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Feb 10 2025

ट्रोपेक्स (TROPEX) अभ्यास 2025

भारतीय नौसेना जनवरी से मार्च 2025 तक हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अपनी द्विवार्षिक थिएटर लेवल ऑपरेशनल एक्सरसाइज (TROPEX-25) आयोजित कर रही है।

ट्रोपेक्स (TROPEX) अभ्यास के बारे में

  • यह एक बड़ा नौसैनिक अभ्यास है।
  • यह प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित किया जाता है एवं इसमें संयुक्त अभियान तथा समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिए भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना एवं तटरक्षक बल की भागीदारी जैसे उद्देश्य शामिल हैं।
  • प्रमुख उद्देश्य
    • नौसेना के युद्ध कौशल का परीक्षण करना एवं उसमें सुधार करना।
    • समुद्री सुरक्षा खतरों के प्रति समन्वित एवं एकीकृत प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना।
    • विवादित समुद्री वातावरण में पारंपरिक एवं मिश्रित खतरों के लिए तैयार रहना।
  • भागीदारी 
    • स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत 
    • अत्याधुनिक विशाखापत्तनम एवं कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक 
    • कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियाँ 
    • विमान बेड़े में मिग 29K 
    • P8I 
    • HALE ​​सी गार्जियन एवं MH-60R हेलीकॉप्टर।

सारंडी स्ट्रीम

हाल ही में ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना के पास एक जलधारा (सारंडी स्ट्रीम) लाल रंग में परिवर्तित हो गई है, जिससे औद्योगिक रासायनिक डंपिंग की आशंका उत्पन्न हो गई है।

सारंडी स्ट्रीम के बारे में

  • यह ब्यूनस आयर्स के पास एक छोटी सहायक नदी है। 
  • यह रियो डी ला प्लाटा में प्रवाहित होती है।
    • रियो डी ला प्लाटा अर्जेंटीना एवं उरुग्वे द्वारा साझा किया जाने वाला एक प्रमुख मुहाना है।
  • समस्याएँ
    • इससे पूर्व भी इस जलधारा का रंग परिवर्तित हो चुका है, जो धूसर, हरा, बैंगनी, नीला, भूरा तथा तैलीय सतह वाला दिखाई देता है।
    • इसके अलावा, इससे तीव्र गंध आती है।
    • इसके लाल होने का कारण
      • ऐसे रंग के लिए विभिन्न प्रकार के रंग एवं दवाओं में प्रयोग होने वाला जहरीला रसायन एनिलीन (Aniline) जिम्मेदार माना जा रहा है।

विश्व स्वर्ण परिषद की रिपोर्ट

विश्व स्वर्ण परिषद के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, उच्च निवेश माँग एवं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बड़ी खरीद के कारण वर्ष 2024 में भारत का स्वर्ण आयात वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 5% बढ़कर 802.8 टन हो गया।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • भारत का स्वर्ण आयात एवं माँग (2024)
    • स्वर्ण का आयात: मजबूत निवेश माँग एवं RBI द्वारा स्वर्ण की खरीद के कारण वर्ष 2024 में 5% बढ़कर 802.8 टन हो गया।
    • आभूषणों की माँग: स्वर्ण की ऊँची कीमतों के कारण 2% घटकर 563.4 टन रही।
    • निवेश की माँग: वर्ष 2024 में 29% बढ़कर 239.4 टन हो गई, चौथी तिमाही (76 टन) में 14% की वृद्धि के साथ।
    • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा स्वर्ण की खरीद
      • RBI का स्वर्ण भंडार: वर्ष 2024 में 73 टन की वृद्धि (वर्ष 2023 में 16 टन की तुलना में)।
      • विदेशी मुद्रा भंडार में हिस्सेदारी: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में स्वर्ण की हिस्सेदारी 11% (अब तक का उच्चतम) तक पहुँच गई।

विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council- WGC) के बारे में

  • स्थापित: वर्ष 1987 में प्रमुख स्वर्ण खनन कंपनियों द्वारा।
  • प्रकार: प्रमुख स्वर्ण उत्पादकों का गैर-लाभकारी संघ।
  • मुख्यालय: लंदन, यू. के.।
  • सदस्य: 33 स्वर्ण खनन कंपनियाँ एवं अन्य उद्योग हितधारक।
  • उद्देश्य एवं कार्य
    • बाजार विकास: विपणन, अनुसंधान एवं सिफारिश के माध्यम से स्वर्ण की माँग को बढ़ावा देता है।
    • स्वर्ण मानक एवं नीतिगत सिफारिश: निष्पक्ष तथा सतत् स्वर्ण बाजार के लिए नीतियों एवं मानकों को आकार देता है।
    • स्थिरता एवं जिम्मेदार खनन: नैतिक एवं सतत् स्वर्ण की खनन प्रथाओं को सुनिश्चित करता है।

