100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

Feb 03 2025

Title Subject Paper
संक्षेप में समाचार
भारत में बाघों की जनसंख्या: NCBS अध्ययन Environment and Ecology, GS Paper 3,
UIDAI द्वारा निजी संस्थाओं के लिए आधार प्रमाणीकरण नियम अधिसूचित Polity, GS Paper 2,
CCEA ने एथेनॉल खरीद मूल्य में बढोतरी को मंजूरी दी economy, GS Paper 3,
पैराक्वेट विषाक्तता Science and Technology, GS Paper 3,
भारत में चार नई आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया Environment and Ecology, GS Paper 3,
सर्वोच्च न्यायालय ने टेनरियों को पर्यावरण की अपूरणीय क्षति की प्रतिपूर्ति देने का आदेश दिया Environment and Ecology, GS Paper 3,
ध्रुवीय भालू के फर: हानिकारक ‘फॉरएवर केमिकल्स’ को प्रतिस्थापित करने का एक संभावित समाधान Science and Technology, GS Paper 3,
प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट Polity and governance ​, GS Paper 2,
केंद्रीय बजट 2025-26 का सारांश economy, GS Paper 3,

RBI का डिजिटल पेमेंट इंडेक्स (RBI-DPI)

हाल ही में RBI द्वारा  डिजिटल पेमेंट इंडेक्स (RBI-DPI) जारी किया गया है।

सूचकांक की मुख्य विशेषताएँ

  • मात्रा के आधार पर: डिजिटल पेमेंट का कुल मूल्य वर्ष 2018 में ₹5.86 लाख करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024 में ₹246.83 लाख करोड़ हो गया है।
  • CAGR: डिजिटल भुगतान में पाँच वर्ष की CAGR के साथ क्रमशः मात्रा और मूल्य के संदर्भ में 89.3 प्रतिशत और 86.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI): UPI ने भारत के डिजिटल भुगतान विकास में सर्वाधिक  योगदान दिया, देश के डिजिटल भुगतान में इसकी हिस्सेदारी वर्ष 2019 में 34 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2024 में 83 प्रतिशत हो गई।
  • पिछले पाँच वर्षों में यह 74 प्रतिशत की उल्लेखनीय CAGR (संचयी औसत विकास दर) के साथ बढ़ी।
  • मात्रा: UPI लेन-देन की मात्रा वर्ष 2018 में 375 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024 में 17,221 करोड़ हो गई।
  • अन्य भुगतान प्रणालियों की हिस्सेदारी: RTGS, NEFT, IMPS, क्रेडिट कार्ड एवं डेबिट कार्ड की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत से गिरकर 17 प्रतिशत हो गई।
  • वृद्धि का कारण: RBI-DPI सूचकांक में वृद्धि इस अवधि के दौरान संपूर्ण देश में भुगतान संबंधी बुनियादी ढाँचे एवं भुगतान में वृद्धि से प्रेरित थी।

डिजिटल पेमेंट इंडेक्स (RBI-DPI) 

  • यह देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा का आकलन करने वाला एक सूचकांक है। 
    • सूचकांक अर्द्ध-वार्षिक आधार पर जारी किया जाता है।
  • लॉन्च: RBI 1 जनवरी, 2021 से समग्र RBI-DPI प्रकाशित कर रहा है।
  • आधार वर्ष: मार्च 2018 को आधार वर्ष के रूप में प्रयोग किया जाता है एवं DPI स्कोर 100 निर्धारित किया गया है।
  • पैरामीटर्स: यह विभिन्न अवधियों में डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता और गहनता  का मापन करता  है। ये है-
    • भुगतान सक्षमकर्ता (भार 25 प्रतिशत): इसमें इंटरनेट, मोबाइल, आधार, बैंक खाते, प्रतिभागी एवं व्यापारी शामिल हैं।
    • भुगतान अवसंरचना (माँग पक्ष कारक (10 प्रतिशत): डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, PPI, फास्टैग, मोबाइल एवं इंटरनेट बैंकिंग।
    • भुगतान अवसंरचना (आपूर्ति-पक्ष कारक (15 प्रतिशत): बैंक शाखाएँ, व्यवसाय करेंसपोंडेंट, ATM, PoS टर्मिनल, QR कोड एवं मध्यस्थ।
    • भुगतान प्रदर्शन (45 प्रतिशत): डिजिटल भुगतान प्रणाली- मूल्य, अद्वितीय उपयोगकर्ता, पेपर क्लियरिंग, प्रचलन में मुद्रा एवं नकद निकासी।
    • उपभोक्ता केंद्रितता (5 प्रतिशत): जागरूकता एवं शिक्षा, शिकायतें, धोखाधड़ी एवं प्रणालीगत असफलता।

कर्नाटक द्वारा असाध्य रोगियों के लिए इच्छामृत्यु की अनुमति

कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने असाध्य रूप से बीमार मरीजों को सम्मानपूर्वक इच्छामृत्यु की अनुमति देने वाले उच्चतम न्यायालय के निर्णय को लागू करने के लिए एक आदेश जारी किया है।

  • केरल के बाद कर्नाटक यह निर्देश लागू करने वाला दूसरा राज्य है।
  • असाध्य रोगी: निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति उन असाध्य रूप से बीमार रोगियों को दी जाती है, जिनके ठीक होने की कोई संभावना नहीं होती है या जो लगातार निष्क्रिय अवस्था में होते हैं और जिन्हें जीवन रक्षक उपचार से कोई लाभ नहीं मिल पाता।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय 

  • कॉमन कॉज बनाम भारत संघ 2018: सर्वोच्च न्यायालय की पाँच न्यायाधीशों की पीठ ने माना है कि गरिमा के साथ मृत्यु का अधिकार अनुच्छेद-21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
  • लिविंग विल्स (Living Wills): किसी व्यक्ति का अग्रिम चिकित्सा निर्देशों को निष्पादित करने का अधिकार शारीरिक समग्रता एवं आत्मनिर्णय के अधिकार का दावा है तथा यह किसी राज्य द्वारा प्रदत्त मान्यता या कानून पर निर्भर नहीं करता है।
  • निर्णय ने सख्त दिशा-निर्देशों के तहत निष्क्रिय इच्छामृत्यु एवं ‘लिविंग विल्स’ के निष्पादन को वैध बना दिया।

लिविंग विल्स (Living Wills) संबंधी दिशा-निर्देश

  • यह डॉक्टरों और मरीजों दोनों के अधिकारों और कर्तव्यों को मान्यता देता है तथा व्यापक स्वतंत्र विशेषज्ञ राय और निकटतम रिश्तेदारों/प्रतिनिधि निर्णयकर्ताओं की सूचित सहमति की अनुमति देता है।
  • पात्रता: लिविंग विल, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के स्वस्थ मस्तिष्क वाले तथा बिना किसी दबाव के बनाए गए लिखित दस्तावेज होते हैं।
  • अभिभावकों की नियुक्ति: दस्तावेज में कम-से-कम दो प्रतिनिधि निर्णयकर्ताओं का विवरण होना चाहिए, जो व्यक्ति की ओर से निर्णय ले सकें, यदि वह व्यक्ति निर्णय लेने की क्षमता खो देता है।
  • वैधता: दस्तावेज पर एक निष्पादक एवं दो गवाहों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए जाने चाहिए तथा नोटरी या राजपत्रित अधिकारी के समक्ष सत्यापित किया जाना चाहिए।

राज्य सरकारों एवं अस्पतालों के लिए दिशा-निर्देश 

  • मूल्यांकन: उपचार करने वाले अस्पताल को रोगी की स्थिति का आकलन करने के लिए एक प्राथमिक चिकित्सा बोर्ड का गठन करना चाहिए एवं यह सिफारिश करनी चाहिए कि क्या जीवन रक्षक उपचार वापस लेना चाहिए।
    • बोर्ड में उपचार करने वाले डॉक्टर एवं कम-से-कम पाँच वर्ष के अनुभव वाले दो विषय विशेषज्ञ व्यक्ति शामिल होने चाहिए।
  • समीक्षा: एक माध्यमिक मेडिकल बोर्ड, (अस्पताल द्वारा स्थापित) प्राथमिक मेडिकल बोर्ड के निर्णय की समीक्षा करता है।
    • इसमें जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा नामित एक पंजीकृत चिकित्सक के साथ-साथ कम-से-कम पाँच वर्ष के अनुभव वाले दो विषय विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
  • सूचित सहमति: लिविंग विल में रोगी द्वारा नामित व्यक्ति या सरोगेट निर्णयकर्ता (जहाँ कोई निर्देश नहीं है) को उपचार रोकने या वापस लेने के लिए सहमति देनी होगी।
    • अस्पताल को जीवन रक्षक उपचार रोकने/वापस लेने के निर्णय की सूचना स्थानीय न्यायिक मजिस्ट्रेट को देनी चाहिए।

संदर्भ

हाल ही में एक नए अध्ययन के अनुसार, पिछले दो दशकों में भारत में बाघों की आबादी में 30% की वृद्धि हुई है।

