ (1995): इस मामले में निर्णय दिया गया कि एक हिंदू पति अपनी पहली शादी के वैध रहते हुए दूसरी महिला से शादी नहीं कर सकता, भले ही वह इस्लाम धर्म अपना ले।
    • न्यायालय ने यह भी कहा कि UCC से दो विवाहों को रोका जा सकेगा।
  • शायरा बानो बनाम भारत संघ (2017): इस मामले में निर्णय दिया गया कि तीन तलाक की प्रथा असंवैधानिक है और मुस्लिम महिलाओं की गरिमा का उल्लंघन करती है।
    • न्यायालय ने यह भी सिफारिश की कि संसद मुस्लिम विवाह और तलाक को विनियमित करने के लिए एक कानून बनाए।
  • जोस पाउलो कॉउटिन्हो बनाम मारिया लुइजा वेलेंटिना परेरा (2019): इस मामले में गोवा में समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन की प्रशंसा की गई और इसे देश भर में अपनाने का आग्रह किया गया।

समान नागरिक संहिता के पक्ष में तर्क

  • लैंगिक न्याय और समानता: UCC व्यक्तिगत कानूनों में लैंगिक भेदभाव को समाप्त करेगी, जिससे विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और भरण-पोषण में महिलाओं के लिए समान अधिकार सुनिश्चित होंगे।
    • ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट, 2024 में भारत को 146 देशों में से 129वें स्थान पर रखा गया है, जहाँ महिलाओं के आर्थिक एवं कानूनी अधिकारों में महत्त्वपूर्ण अंतर है।
  • धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक अधिदेश: UCC भारत के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के साथ संरेखित है, यह सुनिश्चित करके कि सभी नागरिकों के साथ समान नागरिक कानून के तहत समान व्यवहार किया जाता है, न कि धर्म-आधारित व्यक्तिगत कानूनों द्वारा शासित किया जाता है।
    • अनुच्छेद-44 (DPSP): संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य को ‘नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए।’
  • राष्ट्रीय एकता और अखंडता: समान नागरिक संहिता धर्म के आधार पर कानूनी विखंडन को दूर करेगी और एकीकृत राष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा देगी, जिससे सांप्रदायिक तनाव कम होगा।
    • जनगणना 2011: भारत में 200 मिलियन से अधिक मुस्लिम, 26 मिलियन ईसाई और कई अन्य अल्पसंख्यक हैं, जिनमें से प्रत्येक अलग-अलग व्यक्तिगत अधिकारों द्वारा शासित है।
    • कानून, कानूनी जटिलताएँ और असमानताएँ उत्पन्न कर रहे हैं।
  • कानूनी प्रणाली का सरलीकरण और मुकदमेबाजी में कमी: UCC कई धार्मिक व्यक्तिगत कानूनों को एक ही ढाँचे में बदल देगा, जिससे कानूनी भ्रम, विरोधाभास और न्यायिक बैकलॉग कम हो जाएगा।
    • हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 को वर्ष 2005 में बेटियों को समान संपत्ति अधिकार देने के लिए संशोधित किया गया था, जबकि मुस्लिम उत्तराधिकार कानून अभी भी पुरुष उत्तराधिकारियों के पक्ष में हैं।
  • विवाह और उत्तराधिकार में महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण: महिलाएँ, विशेष रूप से मुस्लिम और आदिवासी समुदायों में, असमान उत्तराधिकार अधिकारों, बहुविवाह और कानूनी सुरक्षा की कमी के कारण पीड़ित हैं।
    • UNDP लैंगिक असमानता सूचकांक (2022): भेदभावपूर्ण उत्तराधिकार और विवाह कानूनों के कारण भारत 108वें स्थान पर है।
    • राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (2019): कृषि श्रम में 50% योगदान के बावजूद महिलाओं के पास केवल 13% कृषि भूमि है।
  • धार्मिक शोषण और कानूनों के दुरुपयोग पर अंकुश लगाना: UCC व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए धर्म-आधारित कानूनों के दुरुपयोग को रोकेगा, जिससे कानूनी स्थिरता सुनिश्चित होगी।
    • हालाँकि तीन तलाक को समाप्त कर दिया गया था, मुस्लिम पुरुष अभी भी अन्य समुदायों की तुलना में अपनी पत्नियों को आसानी से तलाक दे सकते हैं।