शतावरी: बेहतर स्वास्थ्य अभियान के लिए

आयुष मंत्रालय ने औषधीय पौधों के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक नया प्रजाति-विशिष्ट अभियान, ‘शतावरी- बेहतर स्वास्थ्य के लिए’ शुरू किया है। 

शतावरी के बारे में 

  • शतावरी (शतावरी रेसमोसस) एक जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग आमतौर पर आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है।
  • इसे विशेष रूप से महिलाओं के लिए इसके कई स्वास्थ्य लाभों के लिए पहचाना गया है। 

शतावरी के स्वास्थ्य लाभ

  • आयुर्वेद में शतावरी का व्यापक रूप से इसके कई स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोग किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:-
    • महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य में वृद्धि करना। 
    • रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना। 
    • पाचन एवं आँत के स्वास्थ्य में सहायता। 
    • तनाव एवं चिंता को कम करना। 

अभियान का महत्त्व

  • शतावरी के औषधीय गुणों के बारे में जनता को शिक्षित करना।
  • इसकी खेती एवं सतत् प्रबंधन को बढ़ावा देना।
  • वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के ‘पंचप्रण-लक्ष्य’ के साथ सामंजस्य स्थापित करना।

संदर्भ 

रूस का Su-57E स्टील्थ फाइटर (पाँचवीं पीढ़ी) का एक प्रोटोटाइप एयरो इंडिया 2025 में भाग लेने के लिए 6 फरवरी को बंगलूरू के येलहंका एयर बेस पर उतरा।

संबंधित तथ्य

  • भारत विश्व का दूसरा देश बन गया है, जहाँ रूस Su-57E का प्रदर्शन कर रहा है, इससे पहले वर्ष 2024 में चीन के झुहाई एयरशो में इसका प्रदर्शन किया गया था।
  • एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस प्रदर्शनी, एयरो इंडिया 2025 का 15वाँ संस्करण 10 से 14 फरवरी के बीच आयोजित किया जाएगा।

रूस और भारत की संयुक्त भागीदारी

  • रूस सक्रिय रूप से Su-57E स्टील्थ फाइटर में भारत के हितों को ध्यान में रखकर इसे अपडेट करने का प्रयास कर रहा है।
  • रूस (रोसोबोरोनेक्सपोर्ट) के प्रस्ताव
    • Su-57E विमान की प्रत्यक्ष खरीद।
    • भारत में संयुक्त उत्पादन।
    • भारत को अपना 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान विकसित करने में सहायता करना।

पृष्ठभूमि: भारत की निलंबित FGFA परियोजना

  • वर्ष 2007: भारत एवं रूस ने Su-57 पर आधारित पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (Fifth-Generation Fighter Aircraft- FGFA) के सह-विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
  • वर्ष 2010: FGFA को IAF-विशिष्ट अनुकूलन के साथ दो सीटों वाले SU-57 संस्करण के रूप में योजनाबद्ध किया गया था।
  • वर्ष 2018 में निलंबन: भारत ने समझौते पर रोक लगा दी, जिसके निम्नलिखित कारण थे:
    • लागत संबंधी असहमति।
    • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण संबंधी चिंताएँ।
    • स्टील्थ एवं सुपरक्रूज क्षमता पर वायुसेना की चिंताएँ।

उन्नयन एवं प्रदर्शन संवर्द्धन

  • रूस ने भारतीय वायुसेना की कई चिंताओं को संबोधित किया है, विशेष रूप से इंजन प्रदर्शन एवं स्टील्थ क्षमताओं में।
  • नए AL-51 स्टेज-2 इंजन मैक 1.6 (संभावित रूप से मैक 2) पर सुपरक्रूज इनेबल करते हैं।
  • विकास में ट्विन-सीट संस्करण, जिसे भारत अतिरिक्त निवेश के बिना अपना सकता है।
  • Su-57 ने सीरिया एवं यूक्रेन में युद्ध परीक्षण में भाग लिया हैं।

भारत द्वारा नवीनीकृत संस्करण को बढ़ावा दिए जाने के प्रयास 

  • भारत के विरोधी देश (चीन एवं पाकिस्तान) तेजी से स्टील्थ विमान प्राप्त कर रहे हैं, जिससे भारतीय वायुसेना के लिए संभावित हवाई श्रेष्ठता का अंतर उत्पन्न हो रहा है।
    • चीन तेजी से अपने J-20 बेड़े (वर्ष 2030 तक लगभग 300) का विस्तार कर रहा है।
    • पाकिस्तान J-31 स्टील्थ लड़ाकू विमान प्राप्त कर रहा है एवं KAAN लड़ाकू विमान पर तुर्किए के साथ सहयोग कर रहा है।

  • भारतीय वायुसेना के बेड़े में बढ़ती स्टील्थ विमानों की कमी 2030 के दशक में भारत की वायु रक्षा क्षमता के लिए खतरा बन सकती है।
  • पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के बिना, भारत को भविष्य के संघर्षों में स्टील्थ प्रौद्योगिकी से पीछे रह जाने का खतरा है।