बाघ के बारे में 

  • बाघ विश्व की सबसे बड़ी जंगली बिल्ली (Wild Cat) प्रजाति हैं।
  • वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा टाइग्रिस (Panthera tigris)
  • संरक्षण स्थिति IUCN: लुप्तप्राय (Endangered)
  • महत्त्व: बाघ एक सर्वोच्च शिकारी प्रजाति है और ये स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • आवास संबंधी आवश्यकताएँ: बाघ एक विशाल भू-परिदृश्य से संबंधित प्रजाति है।
    • उन्हें विविध आवास वाले विशाल क्षेत्रों की आवश्यकता है। 
      • बाघों के लिए इन क्षेत्रों को मानवीय व्यवधान से मुक्त और शिकार से समृद्ध होना चाहिए।
      • बाघ परिदृश्य कहे जाने वाले ये क्षेत्र जैव विविधता और आस-पास रहने वाले मानव समुदायों की कल्याण के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भारत में बाघों की वर्तमान जनसंख्या
    • वर्ष 2022 के एक अनुमान के अनुसार, भारत में न्यूनतम 3,167 बाघ हैं।
    • उन्नत सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग करके एक डेटा विश्लेषण के अनुमान के अनुसार:
      • भारत में बाघों की अधिकतम सीमा: 3,925 बाघ।
      • औसत संख्या: 3,682 बाघ।
    • बाघों की आबादी की वार्षिक वृद्धि दर 6.1% है, जो एक स्थिर प्रगति का संकेत देती है।

बाघों की संख्या में वृद्धि के पीछे मुख्य कारक

  • संतुलित संरक्षण रणनीति
    • भारत की संरक्षण सफलता वैज्ञानिक दृष्टिकोण और भूमि-साझाकरण तथा भूमि-बचत विधियों के मिश्रण के कारण है।
    • संरक्षित क्षेत्र- इन क्षेत्रों में मानव आवागमन प्रतिबंधित होता है।
    • बहु-उपयोग वन (भूमि साझाकरण) बाघों को मानवीय आबादी के साथ रहने की अनुमति देते हैं, जिससे सिद्ध होता है कि मानव-पशु सह-अस्तित्व संभव है।
  • सशक्त विधायी समर्थन
    • संरक्षण प्रयासों को सशक्त वन्यजीव कानूनों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें शामिल हैं:
      • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
      • वन संरक्षण अधिनियम, 1980
      • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)
  • सामाजिक-आर्थिक कारकों की भूमिका
    • आर्थिक समृद्धि एवं सांस्कृतिक मूल्यों ने बाघ संरक्षण में मदद की है।
    • वनों पर कम निर्भरता एवं बेहतर आर्थिक स्थिति वाले क्षेत्रों में बाघों की अधिक संख्या देखी जाती है।
    • चुनौतियाँ
      • उच्च गरीबी एवं संघर्ष वाले क्षेत्रों (जैसे छत्तीसगढ़ तथा झारखंड में नक्सल प्रभावित क्षेत्र) में बाघों की आबादी में गिरावट देखी गई है।

भविष्य की चुनौतियाँ एवं सिफारिशें

  • चुनौतियाँ
    • राजनीतिक अस्थिरता और आवास की हानि के कारण 1,57,000 वर्ग किलोमीटर का संभावित बाघ आवास रिक्त है।
    • मानव-वन्यजीव संघर्ष एक चुनौती बना हुआ है।
  • सुधार के लिए सिफारिशें
    • संरक्षित क्षेत्रों एवं आवास गलियारों का विस्तार करना।
    • बाघों की सुरक्षा के लिए अवैध शिकार नियंत्रण उपायों को मजबूत करना।
    • स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना।
    • संघर्ष शमन रणनीतियों में सुधार करना, जिनमें शामिल हैं:
      • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली।
      • त्वरित प्रतिक्रिया दल।

संदर्भ

हाल ही में सुशासन के लिए आधार प्रमाणीकरण (सामाजिक कल्याण, नवाचार, ज्ञान) संशोधन नियम, 2025 को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा अधिसूचित किया गया है।

  • नियमों के अंतर्गत प्रस्ताव के अनुमोदन के आधार पर निजी संस्थाओं को आधार प्रमाणीकरण प्रदान करने की प्रक्रिया की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।

संशोधित नियम

  • उद्देश्य: सरकारी और गैर-सरकारी दोनों संस्थाओं को जनहित में विभिन्न सेवाएँ प्रदान करने के लिए आधार प्रमाणीकरण सेवा का लाभ उठाने में सक्षम बनाना और निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता तथा समावेशिता को बेहतर बनाने में मदद करना।
  • उद्देश्य: आधार प्रमाणीकरण विशिष्ट उद्देश्यों के लिए सेवाएँ प्रदान करने हेतु माँगा जाता है, जैसे,
    • नवाचार को सक्षम बनाना, ज्ञान का प्रसार करना, निवासियों के जीवन को आसान बनाना और ई-कॉमर्स, यात्रा, पर्यटन, आतिथ्य एवं स्वास्थ्य आदि जैसे क्षेत्रों में सेवाओं तक बेहतर पहुँच को सक्षम बनाना।
  • प्रस्ताव: आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने के लिए इच्छुक कोई भी निजी संस्था, आधार अधिनियम के नियम-3 में निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए एक प्रस्ताव तैयार करेगी और इसे संबंधित सरकार के संबंधित मंत्रालय या विभाग को प्रस्तुत करेगी। 
    • संबंधित मंत्रालय केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशों के साथ प्रस्ताव को अग्रेषित करेगा।
  • जाँच: निजी संस्थाओं के आवेदनों की जाँच UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) द्वारा की जाएगी। 
  • अनुमोदन: इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (Meity) आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने के लिए UIDAI की सिफारिश के आधार पर अनुमोदन जारी करेगा। 
  • अधिसूचना: केंद्र या राज्य सरकार का संबंधित मंत्रालय या विभाग इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय (Meity) से पुष्टि प्राप्त करने के बाद आधार उपयोग के लिए संस्था को अधिसूचित करेगा।
    • नियम-3: यह सुशासन सुनिश्चित करने, सामाजिक कल्याण लाभों के अपव्यय को रोकने और नवाचार को सक्षम बनाने तथा ज्ञान के प्रसार के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग के लिए आधार प्रमाणीकरण की अनुमति देता है।
      • नियम-3 के तहत उप-नियमों में से एक यह अनिवार्य करता है कि आधार प्रमाणीकरण स्वैच्छिक आधार पर होना चाहिए।

आधार का निजी संस्था द्वारा प्रमाणीकरण:

  • पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ (2018): पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ (2018) में सर्वोच्च न्यायालय  के पाँच न्यायाधीशों के निर्णय ने आधार अधिनियम, 2016 की धारा 57 को रद्द कर दिया। यह निजी संस्थाओं को आधार प्रमाणीकरण सेवाओं का उपयोग करने से रोकता है।
    • उच्चतम न्यायालय ने आधार अधिनियम की धारा 57 को “दुरुपयोग के प्रति अतिसंवेदनशील” बताया था।
  • धारा 57: इसने निजी संस्थाओं को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आधार प्रमाणीकरण प्राप्त करने और उसका उपयोग करने का अधिकार दिया।
    • पेटीएम और एयरटेल पेमेंट्स बैंक जैसी निजी कंपनियाँ अपनी संस्थाएँ स्थापित करने के लिए इस प्रावधान के तहत ग्राहकों से आधार विवरण माँगती हैं।
  • आधार अधिनियम की धारा 2(D): न्यायालय ने यह भी निर्णय दिया कि प्रमाणीकरण रिकॉर्ड में मेटाडेटा शामिल नहीं होना चाहिए। रिकॉर्ड छह महीने की अवधि से अधिक नहीं रखे जा सकते।

संदर्भ

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (OMC) के लिए एथेनॉल खरीद मूल्य को 56.58 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 57.97 रुपये प्रति लीटर करने को मंजूरी दे दी है।

एथेनॉल खरीद मूल्यों में वृद्धि के पीछे तर्क

  • एथेनॉल आपूर्ति में वृद्धि: उच्च कीमतें मिश्रण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त एथेनॉल उपलब्धता सुनिश्चित करती हैं।
  • किसानों के लिए सहायता: यह ‘सी हेवी मोलासेस’ (C Heavy Molasses-CHM) के उपयोग को प्रोत्साहित करता है, जिससे गन्ना किसानों को अतिरिक्त आय सृजन के साथ लाभ होता है।
  • पर्यावरणीय लाभ: कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम होती है, उत्सर्जन कम होता है और हरित ईंधन में परिवर्तन सुनिश्चित होता है।
  • आर्थिक लाभ: ईंधन आयात को कम करके विदेशी मुद्रा की बचत होती है और घरेलू एथेनॉल उद्योग को मजबूती मिलती है।

