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Feb 11 2025

ला नीना के शीतलन प्रभाव के बावजूद वर्ष 2025 का जनवरी माह रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म

कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) के अनुसार, वर्ष 2025 का जनवरी माह अब तक का सबसे गर्म जनवरी माह दर्ज किया गया, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि का रुझान जारी है।

संबंधित तथ्य

  • वर्ष 2025 के जनवरी में औसत वैश्विक तापमान 13.23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो पिछले रिकॉर्ड (वर्ष 2024 के जनवरी) की तुलना में 0.09 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है।
  • यह तापमान वर्ष 1991-2020 के औसत से 0.79°C अधिक एवं पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.75°C अधिक था।
  • पिछले 19 महीनों में से 18 महीनों में वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा है।

वैश्विक जलवायु पर ला नीना का प्रभाव

  • ला नीना एक जलवायु पैटर्न है, जहाँ मध्य प्रशांत महासागर की सतह का जल ठंडा होता है, जो वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करता है।
  • यह आम तौर पर निम्नलिखित मौसमी परिवर्तन के लिए उत्तरदायी है:
    • भारत में मजबूत मानसून एवं भारी वर्षा।
    • अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में सूखा।
    • अल नीनो के विपरीत, वैश्विक तापमान में हल्की ठंडक, जो तापन का कारण बनती है।

कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (C3S)

  • कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (C3S) एक यूरोपीय संघ कार्यक्रम है, जो विश्वसनीय एवं अद्यतन जलवायु डेटा तथा विश्लेषण प्रदान करता है। 
  • इसे यूरोपीय आयोग की ओर से यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट्स (ECMWF) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
  • C3S ने रिकॉर्ड स्तर वाले वैश्विक तापमान, चरम मौसमी घटनाओं एवं समुद्र के तापमान में वृद्धि की रिपोर्ट करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को उजागर करने में मदद मिली है।

एयरो इंडिया 2025

द्विवार्षिक एयरो इंडिया के 15वें संस्करण का उद्घाटन बंगलूरू के येलहंका वायु सेना स्टेशन में किया गया।

एयरो इंडिया के बारे में

  • यह एशिया का सबसे बड़ा एयर शो है। 
  • थीम: इस वर्ष की थीम “द रनवे टू ए बिलियन अपॉर्चुनिटीज” है।
  • नोडल मंत्रालय: यह रक्षा प्रदर्शनी संगठन, रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है।

100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता

भारत ने सौर ऊर्जा क्षमता के 100 गीगावाट के लक्ष्य को पार करके एक प्रमुख उपलब्धि हासिल की है।

संबंधित तथ्य

  • सौर ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से विकास
    • पिछले दशक में सौर क्षमता में 3,450% की वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2014 में 2.82 गीगावाट से बढ़कर वर्ष 2025 में 100 गीगावाट हो गई है।
    • 31 जनवरी, 2025 तक, भारत में 100.33 गीगावाट स्थापित सौर ऊर्जा है, जिसमें 84.10 गीगावाट कार्यान्वयन एवं 47.49 गीगावाट निविदा के अधीन है।
  • सौर ऊर्जा नवीकरणीय विकास में अग्रणी
    • भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 47% है।
    • वर्ष 2024 में, 24.5 गीगावाट नई सौर क्षमता जोड़ी गई, जो वर्ष 2023 में स्थापित क्षमता से दोगुनी है।
    • यूटिलिटी-स्केल सौर परियोजनाओं ने 18.5 गीगावाट का योगदान दिया, जो वर्ष 2023 की तुलना में लगभग 2.8 गुना अधिक है।
    • शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों में राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश शामिल हैं।
  • छत पर सोलर पैनल नेटवर्क का विस्तार
    • छत पर सोलर पैनल से सौर ऊर्जा क्षेत्र ने वर्ष 2024 में अतिरिक्त 4.59 गीगावाट विद्युत का उत्पादन किया, जो वर्ष 2023 से 53% अधिक है।
    • PM सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना ने 9 लाख छतों पर सौर पैनलों को स्थापित किया है, जिससे घरेलू स्तर पर सौर ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा मिला है।
  • भारत का बढ़ता सौर विनिर्माण
    • वर्ष 2014 में, भारत के पास केवल 2 गीगावाट सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता थी।
    • वर्ष 2024 तक, यह बढ़कर 60 गीगावाट हो गई, जिससे भारत सौर विनिर्माण में एक प्रमुख वैश्विक हितधारक बन गया है।

डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत वन सलाहकार समिति (FAC) ने डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान के अंदर एक्सटेंडेड रीच ड्रिलिंग (Extended Reach Drilling- ERD) तकनीक के उपयोग की सिफारिश की है।

  • यह मंजूरी पूरी तरह से अनुसंधान एवं विकास (R&D) उद्देश्यों के लिए है, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रौद्योगिकी का उपयोग पार्क के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाए बिना किया जाता है।

डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान के बारे में

  • स्थिति: डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान को राष्ट्रीय उद्यान एवं बायोस्फीयर रिजर्व दोनों के रूप में नामित किया गया है।
  • इसे बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) के रूप में मान्यता दी गई है, जो पक्षी संरक्षण के लिए इसके महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
  • स्थान: यह भारत के असम राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है।
  • नदियाँ: पार्क प्राकृतिक रूप से कई नदियों से घिरा हुआ है:
    • उत्तर में, यह ब्रह्मपुत्र एवं लोहित नदियों से घिरा है।
    • दक्षिण में इसकी सीमा डिब्रू नदी से लगती है।
  • वनस्पति एवं जैव विविधता: पार्क विविध प्रकार के वन पारिस्थितिकी तंत्रों की मेजबानी करता है, जिनमें शामिल हैं:
    • अर्द्ध-सदाबहार वन, पर्णपाती वन, तटीय एवं दलदली वन तथा नम सदाबहार वनों के क्षेत्र
    • इसमें पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा सैलिक्स दलदली वन (Salix Swamp Forest) है, जो कई प्रजातियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण निवास स्थान है।
    • यह पार्क दुर्लभ व्हाइट विंग्ड वुड डक (White-Winged Wood Ducks) एवं फेरल हॉर्स (Feral Horses) के आवास के लिए सबसे प्रसिद्ध है, जो इसकी सबसे विशिष्ट वन्यजीव प्रजातियों में से हैं।
  • संबद्ध आर्द्रभूमि: मागुरी मोटापुंग आर्द्रभूमि, एक महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी क्षेत्र, डिब्रू सैखोवा बायोस्फीयर रिजर्व का एक हिस्सा है। यह विभिन्न प्रवासी पक्षियों एवं जलीय प्रजातियों के लिए आवास के रूप में कार्य करता है।
  • देशज समुदाय: कई देशज आदिवासी समुदाय राष्ट्रीय उद्यान एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में निवास करते हैं।
    • इस क्षेत्र में रहने वाली प्रमुख जनजातियों में मिशिंग, सोनोवाल कछारी एवं देवरिस शामिल हैं।

स्वावलंबिनी: महिला उद्यमिता कार्यक्रम

पूर्वोत्तर में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास में, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने नीति आयोग के सहयोग से असम, मेघालय तथा मिजोरम में ‘स्वावलंबिनी: एक महिला उद्यमिता कार्यक्रम’ लॉन्च किया।

स्वावलंबिनी के बारे में

  • केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) तथा नीति आयोग की संयुक्त पहल।
  • भारतीय उद्यमिता संस्थान (IIE) द्वारा कार्यान्वित।

उद्देश्य

  • महिला छात्रों को उद्यमशीलता की मानसिकता, कौशल, मार्गदर्शन एवं वित्तपोषण सहायता उपलब्ध करना।
  • महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देना।
  • एक संरचित चरण-वार उद्यमशीलता प्रक्रिया प्रदान करना: जागरूकता; विकास; परामर्श; धन सहायता।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ

  • प्रशिक्षण मॉड्यूल
    • उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम (EAP): बुनियादी उद्यमशीलता अवधारणाओं को कवर करने वाले 2-दिवसीय सत्र के माध्यम से 600 छात्राओं को एक व्यवहार्य कॅरियर विकल्प के रूप में उद्यमिता से परिचित कराया जाता है।
    • महिला उद्यमिता विकास कार्यक्रम (EDP): 300 चयनित छात्रों के लिए, 40 घंटे का गहन प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है:-
      • प्रशिक्षण एवं कौशल विकास।
      • वित्त तक पहुँच।
      • बाजार संपर्क।
      • अनुपालन एवं कानूनी सहायता।
      • व्यापार सेवाएँ।
      • नेटवर्किंग के अवसर।
  • संकाय विकास कार्यक्रम (FDP): उद्यमिता में छात्रों को सलाह देने की क्षमता बढ़ाने के लिए HEIs में संकाय सदस्यों के लिए 5 दिवसीय प्रशिक्षण।

संविधान का अनुच्छेद-371

मेघालय में एक क्षेत्रीय पार्टी ने कहा है कि राज्य को अनुच्छेद-371 के दायरे में लाने से रैट-होल कोयला खनन को पुनः शुरू करने में मदद मिल सकती है, जिस पर अप्रैल 2014 से प्रतिबंध लगा हुआ है।