समान नागरिक संहिता के विरुद्ध तर्क

  • धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: UCC संविधान के अनुच्छेद-25 और अनुच्छेद-26 का उल्लंघन कर सकता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं और समुदायों को अपने मामलों का प्रबंधन स्वयं करने की अनुमति देते हैं।
    • 21वाँ विधि आयोग (2018): इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि UCC उस समय ‘न तो आवश्यक था और न ही वांछनीय’, क्योंकि यह भारत की धार्मिक विविधता को कमजोर कर सकता था।
  • भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता के लिए खतरा: भारत में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और 700 से अधिक आदिवासी समुदाय रहते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अलग-अलग व्यक्तिगत कानून हैं और सभी के लिए एक ही तरह का UCC सांस्कृतिक पहचान समाप्त कर सकता है।
    • आदिवासी कानून (अनुच्छेद-371 तथा 5वीं एवं 6वीं अनुसूची): खासी, नागा और मिजो समुदायों जैसे आदिवासियों के लिए विशेष सुरक्षा मौजूद है, जिनके रीति-रिवाज UCC के साथ मेल नहीं खा सकते हैं।
  • बहुसंख्यकवाद और राजनीतिक दुरुपयोग का डर: कई अल्पसंख्यकों को डर है कि UCC वास्तव में धर्मनिरपेक्ष नहीं है, बल्कि यह सभी समुदायों पर हिंदू-केंद्रित कानून लागू करने का प्रयास है, जो संभावित रूप से बहुलवाद को समाप्त कर सकता है।
    • उत्तराखंड UCC (2024): आलोचकों का तर्क है कि उत्तराखंड में पारित UCC असंगत रूप से मुस्लिम प्रथाओं (बहुविवाह, तीन तलाक पर प्रतिबंध) को लक्षित करता है, जबकि हिंदू पूर्वाग्रहों, जैसे कि महिलाओं के लिए विरासत और मंदिर में प्रवेश को संबोधित नहीं करता है।
  • कार्यान्वयन में व्यावहारिक चुनौतियाँ: भारत की विशाल विविधता को देखते हुए, एक समान कानून लागू करने के लिए कई व्यक्तिगत कानूनों के पुनर्निर्माण की आवश्यकता होगी, जिससे कानूनी और प्रशासनिक अराजकता उत्पन्न होगी।
    • विशेष विवाह अधिनियम (1954): पहले से ही धर्मनिरपेक्ष विवाह की अनुमति देता है, लेकिन सामाजिक उपेक्षा के कारण इसका उपयोग शायद ही कभी किया जाता है, जिससे पता चलता है कि मौजूदा विकल्प भी व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है।
  • अल्पसंख्यक और जनजातीय समुदायों का प्रतिरोध: कई अल्पसंख्यक समूहों को लगता है कि समान नागरिक संहिता उनकी विशिष्ट पहचान को मिटा देगी, पारंपरिक प्रथाओं को बाधित करेगी और उनके समुदायों को हाशिए पर डाल देगी।
    • नागा और मिजो प्रथागत कानून विवाह और उत्तराधिकार को अलग-अलग तरीके से नियंत्रित करते हैं, अक्सर संहिताबद्ध कानूनों की तुलना में जनजातीय बुजुर्गों के निर्णयों को प्राथमिकता देते हैं।
  • सामाजिक अशांति और प्रतिरोध की संभावना: UCC के अचानक या जबरन लागू होने से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, सांप्रदायिक तनाव और कानूनी चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • वर्ष 2019-2020 के CAA-NRC को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन ने दर्शाया कि अल्पसंख्यकों को लक्षित करने वाले कानूनों ने बड़े पैमाने पर अशांति उत्पन्न की। जल्दबाजी में लागू किए गए UCC के परिणामस्वरूप इसी तरह का राष्ट्रव्यापी विरोध हो सकता है।