एथेनॉल सम्मिश्रण के बारे में

  • इसे ‘एथिल अल्कोहल’के नाम से भी जाना जाता है।
  • स्रोत: एथेनॉल एक जैव ईंधन है, जो गन्ना, मक्का, चावल, गेहूँ और बायोमास से बनाया जाता है।
  • गुड़: चीनी निर्माण का एक उपोत्पाद है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से एथेनॉल उत्पादन के लिए किया जाता है।
  • गुड़ की श्रेणियाँ
    • A गुड़ (पहला गुड़): प्रारंभिक चीनी क्रिस्टल निष्कर्षण से मध्यवर्ती उप-उत्पाद, जिसमें 80-85% शुष्क पदार्थ (DM) होता है।
    • B गुड़ (दूसरा गुड़): DM की समान मात्रा लेकिन कम चीनी और कोई क्रिस्टलीकरण नहीं।
    • C गुड़ (अंतिम गुड़/ब्लैकस्ट्रैप गुड़/ट्रेकल): 32-42% सुक्रोज के साथ चीनी प्रसंस्करण का अंतिम उप-उत्पाद, जिसका उपयोग वाणिज्यिक खाद्य घटक के रूप में किया जाता है।
      • इसे ‘सी हेवी मोलासेस’ (C Heavy Molasses-CHM) के नाम से भी जाना जाता है।
  • उत्पादन प्रक्रिया: एथेनॉल का उत्पादन खमीर द्वारा शर्करा के किण्वन या एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है।
  • अनुप्रयोग
    • जैव ईंधन, विलायक और कीटाणुनाशक के रूप में उपयोग किया जाता है।
    • ईंधन मिश्रण, फार्मास्यूटिकल्स, मादक पेय, सौंदर्य प्रसाधन और रासायनिक संश्लेषण में प्रयुक्त होता है।
    • बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक, कृषि और सफाई उत्पादों में भी इसका उपयोग किया जाता है।

एथेनॉल सम्मिश्रण 

  • परिभाषा: आंतरिक दहन इंजन के लिए ईंधन मिश्रण बनाने हेतु गैसोलीन के साथ एथेनॉल को मिश्रित करने की प्रथा।
  • उद्देश्य: उत्सर्जन को कम करता है और इंजन के प्रदर्शन को बेहतर बनाता है।
  • सामान्य मिश्रण
    • E20: 20% एथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल।
    • E100: 5% पेट्रोल और 1.5% सह-विलायक के साथ मिश्रित 93-93.5% एथेनॉल।
  • फ्लेक्स-फ्यूल वाहन (Flex Fuel Vehicles-FFV): E100 तक के विभिन्न एथेनॉल मिश्रणों पर संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया।

एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम 

  • पहल: पेट्रोल में नवीकरणीय और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के रूप में एथेनॉल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई।
  • उद्देश्य
    • ईंधन आयात कम करना।
    • विदेशी मुद्रा का संरक्षण करना।
    • चीनी उद्योग में मूल्य संवर्द्धन बढ़ाना।
  • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति 2018 का लक्ष्य: एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (Ethanol Supply Year-ESY) 2025-26 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण प्राप्त करना।
  • सरकारी पहल:
    • एथेनॉल की लाभकारी कीमतें तय करना।
    • खरीद और आपूर्ति प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
    • उत्पाद शुल्क माफ करना।
    • एथेनॉल उत्पादन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।

संदर्भ

केरल में वर्ष 2022 में घटना के दौरान ‘पैराक्वेट’ नामक रासायनिक शाकनाशी का प्रयोग किया गया था।

शेरोन राज हत्या मामला

  • एक महिला ने एक व्यक्ति को उसके खाने में पैराक्वेट मिलाकर जहर दे दिया। इस रसायन के कारण उसके शरीर में गंभीर आंतरिक क्षति हुई, जिससे उसकी मौत हो गई। 
  • कानूनी परिणाम: तिरुवनंतपुरम के एक न्यायालय ने महिला को पूर्व नियोजित हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई।

पैराक्वेट क्या है?

  • परिभाषा: पैराक्वेट, जिसे पैराक्वेट डाइक्लोराइड या मिथाइल वायोलोजेन के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले शाकनाशियों में से एक है।
  • उपयोग: इसका उपयोग खरपतवारों को नियंत्रित करने और कटाई से पहले कपास जैसी फसलों को सुखाने के लिए शाकनाशी के रूप में व्यापक रूप से किया जाता है।
  • विषाक्तता: इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा श्रेणी 2 रसायन (मध्यम रूप से खतरनाक) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • पैराक्वेट को चीन और यूरोपीय संघ सहित 70 से अधिक देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है, क्योंकि यह अत्यधिक जहरीला है। हालाँकि, अमेरिका और भारत जैसे देशों में इसका उपयोग अभी भी किया जाता है।

भारत में उपयोग

  • भारत में पैराक्वेट को कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत विनियमित किया जाता है और इसे गेहूँ, चावल, चाय और कॉफी जैसी फसलों पर इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है।
  • हालाँकि, इसके दुरुपयोग और विनियमन की कमी के कारण कई विषाक्तता के मामले सामने आए हैं।

पैराक्वेट विषाक्तता कैसे होती है?

  • निगलना: सबसे सामान्य तरीका, जो अक्सर घातक परिणाम देता है।
  • त्वचा से संपर्क: लंबे समय तक संपर्क में रहने से त्वचा के माध्यम से अवशोषण हो सकता है।
  • साँस लेना: श्वसन संबंधी समस्याएँ पैदा कर सकता है।
  • क्रिया का तंत्र: पैराक्वेट मुँह, पेट और आँतों की परत को सीधे नुकसान पहुँचाता है।
    • यह शरीर में तेजी से फैलता है, फेफड़ों, यकृत और गुर्दे को नुकसान पहुँचाता है।
    • कोशिकाएँ सक्रिय परिवहन के माध्यम से ‘पैराक्वेट’ को अवशोषित करती हैं, जिससे इसके विषाक्त प्रभाव तेज हो जाते हैं।

पैराक्वेट विषाक्तता के लक्षण

  • हल्का जोखिम
    • पेट में दर्द, मुँह और गले में सूजन, मतली।
    • हृदय, गुर्दे, यकृत और फेफड़ों को नुकसान हो सकता है।
  • गंभीर जोखिम
    • किडनी फेलर, तेज हृदय गति, यकृत संबंधी समस्याएँ, दौरे और श्वसन विफलता।
    • कुछ घंटों या दिनों के भीतर मृत्यु हो सकती है, जो कि सेवन की गई मात्रा पर निर्भर करती है।

पैराक्वेट विषाक्तता का उपचार

  • पैराक्वेट विषाक्तता के लिए कोई ज्ञात उपचार नहीं है।
  • तत्काल उपाय
    • रसायन को अवशोषित करने के लिए सक्रिय चारकोल या मुल्तानी मिट्टी निगलना।
    • दूषित कपड़ों को हटाना और त्वचा को साबुन और पानी से धोना।
  • अस्पताल में उपचार
    • प्रतिरक्षा या चारकोल हेमोपरफ्यूजन सहित सहायक देखभाल का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन जीवित रहने की दर कम है।

विनियम और प्रतिबंध

  • भारत में: नियमों के बावजूद, पैराक्वेट को अक्सर उचित नुस्खे या सुरक्षा दिशा-निर्देशों के बिना बेचा जाता है। किसान अक्सर बिना सुरक्षा  के इसका उपयोग करते हैं, जिससे दुर्घटनावश विषाक्तता हो जाती है।
  • अमेरिका में: ‘पैराक्वेट’ लाइसेंस प्राप्त वाणिज्यिक उपयोगकर्ताओं तक ही सीमित है और व्यक्तिगत या आवासीय उपयोग के लिए प्रतिबंधित है।

संदर्भ

2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस से पहले, भारत में चार और आर्द्रभूमियों को रामसर कन्वेंशन के तहत रामसर साइटों के रूप में मान्यता दी गई है।

संबंधित तथ्य

  • नई आर्द्रभूमियों को शामिल करने से देश में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त आर्द्रभूमियों की कुल संख्या 89 हो गई है।
  • नए नामित स्थल हैं:
    1. तमिलनाडु में सक्काराकोट्टई पक्षी अभयारण्य और थर्थंगल पक्षी अभयारण्य।
    2. सिक्किम में खेचेओपालरी वेटलैंड।
    3. उधवा झील झारखंड में है।

रामसर स्थलों से संबंधित मुख्य आँकड़े

  • तमिलनाडु अब 20 रामसर स्थलों के साथ भारत में रामसर स्थलों के मामलों में सबसे आगे है, जो देश में सबसे अधिक है। उत्तर प्रदेश 10 स्थलों के साथ दूसरे स्थान पर है।
  • सिक्किम और झारखंड को अपने पहले रामसर स्थल प्राप्त हुए हैं: क्रमशः खेचोपलरी वेटलैंड और उधवा झील।
  • भारत, यूनाइटेड किंगडम (176) और मैक्सिको (144) के बाद 89 रामसर स्थलों के साथ विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। भारत में एशिया में सबसे अधिक रामसर स्थल भी हैं।
  • पिछले दशक में, भारत के रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर 89 हो गई है, जिसमें पिछले तीन वर्षों में 47 स्थल जोड़े गए हैं।

रामसर स्थल के लिए मानदंड

  • दुर्लभ या अद्वितीय प्राकृतिक आर्द्रभूमि प्रकारों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • लुप्तप्राय प्रजातियों या संकटग्रस्त पारिस्थितिक समुदायों का समर्थन करता है।
  • विशिष्ट जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में जैव विविधता को बनाए रखता है।
  • प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान शरण प्रदान करता है।
  • नियमित रूप से 20,000 या उससे अधिक जलपक्षियों को आश्रय देता है।
  • एकल जलपक्षी प्रजाति की आबादी का 1% बनाए रखता है।
  • भोजन, स्पॉनिंग ग्राउंड, नर्सरी और मछलियों के लिए प्रवास पथ के महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करता है।
  • गैर-एवियन आर्द्रभूमि-निर्भर पशु प्रजातियों की आबादी का 1% नियमित रूप से समर्थन करता है।