अनुच्छेद-371 के बारे में

  • भारत के संविधान का अनुच्छेद-371 कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान प्रदान करता है। 
  • ये प्रावधान इन राज्यों के हितों की रक्षा करते हैं, विशेष रूप से विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान या आदिवासी आबादी वाले राज्यों के हितों की रक्षा करते हैं।

कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान

अनुच्छेद
  • अनुच्छेद-371 से 371 J, भाग XXI
12 राज्य
  • महाराष्ट्र, गुजरात, नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, कर्नाटक।
उद्देश्य
  • पिछड़े क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को पूर्ण करना।
  • जनजातीय लोगों के सांस्कृतिक एवं आर्थिक हितों की रक्षा करना। 
  • राज्य के स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करना।
  • राज्य के कुछ हिस्सों में अशांत कानून एवं व्यवस्था की स्थिति से निपटना।

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संदर्भ 

भारत सरकार ने केंद्रीय बजट 2025-26 के हिस्से के रूप में पहले राष्ट्रीय जीन बैंक की स्थापना के लगभग तीन दशक बाद दूसरे राष्ट्रीय जीन बैंक की स्थापना की घोषणा की है।

राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBPGR)

  • यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत एक प्रमुख संस्थान है। 
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य सतत् कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों का मूल्यांकन, संरक्षण तथा उपयोग करना है। 
  • मुख्यालय: नई दिल्ली।

राष्ट्रीय जीन निधि

  • यह निधि पौधों की किस्मों एवं किसानों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करती है। 
  • स्थापित: पौधों की किस्मों एवं किसानों के अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 (PPVFR अधिनियम) की धारा 45 के अंतर्गत इसे स्थापित किया गया है। 
  • उद्देश्य: यह आनुवंशिक संसाधनों से लाभ का उचित वितरण सुनिश्चित करता है, सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है एवं पशु तथा पौधों के आनुवंशिकी के संरक्षण का समर्थन करता है।

जीन बैंक क्या है?

  • जीन बैंक एक भंडारण सुविधा है, जो पौधों की प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए बीज, पराग या पौधों के ऊतकों को संरक्षित करती है।
  • ये संगृहीत नमूने फसल प्रजनन, अनुसंधान एवं संरक्षण में मदद करते हैं।
    • यह जैव विविधता की रक्षा करने में मदद करता है एवं भविष्य में उपयोग के लिए महत्त्वपूर्ण फसल किस्मों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।

  • भारत का पहला राष्ट्रीय जीन बैंक
    • वर्ष 1996 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (ICAR-NBPGR) द्वारा नई दिल्ली में स्थापित किया गया।
  • न्यू जीन बैंक का उद्देश्य
    • नए जीन बैंक का लक्ष्य भविष्य के लिए खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
    • यह सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों के लिए आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण तथा सुरक्षा में मदद करेगा।
  • संगृहीत जर्मप्लाज्म की वर्तमान स्थिति
    • 15 जनवरी, 2025 तक, जीन बैंक में 0.47 मिलियन परिग्रहण (प्रजनन के लिए प्रयुक्त पादप सामग्री) हैं, जिनमें शामिल हैं:
      • अनाज: 0.17 मिलियन परिग्रहण।
      • बाजरा: 60,600 से अधिक परिग्रहण।
      • फलियाँ: 69,200 से अधिक परिग्रहण।
      • तिलहन: 63,500 से अधिक परिग्रहण।
      • सब्जियाँ: लगभग 30,000 परिग्रहण।

ICRISAT जीनबैंक: एक वैश्विक उदाहरण

  • इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) जीनबैंक की स्थापना वर्ष 1972 में फसल आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण के लिए की गई थी।
  • यह 11 प्रमुख फसलों की आनुवंशिक सामग्री को संगृहीत करता है, जिनमें शामिल हैं:-
    • ज्वार, पर्ल मिलेट्स, फिंगर मिलेट्स, फॉक्सटेल मिलेट्स, लिटिल मिलेट्स, प्रोसो मिलेट्स, बार्नयार्ड मिलेट्स, कोदो मिलेट्स, चना, अरहर एवं मूँगफली।
  • जीनबैंक खाद्य सुरक्षा का समर्थन करता है एवं संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान देता है।
  • भारत के अलावा, ICRISAT जिम्बाब्वे, नाइजर एवं केन्या में भी संचालित होता है।
  • नवोन्मेषी जीन बैंक पहल
    • वर्ष 2019: ICRISAT ने हैदराबाद में दुनिया का पहला सौर ऊर्जा संचालित जीन बैंक स्थापित किया।
    • वर्ष 2021: नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (NBPGR) में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े नवीनीकृत राष्ट्रीय जीन बैंक का उद्घाटन मध्य प्रदेश में किया गया।  
      • यह उन्नत सुविधा भविष्य में उपयोग के लिए पौधों के आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने में मदद करता है।

संदर्भ

अजमेर (किशनगढ़ तहसील) के भैरवई गाँव में स्थापित एक विद्यालय पिछले एक वर्ष से कालबेलिया महिलाओं को शिक्षा एवं उनके सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

कालबेलिया नृत्य के बारे में

  • कालबेलिया नृत्य, जिसे सपेरा नृत्य भी कहा जाता है, कालबेलिया आदिवासी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है एवं उनकी खानाबदोश विरासत का प्रतीक है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: यह सपेरों के रूप में उनकी पारंपरिक भूमिका से गहराई से जुड़ा हुआ है।

  • मान्यता: वर्ष 2010 में यूनेस्को ने कालबेलिया नृत्य को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की अपनी प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया था।
    • इस नृत्य को विश्व स्तर पर राजस्थान की एक अनूठी कला एवं भारत की समृद्ध लोक परंपराओं के प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • विशेषताएँ एवं प्रदर्शन: कालबेलिया नृत्य प्रदर्शन में पुरुष तथा महिलाएँ दोनों भाग लेते हैं।
    • महिलाएँ काली स्कर्ट जैसा पहनावा धारण करती हैं एवं सुंदर घुमाव तथा नागिन जैसी शारीरिक गतिविधियाँ करती हैं।
    • पुरुष पारंपरिक वाद्ययंत्रों के वादन के माध्यम से संगीत संगत प्रदान करते हैं जैसे:-
      • खंजड़ी  (टक्कर वाद्य)
      • पोंगी (साँपों के लिए प्रयुक्त लकड़ी का वाद्य यंत्र)
    • नर्तक पारंपरिक टैटू डिजाइन करते हैं, जटिल आभूषण पहनते हैं, एवं दर्पण के कार्य तथा चाँदी के धागे से सजाए गए समृद्ध कढ़ाई वाले परिधान पहनते हैं।

कालबेलिया समुदाय के बारे में

  • परिचय: कालबेलिया राजस्थान की एक खानाबदोश जनजाति है, जो ऐतिहासिक रूप से साँपों को पकड़ने, लोक गीतों एवं नृत्य प्रदर्शन में अपनी विशेषज्ञता के लिए जानी जाती है।
  • समूह: वे दो मुख्य समूहों में विभाजित हैं:- डालीवाल एवं मेवाड़
  • समुदाय को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे- सपेरा, जोगीरा, गट्टीवाला एवं पूगीवारा।
  • धार्मिक एवं दफनाने की प्रथाएँ: हालाँकि कालबेलिया हिंदू धर्म का पालन करते हैं, लेकिन वे अपने मृतकों का दाह संस्कार नहीं करते हैं। इसके बजाय, वे मृतक को दफनाते हैं एवं सम्मान के प्रतीक के रूप में कब्र पर भगवान शिव के नंदी बैल की मूर्ति रखते हैं।
  • ऐतिहासिक महत्त्व: 12वीं एवं 13वीं शताब्दी को कालबेलियाओं के लिए स्वर्ण युग माना जाता था।
  • मुहम्मद गोरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद उनका पतन शुरू हो गया, जिससे उनकी प्रमुखता कम हो गई।
  • पारंपरिक व्यवसाय: कालबेलिया पारंपरिक रूप से सपेरे थे एवं सार्वजनिक समारोहों में साँपों के प्रदर्शन तथा साँप के जहर का व्यापार करके अपनी आजीविका कमाते थे।
    • वर्ष 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम से उनका रोजगार बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिसने साँपों को रखने पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे उन्हें वैकल्पिक आजीविका तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा।
  • वर्तमान आजीविका: समुदाय के कई सदस्य तब से लोक नृत्य प्रदर्शन, हस्तशिल्प एवं छोटे व्यवसायों में स्थानांतरित हो गए हैं।

संदर्भ

पुनर्गठित राष्ट्रीय बाँस मिशन (National Bamboo Mission-NBM) ने बाँस की खेती, मूल्य संवर्द्धन और बाजार एकीकरण को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पुनर्गठित राष्ट्रीय बाँस मिशन (NBM) के बारे में