समान नागरिक संहिता (UCC) के कार्यान्वयन के लिए आगे की राह

  • क्रमिक एवं चरणबद्ध कार्यान्वयन: UCC को भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। चरण-दर-चरण दृष्टिकोण समुदायों को समय के साथ अनुकूलन करने में मदद कर सकता है। 
    • विधि आयोग (2018): सुझाव दिया गया है कि व्यक्तिगत कानूनों में क्रमिक सुधार UCC लागू करने से अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
  • व्यापक सार्वजनिक परामर्श और आम सहमति निर्माण: UCC को सभी समुदायों की चिंताओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए, न कि केवल बहुसंख्यकों की। परामर्श समावेशिता सुनिश्चित करता है और प्रतिरोध को कम करता है।
    • 22वाँ विधि आयोग (2023-24): UCC चर्चाओं को पुनः शुरू किया और विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों से सार्वजनिक प्रतिक्रिया आमंत्रित की।
  • मौजूदा व्यक्तिगत कानूनों को समाप्त करने के बजाय उनमें सामंजस्य स्थापित करना: एकल समान नागरिक संहिता लागू करने के बजाय, भेदभावपूर्ण प्रथाओं को दूर करने के लिए व्यक्तिगत कानूनों में सुधार और सामंजस्य स्थापित करना अधिक प्रभावी हो सकता है।
    • मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 ने मुस्लिम व्यक्तिगत कानून के अन्य पहलूओं को बरकरार रखते हुए ट्रिपल तलाक को समाप्त कर दिया।
  • अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के लिए संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करना: कई अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदायों को डर है कि समान नागरिक संहिता उनकी पहचान को कमजोर कर देगी। कानूनी सुरक्षा उपाय समानता सुनिश्चित करते हुए उनके सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।
    • उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (2024): अनुसूचित जनजातियों (ST) को छूट दी गई, उनके संवैधानिक संरक्षण का सम्मान किया गया।
  • कानूनी जागरूकता और लैंगिक न्याय अभियान को मजबूत करना: महिलाओं के उत्तराधिकार संबंधी अधिकार, तलाक कानून और विवाह अधिकारों पर जन जागरूकता अभियान।
    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना ने लैंगिक समानता पर जागरूकता बढ़ाने में मदद की है, इसी तरह के कार्यक्रम समान नागरिक संहिता पर कानूनी साक्षरता को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • वैश्विक मॉडल और सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखना: तुर्किए, फ्राँस और जर्मनी जैसे देशों ने धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिताओं को स्थानीय परंपराओं के साथ सावधानीपूर्वक अनुकूलन के साथ लागू किया है।
    • एक हाइब्रिड दृष्टिकोण अपनाएँ, जिससे समुदायों को अपनी गति से बदलाव करने की अनुमति मिले।
    • गोवा UCC की सफलता: गोवा में दशकों से समान नागरिक संहिता लागू है, जो यह सिद्ध करता है कि धीरे-धीरे अनुकूलन करना जबरन लागू करने से बेहतर कार्य करता है।

निष्कर्ष 

समान नागरिक संहिता (UCC) भारत में लैंगिक न्याय, राष्ट्रीय एकता और कानूनी एकरूपता सुनिश्चित करने की दिशा में एक जटिल लेकिन महत्त्वपूर्ण कदम है। हालाँकि, इसका कार्यान्वयन क्रमिक, परामर्शी और समावेशी होना चाहिए, जिसमें भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का सम्मान किया जाना चाहिए। एक संतुलित दृष्टिकोण (मौजूदा व्यक्तिगत कानूनों में सामंजस्य स्थापित करना, अल्पसंख्यकों के लिए संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करना और कानूनी जागरूकता को बढ़ावा देना) अनावश्यक संघर्षों को बढ़ावा दिए बिना सामाजिक सामंजस्य और कानूनी समानता प्राप्त करने की कुंजी होगी।

संदर्भ 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ शवाधान मामले (Chhattisgarh Burial Case) में खंडित निर्णय दिया है।