नए रामसर स्थल

खेचेओपलरी झील (सिक्किम) [Khecheopalri Lake (Sikkim)]

  • मूल रूप से ‘खा-चोट-पलरी’ के नाम से प्रसिद्ध यह झील, जिसका अर्थ है “पद्मसंभव का स्वर्ग”, पश्चिम सिक्किम में खेचेओपलरी गाँव के पास स्थित है।
  • इसे बौद्ध और हिंदू दोनों ही पवित्र मानते हैं और माना जाता है कि यह एक मनोकामना पूर्ण करने वाली झील है।
  • झील का स्थानीय नाम ‘शो जो शो’ है, जिसका अर्थ है “हे महिला, यहाँ बैठो।”
  • यह झील रामम क्षेत्र से जल ग्रहण करती है, जिसका नाम रामम पर्वत के नाम पर रखा गया है।

उधवा झील पक्षी अभयारण्य (झारखंड)

  • झारखंड के साहिबगंज जिले में स्थित यह अभयारण्य गंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में स्थित है।
  • इसमें दो परस्पर जुड़े जल निकाय, पटौदा और बरहेल शामिल हैं, जो एक जल चैनल द्वारा जुड़े हुए हैं।
  • पक्षी क्षेत्र (Important Bird Area-IBA) के रूप में मान्यता प्राप्त यह अभयारण्य पक्षियों के आवास संरक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण है।

सक्काराकोट्टई पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)

  • तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित यह अभयारण्य एक सिंचाई जलाशय है, जो कृषि के लिए जल का भंडारण करता है।
  • अक्टूबर से जनवरी तक पूर्वोत्तर मानसून द्वारा जलाशय की पूर्ति की जाती है।
  • यह अभयारण्य ‘मध्य एशियाई फ्लाईवे’ में स्थित है, जो स्पॉट बिल्ड पेलिकन, इग्रेट, कॉमन मैना, ग्रे हेरॉन आदि जैसे जलपक्षियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रजनन स्थल के रूप में कार्य करता है।

थेरथांगल पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)

  • थेरथांगल पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है।
  • यह विभिन्न जलपक्षी प्रजातियों जैसे कि किंगफिशर, स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, चमगादड़ आदि के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रजनन और चरागाह के रूप में कार्य करता है।

आर्द्रभूमि क्या हैं?

आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन के अनुसार, आर्द्रभूमि को इस प्रकार परिभाषित किया गया है:

  • दलदल, मार्श, पीटलैंड या पानी के क्षेत्र, चाहे प्राकृतिक हों या कृत्रिम, स्थायी हों या अस्थायी।
  • इनमें स्थिर या बहते पानी, ताजे, खारे या खारे पानी वाले क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें समुद्री क्षेत्र भी शामिल हैं, जहाँ कम ज्वार पर जल की गहराई छह मीटर से अधिक नहीं होती है।
  • आर्द्र्भूमि स्थलीय (भूमि) और जलीय (जल) पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच संक्रमणकालीन क्षेत्र हैं।

आर्द्रभूमियों का महत्त्व

  1. जल का स्रोत: आर्द्रभूमियाँ वर्षा जल को अवशोषित करती हैं और भूजल को रिचार्ज करने में मदद करती हैं।
  2. बाढ़ और तूफान में बफर के रूप में: वे स्पंज की तरह कार्य करती हैं, वर्षा और बर्फ के जल को अवशोषित करती हैं और जल को धीरे-धीरे मृदा में रिसने देती हैं, जिससे बाढ़ का खतरा कम हो जाता है।
  3. जल शोधन: आर्द्रभूमियाँ तलछट और पौधों में मौजूद प्रदूषकों को ग्रहण करती हैं, जिससे कृषि अपवाह से फॉस्फोरस और नाइट्रोजन जैसे प्रदूषक कम होते हैं।
  4. प्रवासी पक्षियों के लिए आवास: आर्द्रभूमियाँ प्रवासी पक्षियों के लिए भोजन, आश्रय और प्रजनन के लिए स्थान प्रदान करती हैं।
  5. जैव विविधता हॉटस्पॉट: कई आर्द्रभूमियाँ विभिन्न प्रकार की स्थानिक और लुप्तप्राय प्रजातियों का आवास हैं। उदाहरण के लिए, मणिपुर में एक तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान केबुल लामजाओ, वैश्विक रूप से लुप्तप्राय ब्रो-एंटलर्ड हिरण का एकमात्र प्राकृतिक आवास है।

रामसर कन्वेंशन 

  • रामसर कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जो “आर्द्रभूमि के संरक्षण और सतत् उपयोग” पर केंद्रित है।
  • इस संधि का नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहाँ 2 फरवरी, 1971 को इस पर हस्ताक्षर किए गए थे।
    • 2 फरवरी को प्रत्येक वर्ष विश्व आर्द्रभूमि दिवस के रूप में मनाया जाता है।
    • रामसर कन्वेंशन वर्ष 1975 में लागू हुआ था।
  • इस कन्वेंशन के तीन मुख्य स्तंभ हैं:
    • सभी आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग की दिशा में कार्य करना।
    • अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों की सूची (रामसर सूची) के लिए उपयुक्त आर्द्रभूमियों को नामित करना और उनका प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करना।
    • सीमा पार आर्द्रभूमियों, साझा आर्द्रभूमि प्रणालियों और साझा प्रजातियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना।

मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड (Montreux Record)

  • मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड, रामसर सूची में उन आर्द्रभूमि स्थलों का रजिस्टर है, जहाँ मानवीय हस्तक्षेप, प्रदूषण या तकनीकी विकास के कारण पारिस्थितिक चरित्र में परिवर्तन हुए हैं, हो रहे हैं या होने की संभावना है।
  • यह इन महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए खतरों की निगरानी और समाधान करने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है।
  • अभी तक, दो भारतीय आर्द्रभूमियाँ मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में सूचीबद्ध हैं:
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान (1990 में जोड़ा गया): भरतपुर में स्थित, यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
    • लोकटक झील, मणिपुर (1993 में जोड़ा गया): पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी मीठे जल की झील, जो फुमदी (तैरती हुई वनस्पति) के लिए प्रसिद्ध है।
  • चिल्का झील (ओडिशा) को रिकार्ड में शामिल किया गया था लेकिन बाद में उसे हटा दिया गया।

संदर्भ 

सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में चमड़े के कारखानों ने पलार नदी में अनुपचारित या आंशिक रूप से उपचारित अपशिष्टों को बहाकर पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुँचाई है।

संबंधित तथ्य

  • न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा देने का निर्देश दिया तथा लागत की वसूली ‘पॉल्यूटर पे’ (Polluter Pays)’ सिद्धांत के तहत प्रदूषणकारी इकाइयों से की जाएगी।

सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य टिप्पणियाँ

  • सतत् विकास 
    • ‘सतत् विकास’ का अर्थ है भविष्य की पीढ़ियों की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता को नुकसान पहुँचाए बिना वर्तमान में अपनी जरूरतों को पूर्ण करना।
    • न्यायालय ने पुनः पुष्टि की कि “निवारक सिद्धांत’’ (Precautionary Principle) और ‘पॉल्यूटर पे’ सिद्धांत (Polluter Pays Principle) सतत् विकास की आवश्यक विशेषताएँ हैं।
    • इसने पर्यावरण संरक्षण को आर्थिक गतिविधियों के साथ संतुलित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • ‘पॉल्यूटर पे’ सिद्धांत
    • यह सिद्धांत यह अनिवार्य करता है कि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार लोगों को मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए इसके प्रबंधन की लागत वहन करनी चाहिए।
    • यह सुनिश्चित करता है कि प्रदूषण फैलाने वाले जिम्मेदारी लें और पर्यावरण बहाली के प्रयासों को वित्तपोषित करने में सहायता करें।
  • निवारक सिद्धांत
    • यदि कोई गतिविधि पर्यावरण या मानव स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है, तो निवारक कार्रवाई की जानी चाहिए, भले ही वैज्ञानिक प्रमाण पूर्ण न हों।
    • यह सिद्धांत नुकसान के निर्णायक साक्ष्य की प्रतीक्षा करने के बजाय सक्रिय पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करता है।

तमिलनाडु सरकार को निर्देश

  • विशेषज्ञ समिति का गठन: तमिलनाडु सरकार को केंद्र सरकार के परामर्श से चार सप्ताह के भीतर एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया गया है।
  • सख्त लाइसेंसिंग उपाय: अधिकारियों को उन उद्योगों के लाइसेंस रद्द करने चाहिए, जो गलत जानकारी देते हैं या पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करते हैं।

टेनरीज क्या हैं?