  • इस मिशन को वर्ष 2018-19 में बाँस की खेती, प्रसंस्करण और बाजार संपर्क बढ़ाने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के रूप में लॉन्च किया गया था।
  • उद्देश्य: बाँस के प्रसार, उपचार, बाजार स्थापना, ऊष्मायन केंद्र, मूल्यवर्द्धित उत्पाद विकास और उपकरणों और उपकरणों के विकास जैसी गतिविधियों में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों का समर्थन करना।
  • वित्तपोषण: इस योजना के लिए वित्तपोषण पैटर्न केंद्र और राज्य सरकारों के मध्य 60:40 का है, पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों को छोड़कर, जहाँ यह अनुपात 90:10 है।
  • केंद्रशासित प्रदेशों, बाँस प्रौद्योगिकी सहायता समूहों (Bamboo Technology Support Groups-BTSGs) और राष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों के लिए 100% वित्तपोषण प्रदान करता है।

राष्ट्रीय बाँस मिशन (NBM) के बारे में 

  • बाँस आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए NBM को वर्ष 2006 में शुरू किया गया था।
  • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कृषि और सहकारिता विभाग (DAC) इसके कार्यान्वयन के लिए उतरदायी नोडल संस्था है।
  • वर्ष 2014 और वर्ष 2016 के बीच, मिशन को बागवानी विकास मिशन के तहत शामिल कर दिया गया था।
  • वर्ष 2018 में, मिशन को राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (NMSA) के तहत पुनर्गठित किया गया, जिसमें बाजार संपर्क, मूल्य संवर्द्धन और अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • वर्ष 2018 में एक महत्त्वपूर्ण सुधार भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन था, जिसने वनों के बाहर उगाए जाने वाले बाँस को वृक्षों के रूप में परिभाषित करने पर रोक लगा दी गई।
  • इस सुधार ने पारगमन परमिट की आवश्यकता को समाप्त करके खेती और व्यापार को आसान बना दिया, जिससे बाँस की निजी खेती को बढ़ावा मिला।

बाँस के बारे में

  • बाँस पोएसी (Poaceae) परिवार के उप-परिवार बम्बूसोइडेई (Bambusoideae) से संबंधित एक घास है और इसमें 115 से अधिक वंश और 1,400 प्रजातियाँ शामिल हैं।

  • यह उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और हल्के समशीतोष्ण क्षेत्रों में व्यापक रूप से वितरित है, जिसमें सर्वाधिक घनत्व पूर्वी और दक्षिण-पूर्व एशिया और भारतीय और प्रशांत महासागरों के द्वीपों में पाया जाता है।
  • जीनस अरुंडिनरिया (Arundinaria) की कुछ प्रजातियाँ दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका की मूल प्रजातियाँ हैं, जहाँ वे नदी के किनारे और दलदली क्षेत्रों में उगती हैं।
  • इसके लकड़ीदार, छल्लेदार तने (कलम) आमतौर पर खोखले होते हैं और भूमिगत प्रकंदों से गुच्छों में उगते हैं।
  • अधिकांश बाँस की प्रजातियाँ अपने जीवनकाल में केवल एक बार प्रस्फुटित होती हैं और बीज उत्पन्न करती हैं, जिनका जीवन चक्र 12 से 120 वर्षों तक होता है, जो मुख्य रूप से वानस्पतिक प्रजनन पर निर्भर करता है।

बाँस का अनुप्रयोग

  • कार्बन पृथक्करण: बाँस कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और ऑक्सीजन प्रदान में अत्यधिक कुशल है, जो कार्बन पृथक्करण में योगदान देता है।
    • अध्ययनों से पता चलता है कि बाँस अन्य वनस्पतियों की तुलना में 35% अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करता है।
  • जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना: बाँस दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले पौधों में से एक है, जिसकी वृद्धि दर प्रति दिन 30 सेमी. से 90 सेमी. (1 से 3 फीट) है।
    • इसकी तीव्र वृद्धि इसे अत्यधिक कुशल बायोमास उत्पादक बनाती है, जिसका उपयोग जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में किया जा सकता है।
  • भोजन और औषधि के रूप में बाँस: भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में, ताजे बाँस के अंकुरों को सब्जियों के रूप में व्यापक रूप से खाया जाता है और स्थानीय व्यंजनों में मुख्य सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है।
    • बाँस के पौधे के कुछ हिस्सों, जिसमें इसकी जड़ें भी शामिल हैं, में चिकित्सीय गुण पाए जाते हैं और पूर्वोत्तर में पारंपरिक चिकित्सा में इनका उपयोग किया जाता है।
  • अनुकूलन और आजीविका सहायता: बाँस की लचीली कटाई चक्र किसानों को जलवायु परिवर्तनों के अनुकूल होने की अनुमति देता है और पूरे वर्ष एक सुसंगत आय स्रोत प्रदान करता है।
  • पर्यावरण पुनर्स्थापन: बाँस चुनौतीपूर्ण वातावरण में पनपता है और भूमि पुनर्स्थापन प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • यह मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करता है और क्षरित भूमि को पुनर्स्थापित करने में योगदान देता है।

कल्म्स (Culms) को निम्नलिखित आधार पर वर्गीकृत किया जाता है: 

  • जीवनकाल: वर्तमान वर्ष, 1-2 वर्ष प्राचीन, और 2 वर्ष से अधिक प्राचीन।
  • स्थिति: हरा-सौम्य, हरा-क्षतिग्रस्त, सूखा, या सड़ा हुआ।
  • व्यास: 1 सेमी से 8 सेमी. से अधिक।

भारत में बाँस उत्पादन की स्थिति

  • बाँस का वितरण एवं विकास
    • वर्ष 2016-17 और वर्ष 2019-20 के बीच 18,000 से अधिक सूचीबद्ध ग्रिडों में बाँस की प्रजातियों को दर्ज किया गया।
    • राष्ट्रीय स्तर पर बाँस के कुल कल्म्स की संख्या 53,336 मिलियन होने का अनुमान है।
    • ISFR 2019 और ISFR 2021 के बीच बाँस के कल्म्स में 35.19% की वृद्धि हुई है, जिसमें 13,882 मिलियन कल्म की वृद्धि हुई है।
  • बाँस के कल्म्स का वर्गीकरण
    • ग्रीन साउंड कल्म्स: 73.40%
    • ड्राई साउंड कल्म्स: 17.54%
    • डिकेड कल्म्स: 9.06%
    • कुल कल्म्स की संख्या में 2-5 सेमी. व्यास वर्ग का योगदान सर्वाधिक है।

संदर्भ

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय क्षेत्रक योजना, ‘स्किल इंडिया प्रोग्राम’ (SIP) को वर्ष 2026 तक जारी रखने तथा पुनर्गठन की मंजूरी दे दी है।

संबंधित तथ्य 

पुनर्गठित कौशल भारत कार्यक्रम के बारे में

  • उद्देश्य: यह सुनिश्चित करके कार्यबल विकास को मजबूत करना कि कौशल प्रशिक्षण उद्योग-संरेखित, प्रौद्योगिकी-सक्षम और माँग-संचालित हो।
  • नोडल मंत्रालय: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय।

राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचा (NSQF)

  • NSQF ज्ञान, कौशल और योग्यता के आधार पर चरणों की एक शृंखला के अनुसार योग्यताओं का आयोजन करता है।
  • चरणों को सीखने के परिणामों द्वारा परिभाषित किया जाता है, जिन्हें सीखने के तरीके की परवाह किए बिना प्राप्त किया जाना चाहिए, चाहे वह औपचारिक, अनौपचारिक हो।
  • NSQF कॅरियर में प्रगति के लिए क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर दोनों गतिशीलता सहित कई रास्ते प्रदान करता है।
    • क्षैतिज गतिशीलता: शिक्षार्थियों को अलग-अलग धाराओं में शिक्षा या कौशल प्रशिक्षण के समान स्तर के भीतर संक्रमण करने की अनुमति देता है।
    • ऊर्ध्वाधर गतिशीलता: शिक्षार्थियों को शिक्षा या प्रशिक्षण के उच्च स्तर पर प्रगति करने में सक्षम बनाता है, जिससे कौशल एवं योग्यता प्राप्त करने में सुविधा होती है।