संबंधित तथ्य 

  • इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश इस बात पर असहमत थे कि क्या एक ईसाई व्यक्ति को अपने पिता को निजी भूमि पर या निर्दिष्ट कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
  • न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपनी निजी कृषि भूमि पर अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी जानी चाहिए, हालाँकि न्यायमूर्ति एस. सी. शर्मा ने निर्णय दिया है कि शवाधान प्रथा एक निर्दिष्ट ईसाई कब्रिस्तान में संपादित होनी चाहिए।
  • हालाँकि, सामान्य प्रक्रियाओं के विपरीत, मामले को अंतिम निर्णय के लिए एक बड़ी पीठ को नहीं भेजा गया था।

खंडित निर्णय (Split Verdict) 

  • विखंडित निर्णय की स्थिति तब निर्मित होती है, जब सम संख्या वाले न्यायाधीशों वाली पीठ सर्वसम्मति या बहुमत के निर्णय पर नहीं पहुँच पाती है।
  • यह आमतौर पर दो न्यायाधीशों वाली पीठों (डिवीजन बेंच) के साथ होता है, जहाँ दोनों न्यायाधीशों की राय अलग-अलग होती है।
  • आमतौर पर, जब विखंडित निर्णय होता है, तो मामले को अंतिम निर्णय सुनिश्चित करने के लिए विषम संख्या वाले न्यायाधीशों (तीन, पाँच या अधिक) वाली बड़ी पीठ को भेजा जाता है।

खंडित निर्णयों के पूर्व उदाहरण एवं उनके परिणाम

  • कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामला (2022)
    • न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए कहा कि यह सभी छात्रों पर समान रूप से लागू होता है। 
    • न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने प्रतिबंध को खारिज करते हुए कहा कि यह छात्रों के शिक्षा के अधिकार और धर्म की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। 
    • मामले को एक बड़ी बेंच को भेज दिया गया, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने अभी तक सुनवाई शुरू नहीं की है।
  • वर्ष 1993 का मुंबई विस्फोट: याकूब मेमन को मौत की सजा (2013)
    • न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे ने मृत्युदंड को बरकरार रखा। 
    • न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने प्रक्रियागत अनियमितताओं की समीक्षा के लिए स्थगन के पक्ष में निर्णय दिया। 
    • तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई की और अगले दिन मृत्युदंड की पुष्टि की।
  • गर्भावस्था समाप्ति मामला (2023)
    • एक महिला ने गर्भावस्था के 24 सप्ताह बाद गर्भपात की माँग की।
    • जस्टिस नागरत्ना और हिमा कोहली ने शुरू में गर्भपात की अनुमति दी।
    • बाद में एक मेडिकल रिपोर्ट ने संकेत दिया कि भ्रूण के बचने की संभावना बहुत अधिक थी।
    • जस्टिस कोहली ने अपना निर्णय पलट दिया और मामला तीन न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दिया, जिसने गर्भपात की अनुमति नहीं दी।

खंड पीठ (डिवीजन बेंच) 

  • खंड पीठ (डिवीजन बेंच) से तात्पर्य एक न्यायिक पीठ से है, जिसमें उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के दो या अधिक न्यायाधीश शामिल होते हैं। 
  • यह उन मामलों की सुनवाई के लिए एक सामान्य प्रारूप है, जिसमें कानूनों या संवैधानिक मामलों की व्याख्या की आवश्यकता होती है।

संवैधानिक पीठ

संवैधानिक पीठ भारत के सर्वोच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ है, जिसमें कम-से-कम पाँच न्यायाधीश होते हैं।

  • इसका गठन संविधान की व्याख्या से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर निर्णय लेने के लिए किया जाता है।

संदर्भ 

हाल ही में महाराष्ट्र के जलगाँव में हुई रेल दुर्घटना ने भारतीय रेलवे में यात्री सुरक्षा और लापरवाही से जुड़े गंभीर मुद्दों को प्रकाश में ला दिया है।

संबंधित तथ्य 

  • रेलवे संबंधी स्थायी समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में भारतीय रेलवे की परिचालन और वित्तीय स्थिति के संबंध में कई चिंताओं को उजागर किया है।