  • टेनरी वे कारखाने हैं, जहाँ जानवरों की त्वचा को संसाधित करके चमड़े में परिवर्तित किया जाता है। 
  • प्रसंस्करण में इस्तेमाल किए जाने वाले जहरीले रसायनों के कारण चमड़ा उद्योग सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में से एक है।

पर्यावरण पर टेनरीज का प्रभाव 

  • जल प्रदूषण: टेनरीज क्रोमियम, सल्फाइड और एसिड जैसे जहरीले रसायनों को जल निकायों में प्रवाहित करती हैं।
  • भूजल संदूषण: अनियंत्रित निपटान से भूजल में प्रदूषकों का उच्च स्तर हो जाता है, जिससे यह पीने और कृषि के लिए असुरक्षित हो जाता है।
  • मृदा क्षरण: जहरीले अपशिष्ट मृदा की गुणवत्ता को खराब करते हैं, जिससे कृषि उत्पादकता प्रभावित होती है।
  • स्वास्थ्य संबंधी खतरे: प्रदूषण स्थानीय समुदायों को प्रभावित करता है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएँ, त्वचा रोग और अन्य स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ होती हैं।

पर्यावरण संरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय

ग्रामीण मुकदमेबाजी और हकदारी केंद्र बनाम राज्य (1988)

  • संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत स्वस्थ वातावरण में रहने के अधिकार को मान्यता दी गई। 
  • पर्यावरण की रक्षा के लिए देहरादून में चूना पत्थर की खदानों को बंद करने का आदेश दिया गया।

एम. सी. मेहता बनाम भारत संघ (1987)

  • यह स्थापित किया गया कि प्रदूषण मुक्त पर्यावरण का अधिकार अनुच्छेद-21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
  • दिल्ली में उद्योगों को पर्यावरण सुरक्षा उपाय अपनाने का आदेश दिया गया।

टी. एन. गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ (1996)

  • ‘वन’ की परिभाषा का विस्तार किया गया, जिसमें वर्गीकरण या स्वामित्व की परवाह किए बिना सभी हरे-भरे क्षेत्र शामिल किए गए।
  • पूरे भारत में वन संरक्षण प्रयासों को मजबूत किया गया।

पलार नदी के बारे में

  • पलार नदी दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों में से एक है, जो अपने द्वारा प्रवाहित क्षेत्रों की पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • उद्गम और मार्ग: पलार नदी कर्नाटक के चिक्काबल्लापुरा जिले में स्थित नंदी हिल्स से निकलती है।
    • यह तीन राज्यों से होकर बहती है: कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु और अंत में वायलूर में बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • प्रमुख सहायक नदियाँ: पलार नदी को कई सहायक नदियों से जल प्राप्त होता है, जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण चेय्यार और पोन्नई नदियाँ हैं, जो तमिलनाडु में स्थित हैं।
  • जल मार्ग: पलार नदी के जल को पलार ‘एनीकट’ (एक पारंपरिक जल मोड़ संरचना) के माध्यम से दो महत्त्वपूर्ण जलाशयों में मोड़ दिया जाता है:
    • पूंडी जलाशय: कोसस्थलैयार नदी बेसिन में स्थित, यह जलाशय क्षेत्र की जल की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सहायता करता है।
    • चेंबरमबक्कम झील: अडयार नदी बेसिन में स्थित, यह झील सिंचाई और पेयजल का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

संदर्भ

एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि ध्रुवीय भालुओं के फर में एक अनोखा तैलीय पदार्थ होता है, जो बर्फ पर फिसलने या जल में गोता लगाने पर भी उन्हें सूखा रहने में सहायता करता है।

खोज का महत्त्व

  • यह खोज ‘पर एंड पॉलीफ्लुओरोएल्काइल’ पदार्थों (PFA) के लिए सतत् विकल्पों के विकास को प्रेरित कर सकती है, जिन्हें आमतौर पर ‘‘फॉरएवर केमिकल्स’’ के रूप में जाना जाता है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • ध्रुवीय भालू के फर में तैलीय पदार्थ: ध्रुवीय भालू की त्वचा से तैलीय पदार्थ निकलता है, जिसे ‘सीबम’ कहते हैं।
    • यह जल तथा बर्फ को दूर रखने में सहायता करता है, जिससे भालू अपने बर्फीले आर्कटिक आवास में सूखे और सुरक्षित रहते हैं।
    • ध्रुवीय भालू के सीबम में स्क्वैलीन नहीं होता, जो एक वसायुक्त तेल है, जो आमतौर पर मनुष्यों, समुद्री ऊदबिलाव और कई जलीय स्तनधारियों के बालों में पाया जाता है।
  • PFA ​​से तुलना: ध्रुवीय भालू के सीबम के गुण PFA ​​के समान हैं, जिनका व्यापक रूप से नॉनस्टिक कुकवेयर, जल-विकर्षक कपड़े और दाग-प्रतिरोधी कपड़ों जैसे उत्पादों में उपयोग किया जाता है।
    • PFA ​​के विपरीत, ध्रुवीय भालू का सीबम प्राकृतिक तथा पर्यावरण के अनुकूल है।
  • संभावित अनुप्रयोग: अध्ययन से पता चलता है कि ध्रुवीय भालू के सीबम से औद्योगिक तथा उपभोक्ता उत्पादों के लिए पर्यावरण अनुकूल कोटिंग्स के निर्माण को बढ़ावा मिल सकता है।
    • इससे हानिकारक PFA ​​पर निर्भरता कम हो सकती है तथा सतत् विनिर्माण प्रक्रियाओं को बढ़ावा मिल सकता है।

पर-एंड पॉलीफ्लुओरोएल्काइल (PFA) पदार्थ

  • PFA ​​सिंथेटिक रसायन हैं, जिन्हें ‘फॉरएवर केमिकल’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे आसानी से विघटित नहीं होते हैं तथा पर्यावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं।
    • उदाहरण: परफ्लुओरोऑक्टेन सल्फोनिक एसिड (PFOS)।
  • इनका उपयोग कई प्रकार के उत्पादों में किया जाता है, जिनमें नॉनस्टिक कुकवेयर, वाटरप्रूफ कपड़े, सौंदर्य प्रसाधन और अग्निशमन फोम शामिल हैं।

PFA ​​की पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ

  • उत्पादन तथा उपयोग के दौरान PFA ​​मृदा, जल और वायु में प्रसारित हो सकते हैं।
  • वे मनुष्यों तथा जानवरों के शरीर में जमा हो जाते हैं, जिससे प्रजनन क्षमता में कमी, बच्चों में विकास संबंधी समस्याएँ और अन्य दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं।

अध्ययन के निहितार्थ

  • PFA ​​के लिए संधारणीय विकल्प: ध्रुवीय भालू के सीबम के अनूठे गुणों के कारण विभिन्न उद्योगों में PFA ​​की जगह प्राकृतिक, बायोडिग्रेडेबल कोटिंग्स का विकास हो सकता है।
    • इससे पर्यावरण प्रदूषण और ‘फॉरएवर केमिकल्स’  से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम कम होंगे।
  • पर्यावरण के अनुकूल विनिर्माण को बढ़ावा देना: ध्रुवीय भालू के फर के प्राकृतिक जल-विकर्षक गुणों की नकल करके, उद्योग पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक प्रथाओं को अपना सकते हैं।

ध्रुवीय भालू (Polar Bears)

  • ध्रुवीय भालू, जिन्हें वैज्ञानिक रूप से उर्सस मैरिटिमस (जिसका अर्थ है ‘समुद्री भालू’) के रूप में जाना जाता है, दुनिया के सबसे बड़े भालू हैं।

  • वे कुशल तैराक होते हैं, छह मील प्रति घंटे की गति की चाल से चलने में सक्षम हैं और उनके शरीर पर वसा की मोटी परतें होती है, जो ठंडे तापमान में जीवित रहने के लिए पर्याप्त है।
  • आवास तथा वितरण
    • ध्रुवीय भालू कनाडा, ग्रीनलैंड/डेनमार्क, नॉर्वे, रूस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका (अलास्का) के आर्कटिक क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • पारिस्थितिक महत्त्व
    • शीर्ष शिकारियों के रूप में, ध्रुवीय भालू आर्कटिक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • वे मुख्य रूप से सील का शिकार करते हैं, जो सील आबादी को विनियमित करने और संतुलित खाद्य शृंखला सुनिश्चित करने में मदद करता है।
  • संरक्षण स्थिति
    • जलवायु परिवर्तन, आवास की हानि तथा प्रदूषण जैसे खतरों के कारण ध्रुवीय भालुओं को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा संवेदनशील के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

संदर्भ

प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत 16 सहकारी बैंकों और समितियों के विरुद्ध प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (Enforcement Case Information Report- ECIR) दर्ज की है।

मनी लॉण्ड्रिंग

  • मनी लॉण्ड्रिंग अवैध रूप से प्राप्त धन (भ्रष्टाचार, मादक पदार्थों की तस्करी या धोखाधड़ी जैसे अपराधों से) को उसके वास्तविक स्रोत को छिपाकर वैध दिखाने की प्रक्रिया है।

प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR)

  • ECIR एक औपचारिक दस्तावेज है, जो किसी विशेष मामले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज की गई शिकायत को रिकॉर्ड करता है।
  • यह कई उद्देश्यों को पूर्ण करता है, जिनमें शामिल हैं: मामले की पहचान और विभागीय सुविधा को सुविधाजनक बनाना।
    • ED की कार्यवाही शुरू करना, जिसमें संपत्ति की कुर्की तथा गिरफ्तारी की प्रक्रिया शामिल हो सकती है।

ECIR की मुख्य विशेषताएँ

  • आंतरिक दस्तावेज: ECIR एक आंतरिक दस्तावेज है, जिसका उपयोग प्रवर्तन निदेशालय द्वारा किया जाता है।
  • PMLA अधिनियम में इसका उल्लेख नहीं: ECIR का उल्लेख धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act- PMLA) या इसके नियमों में नहीं किया गया है।
  •  FIR के बराबर नहीं: ECIR को प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के बराबर नहीं माना जा सकता है, जो आमतौर पर आपराधिक मामलों में दर्ज की जाती है।