सुखोई Su-57E के बारे में

  • सुखोई Su-57E पाँचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे रूस ने संयुक्त उत्पादन के लिए भारत को प्रस्तुत किया है। 
  • सुखोई Su-57 सुखोई द्वारा विकसित एक ट्विन इंजन वाला स्टील्थ मल्टीरोल लड़ाकू विमान है।

विशेषताएँ

  • स्टील्थ: Su-57E में नुकीला एग्जॉस्ट नोजल है, जो इसके रडार और इन्फ्रारेड सिग्नेचर को संतुलित करता है। 
  • हथियार पेलोड: Su-57E 7.4 टन तक के हथियार ले जा सकता है, जिसमें हवा-से-हवा और हवा-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं।
  • अधिकतम गति: Su-57E की अधिकतम गति लगभग मैक 1.8 है।
  • अधिकतम संचालन ऊँचाई: Su-57E की अधिकतम संचालन 54,100 फीट की ऊँचाई तक संभव है।
  • युद्ध सीमा: Su-57E की युद्ध सीमा 1,864 मील है।

जेट लड़ाकू विमानों की विभिन्न पीढ़ियाँ (इमेज देखें)

भारत का पाँचवीं पीढ़ी का बहुउद्देशीय लड़ाकू जेट

  • AMCA भारत का स्वदेशी पाँचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर है।
    • इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) एवं DRDO की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) द्वारा विकसित किया जा रहा है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • स्टील्थ प्रौद्योगिकी
    • दुश्मन के रडार से बचने के लिए कम रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) के लिए डिजाइन किया गया।
    • रडार-अवशोषक सामग्री (Radar-Absorbent Materials-RAM) एवं कम-अवलोकन योग्य आकार का उपयोग।
  • ईंधन एवं हथियार क्षमता
    • विस्तारित रेंज के लिए बड़ा आंतरिक ईंधन टैंक (6.5 टन)।
    • आंतरिक हथियार कक्ष को गुप्त बनाए रखने और विभिन्न प्रकार के स्वदेशी और विदेशी हथियारों को समायोजित करने के लिए।
  • इंजन वेरिएंट
    • AMCA Mk1: अमेरिका निर्मित GE414 इंजन (90 kN थ्रस्ट) का उपयोग करेगा।
    • AMCA Mk2: इसमें एक अधिक शक्तिशाली 110 kN इंजन होगा, जिसे DRDO के GTRE द्वारा एक विदेशी रक्षा भागीदार [संभवतः सफ्रान (फ्राँस) या रोल्स-रॉयस (UK)] के सहयोग से विकसित किया गया है।
  • अत्याधुनिक वायुगतिकी एवं डिजाइन
    • इंजन रडार सिग्नेचर को कम करने के लिए ‘सर्पेन्टाइन एयर इनटेक डक्ट’ (Serpentine Air Intake Duct) का उपयोग किया गया है।
    • बेहतर प्रदर्शन एवं गोपनीयता के लिए डायवर्टरलेस सुपरसोनिक इनलेट (DSI) का उपयोग किया गया है।

संदर्भ

पोंग डैम लेक वन्यजीव अभयारण्य (Pong Dam Lake Wildlife Sanctuary) में वर्ष 2025 की वार्षिक पक्षी गणना में जलपक्षी आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

संबंधित तथ्य

  • सर्वेक्षण के दौरान 97 प्रजातियों के कुल 1,53,719 पक्षियों का दस्तावेजीकरण किया गया।
  • अधिकारियों ने प्रवासी पक्षियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी।
  • प्रमुख निष्कर्षों में, अभयारण्य की प्रमुख प्रजाति, बार-हेडेड गीज की आबादी में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है।

‘पोंग डैम लेक’ वन्यजीव अभयारण्य

  • ‘पोंग डैम लेक’ वन्यजीव अभयारण्य एक मानव निर्मित जलाशय है, जो ब्यास नदी पर पोंग बाँध के निर्माण के पश्चात् निर्मित हुआ है।
  • इसे महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है।
  • भौगोलिक अवस्थिति: यह हिमाचल प्रदेश में शिवालिक पहाड़ियों के आर्द्रभूमि क्षेत्र में स्थित है।
  • पारिस्थितिकी महत्त्व
    • वर्ष 1994 में भारत सरकार द्वारा इसे ‘राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि’ घोषित किया गया था।
    • इसके अंतरराष्ट्रीय महत्त्व को पहचानते हुए वर्ष 2002 में इसे रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया था।
  • वनस्पतियाँ
    • पोंग बाँध झील की वनस्पतियों में जलमग्न वनस्पतियाँ, आसपास के घास के मैदान एवं वन शामिल हैं।
    • इस क्षेत्र में प्रमुख वृक्ष प्रजातियों में नीलगिरी, बबूल एवं शीशम शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय वन्यजीव खोज
    • अभयारण्य की प्रमुख प्रजाति बार-हेडेड गूज की नवीनतम पक्षी गणना में इनकी आबादी में तीव्र वृद्धि देखी गई है।