भारतीय रेलवे: एक संक्षिप्त परिचय

  • भारतीय रेलवे का इतिहास 160 वर्ष से भी प्राचीन है।
  • 16 अप्रैल, 1853 को बोरीबंदर (बॉम्बे) और ठाणे के बीच पहली यात्री ट्रेन संचालित की गई थी, जो 34 किलोमीटर की दूरी तय करती थी।
  • नेटवर्क का आकार: भारतीय रेलवे, देश भर में 67,000 किलोमीटर से ज्यादा ट्रैक का संचालन करता है, जो इसे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क बनाता है (संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद)।
  • स्टेशनों की संख्या: देश भर में 7,300 से अधिक रेलवे स्टेशन हैं।
  • यात्री यातायात: भारतीय रेलवे वार्षिक रूप से 8 बिलियन से अधिक यात्रियों के परिवहन में सहायक  है।
  • माल यातायात: भारतीय रेलवे प्रत्येक वर्ष लगभग 1,200 मिलियन टन माल का संचालन करता है, जिससे यह विश्व के सबसे बड़े मालवाहकों में से एक बन गया है।

भारतीय रेलवे का संगठनात्मक ढाँचा

  • भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है और इसकी संगठनात्मक संरचना जटिल है, जिसमें इसके विशाल संचालन को प्रबंधित करने के लिए कई परतें निर्मित की गई हैं।
  • रेल मंत्रालय: पदानुक्रम के शीर्ष पर रेल मंत्रालय है।
    • रेल मंत्रालय का नेतृत्व रेल मंत्री करते हैं तथा रेल राज्य मंत्री उनकी सहायता करते हैं।
  • रेलवे बोर्ड: रेलवे बोर्ड, भारतीय रेलवे में नीतियों को तैयार करने और कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं के कार्यान्वयन की देख-रेख करने के लिए जिम्मेदार शीर्ष निकाय है।
    •  रेलवे बोर्ड रेल मंत्रालय के माध्यम से संसद को रिपोर्ट करता है। 
    • बोर्ड की संरचना में अध्यक्ष और कई सदस्य शामिल हैं, जिनके पास जिम्मेदारी के विशिष्ट क्षेत्र हैं।

रेलवे संबंधी स्थायी समिति द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दे

  • मालगाड़ियों की कम औसत गति
    • पिछले 11 वर्षों में मालगाड़ियों की औसत गति केवल 25.14 किमी./घंटा रही है।
    • यह धीमी गति भारतीय रेलवे की आय बढ़ाने में एक बड़ी बाधा के रूप में देखी जाती है।
      • माल ढुलाई सेवाएँ 8 भारतीय रेल के राजस्व में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं।

मालगाड़ियों की कम औसत गति में सुधार के लिए उठाए गए कदम

  • दो समर्पित माल गलियारों (DFC) का निर्माण
    • पूर्वी DFC (लुधियाना से सोननगर – 1,337 किमी) का निर्माण पूरा हो चुका है।
    • पश्चिमी DFC (JNPT, मुंबई से दादरी – 1,506 किमी.) का निर्माण आंशिक रूप से पूरा हो चुका है, जबकि 102 किमी. का कार्य बाकी है, जो दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
  • समिति ने रेल मंत्रालय से नये DFC पर कार्य तेज करने का आग्रह किया।