गिरफ्तारी संबंधी मामलों में ECIR का खुलासा

  • प्रवर्तन निदेशालय के लिए प्रत्येक मामले में संबंधित व्यक्ति को ECIR की एक प्रति प्रदान करना अनिवार्य नहीं है।
  • हालाँकि, कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार, ED को गिरफ्तारी के समय गिरफ्तारी के आधार बताना होगा।

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate)

  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक कानून प्रवर्तन एजेंसी है, जो आर्थिक कानूनों को लागू करने और वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए जिम्मेदार है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • यह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) तथा धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत कुछ प्रावधानों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।

परिचय

केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री ने 01 फरवरी, 2025 संसद में केंद्रीय बजट 2025-26 प्रस्तुत किया। 

बजट के बारे में

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-112 के अनुसार, केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण भी कहा जाता है, यह आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की अनुमानित प्राप्तियों एवं व्यय का विवरण है।
    • उल्लेखनीय है कि संविधान में बजट शब्द का उल्लेख नहीं है।
  • बजट अवधि: 1 अप्रैल से 31 मार्च।
  • तैयार किया जाता है: केंद्रीय वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग, बजट की तैयारी के लिए उत्तरदायी नोडल निकाय है।
  • बजट वर्गीकरण: केंद्रीय बजट को राजस्व बजट और पूँजीगत बजट में वर्गीकृत किया गया है।
    • राजस्व बजट: इसमें सरकार की राजस्व प्राप्तियाँ एवं व्यय शामिल हैं।
      • राजस्व प्राप्तियाँ: राजस्व प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती हैं- कर राजस्व और गैर-कर राजस्व
      • राजस्व व्यय: यह सरकार के दिन-प्रतिदिन के कामकाज और नागरिकों को दी जाने वाली विभिन्न सेवाओं पर किया जाने वाला व्यय है।
      • राजस्व घाटा: यदि राजस्व व्यय राजस्व प्राप्तियों से अधिक हो जाता है, तो सरकार को राजस्व घाटा होता है।
    • पूँजीगत बजट: इसमें पूँजीगत प्राप्तियाँ और पूँजीगत व्यय शामिल हैं।
      • पूँजीगत प्राप्तियाँ: नागरिक, विदेशी सरकारों और RBI से प्राप्त ऋण सरकार की पूँजीगत प्राप्तियों का एक बड़ा हिस्सा है।
      • पूँजीगत व्यय: यह मशीनरी, उपकरण, भवन, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा आदि के विकास पर किया जाने वाला व्यय है।
      • राजकोषीय घाटा: राजकोषीय घाटा तब होता है, जब सरकार का कुल व्यय उसके कुल राजस्व से अधिक हो जाता है।
  • भागों के आधार पर वर्गीकरण
    • बजट का भाग A: यह बजट का व्यापक आर्थिक भाग है, जिसमें सरकार की विभिन्न योजनाओं और प्राथमिकताओं की घोषणा की जाती है और कई क्षेत्रों को आवंटन किया जाता है।
    • बजट का भाग B: यह वित्त विधेयक से संबंधित है, जिसमें आयकर संशोधन और अप्रत्यक्ष कर जैसे कराधान प्रस्ताव शामिल हैं।
  • संविधान के अनुच्छेद-110 के अनुसार, वित्त विधेयक एक धन विधेयक है।
  • प्रस्तुत किए गए अन्य दस्तावेज: केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा बजट भाषण के अलावा, संसद में प्रस्तुत किए गए अन्य प्रमुख बजट दस्तावेज हैं:-
    • वार्षिक वित्तीय विवरण (अनुच्छेद-112 के अंतर्गत)
    • अनुदानों की माँगें (अनुच्छेद-113 के अंतर्गत)
    • वित्त विधेयक (अनुच्छेद-110 के अंतर्गत)
    • FRBM अधिनियम के अंतर्गत अनिवार्य राजकोषीय नीति विवरण
      • मैक्रो-इकोनॉमिक फ्रेमवर्क स्टेटमेंट
      • मध्यम अवधि की राजकोषीय नीति सह राजकोषीय नीति रणनीति वक्तव्य

केंद्रीय बजट के संबंध में महत्त्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद प्रावधान
अनुच्छेद-109 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया
अनुच्छेद-110 धन विधेयकों की परिभाषा
अनुच्छेद-112 वार्षिक वित्तीय विवरण
अनुच्छेद-113 अनुमानों के संबंध में संसद में प्रक्रिया
अनुच्छेद-114 भारत की समेकित निधि: सरकार को भारत की समेकित निधि की प्राप्तियों और व्यय का एक अलग लेखा प्रस्तुत करने का अधिकार है।
अनुच्छेद-115 अनुपूरक, अतिरिक्त या अतिरिक्त अनुदान
अनुच्छेद-116 लेखानुदान, ऋण-पत्र, असाधारण अनुदान
अनुच्छेद-117 वित्त विधेयकों के संबंध में विशेष प्रावधान
अनुच्छेद-265 कानून के अधिकार के बिना कोई कर नहीं लगाया जाएगा या एकत्र नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद-266 ऋण राजस्व के लिए सरकार को अपने द्वारा प्राप्त सभी राजस्व, जिसमें कर और अन्य राजस्व शामिल हैं, को भारत की संचित निधि में जमा करना होता है।
अनुच्छेद-266 (2) निकासी के लिए प्राधिकरण: सरकार को संसद द्वारा पारित कानून द्वारा अधिकृत किए जाने के बाद ही भारत के समेकित कोष से धन निकालने की आवश्यकता होती है।
अनुच्छेद-270 स्टेट बजट: सरकार को प्रत्येक राज्य सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है, जिसे स्टेट बजट कहा जाता है।
अनुच्छेद-272 राज्यों को कर हस्तांतरण: सरकार को कुछ निर्दिष्ट करों और शुल्कों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को हस्तांतरित करने की आवश्यकता होती है।
अनुच्छेद-285 संघ की संपत्ति को राज्य कर से छूट
अनुच्छेद-292 भारत सरकार द्वारा उधार लेना।

भारत में बजट का इतिहास

स्वतंत्रता-पूर्व युग

  • ब्रिटिश अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ष 1860 में भारत का पहला बजट पेश किया था। 
  • औपनिवेशिक शासन के दौरान बजट मुख्य रूप से राजस्व संग्रह, सैन्य व्यय और प्रशासनिक लागतों पर केंद्रित था।

अंतरिम सरकार (स्वतंत्रता से पूर्व – वर्ष 1947)

  • अंतरिम सरकार के सदस्य लियाकत अली खान ने वर्ष 1947-48 का बजट पेश किया, जो भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व का अंतिम बजट था।

स्वतंत्रता के बाद का युग

  • भारत के प्रथम वित्त मंत्री श्री आर. के. शानमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर, 1947 को स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट पेश किया।
  • स्वतंत्र भारत के शुरुआती बजटों में आर्थिक स्थिरता, खाद्यान्न की कमी से निपटने और विभाजन के बाद शरणार्थियों के पुनर्वास के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • वर्ष 1950 में, तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई ने भारत गणराज्य का पहला बजट पेश किया, जिसने योजनाबद्ध आर्थिक विकास की नींव रखी।
  • वर्ष 1957 में, भारत ने पंचवर्षीय योजनाओं का समर्थन करने के लिए घाटे के वित्तपोषण की अवधारणा पेश की।

बजट विकास में महत्त्वपूर्ण मील के पत्थर

  • वर्ष 1970: शून्य-आधारित बजट (ZBB) की अवधारणा कुशल व्यय को प्राथमिकता देने के लिए शुरू की गई थी।
  • वर्ष 1991: वित्त मंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह ने ऐतिहासिक बजट प्रस्तुत किया, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाया, इसे विदेशी निवेश के लिए खोल दिया और व्यापार प्रतिबंधों को कम कर दिया।
  • वर्ष 2000: वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management-FRBM) अधिनियम पेश किया गया।
  • वर्ष 2017: वित्तीय नियोजन को सुव्यवस्थित करने के लिए केंद्रीय बजट और रेल बजट को मिला दिया गया।
  • वर्ष 2021: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने COVID-19 महामारी के मद्देनजर पहली बार कागज रहित बजट पेश किया।

बजट पर एक नजर

  • भारत के वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में कुल सरकारी व्यय 50.65 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है, जो वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमानों के 47.16 लाख करोड़ रुपये से वृद्धि को दर्शाता है। 

बजटीय आवंटन और अनुमान संशोधित अनुमान (2024-25)

  • कुल प्राप्तियाँ (उधार को छोड़कर): ₹31.47 लाख करोड़।
  • शुद्ध कर प्राप्तियाँ: ₹25.57 लाख करोड़।
  • कुल व्यय: ₹47.16 लाख करोड़।
  • पूँजीगत व्यय: ₹10.18 लाख करोड़।

बजट अनुमान (2025-26)

  • कुल प्राप्तियाँ (उधार को छोड़कर): ₹34.96 लाख करोड़।
  • शुद्ध कर प्राप्तियाँ: ₹28.37 लाख करोड़।
  • कुल व्यय: ₹50.65 लाख करोड़।