  • कार्यान्वयन: कार्यक्रम को वर्ष 2022-23 से वर्ष 2025-26 की अवधि के लिए ₹8,800 करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ कार्यान्वित किया जाएगा। 
  • प्रमुख योजनाओं का एकीकरण: पुनर्गठित कार्यक्रम तीन प्रमुख योजनाओं को एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना के अंतर्गत समेकित करता है।
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 (PMKVY 4.0) यह योजना राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचे (NSQF) के साथ संरेखित कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करती है।
    • प्रशिक्षण अल्पकालिक प्रशिक्षण (STT) कार्यक्रमों और पूर्व शिक्षण की मान्यता (RPL) पहलों के माध्यम से दिया जाता है।
    • यह योजना 15 से 59 वर्ष की आयु के व्यक्तियों को लक्षित करती है।
    • इसका मुख्य ध्यान अंतरराष्ट्रीय गतिशीलता और वैश्विक कार्यबल मानकों को पूरा करने के लिए श्रमिकों को कौशल प्रदान करने पर है।
    • यह कार्यक्रम उभरती प्रौद्योगिकियों और भविष्य के कौशल क्षेत्रों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), 5G, साइबर सुरक्षा, ग्रीन हाइड्रोजन और ड्रोन प्रौद्योगिकी में 400 से अधिक नए पाठ्यक्रम प्रस्तुत करता है।
  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना (PM-NAPS)
    • उद्देश्य: वास्तविक दुनिया के कार्य वातावरण में व्यावहारिक प्रशिक्षण के माध्यम से प्रशिक्षुओं को उद्योग-विशिष्ट कौशल प्रदान करके शिक्षा से रोजगार तक निर्बाध संक्रमण की सुविधा प्रदान करना।
    • प्रशिक्षुओं का समर्थन करने के लिए, यह योजना स्टाइपेंड सहायता प्रदान करती है, जिसमें केंद्र सरकार प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से स्टाइपेंड का 25% (प्रति प्रशिक्षु 1,500 रुपये प्रति माह तक) वहन करती है।
    • यह योजना 14 से 35 वर्ष की आयु के व्यक्तियों को लक्षित करती है, जो विभिन्न आयु समूहों तथा उद्योगों में प्रशिक्षुता के अवसरों तक पहुँच सुनिश्चित करती है।
  • जन शिक्षण संस्थान (JSS) योजना 
    • यह एक समुदाय-आधारित कौशल पहल है, जिसे महिलाओं, ग्रामीण युवाओं और आर्थिक रूप से वंचित समूहों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
    • कौशल विकास के अलावा, यह योजना स्वास्थ्य, स्वच्छता, वित्तीय साक्षरता और लैंगिक समानता जैसे विषयों पर जागरूकता को भी बढ़ावा देती है।
    • यह योजना समावेशी कौशल अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए PM जनमन और समाज में सभी के लिए आजीवन सीखने की समझ (Understanding of Lifelong Learning for All in Society- ULLAS) जैसी प्रमुख सरकारी पहलों से जुड़ी हुई है।
    • यह योजना 15 से 45 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के लिए लक्षित करती है।
  • प्रमाणन तथा डिजिटल एकीकरण: कौशल भारत कार्यक्रम के अंतर्गत सभी प्रमाणन राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचे (NSQF) के अनुरूप हैं।
    • प्रमाण-पत्रों को डिजिलॉकर तथा राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCrF) के साथ सहजतापूर्वक एकीकृत किया गया है, जिससे कौशल की औपचारिक मान्यता सुनिश्चित होती है और रोजगार और उच्च शिक्षा में सुगम बदलाव संभव होता है।

कौशल भारत मिशन के तहत उपलब्धियाँ

  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं के तहत कौशल विकास पहलों से 2.27 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को लाभ हुआ है।
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) ने NSQF-संरेखित पाठ्यक्रमों में लाखों लोगों को प्रशिक्षित किया है, जिससे रोजगार क्षमता में वृद्धि हुई है।
  • पीएम राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्द्धन योजना (PM-NAPS) ने उद्योग-संबंधित ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की है, जिससे कार्यबल की तत्परता में सुधार हुआ है।
  • जन शिक्षण संस्थान (JSS) योजना ने वंचित समूहों, विशेष रूप से महिलाओं और ग्रामीण युवाओं को समुदाय-आधारित व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया है।

स्किल इंडिया मिशन का महत्त्व

  • भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाना: भारत में युवा कार्यबल है, जिसमें 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। कौशल विकास पहल उत्पादक रोजगार के अवसर और आर्थिक विकास सुनिश्चित करती है।
  • कुशल कार्यबल की आवश्यकता को संबोधित करना: AI, 5G और ग्रीन एनर्जी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ उद्योग की माँग विकसित हो रही है। यह मिशन व्यक्तियों को भविष्य के लिए तैयार कौशल से लैस करता है, जिससे वैश्विक कार्यबल प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ती है।
  • रोजगार और आर्थिक विकास को बढ़ाना: संरचित कौशल प्रशिक्षण, प्रशिक्षुता और उद्यमशीलता सहायता प्रदान करता है, बेरोजगारी को कम करता है और स्वरोजगार को बढ़ावा देता है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के साथ तालमेल बिठाते हुए भारत के विनिर्माण, आईटी और सेवा क्षेत्रों को मजबूत करता है।

संदर्भ

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि किसी अभियुक्त को गिरफ्तारी के आधार की जानकारी देना महज औपचारिकता नहीं बल्कि एक अनिवार्य संवैधानिक आवश्यकता है।

संबंधित तथ्य 

  • सर्वोच्च न्यायालय ने वित्तीय धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी विहान कुमार की गिरफ्तारी को असंवैधानिक करार देते हुए उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।
  • अभियुक्त को गिरफ्तारी का कारण न बताना संविधान के अनुच्छेद-22(1) के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या 

  • पुलिस पर साक्ष्य का भार: यदि कोई गिरफ्तार व्यक्ति अनुच्छेद-22(1) का अनुपालन न करने का दावा करता है, तो अनुपालन सिद्ध करने का भार पुलिस पर होगा।
    • पुलिस को यह साक्ष्य देना होगा कि अभियुक्त को गिरफ्तारी के आधार की जानकारी दी गई है।
  • मजिस्ट्रेट का कर्तव्य: जब किसी गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, तो अनुच्छेद-22(1) के अनुपालन की पुष्टि करना मजिस्ट्रेट का कर्तव्य होगा।
    • यदि अनुच्छेद-22(1) का उल्लंघन पाया जाता है, तो मजिस्ट्रेट को अभियुक्त की रिहाई का आदेश देना होगा।
  • अनुच्छेद-21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार: सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार अभियुक्त को गिरफ्तारी के आधारों के बारे में सूचित न करना भी अनुच्छेद-21 का उल्लंघन है।
    • गिरफ्तारी के आधारों के बारे में सूचित करने में विफलता उचित कानूनी प्रक्रिया के बिना स्वतंत्रता से वंचित करने के बराबर है।
    • न्यायालय ने पुन: पुष्टि की कि किसी भी व्यक्ति को निष्पक्ष तथा विधिक प्रक्रिया के अतिरिक्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 47 के तहत गिरफ्तारी का आधार

  • गिरफ्तारी के आधारों की जानकारी: बिना वारंट के गिरफ्तारी करने वाले किसी भी पुलिस अधिकारी या अधिकृत व्यक्ति को गिरफ्तार किये गए व्यक्ति के अपराध के पूर्ण विवरण या गिरफ्तारी के अन्य आधारों के बारे में तुरंत सूचित करना चाहिए।
  •  गैर-जमानती अपराधों के लिए जमानत का अधिकार: यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को बिना वारंट के ऐसे अपराध के लिए गिरफ्तार करता है, जो गैर-जमानती नहीं है, तो गिरफ्तार व्यक्ति को निम्नलिखित के बारे में सूचित किया जाना चाहिए: 
    • जमानत पर रिहा होने का उसका अधिकार। 
    • उसकी ओर से जमानतदारों की व्यवस्था करने का विकल्प। 
  • पुराने कानून के साथ संरेखण: यह प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 50 के समान है, जो गिरफ्तारी प्रक्रिया में कानूनी सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।

अभियुक्त को सूचना देने के लिए संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद-22: कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण

  • अनुच्छेद-22(1)
    • गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को, यथाशीघ्र, गिरफ्तारी के कारणों के बारे में सूचित किए बिना हिरासत में नहीं रखा जाएगा।
    • गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी कानूनी व्यवसायी से परामर्श करने और बचाव करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।
  • अनुच्छेद-22(2)
    • गिरफ्तार किए गए तथा हिरासत में लिए गए व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिसमें न्यायालय तक आने-जाने का समय शामिल नहीं है।
    • मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक हिरासत में नहीं रखा जाएगा।
  • अनुच्छेद-22(3)
    • खंड (1) और (2) उन मामलों में लागू नहीं होते जहाँ:-
      • तत्समय शत्रु किसी अन्य देश का नागरिक है या
      •  निवारक निरोध का उपबंध करने वाली किसी विधि के अधीन गिरपतार या निरुद्ध किया गया है।
  • अनुच्छेद 22(5)
    • हिरासत में लिए गए व्यक्ति को हिरासत आदेश के आधार बताए जाने चाहिए तथा हिरासत के विरुद्ध अभ्यावेदन देने की अनुमति दी जानी चाहिए।

पिछले न्यायिक निर्णय 

  • सिद्धार्थ बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्त्व पर बल दिया और कहा कि बिना उचित कारण के हिरासत में रखना गैर-कानूनी है।
  • पंकज बंसल बनाम भारत संघ मामले में, न्यायालय ने निर्णय दिया कि निवारक हिरासत का प्रयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में और सीमित अवधि के लिए ही किया जा सकता है।
  • प्रबीर पुरकायस्थ बनाम राज्य (दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) मामले में, न्यायालय ने हिरासत के मामलों में प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों के सख्त पालन की आवश्यकता पर जोर दिया।