ब्यास नदी के बारे में

  • उद्गम: ब्यास नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश के धौलाधार रेंज में रोहतांग दर्रे के पास स्थित ब्यास कुंड से होता है।

  • यह उन पाँच नदियों में से एक है, जिनके कारण पंजाब को इसका नाम मिला (‘पंजाब’ का अर्थ है ‘पाँच नदियों का दोआब’)।
  • जलमार्ग: यह हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब राज्यों से होकर प्रवाहित होती है।
  • संगम: ब्यास नदी पंजाब में हरिके आर्द्रभूमि में सतलुज नदी से मिलती है।
    • हरिके आर्द्रभूमि एक रामसर स्थल है एवं प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण आवास है।
  • प्रमुख सहायक नदियाँ
    • बाएँ तट की सहायक नदियाँ: बेन, बाणगंगा, चक्की।
    • दाएँ तट की सहायक नदियाँ: उहल, लूनी, गज, सुकेती।

संदर्भ

नागालैंड के एक लोकप्रिय ट्रैकिंग स्थल के पास लगा हुआ एक दुर्लभ रोडोडेंड्रोन वाट्टी वृक्ष (Rhododendron Wattii Tree) इस प्रजाति के लिए तात्कालिक खतरे को उजागर करता है।

रोडोडेंड्रोन वाट्टी के बारे में

  • विकास एवं आवास: रोडोडेंड्रोन वाट्टी मुख्य रूप से समशीतोष्ण बायोम में झाड़ी या छोटे पौधों के रूप में उगता है।
  • स्थानिक क्षेत्र: यह प्रजाति मणिपुर और नागालैंड में पाई जाती है और विशेष रूप से नागालैंड के दजुको घाटी में अपने प्राकृतिक आवास में।
  • ऐतिहासिक खोज: इस प्रजाति को सबसे पहले सर जॉर्ज वाट ने वर्ष 1882-85 के सर्वेक्षण के दौरान नागालैंड के जाप्फू हिल रेंज में देखा गया था।
  • सदाबहार प्रकृति: यह एक सदाबहार पौधा है, जिसका अर्थ है कि पूरे वर्ष पौधे पर नई पत्तियाँ आती रहती हैं।
  • फूल और फल चक्र: वृक्ष एक विशिष्ट पुष्पण और फल पैटर्न का अनुसरण करता है:
    • पुष्पण की अवधि: फरवरी से अप्रैल तक।
    • फल आने की अवधि: अप्रैल से दिसंबर तक।
  • परागण और पारिस्थितिकी भूमिका: इस प्रजाति का चरागाह और परागण फायर-टेल्ड सनबर्ड एवं भौंरे द्वारा किया जाता है, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • संरक्षण स्थिति: इस प्रजाति को IUCN द्वारा सुभेद्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है
    • प्रजाति का गंभीर रूप से नष्ट होना।
    • सीमित अधिभोग क्षेत्र, जो 500 वर्ग किमी. से कम है।
  • अस्तित्व के लिए खतरा
    • मानवजनित गतिविधियाँ, जैसे वनों की कटाई और आवास का विनाश।
    • वनाग्नि, जो पहले से ही इस क्षरित होती प्रजाति को विनाश की ओर ले जाती है।

संदर्भ 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका और उसके सहयोगी इजरायल को निशाना बनाकर की गई जाँच के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पर प्रतिबंध लगा दिए।

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के बारे में

  • स्थापना एवं उद्देश्य: ICC गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों के आरोपी व्यक्तियों की जाँच और उन पर मुकदमा चलाने के लिए स्थापित पहला अंतरराष्ट्रीय स्थायी न्यायालय है।
    • इसे 17 जुलाई, 1998 को 120 राज्यों द्वारा अपनाया गया था और 1 जुलाई, 2002 को लागू हुआ।
    • ICC का मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में है।
    • इसकी स्थापना संधि को रोम संविधि के नाम से जाना जाता है।
  • क्षेत्राधिकार और अपराध: रोम संविधि ICC को अपराधों की चार मुख्य श्रेणियों पर क्षेत्राधिकार प्रदान करती है:
    1. नरसंहार
    2. युद्ध अपराध
    3. मानवता के विरुद्ध अपराध
    4. आतंकवाद संबंधी अपराध।
    • ICC केवल 1 जुलाई, 2002 को या उसके बाद किए गए अपराधों पर कार्यवाही कर सकता है।
  • सदस्य: ICC में वर्तमान में 124 सदस्य राष्ट्र हैं।
    • भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस और इजरायल रोम संविधि के पक्ष नहीं हैं।
    • फिलिस्तीन वर्ष 2015 में 123वाँ सदस्य बना, जबकि मलेशिया वर्ष 2019 में 124वें राष्ट्र पक्षकार के रूप में शामिल हुआ।
  • आधिकारिक भाषाएँ: अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी, चीनी, रूसी और स्पेनिश।
  • प्रवर्तन और सीमाएँ: ICC के निर्णय बाध्यकारी हैं, लेकिन इसका अपना कोई पुलिस बल नहीं है।
    • यह संदिग्धों की गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण के लिए राज्य के सहयोग पर निर्भर है, जो प्रवर्तन संबंधी कानूनी प्प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है।
  • संयुक्त राष्ट्र के साथ संबंध: ICC एक संयुक्त राष्ट्र संगठन नहीं है, लेकिन इसका संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग का समझौता है।
  • ICC जाँच के लिए शर्तें: ICC केवल तभी अपराधों की जांच और मुकदमा चला सकता है, जब संबंधित देशों की राष्ट्रीय न्यायिक प्रणालियाँ उसी कथित अपराध के लिए वास्तविक जाँच या अभियोजन नहीं कर रही हों।