राजकोषीय समेकन: आर्थिक स्थिरता को मजबूत करना

  • राजकोषीय अनुशासन के लिए प्रतिबद्ध: सरकार का लक्ष्य एक स्थायी राजकोषीय घाटा बनाए रखना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि केंद्र सरकार का ऋण घटता रहे।
  • राजकोषीय घाटा लक्ष्य
    • संशोधित अनुमान (2024-25): GDP का 4.8%।
    • बजट अनुमान (2025-26): GDP का 4.4%।

          

 

भाग: A

वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए तेलुगु कवि और नाटककार गुरजादा अप्पा राव की प्रसिद्ध कहावत को उद्धृत किया, “एक देश सिर्फ उसकी मिट्टी नहीं है; एक देश उसके लोग हैं” और लोगों पर केंद्रित बजट पर जोर दिया।

केंद्रीय बजट 2025-26 का विषय: ‘सबका विकास’ सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास को प्रोत्साहित करना।

विकसित भारत की आकांक्षा

केंद्रीय बजट 2025-2026 में विकास को गति देने, समावेशी विकास सुनिश्चित करने, निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने, घरेलू भावनाओं को ऊपर उठाने और भारत के बढ़ते मध्यम वर्ग की व्यय शक्ति को बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयासों को जारी रखने का वादा किया गया है।

बजट के फोकस क्षेत्र

बजट का उद्देश्य भारत की विकास क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाने के लिए कराधान, विद्युत क्षेत्र, शहरी विकास, खनन, वित्तीय क्षेत्र और नियामक सुधारों में परिवर्तनकारी सुधार शुरू करना है।

विकसित भारत की ओर यात्रा के लिए इंजन

केंद्रीय बजट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कृषि, MSME, निवेश और निर्यात, समावेशिता की भावना से निर्देशित सुधारों को एक रोडमैप के रूप में उपयोग करते हुए विकसित भारत की यात्रा में महत्त्वपूर्ण इंजन हैं।

पहला इंजन: कृषि

  • प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (Prime Minister Dhan-Dhaanya Krishi Yojana): उत्पादकता वृद्धि, फसल विविधीकरण, कटाई के बाद भंडारण, सिंचाई और ऋण पहुँच के लिए 100 जिलों को कवर करती है।
  • ग्रामीण समृद्धि एवं लचीलापन कार्यक्रम: कौशल, निवेश, प्रौद्योगिकी और आर्थिक पुनरुद्धार के माध्यम से अल्परोजगार से निपटने का लक्ष्य। ग्रामीण महिलाओं, युवा किसानों और छोटे/सीमांत किसानों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • दलहन में आत्मनिर्भरता के लिए मिशन: तुअर, उड़द और मसूर को लक्षित करने वाली 6 वर्षीय पहल, जिसमें NAFED और NCCF अगले 4 वर्षों के लिए खरीद सुनिश्चित करेंगे।
  • कृषि उत्पादकता उपाय: इसमें सब्जियों और फलों के लिए एक व्यापक कार्यक्रम, उच्च उपज वाले बीजों पर राष्ट्रीय मिशन और कपास उत्पादकता के लिए पाँच वर्षीय मिशन शामिल हैं।
  • किसान क्रेडिट कार्ड ऋण सीमा में वृद्धि: संशोधित ब्याज अनुदान योजना (Modified Interest Subvention Scheme-MISS) के तहत ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख किया गया।
  • बिहार के लिए मखाना बोर्ड: मखाने के उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्द्धन में वृद्धि के लिए सहायक है।

दूसरा इंजन: एमएसएमई

  • MSMEs विकास चालक के रूप में: निर्यात में 45% का योगदान; निवेश और कारोबार की सीमा क्रमशः 2.5 गुना और 2 गुना तक बढ़ाई गई।

  • गारंटी कवर के साथ ऋण उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि

  • सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट कार्ड: उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमों के लिए ₹5 लाख की सीमा वाले कस्टमाइज्ड क्रेडिट कार्ड।
    • पहले वर्ष में, 10 लाख ऐसे कार्ड जारी किए जाएँगे।
  • नई उद्यमी योजना: पाँच वर्ष में पहली बार उद्यम करने वाली 5 लाख महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को ₹2 करोड़ तक का टर्म लोन प्रदान करती है।
  • खिलौना विनिर्माण प्रोत्साहन: भारत को ‘मेड इन इंडिया’ खिलौनों के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की एक नई योजना।
  • राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन: “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा देने के लिए मध्यम और बड़े उद्योगों के साथ-साथ एमएसएमई को भी समर्थन देता है।

तीसरा इंजन: निवेश

लोगों, अर्थव्यवस्था और नवाचार में निवेश

  

नवाचार में निवेश

  • निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार के लिए 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
  • शहरी नियोजन अवसंरचना के लिए राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन।
  • 1 करोड़ पांडुलिपियों के दस्तावेजीकरण के लिए ज्ञान भारतम मिशन तथा भारतीय ज्ञान प्रणालियों का एक राष्ट्रीय डिजिटल भंडार।

पर्यटन के माध्यम से रोजगार सृजन

चौथा इंजन: निर्यात

  • निर्यात संवर्द्धन मिशन: वाणिज्य, MSME और वित्त मंत्रालयों द्वारा MSME को वैश्विक बाजारों में प्रवेश करने में सहायता करने के लिए सहयोगात्मक प्रयास।
  • भारत ट्रेडनेट (BharatTradeNet-BTN): व्यापार दस्तावेजीकरण और वित्तपोषण समाधान के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना।
  • घरेलू विनिर्माण सहायता: वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में एकीकरण को मजबूत करता है और उद्योग 4.0 तत्परता को बढ़ावा देता है।
  • वैश्विक क्षमता केंद्र: उभरते टियर-2 शहरों को वैश्विक सेवा केंद्रों के रूप में स्थापित करने के लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय रूपरेखा।
  • अवसंरचना और भंडारण: विशेष रूप से उच्च मूल्य वाले शीघ्र खराब होने वाले बागवानी उत्पादों के लिए एयर कार्गो सुविधाओं में सरकार समर्थित सुधार।

विकासशील भारत के इंजन के लिए ईंधन के रूप में सुधार

आर्थिक विकास के पीछे सुधारों को प्रेरक शक्ति मानते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री ने कारोबार को आसान बनाने, कराधान को सरल बनाने और वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करने के लिए पिछले दशक के दौरान सरकार के निरंतर प्रयासों पर जोर दिया।

  • ये सुधार चार इंजनों – कृषि, MSME, निवेश और निर्यात को विकसित भारत के विजन की ओर अग्रसर करने के लिए आवश्यक ईंधन के रूप में कार्य करेंगे।

कराधान एवं अनुपालन सुधार

  • फेसलेस असेसमेंट और करदाता-केंद्रित सुधार: फेसलेस असेसमेंट, करदाता चार्टर, तेजी से रिफंड और स्व-मूल्यांकन-आधारित रिटर्न का कार्यान्वयन।
  • “पहले भरोसा करो, बाद में छानबीन करो” दृष्टिकोण: विवाद से विश्वास योजना के साथ करदाताओं का भरोसा मजबूत हुआ और अनुपालन के लिए न्यूनतम जाँच की गई।

वित्तीय क्षेत्र सुधार एवं विकास

  • व्यवसाय करने में आसानी: अनुपालन को सुव्यवस्थित करने, निवेश को प्रोत्साहित करने और एक मजबूत विनियामक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय विनियमों में व्यापक परिवर्तन।
  • बीमा में FDI सीमा: भारत में सभी प्रीमियमों का पुनर्निवेश करने वाली कंपनियों पर लागू, 74% से बढ़ाकर 100% किया गया।
  • लाइट-टच रेगुलेटरी फ्रेमवर्क: उत्पादकता और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए एक सिद्धांत-आधारित, विश्वास-संचालित विनियामक वातावरण।
  • स्थानांतरण मूल्य निर्धारण: बहु-वर्षीय आर्म्स लेंथ मूल्य निर्धारण करने के लिए स्थानांतरण मूल्य निर्धारण प्रावधानों का युक्तीकरण।
  • बजट में प्रस्ताव किया गया है कि समान लेन-देन के संबंध में आर्म्स लेंथ मूल्य निर्धारण के लिए स्थानांतरण मूल्य निर्धारण प्रावधान अब 3 वर्ष की अवधि हेतु लागू होंगे।

प्रमुख सुधार उपाय

  • विनियामक सुधारों के लिए उच्च स्तरीय समिति
    • गैर-वित्तीय क्षेत्र के विनियमनों, प्रमाणनों, लाइसेंसों और अनुमतियों की समीक्षा करता है।
    • विश्वास-आधारित आर्थिक शासन को मजबूत करता है, निरीक्षणों और अनुपालन को सरल बनाता है।
    • राज्यों को शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, एक वर्ष के भीतर सिफारिशें अपेक्षित हैं।
  • राज्यों का निवेश अनुकूलता सूचकांक (2025): निवेश माहौल के आधार पर राज्यों की रैंकिंग करके प्रतिस्पर्द्धी सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने का लक्ष्य।
  • वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) तंत्र: उत्तरदायित्व और वित्तीय क्षेत्र की वृद्धि में सुधार के लिए मौजूदा वित्तीय विनियमों का मूल्यांकन करता है।
  • खनन क्षेत्र में सुधार: केंद्रीय वित्त मंत्री ने सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और राज्य खनन सूचकांक की स्थापना के माध्यम से लघु खनिजों सहित खनन क्षेत्र में सुधार का प्रस्ताव रखा।
  • जन विश्वास विधेयक 2.0: विभिन्न कानूनों में 100 से अधिक प्रावधानों को अपराधमुक्त करता है, जिससे व्यवसाय के अनुकूल कानूनी माहौल सुनिश्चित होता है।
  • कर सुधार: प्रत्यक्ष करों में बदलाव और नया आयकर विधेयक पेश करने का प्रस्ताव। ‘न्याय’ के सिद्धांतों के अनुरूप सरल और निष्पक्ष होना।