  • माल ढुलाई सेवाओं से राजस्व
    • माल ढुलाई सेवाएँ भारतीय रेलवे की आय का प्रमुख स्रोत हैं।
    • वर्ष 2023-24 में, भारतीय रेलवे ने 1,68,293 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जबकि वित वर्ष 2024-25 के लिए 1,80,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है।
    • राजस्व लक्ष्यों को पूरा करने के लिए माल ढुलाई की उच्च गति और बेहतर लॉजिस्टिक्स आवश्यक हैं।
  • ‘कवच-Kavach’ सुरक्षा प्रणाली के कार्यान्वयन में धीमी प्रगति
    • कवच एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली है, जो लोको पायलट द्वारा ब्रेक लगाने में विफल रहने पर स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर टकराव को रोकने में सहायता करती है।
  • अनुसंधान एवं विकास निधि का कम उपयोग
    • अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (RDSO) भारतीय रेलवे के अनुसंधान एवं विकास के लिए जिम्मेदार है। 
    • वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुसंधान एवं विकास का बजट आवंटन 72.01 करोड़ रुपये है, जो अपेक्षाकृत कम है। 
    • पिछले वर्षों में वित्तीय उपयोग में कमी आई है:
      • वित्तीय वर्ष 2022-23: 107 करोड़ रुपये में से केवल 39.12 करोड़ रुपये ही खर्च हुए।
      • वित्तीय वर्ष 2023-24: 66.52 करोड़ रुपये में से केवल 28.34 करोड़ रुपये ही खर्च हुए।
    • समिति ने इस बात पर जोर दिया कि अनुसंधान एवं विकास एक दीर्घकालिक निवेश है और रेलवे को धन का उचित उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
  • भारतीय रेलवे के शुद्ध राजस्व में गिरावट
    • समिति ने कहा कि हाल के वर्षों में भारतीय रेलवे का शुद्ध राजस्व नगण्य रहा है:
      • वर्ष 2022-23 और 2023-24: शुद्ध राजस्व न्यूनतम था।
      • वर्ष 2024-25: शुद्ध राजस्व का बजट अनुमान सिर्फ 2,800 करोड़ रुपये है।
    • इसका मुख्य कारण यात्री वर्ग, विशेषकर AC क्लास से कम राजस्व प्राप्त होना है।
    • समिति ने यात्री किराए की समीक्षा करने तथा इस वर्ग में घाटे को कम करने की रणनीति बनाने की सिफारिश की है।

रेलवे में यात्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK): महत्त्वपूर्ण सुरक्षा परिसंपत्तियों को बदलने, नवीनीकृत करने और उन्नत करने के लिए पाँच वर्ष के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के कोष के साथ वर्ष 2017-18 में शुरू किया गया।
  • इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम: मानवीय भूल से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्टेशनों पर लगाए गए।
  • रेट्रो-रिफ्लेक्टिव सिग्मा बोर्ड: कोहरे के मौसम के दौरान लोको पायलट को आगे के सिग्नल के बारे में चेतावनी देने के लिए लगाए गए।
  • मानव रहित लेवल क्रॉसिंग का उन्मूलन: जनवरी 2019 तक सभी ब्रॉड गेज (BG) यूएमएलसी को समाप्त कर दिया गया।
  • रोलिंग ब्लॉक अवधारणा: नवंबर 2023 में शुरू की गई, यह प्रणाली रोलिंग आधार पर 52 सप्ताह पहले तक रखरखाव, मरम्मत और प्रतिस्थापन कार्य की योजना बनाती है।
  • कवच-स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली: कवच एक अत्यधिक उन्नत ATP प्रणाली है, जो लोको पायलट द्वारा ऐसा करने में विफल होने पर स्वचालित रूप से ब्रेक लगाती है।

रेलवे सुरक्षा बढ़ाने के लिए गठित समितियाँ

  • काकोदकर समिति (2001): भारतीय रेलवे के सुरक्षा उपायों की समीक्षा के लिए वर्ष 2001 में भारत सरकार द्वारा काकोदकर समिति की स्थापना की गई थी।
    • समिति का ध्यान रेल दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करने तथा सुरक्षा में सुधार के लिए सुधारात्मक कार्रवाई की सिफारिश करने पर था।
  • विनोद राय समिति (2012): विनोद राय समिति का गठन रेल दुर्घटनाओं की एक शृंखला के बाद किया गया था और इसका उद्देश्य रेलवे परिचालन की सुरक्षा में सुधार करना था।
  • बिबेक देबरॉय समिति (2014): बिबेक देबरॉय समिति को भारतीय रेलवे के लिए सुधारों की सिफारिश करने का कार्य सौंपा गया था, जिसमें दक्षता और सुरक्षा में सुधार पर विशेष ध्यान दिया गया था।