संदर्भ

केरल राज्य ने विपक्ष शासित राज्यों में राज्यपालों द्वारा महत्त्वपूर्ण विधेयकों पर देरी से मंजूरी देने या अनिश्चितकालीन रोक लगाने के संबंध में शीघ्र सुनवाई की माँग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

केरल सरकार द्वारा उठाया गया मुद्दा

  • केरल सरकार का कहना है कि विपक्ष शासित राज्यों के राज्यपाल जानबूझकर अपने-अपने राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित विधेयकों को विलंबित कर रहे हैं या अनिश्चित काल के लिए रोके हुए हैं।
  • इससे संवैधानिक संकट उत्पन्न हो रहा है और शासन के सुचारू संचालन पर असर पड़ रहा है।

समानांतर मामला: तमिलनाडु के राज्यपाल की मंजूरी में देरी

  • केरल सरकार की याचिका तमिलनाडु द्वारा दायर याचिका के समान है, जहाँ राज्यपाल आर. एन. रवि ने 10 पुनः अधिनियमित विधेयकों पर मंजूरी रोक दी थी और बाद में उन्हें राष्ट्रपति के पास भेज दिया था।

तमिलनाडु मामले का घटनाक्रम

  • जनवरी 2020–अप्रैल 2023: तमिलनाडु विधानमंडल ने संविधान के अनुच्छेद-200 के तहत विधेयक राज्यपाल को भेजे।
  • नवंबर 2023: तमिलनाडु सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने के बाद, राज्यपाल ने निम्नलिखित कार्रवाई की:
    • 2 विधेयक राष्ट्रपति को भेजे गए।
    • 10 विधेयकों पर स्वीकृति रोक दी गई।
  • तमिलनाडु विधानसभा का विशेष सत्र
    • 10 विधेयकों को पुनः पारित कर राज्यपाल के पास भेजा गया। 
    • राज्यपाल ने स्वीकृति देने के बजाय सभी 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेज दिया।
  • राष्ट्रपति का निर्णय
    • 1 विधेयक स्वीकृत हुआ।
    • 7 विधेयक अस्वीकृत हुए।
    • 2 विधेयक अभी भी विचाराधीन हैं।

विधेयकों पर राज्यपाल की शक्तियाँ

  • अनुच्छेद 200-राज्य विधानमंडल में राज्यपाल की भूमिका: जब कोई विधेयक राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किया जाता है, तो उसे राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। राज्यपाल के पास निम्नलिखित विकल्प हैं:-
    • स्वीकृति देना: विधेयक कानून बन जाता है। 
    • स्वीकृति न देना: विधेयक को प्रभावी रूप से अस्वीकार करना। 
    • पुनर्विचार के लिए विधेयक को वापस करना: राज्यपाल विधेयक को पुनर्विचार के लिए राज्य विधानमंडल को वापस भेज सकते हैं। हालाँकि, यदि विधानमंडल बिना किसी संशोधन के विधेयक को फिर से पारित कर देता है, तो राज्यपाल स्वीकृति देने के लिए बाध्य है।
    • विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजना: यदि विधेयक में कुछ संवैधानिक या राष्ट्रीय चिंताएँ शामिल हों तो राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित कर सकते हैं।

राज्यपालों द्वारा विधेयकों को स्वीकृति न देने से संबंधित मुद्दे

  • लोकतंत्र: गैर-निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा विधेयकों में देरी करना निर्वाचित राज्य सरकारों के जनादेश को कमजोर करता है।
  • संघवाद को कमजोर करता है: राजनीतिक रूप से प्रेरित अस्वीकृतियाँ भारत के संघीय ढाँचे को खतरे में डालती हैं।
  • कोई जवाबदेही नहीं: राज्यपाल बिना कारण बताए स्वीकृति रोक सकते हैं, जिससे पारदर्शिता कम होती है।
  • संभावित शक्ति का दुरुपयोग: स्वीकृति रोकना दुर्लभ होना चाहिए, बाधा उत्पन्न करने का साधन नहीं होना चाहिए।
  • शासन में देरी: लंबे समय तक स्वीकृति नीतियों को रोकती है, जैसा कि TNPSC रिक्तियों के मामले में देखा गया है।
  • जनता के विश्वास को ठेस पहुँचाता है: लंबित विधेयक अक्षमता या राजनीतिक संघर्ष की अवधारणा को जन्म देते हैं।

राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए विधेयक आरक्षित करने की राज्यपाल की शक्ति

राज्यपाल को किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित रखना आवश्यक है, यदि:

  • यह विधेयक राज्य उच्च न्यायालय की स्थिति को खतरे में डालता है।
  • यह विधेयक है:
    • संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध।
    • राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) का विरोध।
    • देश के व्यापक हित के विरुद्ध।
    • राष्ट्रीय हितों को संकट में डालने वाला।
    • संविधान के अनुच्छेद-31A के तहत संपत्ति के अनिवार्य अधिग्रहण से संबंधित है।

राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियाँ

  • अनुच्छेद-163: राज्यपाल महत्त्वपूर्ण परिस्थितियों में विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग करता है, जैसे:
    • राज्य विधानसभा में किसी भी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत न होने पर मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना।
    • सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के मामले में कार्रवाई पर निर्णय लेना।
  • अनुच्छेद-356: संवैधानिक संकट में राज्यपाल की भूमिका
    • यदि राज्यपाल को लगता है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है, तो वे अनुच्छेद-356 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं।

निष्कर्ष

केरल सरकार द्वारा दायर याचिका और तमिलनाडु के मामले द्वारा स्थापित मिसाल राज्यपालों तथा विपक्ष शासित राज्य सरकारों के बीच बढ़ते तनाव को उजागर करती है। विधेयकों की देरी से स्वीकृति या राष्ट्रपति को भेजे जाने से शासन की दक्षता एवं संवैधानिक अस्पष्टता पर चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।

संदर्भ 

भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए, केंद्रीय वित्त मंत्री ने वर्ष 2025-26 के लिए 99,858.56 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो पिछले वित्त वर्ष से लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि है।

बजट आवंटन

  • कुल आवंटन: ₹99,858.56 करोड़ (वर्ष 2024-25 में ₹89,974 करोड़ से 11% वृद्धि)।

प्रमुख नीतिगत उपाय

  • स्वास्थ्य सेवा व्यय और नीतिगत अंतराल: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के लिए 37,226.92 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, लेकिन कुल बजट में इसका हिस्सा समय के साथ कम होता गया।
    • आयुष्मान भारत PMJAY आवंटन: 9,406 करोड़ रुपये (वर्ष 2024-25 से 29% वृद्धि)।
    • PM आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PMABHIM): 4,200 करोड़ रुपये (पिछले वर्ष से 40% वृद्धि)।
  • जीवन रक्षक दवाओं पर शुल्क में कटौती
    • बुनियादी सीमा शुल्क (BCD) से छूट प्राप्त आवश्यक दवाओं का विस्तार।
    • 36 नई जीवन रक्षक दवाएँ जोड़ी गईं (कैंसर, दुर्लभ बीमारियों, पुरानी बीमारियों के लिए)।
    • 6 जीवन रक्षक दवाओं पर 5% की रियायती सीमा शुल्क लगेगा।
  • कैंसर देखभाल अवसंरचना: वर्ष 2025-26 तक सरकारी अस्पतालों में 200 नए कैंसर डेकेयर सेंटर खोले जाएँगे।
    • अगले 3 वर्षों में जिला स्तर पर कैंसर उपचार सुविधाएँ स्थापित करने की योजना है।
  • गिग वर्कर्स के लिए स्वास्थ्य सेवा कवरेज
    • आयुष्मान भारत (AB-PMJAY) के अंतर्गत समावेशन।
    • चिकित्सा देखभाल तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत ई-श्रम पोर्टल पर 10 मिलियन गिग वर्कर्स का पंजीकरण।
    • AB-PMJAY के लिए बजट: ₹4,200 करोड़।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डिजिटल अवसंरचना
    • डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी-संचालित स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करना।
    • AI के लिए उत्कृष्टता केंद्र: तकनीक-संचालित स्वास्थ्य सेवा समाधानों को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश।
  • चिकित्सा पर्यटन-‘हील इन इंडिया’ पहल
    • भारत को वैश्विक चिकित्सा पर्यटन केंद्र के रूप में बढ़ावा देना।
    • भारत को वैश्विक चिकित्सा पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय रोगियों हेतु वीजा (आगमन पर) की शुरुआत।
  • चिकित्सा शिक्षा एवं कार्यबल
    • इस वर्ष 10,000 नई मेडिकल सीटें जोड़ी जाएँगी, जिसका दीर्घकालिक लक्ष्य 5 वर्षों में 75,000 सीटें बढ़ाना है।
    • अटल टिंकरिंग लैब्स का विस्तार: सरकारी स्कूलों में 50,000 ATL का विस्तार किया जाएगा।