निवारक निरोध कानून के मामले

  • हिरासत में लिए गए व्यक्ति को हिरासत के आधारों के बारे में सूचित किए जाने का अधिकार है।
    • अपवाद: यदि ऐसा करना सार्वजनिक हित के विरुद्ध हो तो आधार का खुलासा नहीं किया जा सकता।
  • हिरासत में लिए गए व्यक्ति को हिरासत आदेश के विरुद्ध अपना पक्ष रखने का अधिकार है।
  • हिरासत में लिए गए व्यक्ति को तीन महीने के बाद रिहा किया जाना चाहिए, जब तक कि सलाहकार बोर्ड निरंतर हिरासत की सिफारिश न करे।

संदर्भ

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) का कार्यकाल 31 मार्च, 2028 तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। 

  • इस विस्तार पर लगभग 51 करोड़ रुपये का वित्तीय व्यय होगा।

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) 

  • राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की स्थापना वर्ष 1994 में राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत तीन वर्ष के कार्यकाल के लिए एक वैधानिक निकाय के रूप में की गई थी।
  • इस आयोग को नियंत्रित करने वाले अधिनियम को वर्ष 2004 तक कई बार संशोधित किया जा चुका है।
  • वर्ष 2004 में अधिनियम की समाप्ति के बाद, आयोग सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक गैर-वैधानिक निकाय के रूप में कार्य करता रहा है।
  • संरचना
    • अध्यक्ष: केंद्रीय राज्य मंत्री स्तर का व्यक्ति।
    • उपाध्यक्ष: सचिव स्तर का कोई भी व्यक्ति।
    • पाँच सदस्य: महिला सदस्य सहित सचिव स्तर के सदस्य।
    • सचिव: संयुक्त सचिव स्तर का व्यक्ति।

आयोग का अधिदेश

  • सफाई कर्मचारियों की स्थिति, सुविधाओं एवं अवसरों में असमानताओं को समाप्त करने की दिशा में केंद्र सरकार को कार्रवाई के विशिष्ट कार्यक्रमों की सिफारिश करना।
  • सफाई कर्मचारियों और विशेष रूप से मैला ढोने वालों के सामाजिक एवं आर्थिक पुनर्वास से संबंधित कार्यक्रमों एवं योजनाओं के कार्यान्वयन का अध्ययन एवं मूल्यांकन करना।
  • विशिष्ट शिकायतों की जाँच करना और गैर-कार्यान्वयन से संबंधित मामले का स्वतः संज्ञान लेना:
    • सफाई कर्मचारियों के किसी भी समूह के संबंध में कार्यक्रम या योजनाएँ बनाना। 
    • सफाई कर्मचारियों की कठिनाइयों को कम करने के उद्देश्य से निर्णय, दिशा-निर्देश आदि लागू करना। 
    • सफाई कर्मचारियों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए उपाय आदि।
  • सफाई कर्मचारियों की स्वास्थ्य सुरक्षा और वेतन से संबंधित कार्य स्थितियों का अध्ययन और निगरानी करना। 
  • सफाई कर्मचारियों से संबंधित किसी भी मामले पर केंद्र या राज्य सरकार को रिपोर्ट देना, जिसमें सफाई कर्मचारियों को होने वाली किसी भी कठिनाई या अक्षमता को ध्यान में रखा जाना चाहिए। 
  • कोई अन्य मामला जिसे केंद्र सरकार द्वारा संदर्भित किया जा सकता है।

आयोग का विस्तारित अधिदेश

  • मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में रोजगार के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के तहत, NCSK निम्नलिखित कार्य करता है:
    • अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
    • इस अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों की जाँच करना तथा अपने निष्कर्षों को संबंधित अधिकारियों को आगे की कार्रवाई के लिए आवश्यक सिफारिशों के साथ सूचित करना।
    • इस अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकार को सलाह देना।
    • इस अधिनियम के गैर-कार्यान्वयन से संबंधित मामलों का स्वतः संज्ञान लेना।
  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय (2023) के अनुसार
    • आयोग मैला ढोने की प्रथा के उन्मूलन के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के कार्यान्वयन की देखरेख के लिए उत्तरदायी है। 
    • निर्देशों में उचित मुआवजा सुनिश्चित करना, पुनर्वास उपायों को लागू करना और मैला ढोने से संबंधित जवाबदेही तंत्र स्थापित करना शामिल है।

संदर्भ

एक संसदीय पैनल ने विदेश मंत्रालय को विदेशों में स्थित सभी भारतीय मिशनों और चौकियों का व्यापक सुरक्षा मूल्यांकन करने की सलाह दी है।

संबंधित तथ्य

  • ये सिफारिशें विदेश मंत्रालय की अनुदान की माँगों (2024-25) पर विदेश मामलों की समिति की चौथी रिपोर्ट (2024-25) का हिस्सा हैं।
  • इस सिफारिश में मेजबान देशों में भू-राजनीतिक जोखिम, संभावित खतरों और कमजोरियों को ध्यान में रखा गया है।

संसदीय पैनल की प्रमुख सिफारिशें

  • भारतीय मिशनों की सुरक्षा: इस समिति ने इस बात पर जोर दिया कि कर्मियों की सुरक्षा, संवेदनशील सूचनाओं की सुरक्षा और राजनयिक कार्यों की निरंतरता सर्वोपरि है।
    • इस रिपोर्ट में पश्चिम एशिया, बांग्लादेश और कनाडा जैसे क्षेत्रों में हाल की सुरक्षा चिंताओं पर प्रकाश डाला गया है, जहाँ भारत विरोधी गतिविधियों को चिह्नित किया गया है।
  • भारतीय मिशनों का विस्तार: पैनल ने नए मिशन स्थापित करने के प्रयासों में तेजी लाने की सिफारिश की, विशेषकर उन देशों में जहाँ महत्त्वपूर्ण आर्थिक, रणनीतिक या प्रवासी हित हैं।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 42 देशों में निवासी मिशन नहीं हैं।
  • राजनयिक जुड़ाव के लिए वित्तीय स्थिरता: इस समिति ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के बढ़ते वैश्विक कद के लिए कूटनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में लगातार और पूर्वानुमानित वित्तीय निवेश की आवश्यकता है।
    • विदेश मंत्रालय को सलाह दी गई कि वह प्रमुख राजनयिक क्षेत्रों को बजटीय कटौती से बचाए और पूरक अनुदानों के माध्यम से अप्रत्याशित वित्तीय कमी के लिए तैयार रहे।
  • पासपोर्ट सेवाओं को बढ़ाना: पैनल ने पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम के माध्यम से पासपोर्ट सेवाओं को बेहतर बनाने में विदेश मंत्रालय की महत्त्वपूर्ण प्रगति को स्वीकार किया।
  • नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार पर प्रगति की समीक्षा: इस समिति ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर की प्रगति की समीक्षा की।

विदेश में भारतीय मिशन

  • विदेश में भारतीय मिशन भारत सरकार द्वारा विदेशों में स्थापित राजनयिक कार्यालयों को संदर्भित करते हैं, जो भारत के हितों का प्रतिनिधित्व करने, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और भारतीय नागरिकों को सेवाएँ प्रदान करने के लिए हैं। 
  • ये मिशन विदेश मंत्रालय (MEA) के तहत कार्य करते हैं और कूटनीति, व्यापार, संस्कृति और कांसुलर सहायता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारतीय मिशनों के प्रकार

  • दूतावास: दूतावास किसी विदेशी देश में प्राथमिक राजनयिक कार्यालय होते हैं, जो आमतौर पर राजधानी शहर में स्थित होते हैं।
  • उच्चायोग: उच्चायोग राष्ट्रमंडल देशों (पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश) में स्थित दूतावास होते हैं। किंतु राष्ट्रमंडल ढाँचे के भीतर, इनका कार्य दूतावासों जैसा ही होता है।
  • महावाणिज्य दूतावास: ये क्षेत्रीय राजनयिक मामलों और कांसुलर सेवाओं का प्रबंधन करने के लिए राजधानी के अलावा प्रमुख शहरों में द्वितीयक राजनयिक कार्यालय हैं।
  • बहुपक्षीय संगठनों में स्थायी मिशन: ये मिशन संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व व्यापार संगठन (WTO) आदि जैसे अंतरराष्ट्रीय  संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं।

विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति

  • विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति भारतीय संसद की एक विभाग-संबंधित स्थायी समिति (Department-Related Standing Committee-DRSC) है।
  • यह भारत की विदेश नीति और विदेश मंत्रालय (MEA) की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर विधायी निगरानी प्रदान करने के लिए उत्तरदायी है।
  • भूमिका और कार्य: यह समिति 24 DRSC में से एक है, जिसे मंत्रालय-विशिष्ट निगरानी का कार्य सौंपा गया है।
    • यह विदेश मंत्रालय की नीतियों, बजट आवंटन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जाँच और मूल्यांकन करती है।
    • यह भारत की कूटनीतिक रणनीतियों, सुरक्षा चिंताओं और वैश्विक साझेदारी की भी समीक्षा करती है।
  • वर्तमान में इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर हैं और इसमें 31 सदस्य हैं।

विभाग-संबंधित स्थायी समिति (Department-Related Standing Committee-DRSC)