भारतीय रेलवे के समक्ष अन्य मुद्दे 

  • पटरियों पर अत्यधिक भार: लगभग 60% मार्ग 100% से अधिक क्षमता पर संचालित होते हैं, जिसके कारण देरी और दुर्घटनाएँ होती हैं।
  • ट्रेन दुर्घटनाएँ: सुरक्षा उपायों के बावजूद रेलगाडियों के पटरी से उतरने, टक्कर और लेवल-क्रॉसिंग दुर्घटनाएँ जारी हैं।
    • वित्तीय वर्ष 2023-24 में 40 रेल दुर्घटनाओं में 313 यात्रियों की मृत्यु हुई तथा चार रेलवे कर्मचारियों की मृत्यु हुई।
  • पुरानी सिग्नलिंग प्रणाली: कई सेक्शन में अभी भी मैनुअल सिग्नलिंग का उपयोग किया जाता है, जिससे अकुशलताएँ पैदा होती हैं।
  • AI और ऑटोमेशन को अपनाने में देरी: वैश्विक रेल नेटवर्क के विपरीत, भारतीय रेलवे AI-आधारित पूर्वानुमानित प्रबंधन पीछे है।
    • Shift2Rail कार्यक्रम, जो रेल परिवहन को आधुनिक बनाने की यूरोपीय संघ की पहल का हिस्सा है, ने ट्रेन के घटकों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए पूर्वानुमानित रखरखाव, रेल बुनियादी ढाँचे की वास्तविक समय निगरानी और ट्रेन समय-निर्धारण तथा मार्ग नियोजन को अनुकूलित करने के लिए एआई का उपयोग किया है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: विस्तार परियोजनाओं से प्रायः पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचता है।
    • उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक पर स्थानीय वनस्पतियों और जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण पर्यावरणविदों ने विरोध प्रदर्शन किया है।
  • परियोजना में देरी और नौकरशाही की बाधाएँ: बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को अक्सर भूमि अधिग्रहण में देरी, मुकदमेबाजी और नौकरशाही की अक्षमताओं का सामना करना पड़ता है।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप: निर्णय लेने की प्रक्रिया राष्ट्रीय हित के बजाय क्षेत्रीय और चुनावी विचारों से प्रभावित होती है।

कवच: भारत की स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली

  • कवच स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली है, जिसे भारतीय उद्योग के सहयोग से अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा डिजाइन किया गया है।
  • भारतीय रेलवे में ट्रेन संचालन में सुरक्षा बढ़ाने के लिए दक्षिण मध्य रेलवे (SCR) द्वारा इसका परीक्षण किया गया था।

भारतीय रेलवे का निजीकरण

लाभ

हानि

बढ़ी हुई दक्षता: निजीकरण से प्रतिस्पर्द्धा के कारण बेहतर प्रबंधन, बेहतर सेवाएँ और परिचालन दक्षता प्राप्त हो सकती है।

पहुँच में कमी: निजी कंपनियाँ लाभदायक मार्गों पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं तथा कम लाभदायक, दूरस्थ या ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा कर सकती हैं।

बेहतर बुनियादी ढाँचा: निजी कंपनियाँ आधुनिक प्रौद्योगिकी में निवेश कर सकती हैं और सुविधाओं को उन्नत कर सकती हैं, जिससे बुनियादी ढाँचे और यात्री अनुभव में सुधार होगा।

उच्च किराया: निजीकरण से किराया बढ़ सकता है, जिससे समाज के कुछ वर्गों के लिए यात्रा कम किफायती हो जाएगी।

नवप्रवर्तन एवं प्रौद्योगिकी: निजी ऑपरेटर नवीन प्रौद्योगिकियों को लागू कर सकते हैं, जैसे उच्च गति वाली रेलगाड़ियाँ, आधुनिक टिकट प्रणाली और बेहतर रखरखाव प्रोटोकॉल।

रोजगार में कटौती हो सकती है या श्रम स्थितियों में परिवर्तन हो सकता है, जिससे वर्तमान रेलवे कर्मचारियों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।

आर्थिक विकास को बढ़ावा: उन्नत दक्षता और बुनियादी ढाँचे के परिणामस्वरूप व्यापार, पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है।