मुख्य आँकड़े

  • कुल स्वास्थ्य व्यय (THE): वित्त वर्ष 2022 में 9,04,461 करोड़ रुपये (GDP का 3.8%)।
  • सरकारी स्वास्थ्य व्यय (GHE): वित्त वर्ष 2015 में THE के 29% से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 48% हो गया।
  • आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE): वित्त वर्ष 2015 में THE के 62.6% से घटकर वित्त वर्ष 2022 में 39.4% हो गया।
  • आयुष्मान भारत PM-JAY: 12 करोड़ परिवारों (55 करोड़ व्यक्तियों) को कवर करता है, जिसमें 30,000 अस्पताल पैनल में शामिल हैं।

प्रमुख स्वास्थ्य देखभाल योजनाएँ और कार्यक्रम

  • आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY): वर्ष 2018 में दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित स्वास्थ्य आश्वासन योजना के रूप में शुरू की गई।
    • इसने प्रारंभ में 12.34 करोड़ परिवारों के 55 करोड़ व्यक्तियों को कवर करते हुए संवेदनशील आबादी को लक्षित किया।
    • कवरेज: माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करता है।
    • विस्तार: 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को शामिल करने के लिए विस्तारित करके 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को लाभ प्रदान किया जाएगा।
    • प्रभाव: 36.36 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए गए, 30,000 अस्पतालों को पैनल में शामिल किया गया।
  • प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM): एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS), जिसका उद्देश्य भारत में स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे और सेवाओं में सुधार करना है।
    • इस योजना की अवधि वर्ष 2021-2022 से वर्ष 2025-2026 तक है।
    • उद्देश्य: 9,594 उप-केंद्र-स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों (HWC) और 577 क्रिटिकल केयर ब्लॉकों सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
    • लॉन्च: भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में पिछले मिशनों को शामिल करते हुए लॉन्च किया गया।
      • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (2005) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (2012)।
    • घटक: इसमें स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण, प्रजनन-मातृ-नवजात-शिशु और किशोर स्वास्थ्य (RMNCH+A), तथा संचारी और गैर-संचारी रोग, बुनियादी ढाँचे का रखरखाव शामिल है।
    • उद्देश्य: NHM में न्यायसंगत, किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच की उपलब्धि की परिकल्पना की गई है, जो लोगों की आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी एवं जवाबदेही को संदर्भित करता हैं।
    • आवंटन: रोग निगरानी, ​​उन्नत परीक्षण सुविधाओं और आपातकालीन तैयारियों में सुधार के लिए 37,226.92 करोड़ रुपये।
  • जन औषधि योजना
    • वर्ष 2008 में शुरू की गई, यह योजना प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) का हिस्सा थी।
    • उद्देश्य: नागरिक, विशेषकर कम आय वर्ग और जीर्ण बीमारियों से पीड़ित लोगों को सस्ती दवाइयाँ उपलब्ध कराना।
    • विस्तार: वर्ष 2024 तक देश भर में 14,000 से अधिक जन औषधि केंद्र की स्थापना।

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • कम सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय: भारत का सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा व्यय सकल घरेलू उत्पाद (बजट 2025) का केवल 1.94% है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के 2.5% के लक्ष्य से बहुत कम है।
    • चीन (3.2%) और ब्राजील (3.9%) जैसे देश सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य सेवा पर काफ़ी अधिक खर्च करते हैं।
  • अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना: भारत में प्रति 1,000 लोगों पर अस्पतालों में केवल 1.3 बेड हैं, जो कि प्रति 1,000 पर 3.5 की विश्व स्वास्थ्य संगठन की संस्तुति से बहुत कम है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता में कमी है; भारत में डॉक्टर-रोगी अनुपात 1:1,511 है (विश्व स्वास्थ्य संगठन 1:1,000 की संस्तुति करता है)।
  • चिकित्सा पेशेवरों की कमी: भारत में प्रति 1,000 लोगों पर केवल 1.7 नर्स हैं, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 1,000 पर 3 के मानक से कम है।
    • बिहार और झारखंड में डॉक्टरों की संख्या सबसे कम है, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच खराब है।
  • उच्च रोग भार (NCD  बनाम संचारी रोग): गैर-संचारी रोग (NCD) भारत में 63% मौतों का कारण बनते हैं (जैसे- हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर)।
    • भारत में 77 मिलियन मधुमेह रोगी हैं (चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर)।
  • निवारक स्वास्थ्य सेवा के लिए सीमित समर्थन; निवारक उपायों की तुलना में उपचारात्मक देखभाल पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • सीमित स्वास्थ्य बीमा कवरेज: 400 मिलियन से अधिक भारतीयों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है, विशेषकर अनौपचारिक क्षेत्र में।
    • आयुष्मान भारत (PMJAY) 12 करोड़ परिवारों को कवर करता है, लेकिन निम्न-मध्यम वर्ग के श्रमिक बीमा रहित हैं।
  • खराब निवारक और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा: राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के 66% के लक्ष्य के बावजूद, स्वास्थ्य बजट का केवल 40% प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर खर्च होता है।
    • भारत में तपेदिक (TB) के मामले उच्च बने हुए हैं- राष्ट्रीय TB उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) जैसे प्रयासों के बावजूद, सालाना 2.2 मिलियन मामले सामने आते हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा में डिजिटल विभाजन: ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच लगभग 38% है, जिससे टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों की पहुँच सीमित हो गई है।
    • डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुँच, स्वास्थ्य संबंधी असमानताओं को बढ़ा रही है।
    • बजट 2025 में AI और डिजिटल स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है, लेकिन ग्रामीण पहुँच के लिए संरचित दृष्टिकोण का अभाव है।
  • आउट-ऑफ-पॉकेट में उच्च व्यय (OOPE): आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत का OOPE 39.4% है, जिससे कई लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा वहनीय नहीं रह गई है।
    • यू.के. और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में लगभग 13% OOPE है, क्योंकि वे सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर निर्भर हैं।
  • वृद्ध आबादी और दीर्घकालिक देखभाल की कमी: भारत की वृद्ध आबादी वर्ष 2050 तक 340 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।
    • जापान और जर्मनी जैसे देशों में भारत के विपरीत समर्पित वृद्धावस्था देखभाल नीतियाँ हैं।