  • विभाग-संबंधित स्थायी समितियाँ (DRSC) स्थायी संसदीय समितियाँ हैं, जो भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के कामकाज की देखरेख करती हैं।
  • कार्यकारी निर्णयों पर संसदीय निगरानी को बेहतर बनाने के लिए वर्ष 1993 में DRSC प्रणाली प्रारंभ की गई थी।
  • लोकसभा नियम समिति के प्रस्ताव पर वर्ष 1993 में संसद में 17 DRSC की स्थापना की गई थी।
  • वर्ष 2004 में सात और समान समितियाँ स्थापित की गईं और इस प्रकार उनकी संख्या 17 से बढ़कर 24 हो गई।
  • संरचना और कार्यकाल: प्रत्येक समिति में 31 सदस्य होते हैं:
    • लोकसभा से 21
    • राज्यसभा से 10
    • सदस्यों को लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति द्वारा नामित किया जाता है।

संदर्भ

हाल ही में 104 भारतीय निर्वासितों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर में उतरा, जिसमें से वापस लौटे कई लोगों ने पूरी यात्रा के दौरान हथकड़ी लगाए जाने तथा शौचालयों तक सीमित पहुँच की शिकायत की।

संबंधित तथ्य

  • भारतीय अप्रवासियों का निर्वासन: दर्जनों भारतीय, जिन्हें अवैध अप्रवासी माना जाता है, को अमेरिका से निर्वासित कर दिया गया।
  • अमेरिकी आव्रजन कार्रवाई: जनवरी 2025 के शपथ ग्रहण के बाद से ट्रंप प्रशासन द्वारा आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (Immigration and Customs Enforcement-ICE) संचालन को तीव्र किया गया।
  • निर्वासन का पैमाना: जून और अक्टूबर 2024 के बीच, 1,60,000 व्यक्तियों को 495 अंतरराष्ट्रीय  उड़ानों के माध्यम से 145+ देशों में निर्वासित किया गया, जिनमें भारत भी शामिल है।
    • अमेरिका में भारत के लगभग 7,25,000 अवैध अप्रवासी हैं।

अवैध प्रवास के तरीके

  • वीजा अवधि से अधिक समय तक रहना: व्यक्ति कानूनी रूप से प्रवेश करते हैं, लेकिन वापस नहीं लौटते है, प्रायः वे:- 
    • पर्यटक वीजा को अवैध कार्य में बदलवा देते हैं।
    • रोजगार की तलाश में छात्र, वीजा की अवधि से अधिक समय तक वहाँ पर रुकते हैं।
    • H-1B वीजा धोखाधड़ी, जहाँ आवेदक वैध नौकरी पाने में विफल रहते हैं।
  • अवैध रूप से सीमा पार करना
    • ‘डंकी रूट’ (Dunki Route): ‘डंकी’ का तात्पर्य खतरनाक, बहु-देशीय मार्ग से है, जिसे प्रवासी अवैध रूप से विकसित देशों में प्रवेश करने के लिए अपनाते हैं।
      • इसमें अक्सर फर्जी वीजा, मानव तस्कर और खतरनाक क्रॉसिंग शामिल होते हैं।
      • पनामा-कोलंबिया के बीच डेरेन गैप (Darién Gap): यह सबसे खतरनाक प्रवास मार्गों में से एक, जहाँ अपराध, मृत्यु और शोषण की दर बहुत अधिक है।
    • अमेरिका के लिए उत्तरी मार्ग (कनाडा के रास्ते): यह मार्ग अमेरिका में प्रवेश करने का एक उभरता हुआ विकल्प है।
    • शेंगेन वीजा धोखाधड़ी मार्ग (यूरोप एवं यू. के. के लिए): यू. के., जर्मनी, फ्राँस और इटली जाने वाले अवैध प्रवासियों द्वारा उपयोग किया जाता है।
  • विवाह एवं जन्मसिद्ध नागरिकता
    • विवाह धोखाधड़ी: निवास प्राप्त करने के लिए अवैध विवाह।
    • जन्म पर्यटन: अमेरिका में जन्मे बच्चों को स्वचालित तरीके से नागरिकता प्रदान की जाती है, जिससे अनधिकृत प्रवास को बढ़ावा मिलता है।

भारत से अवैध प्रवास के प्रमुख आँकड़े

अमेरिका से बढ़ते निर्वासन

  • अमेरिका से भारतीय नागरिकों की वापसी में लगातार वृद्धि हुई है:
    • वित्त वर्ष 2024 (अक्टूबर 2023-सितंबर 2024): 1,000 से अधिक भारतीय नागरिकों को चार्टर्ड और वाणिज्यिक उड़ानों के माध्यम से निर्वासित किया गया।
    • वर्ष 2025: निर्वासन के लिए सैन्य विमानों का उपयोग, पंजाब, हरियाणा और गुजरात पर ध्यान केंद्रित करना।

  • कनाडा अब एक उभरता हुआ प्रवेश मार्ग है: अमेरिका के लिए वीजा प्रसंस्करण समय एक वर्ष से अधिक है, हालाँकि कनाडा का 76 दिवसीय प्रसंस्करण समय, अमेरिका में प्रवेश करने और संभवतः अवैध रूप से प्रवेश करने के लिए एक आसान मार्ग प्रदान करता है।

भारत से अवैध प्रवास के कारण

  • बेरोजगारी और आर्थिक कठिनाई: कई प्रवासी अवैध यात्रा का जोखिम उठाते हैं क्योंकि अमेरिका में कम वेतन वाली नौकरी (जैसे- $10–15/घंटा) भी भारत में एक अच्छी नौकरी की तुलना में अधिक आय प्रदान करती है।
    • पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों में, व्हाइट कॉलर जॉब्स के अवसरों की कमी ने युवाओं को अमेरिका के डंकी रूट्स जैसे अवैध प्रवास मार्गों को अपनाने को बाध्य किया है।
  • कृषि संकट और ग्रामीण प्रवास: भारत का 60% से अधिक कार्यबल कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन कृषि आय स्थिर है।
    • पंजाब में, गेहूँ और चावल के MSP में गिरावट और बढ़ते कर्ज के कारण हजारों युवाओं को अपनी जमीन बेचने और अवैध रूप से अमेरिका एवं कनाडा में प्रवास करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
    • राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS), 2022 ने बताया कि 50% ग्रामीण परिवार कर्ज के तनाव में हैं, जिससे अवैध प्रवास के लिए दबाव बढ़ रहा है।
  • वेतन असमानता और विदेश में बेहतर अवसर: भारत में औसत मासिक वेतन एक औसत अमेरिकी की तुलना में काफी कम है, जो प्रति माह कई हजार डॉलर कमाता है।
    • विश्व बैंक प्रवासन रिपोर्ट 2024 में कहा गया है कि भारत को 111 बिलियन डॉलर का धन प्रेषण प्राप्त हुआ, जो सिद्ध करता है कि वेतन अंतर बड़े पैमाने पर प्रवास को प्रोत्साहित करता है।
  • सामाजिक आकांक्षा और स्थिति का प्रतीक: पंजाब और गुजरात में परिवार के किसी सदस्य का विदेश में होना सफलता का प्रतीक माना जाता है।
    • कई पंजाबी और गुजराती परिवार अपने बच्चों को अमेरिका या कनाडा भेजने के लिए अक्सर नकली शिक्षा वीजा या डंकी रूट्स का उपयोग करके भारी ऋण लेते हैं।
  • मानव तस्करी और नकली ट्रैवल एजेंट: वैश्विक दासता सूचकांक 2023 के अनुसार,  मानव तस्करी के पीड़ितों के मामले में भारत शीर्ष 10 में है।
    • दिल्ली पुलिस ने वर्ष 2024 में 300 करोड़ रुपये से अधिक के एक फर्जी वीजा रैकेट का खुलासा किया है, जिसने पिछले पाँच वर्षों में 5,000 नकली वीजा बनाए हैं।
  • प्रवास में कानूनी और नौकरशाही बाधाएँ: भारतीयों के लिए US पर्यटक वीजा के लिए प्रतीक्षा समय 600+ दिन है, जिससे कानूनी प्रवास जटिल हो जाता है।
    • ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए H-1B वीजा प्रतिबंधों ने कई कुशल भारतीयों को मैक्सिको और कनाडा के जरिए अमेरिका में अवैध प्रवेश करने के लिए मजबूर किया है।
  • राजनीतिक अस्थिरता और धार्मिक उत्पीड़न: भारत के अल्पसंख्यक समुदाय (जैसे- सिख, दलित, LGBTQ व्यक्ति) कुछ क्षेत्रों में सामाजिक भेदभाव का सामना करते हैं।
    • पंजाब से कई सिख शरणार्थी धार्मिक उत्पीड़न और किसान विरोध का हवाला देते हुए यू. एस. और कनाडा में अवैध प्रवेश का प्रयास करते हैं।
  • ‘डंकी रूट’ संस्कृति का प्रभाव: US सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में 90,000 से अधिक भारतीयों ने मैक्सिको की दक्षिणी सीमा के माध्यम से अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने का प्रयास किया।
    • गुजराती और पंजाबी युवा सफल प्रवासियों से प्रेरित हैं, जिन्होंने अवैध मार्ग अपनाए और अमेरिका में बस गए।