भाग B

प्रत्यक्ष कर प्रस्ताव

1. नई प्रत्यक्ष कर स्लैब

  • कर-मुक्त आय सीमा बढ़ाई गई: ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं।
  • वेतनभोगी करदाताओं को लाभ: ₹12.75 लाख तक की आय वाले लोग ₹75,000 की मानक कटौती के कारण शून्य कर का भुगतान करते हैं।
  • राजस्व प्रभाव: कर कटौती के कारण ₹1 लाख करोड़ हानि की आशंका है।

2. व्यापार करने में आसानी

  • तीन वर्ष की ब्लॉक अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय लेन-देन की आर्म्स लेंथ कीमत निर्धारित करने हेतु एक योजना की शुरुआत।
  • मुकदमेबाजी को कम करने और अंतरराष्ट्रीय कराधान में निश्चितता प्रदान करने के लिए सुरक्षित बंदरगाह नियमों के दायरे का विस्तार।

3. टीडीएस/टीसीएस युक्तीकरण एवं अनुपालन में आसानी

  • वरिष्ठ नागरिकों की ब्याज आय: TDS कटौती की सीमा ₹50,000 से दोगुनी होकर ₹1 लाख हो गई।
  • किराए पर TDS सीमा बढ़ाई गई: ₹2.4 लाख से बढ़ाकर ₹6 लाख प्रति वर्ष।
  • केवल गैर-पैन मामलों के लिए उच्च TDS कटौती।
  • TCS भुगतान में देरी को अपराध से मुक्त किया गया।

4. स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करना

  • स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करना: अपडेट किए गए कर रिटर्न दाखिल करने की अवधि 2 वर्ष से बढ़ाकर 4 वर्ष की गई।
  • धर्मार्थ ट्रस्ट और संस्थान: पंजीकरण अवधि 5 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष की गई।
  • स्व-नियंत्रण वाली संपत्ति: करदाताओं को बिना किसी शर्त (पहले 01) के दो स्व-कब्जे वाली संपत्तियों के वार्षिक मूल्य का दावा करने की अनुमति दी जाएगी।
  • विवाद से विश्वास योजना की सफलता: 33,000 करदाताओं ने इस योजना का लाभ उठाया।
  • वरिष्ठ नागरिकों के लाभ
    • 29 अगस्त, 2024 के बाद राष्ट्रीय बचत योजना (National Savings Scheme-NSS) से निकासी पर छूट।
    • NPS वात्सल्य खातों को भी इसी तरह की छूट दी गई।

5. व्यापार करने में आसानी और अंतरराष्ट्रीय कराधान

  • आर्म्स लेंथ प्राइसिंग निर्धारित करने के लिए नई योजना: तीन वर्ष की ब्लॉक अवधि के लिए शुरू की गई।
  • सेफ हार्बर नियमों का विस्तार: अंतरराष्ट्रीय कराधान में निश्चितता सुनिश्चित करना।
  • स्टार्ट-अप के निगमन के लिए 5 वर्ष का विस्तार: IFSC में स्थापित वैश्विक कंपनियों की जहाज-पट्टे वाली इकाइयों, बीमा कार्यालयों और ट्रेजरी केंद्रों को विशेष लाभ।
  • बुनियादी ढाँचे और ऐसे अन्य क्षेत्रों में निवेश करने वाले श्रेणी I और श्रेणी II AIF को प्रतिभूतियों से होने वाले लाभ पर कराधान की निश्चितता।

6. रोजगार और निवेश को प्रोत्साहित करना

  • अनिवासियों के लिए अनुमानित कराधान: भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण फर्मों को सेवाएँ प्रदान करने वालों के लिए अनुमानित कराधान की व्यवस्था।
  • टनेज टैक्स स्कीम (Tonnage Tax Scheme) को अंतर्देशीय जहाजों तक बढ़ाया गया।
  • स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित किया गया: निगमन अवधि को पाँच वर्ष तक बढ़ाया गया।
  • बुनियादी ढाँचे में निवेश: सॉवरेन और पेंशन फंड निवेश की समय सीमा 31 मार्च, 2030 तक बढ़ा दी गई।

अप्रत्यक्ष कर प्रस्ताव

1. औद्योगिक वस्तुओं के लिए सीमा शुल्क संरचना का युक्तीकरण

  • 07 टैरिफ दरों को हटाना।
  • एक से अधिक उपकर या अधिभार लागू न करना।
  • अधिकांश वस्तुओं पर प्रभावी शुल्क प्रभाव बनाए रखने के लिए समतुल्य उपकर लागू करना और कुछ वस्तुओं पर उपकर कम करना।

2. क्षेत्र विशेष प्रस्ताव

  • मेक इन इंडिया: एलईडी/एलसीडी टीवी के लिए ओपन सेल, टेक्सटाइल के लिए लूम, मोबाइल फोन और ईवी की लीथियम आयन बैटरी के लिए पूँजीगत सामान को छूट।
  • एमआरओ को बढ़ावा: जहाज निर्माण और जहाजों को विघटित के लिए माल पर 10 वर्ष की छूट, मरम्मत के लिए आयातित रेलवे माल के निर्यात हेतु समय सीमा का विस्तार।
  • निर्यात प्रोत्साहन: हस्तशिल्प और चमड़ा क्षेत्रों के लिए शुल्क मुक्त इनपुट।
  • व्यापार सुविधा: अनंतिम मूल्यांकन को अंतिम रूप देने के लिए समय सीमा तय की गई; निकासी के बाद भौतिक तथ्यों की स्वैच्छिक घोषणा और ब्याज सहित लेकिन दंड के बिना शुल्क भुगतान के लिए नया प्रावधान; IGCR नियमों में समय सीमा को 1 वर्ष तक बढ़ाने और मासिक के बजाय त्रैमासिक विवरण दाखिल करने के लिए संशोधन किया गया।

3. जीवन रक्षक दवाओं तक बेहतर पहुँच

  • इनमें शामिल हैं:
    • 36 जीवनरक्षक औषधियों/दवाइयों को मूल सीमा शुल्क (BCD) से छूट दी गई है।
    • 6 दवाएँ 5% शुल्क सूची में शामिल की गई हैं।
    • 37 दवाएँ और 13 नए रोगी सहायता कार्यक्रम छूट सूची में शामिल की गई हैं।

4. औद्योगिक वस्तुओं पर सीमा शुल्क का युक्तीकरण

  • सात टैरिफ हटा दिए गए।
  • प्रभावी शुल्क बनाए रखने के लिए उपकर समायोजन।
  • एक से अधिक उपकर या अधिभार नहीं लगाया जाएगा।

5. घरेलू विनिर्माण एवं मूल्य संववर्द्धन को समर्थन प्रदान करना।

  • सीमा शुल्क छूट
    • कोबाल्ट, लीथियम-आयन बैटरी अपशिष्ट, सीसा और जस्ता सहित 25 महत्त्वपूर्ण खनिज।
    • दो अतिरिक्त शटल-रहित करघे छूट प्राप्त कपड़ा मशीनरी सूची में जोड़े गए।
  • बुना हुआ कपड़ा BCD संशोधन: ‘10% से 20%’ को बदलकर “20% या ₹115/किग्रा, जो भी अधिक हो” कर दिया गया।

6. ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा

  • विपरीत शुल्क संरचना सुधार 
    • इंटरएक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले (Interactive Flat Panel Displays- IFPD) पर BCD को बढ़ाकर 20% कर दिया गया।
    • ओपन सेल पर BCD को घटाकर 5% कर दिया गया।
    • घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए ओपन सेल पार्ट्स पर BCD छूट।

7. इलेक्ट्रिक वाहन तथा मोबाइल बैटरी विनिर्माण सहायता

  • पूँजीगत वस्तुओं के आयात पर छूट
    • ईवी बैटरी निर्माण के लिए 35 आइटम।
    • मोबाइल बैटरी उत्पादन के लिए 28 आइटम।

8. जहाज निर्माण एवं दूरसंचार सहायता

  • जहाज निर्माण सामग्री पर BCD छूट को अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है।
  • कैरियर-ग्रेड ईथरनेट स्विचेस BCD को नॉन-कैरियर ग्रेड स्विचेस से मेल खाने के लिए 20% से घटाकर 10% कर दिया गया है।

9. निर्यात संवर्द्धन एवं उद्योग-विशिष्ट राहत

  • हस्तशिल्प निर्यात प्रोत्साहन।
  • शुल्क छूट और कटौती
    • वेट ब्लू लेदर: पूर्ण छूट
    • वेट ब्लू लेदर: निर्यात मूल्य संवर्द्धन के लिए पूर्ण छूट।
    • फ्रोजन फिश पेस्ट: BCD  30% से घटाकर 5% किया गया।
    • फिश हाइड्रोलाइजेट: मछली और झींगा फीड उत्पादन के लिए BCD 15% से घटाकर 5% किया गया।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.


Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.