आगे की राह

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि: राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 के अनुसार, सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 2.5% तक बढ़ाया जाना चाहिए।
    • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने के लिए NHM बजट आवंटन में वृद्धि करना।
    • अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करने के लिए तंबाकू और शर्करा युक्त उत्पादों पर स्वास्थ्य सेवा उपकर लागू करना।
  • प्राथमिक और निवारक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करना: निवारक देखभाल पर ध्यान देना, टीकाकरण, जाँच, जीवनशैली में हस्तक्षेप बढ़ाना।
    • NHP 2017 के अनुसार, सुनिश्चित करना कि स्वास्थ्य बजट का दो-तिहाई हिस्सा प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के लिए आवंटित किया जाए।
  • चिकित्सा अवसंरचना और मानव संसाधन में सुधार करना: 100 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज जोड़कर, विशेषकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में डॉक्टर-और मरीज के अनुपात को बढ़ाना ।
    • ग्रामीण क्षेत्रों के लिए टेलीमेडिसिन और मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों को बढ़ावा देना। 
    • ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए तमिलनाडु के हब-एंड-स्पोक मॉडल को पूरे देश में दोहराया जा सकता है।
  • स्वास्थ्य बीमा का विस्तार करना और OOPE को कम करना 
    • आयुष्मान भारत (PMJAY) का विस्तार करना: ‘लापता मध्यम’ (निम्न-मध्यम वर्ग के कर्मचारी) को इसमें शामिल करना।
    • स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर सब्सिडी देना और बीमा पर GST को 18% से घटाकर 5% करना।
    • जर्मनी का सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा मॉडल सभी नागरिकों के लिए कवरेज सुनिश्चित करता है, जिससे जेब से होने वाले खर्च में कमी आती है।
  • डिजिटल स्वास्थ्य और AI एकीकरण: इंटरऑपरेबल इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHR) बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (Ayushman Bharat Digital Mission-ABDM) को बढ़ावा देना।
    • निदान और पूर्वानुमानित स्वास्थ्य सेवा (जैसे- AI-संचालित टीबी और कैंसर स्क्रीनिंग) के लिए AI का उपयोग करना।
  • वृद्ध आबादी और दीर्घकालिक देखभाल को संबोधित करना: गृह-आधारित और चलित देखभाल मॉडल के साथ एक राष्ट्रीय वृद्ध-चिकित्सा देखभाल नीति प्रस्तुत करना।
    • जापान की एकीकृत वृद्ध देखभाल प्रणाली को भारत की बढ़ती वृद्ध आबादी के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।
  • फार्मास्यूटिकल्स में मेडिकल टूरिज्म और R&D को बढ़ावा देना: कर प्रोत्साहन के साथ विशेष मेडिकल टूरिज्म जोन (Special Medical Tourism Zones-SMTZ) बनाना। 
    • फार्मास्यूटिकल्स और मेड-टेक में R&D के लिए फंडिंग बढ़ाना (उदाहरण के लिए, शोध के लिए भारित कर कटौती)। 
    • सिंगापुर का उच्च गुणवत्ता वाला मेडिकल टूरिज्म इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रत्येक वर्ष हजारों अंतरराष्ट्रीय मरीजों को आकर्षित करता है।

निष्कर्ष 

केंद्रीय बजट 2025 ने एक मजबूत नींव रखी है, लेकिन सतत विकास के लिए अधिक धन, निवारक देखभाल पर ध्यान और डिजिटल परिवर्तन आवश्यक हैं। बुनियादी ढांचे की कमी, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और सामर्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करना भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने और समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

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