उत्प्रवास (Emigration), आप्रवास (Immigration) और प्रवास (Migration) के बीच अंतर

अवधि

परिभाषा

मुख्य फोकस

उदाहरण

उत्प्रवास (Emigration) जब कोई व्यक्ति अपने देश को छोड़कर किसी दूसरे देश में बस जाता है। किसी देश से बाहर निकलना (प्रस्थान)। नौकरी के लिए पंजाब से कनाडा जाने वाला भारतीय कामगार भारत से आया उत्प्रवासी है।
आप्रवासन जब कोई व्यक्ति स्थायी या अस्थायी रूप से रहने के लिए किसी नए देश में प्रवेश करता है। किसी देश में प्रवेश (आगमन)। कनाडा पहुँचने पर वही श्रमिक वहाँ आप्रवासी हो जाता है।
प्रवास एक व्यापक शब्द जिसमें देश के भीतर (आंतरिक प्रवास) और देशों के बीच (अंतरराष्ट्रीय  प्रवास) दोनों ही आवागमन शामिल हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान तक आवागमन। बिहार से दिल्ली में कार्य के लिए आने वाला किसान (आंतरिक प्रवास) या अमेरिका में जाने वाला भारतीय (अंतरराष्ट्रीय  प्रवास)।

भारत से अवैध प्रवास का प्रभाव

भारत पर प्रभाव

  • आर्थिक प्रभाव
    • कुशल और अर्द्ध-कुशल कार्यबल की कमी: कई युवा और उत्पादक कर्मचारी अवैध रूप से पलायन करते हैं, जिससे प्रतिभा पलायन होता है।
      • पंजाब, गुजरात और हरियाणा से बड़े पैमाने पर अवैध प्रवास के परिणामस्वरूप भारत में कुशल श्रमिकों की कमी हो जाती है।
    • प्रेषण पर निर्भरता: भारत को वर्ष 2022 में 111 बिलियन डॉलर का प्रेषण प्राप्त हुआ (विश्व बैंक), जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक है।
      • हालाँकि, अवैध प्रवासियों से प्राप्त धन विदेशों में उनकी अस्थिर स्थिति के कारण अविश्वसनीय है।
    • परिवारों पर वित्तीय बोझ: पंजाब और गुजरात में परिवार अवैध रूप से अमेरिका या कनाडा में प्रवासियों को भेजने के लिए प्रति व्यक्ति ₹30-₹50 लाख का ऋण लेते हैं, जो अक्सर निर्वासित होने पर ऋण जाल में फँस जाते हैं।
  • सामाजिक प्रभाव
    • पारिवारिक ढाँचे में व्यवधान: युवा पुरुष अवैध रूप से पलायन करते हैं और अपने पीछे विखंडित परिवार और वृद्ध होती ग्रामीण आबादी को छोड़ जाते हैं।
      • पंजाब के दोआबा क्षेत्र में, कई गाँवों में केवल महिलाएँ, बच्चे और बुजुर्ग लोग ही रहते हैं, क्योंकि पुरुष विदेश चले गए हैं।
    • नकली प्रवासन एजेंसियों और मानव तस्करी में वृद्धि: नकली वीजा एजेंट और मानव तस्करी नेटवर्क हताश परिवारों का शोषण करते हैं।
      • वर्ष 2024 में, दिल्ली पुलिस ने भारतीयों को यूरोप में तस्करी करने वाले एक नकली शेंगेन वीजा रैकेट का खुलासा किया था।
    • प्रवासियों और परिवारों के बीच मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: निर्वासन का डर, आर्थिक तनाव और शोषण अवसाद और आघात का कारण बनते हैं।
      • उदाहरण: अमेरिकी हिरासत केंद्रों में फXसे कई पंजाबी प्रवासी मानसिक संकट से पीड़ित हैं।
  • कानूनी एवं प्रशासनिक चुनौतियाँ
    • फर्जी दस्तावेजों और पहचान धोखाधड़ी में वृद्धि: अवैध प्रवासी अक्सर पासपोर्ट, वीजा और शिक्षा प्रमाण पत्र जाली बनाते हैं।
      • उदाहरण: भारत सरकार ने वर्ष 2022 से अब तक हजारों फर्जी पासपोर्ट रद्द कर दिए हैं।
    • अवैध एजेंटों पर कार्रवाई: भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 के तहत, फर्जी प्रवासी एजेंटों को 7 वर्ष का कारावास हो सकता है।
    • निर्वासन से निपटने में चुनौतियाँ: भारत को निर्वासित नागरिकों को स्वीकार करने के लिए कूटनीतिक दबाव का सामना करना पड़ता है।
      • निर्वासित लोगों को स्वीकार करने में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारत को ‘असहयोगी’ करार दिया गया।

गंतव्य देशों पर प्रभाव (अमेरिका, कनाडा, यूरोप, खाड़ी राष्ट्र)

  • आर्थिक प्रभाव
    • सस्ते श्रम की आपूर्ति: अवैध प्रवासी निर्माण, रेस्तराँ और घरेलू कार्य जैसे कम वेतन वाले कार्यों को अपनाते हैं।
      • न्यूयॉर्क और बोस्टन जैसे अमेरिकी शहर अनौपचारिक क्षेत्रों में अनिर्दिष्ट श्रमिकों पर निर्भर हैं।
    • सार्वजनिक संसाधनों पर दबाव: अवैध प्रवासी स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कल्याण लाभों का उपयोग करते हैं, जिससे सार्वजनिक व्यय में वृद्धि होती है।
      • कैलिफोर्निया अनिर्दिष्ट अप्रवासियों के लिए सेवाओं पर सालाना 1 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च करता है।
  • सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
    • आव्रजन विरोधी भावनाओं में वृद्धि: ट्रंप की वर्ष 2025 की आव्रजन नीति अवैध प्रवास के विरुद्ध अमेरिकी जनता के आक्रोश से प्रेरित है।
      • कनाडा और अमेरिका में दक्षिणपंथी समूह नौकरी छूटने के लिए भारतीय प्रवासियों को दोषी ठहराते हैं।
    • सुरक्षा चिंताएँ और सीमा नियंत्रण मुद्दे: जून 2024 में स्वैंटन सेक्टर (अमेरिकी-कनाडा सीमा) में 2,715 भारतीयों को प्रवेश करते हुए दर्ज किया, जिसके कारण अमेरिकी सीमा सुरक्षा नीतियाँ कठोर हो गईं।
    • कानूनी आव्रजन पर दबाव: भारत से अवैध प्रवास के मामलों में वृद्धि के कारण अमेरिका में H-1B वीजा नियम सख्त किए गए हैं।

डेरिएन गैप (Darien Gap) के बारे में 

  • स्थान: उत्तरी कोलंबिया और दक्षिणी पनामा में फैला एक घना, जंगल से ढका क्षेत्र, जो लगभग 60 मील (97 किलोमीटर) चौड़ा है।
  • अपने चुनौतीपूर्ण भू-भाग और बुनियादी ढाँचे की कमी के बावजूद, डेरिएन गैप वैश्विक मानव प्रवास के लिए एक प्रमुख मार्ग बन गया है।
  • प्रवासी उत्तरी अमेरिका, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा तक पहुँचने के लिए इस गैप को पार करते हैं।

प्रवासियों पर प्रभाव

  • मानवीय संकट और शोषण
    • खतरनाक मार्गों के कारण मौतें: डेरिएन गैप (पनामा-कोलंबिया सीमा) में प्रत्येक वर्ष सैकड़ों प्रवासी हिंसा, भुखमरी और प्राकृतिक खतरों के कारण मर जाते हैं।
      • वर्ष 2022 में गुजरात के एक पटेल परिवार की कनाडा में ठंड से मौत हो गई, जो अमेरिकी सीमा से सिर्फ 12 मीटर दूर है।
    • मानव तस्करों द्वारा शोषण: कई अवैध प्रवासी जबरन मजदूरी और यौन तस्करी में फँस जाते हैं।
      • फर्जी नौकरी अनुबंधों के कारण वर्ष 2023 में हजारों भारतीय कामगार यू.ए.ई. और सऊदी अरब में फँस गए थे।
  • गिरफ्तारी, निर्वासन और ब्लैकलिस्टिंग का जोखिम
    • निर्वासन और कानूनी दंड: वर्ष 2024 में 1,500 से अधिक भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित किया गया।
    • ब्लैकलिस्टिंग: कई निर्वासित प्रवासियों को अमेरिका, कनाडा और यूरोप में पुनः प्रवेश करने पर आजीवन प्रतिबंध का सामना करना पड़ता है।
    • विदेशी जेलों में हिरासत और दुर्व्यवहार: वर्तमान में अमेरिकी इमिग्रेशन केंद्रों (2025) में 2,647 भारतीय हिरासत में हैं, जो निर्वासन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
      • मैक्सिकन और ग्वाटेमाला की जेलों में हिरासत में लिए गए भारतीय प्रवासियों को मानवाधिकारों के हनन का सामना करना पड़ता है।
  • मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक आघात 
    • मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे: निर्वासन, आर्थिक विफलता और शोषण का डर अवसाद, चिंता और आघात की ओर ले जाता है।
      • अमेरिका से निर्वासित कई प्रवासी वित्तीय हानि के साथ भारत लौटते हैं, अक्सर उन्हें सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है।
    • परिवार से अलग होना: अमेरिका में जन्मे निर्वासित प्रवासियों (जन्मसिद्ध नागरिक) के बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया जाता है, जिससे कानूनी अनिश्चितता और आघात की स्थिति उत्पन्न होती है।