सार्वजनिक हित की अपेक्षा लाभ को प्राथमिकता: निजी ऑपरेटर यात्री कल्याण की अपेक्षा लाभ को प्राथमिकता देते हैं, जिससे सेवा की गुणवत्ता और सुरक्षा से समझौता हो जाता है।

सरकारी बोझ में कमी: सरकार रखरखाव और विकास की जिम्मेदारी निजी संस्थाओं को सौंपकर वित्तीय बोझ को कम करने में सक्षम हो सकती है।

सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: यदि उचित रखरखाव और विनियमन की कीमत पर लागत में कटौती के उपाय किए जाते हैं, तो निजीकरण से सुरक्षा संबंधी जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं।

वर्तमान परिदृश्य

भारत सरकार ने भारतीय रेलवे के भीतर कुछ सेवाओं के आंशिक निजीकरण और निगमीकरण की दिशा में कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए:

  • भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC): भारतीय रेलवे की एक सहायक कंपनी, IRCTC खानपान, पर्यटन और ऑनलाइन टिकटिंग का काम सँभालती है। इसका आंशिक रूप से निजीकरण किया गया है और यह स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है।
  • निजी ट्रेनें: सरकार ने सेवा की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार के लिए कुछ मार्गों पर निजी ट्रेन ऑपरेटरों की शुरुआत की है।
    • लखनऊ-नई दिल्ली तेजस एक्सप्रेस, जिसका उद्घाटन किया गया, निजी ऑपरेटरों, आईआरसीटीसी द्वारा संचालित भारत की पहली ट्रेन है।
  • स्टेशन आधुनिकीकरण: रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण और विकास में भाग लेने के लिए निजी खिलाड़ियों को आमंत्रित किया गया है।

आगे की राह

  • बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण: समर्पित माल गलियारा (DFC) और हाई-स्पीड रेल परियोजनाओं को लागू करना।
    • जापान की शिंकानसेन तकनीक द्वारा समर्थित मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन, शहरों के बीच यात्रा के समय को 8 घंटे से घटाकर 2 घंटे कर देगी।
  • वित्तीय सुधार: किराए को तर्कसंगत बनाना, PPP मॉडल की खोज करना और परिचालन दक्षता में सुधार करना।
    • ब्रिटेन के नेटवर्क रेल ने बुनियादी ढाँचे के विकास और स्टेशन उन्नयन के लिए कई PPP को लागू किया है, जिससे रेल क्षेत्र में दक्षता और निवेश में सुधार हुआ है।
  • सुरक्षा संवर्द्धन: कवच (टकराव रोधी प्रणाली) का विस्तार, आधुनिक सिग्नलिंग और बेहतर स्टाफ प्रशिक्षण।
    • यूरोप का ETCS (यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली) दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वास्तविक समय गति नियंत्रण और स्वचालित ब्रेकिंग प्रदान करता है, जो दुनिया के सबसे सुरक्षित रेल नेटवर्क में से एक है।
  • यात्री-केंद्रित सुधार: स्वच्छता, टिकट प्रणाली और स्टेशन सुविधाओं में सुधार।
    • स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत अभियान स्वच्छता पर केंद्रित है और इसके अंतर्गत ट्रेनों और स्टेशनों में सफाई निरीक्षकों की नियुक्ति की गई है। 
    • अमृत भारत स्टेशन योजना का लक्ष्य 500 से अधिक स्टेशनों को बेहतर बनाना है, जिसमें प्रतीक्षालय, मुफ्त वाई-फाई और स्वच्छ शौचालय जैसी बेहतर सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: विद्युतीकरण, सौर ऊर्जा से संचालित स्टेशनों और अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना।
    • भारतीय रेलवे ने वर्ष 2030 तक सभी रेलवे ट्रैकों का विद्युतीकरण पूरा करके ‘नेट जीरो’ इकाई बनने का लक्ष्य रखा है।

निष्कर्ष

हालाँकि भारतीय रेलवे भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है, आधुनिकीकरण, वित्तीय पुनर्गठन और तकनीकी प्रगति के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान करना इसकी दीर्घकालिक स्थिरता और दक्षता के लिए महत्त्वपूर्ण है।

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