भारत से अवैध उत्प्रवास के लिए कानूनी और नीतिगत ढाँचा

भारत का उत्प्रवास पर कानूनी ढाँचा

  • उत्प्रवास अधिनियम, 1983 (जिसे ओवरसीज मोबिलिटी बिल, 2024 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया): यह भारतीयों के विदेश में रोजगार, विशेष रूप से खाड़ी देशों में, को विनियमित करता है।
    • मुख्य प्रावधान
      • 18 ECR (उत्प्रवास जाँच आवश्यकता) देशों की यात्रा करने वाले श्रमिकों के लिए अनिवार्य उत्प्रवास मंजूरी।
      • धोखाधड़ी को रोकने के लिए भर्ती एजेंटों का विनियमन।
      • अनधिकृत भर्ती के लिए सजा (एक वर्ष तक की कैद या जुर्माना अथवा दोनों)।
  • पासपोर्ट अधिनियम, 1967: पासपोर्ट जारी करने को विनियमित करता है और जालसाजी को दंडित करता है।
    • मुख्य प्रावधान
      • अवैध प्रवास के लिए जाली दस्तावेज बनाने पर 2 वर्ष तक की सजा हो सकती है। 
      • अवैध प्रवासियों के पासपोर्ट जब्त किए जा सकते हैं।
  • भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 (IPC की जगह): अवैध प्रवास को रोकने के लिए नए प्रावधान:
    • धारा 336: अवैध प्रवास के लिए दस्तावेजों की जालसाजी करने पर 7 वर्ष तक का कारावास एवं जुर्माना हो सकता है।
    • फर्जी वीजा घोटाले में शामिल मानव तस्करी नेटवर्क के लिए कठोर दंड का प्रावधान।
  • प्रस्तावित विदेशी गतिशीलता (सुविधा एवं कल्याण) विधेयक, 2024 (उत्प्रवास अधिनियम, 1983 का स्थान लेने के लिए)
    • उद्देश्य
      • विदेश में रोजगार के लिए सुरक्षित, कानूनी और व्यवस्थित प्रवास को बढ़ावा देना।
      • फर्जी भर्ती एजेंटों द्वारा धोखाधड़ी को रोकना।
      • कुशल पेशेवरों के लिए प्रवासन नियमों का आधुनिकीकरण करना।
    • मुख्य विशेषताएँ
      • विदेश में रोजगार के लिए एकल खिड़की निकासी प्रणाली।
      • नकली ट्रैवल एजेंटों के लिए कठोर दंड।
      • अवैध प्रवासन जोखिमों पर जागरूकता अभियान।

अवैध प्रवास पर अमेरिकी आव्रजन कानून और नीतियाँ

  • आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम (Immigration and Nationality Act-INA), 1952: वीजा, निर्वासन और शरण को विनियमित करने वाला मुख्य अमेरिकी आव्रजन कानून।
    • अवैध प्रवेशकों के शीघ्र निर्वासन की अनुमति देता है।
    • वर्ष 2024: इस नीति के तहत 1,368 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया गया।
  • H-1B वीजा सुधार (2025): H-1B वीजा कुशल भारतीय पेशेवरों को जारी किए जाते हैं।
    • ट्रंप 2.0 के तहत, H-1B पर प्रतिबंध बढ़ गए हैं:-
      • सख्त पात्रता आवश्यकताएँ।
      • भारतीय IT पेशेवरों की तुलना में अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता।
      • भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड प्रसंस्करण में देरी।
  • अमेरिकी-कनाडा सीमा प्रवर्तन (2025): कनाडा अब भारतीयों के लिए एक प्रमुख अवैध प्रवेश मार्ग है।

H-1B वीजा

  • यह उन ‘विशेष व्यवसायों’ के लिए है, जिनके लिए ‘उच्च स्तर के कौशल’ की आवश्यकता होती है और यदि वे ग्रीन कार्ड के लिए पात्र हैं, तो अधिकतम 6 वर्ष या उससे अधिक समय के लिए कम-से-कम स्नातक की डिग्री की आवश्यकता होती है। वर्तमान में इसकी सीमा प्रति वर्ष 65,000 H-1B वीजा तक है।
    • अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) के अनुसार, वर्ष 2023 में H-1B वीजा धारकों में से 72.3% (कुल 3.86 लाख में से 2.79 लाख) भारतीय थे।

अवैध प्रवासन को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय  प्रयास

  • भारत-अमेरिका प्रवासन वार्ता (2025): मानवीय निर्वासन प्रक्रिया सुनिश्चित करना तथा मानव तस्करी को रोकना।
    • अमेरिकी हिरासत केंद्रों में भारतीय नागरिकों का तेजी से सत्यापन करना।
    • भारत बार-बार अपराध करने वालों के लिए ‘ब्लैकलिस्ट’ नीतियों पर कार्य कर रहा है।
  • UN ग्लोबल कॉम्पैक्ट फॉर माइग्रेशन: सुरक्षित, व्यवस्थित और कानूनी प्रवास पर ध्यान केंद्रित करना।
    • भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है।
    • भारत अवैध प्रवास मार्गों पर निर्भरता कम करने के लिए कानूनी प्रवास मार्गों को बढ़ाने के लिए कार्य कर रहा है।

आगे की राह

  • कानूनी प्रवास मार्गों को मजबूत करना: प्रवास को अधिक कुशलता से विनियमित करने के लिए पुराने उत्प्रवास अधिनियम, 1983 को परिवर्तित करना।
    • तीव्र वीजा प्रक्रिया: अवैध प्रवास प्रयासों को रोकने के लिए प्रतीक्षा में लगने वाले समय (यू.एस. वीजा के लिए 600+ दिन) को कम करना।
  • मानव तस्करी और नकली प्रवास एजेंटों पर नकेल कसना: सभी प्रवास सलाहकारों के लिए सरकारी पंजीकरण और पृष्ठभूमि जाँच अनिवार्य करना।
    • धोखाधड़ी करने वाले वीजा आवेदकों का पता लगाने के लिए हवाई अड्डों पर AI-आधारित ट्रैकिंग और बायोमेट्रिक सत्यापन शुरू करना।
  • उच्च प्रवास वाले राज्यों में आर्थिक कारकों को संबोधित करना: प्रवास निर्भरता को कम करने के लिए पंजाब, गुजरात, हरियाणा और आंध्र प्रदेश में रोजगार सृजन और कौशल कार्यक्रम पर ध्यान देना।
    • अवैध प्रवास के लिए उच्च ब्याज वाले ऋण लेने से परिवारों को रोकने के लिए वित्तीय साक्षरता अभियान के माध्यम से जागरूक करना।
  • मानवीय निर्वासन और कानूनी प्रवास के लिए राजनयिक जुड़ाव: मानव तस्करी को रोकने के लिए पारगमन देशों (मैक्सिको, ग्वाटेमाला, इक्वाडोर) के साथ मजबूत सीमा सुरक्षा समझौते करना।
  • अवैध प्रवास के जोखिमों पर जन जागरूकता और शिक्षा: कानूनी प्रवास मार्गों और डंकी नेटवर्क के खतरों पर उच्च-प्रवास जिलों में जन जागरूकता अभियान शुरू करना।
    • वास्तविक समय में प्रवास की जानकारी प्रदान करने के लिए सरकारी हेल्पलाइन और ऑनलाइन पोर्टल।
  • सीमा और हवाई अड्डे की सुरक्षा को मजबूत करना: AI-आधारित प्रोफाइलिंग का उपयोग करके अंतरराष्ट्रीय  हवाई अड्डों पर उच्च जोखिम वाले यात्रियों की बेहतर जाँच को बढ़ावा देना।
    • अवैध प्रवास के प्रयासों को रोकने के लिए पारगमन देशों (मैक्सिको, कनाडा, यूएई, तुर्की) के साथ खुफिया जानकारी साझा करना।
  • निर्वासित प्रवासियों के लिए पुनः एकीकरण सहायता: निर्वासित प्रवासियों के लिए कौशल प्रशिक्षण और रोजगार सहायता शुरू करना ताकि पुनः प्रयास को रोका जा सके।
    • आर्थिक कठिनाई का सामना करने वाले निर्वासित प्रवासियों के परिवारों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।

निष्कर्ष 

अवैध आव्रजन एक जटिल सामाजिक-आर्थिक मुद्दा है, जो आर्थिक संकट, आकांक्षाओं और तस्करी नेटवर्क से प्रेरित है। भारत को मानव तस्करी पर कठोर कदम उठाते हुए कानूनी तरीके से प्रवास मार्गों के उपायों के साथ अंतरराष्ट्रीय  कूटनीति को संतुलित करना चाहिए। भारत में कानूनी नौकरी प्रवास चैनलों को मजबूत करने और रोजगार के अवसर उत्पन्न करने जैसे उपाय, अवैध उत्प्रवास को कम करने में सहायता कर सकते हैं।

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