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Nov 22 2024

भारत, इटली रक्षा औद्योगिक रोडमैप पर वार्ता करेंगे

भारत एवं इटली एक रक्षा औद्योगिक रोडमैप पर वार्ता करके वर्गीकृत सूचना सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे तथा संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना वर्ष 2025-29 के तहत समुद्री एवं बंदरगाह क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएँगे।

भारत-इटली रक्षा सहयोग की मुख्य विशेषताएँ

  • रक्षा औद्योगिक रोडमैप
    • सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (SIDM) एवं इटालियन इंडस्ट्रीज फेडरेशन फॉर एयरोस्पेस, डिफेंस एंड सिक्योरिटी के बीच एक समझौता ज्ञापन को बढ़ावा देना।
  • सैन्य आदान-प्रदान
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अंतरसंचालनीयता बढ़ाने के लिए सशस्त्र बलों के बीच तालमेल में वृद्धि।
    • INS विक्रमादित्य एवं ITS कैवूर सहित वाहक ‘स्ट्राइक समूहों’ के साथ ऐतिहासिक समुद्री अभ्यास, जिसमें नौसैनिक सहयोग प्रदर्शित किया गया।
  • प्रौद्योगिकी सहयोग: रक्षा प्लेटफॉर्मों और उपकरणों के लिए सह-उत्पादन, सह-विकास और प्रौद्योगिकी साझाकरण पर ध्यान केंद्रित करना।

कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स (Carrier Strike Groups- CSG) अभ्यास

  • कैरियर स्ट्राइक ग्रुप: CSG एक नम्य नौसैनिक शक्ति है, जो सभी प्रकार के मौसम की स्थिति में, दिन के किसी भी समय खुले समुद्र तथा सीमित जल दोनों में कार्य कर सकती है।
  • जहाज: CSG का नेतृत्व विमान वाहक पोत द्वारा किया जाता है एवं इसमें क्रूजर, विध्वंसक, पनडुब्बी तथा सहायक जहाज भी शामिल होते हैं।
  • भारत एवं इटली के बीच पहला कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) अभ्यास 1-6 अक्टूबर, 2024 को गोवा के तट पर हुआ। 
  • वाहक: भारतीय नौसेना के INS विक्रमादित्य एवं इतालवी नौसेना के ITS कैवूर ने अभ्यास के समुद्री चरण का नेतृत्व किया।
  • यह अभ्यास दोनों देशों के बीच अंतरसंचालनीयता बढ़ाने एवं नौसैनिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।

भारत-इटली संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025-2029 की मुख्य विशेषताएँ

  • राजनीतिक संवाद
    • शासनाध्यक्षों एवं मंत्रियों के बीच नियमित बैठकें एवं दौरे।
    • वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर वार्षिक विदेश कार्यालय परामर्श।
    • क्षेत्रीय सहयोग के लिए मंत्रालयों के बीच तालमेल में वृद्धि।
  • आर्थिक सहयोग एवं निवेश
    • परिवहन, खाद्य प्रसंस्करण, हरित प्रौद्योगिकी एवं फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देना।
  • कनेक्टिविटी
    • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (India-Middle East-Europe Economic Corridor- IMEEC) के तहत सतत् परिवहन एवं समुद्री बुनियादी ढाँचे पर सहयोग करना।
    • समुद्री एवं बंदरगाह क्षेत्र सहयोग पर समझौता।
  • विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार
    • AI, टेलीकॉम एवं डिजिटलीकरण जैसी महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सहयोग का विस्तार करना।
    • उद्योग 4.0, स्वच्छ ऊर्जा एवं महत्त्वपूर्ण खनिज शोधन में संयुक्त पहल।
    • इंडो-इटैलियन इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन एक्सचेंज प्रोग्राम का शुभारंभ।
  • अंतरिक्ष क्षेत्र
    • पृथ्वी अवलोकन, हेलियोफिजिक्स एवं चंद्र विज्ञान में इतालवी अंतरिक्ष एजेंसी (ASI), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सहयोग को मजबूत करना।
    • वर्ष 2025 में इतालवी अंतरिक्ष उद्योग प्रतिनिधिमंडल का भारत दौरा आयोजित करना।
  • ऊर्जा संक्रमण
    • हरित हाइड्रोजन, जैव ईंधन एवं नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग।
    • वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन एवं अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को बढ़ावा देना।
    • ऊर्जा दक्षता एवं ग्रिड विकास में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।
  • रक्षा सहयोग
    • वार्षिक संयुक्त रक्षा सलाहकार (JDC) बैठकें एवं संयुक्त कर्मचारी वार्ता (JST)।
    • एक रक्षा औद्योगिक रोडमैप विकसित करना एवं प्लेटफॉर्मों के सह-विकास की सुविधा प्रदान करना।
  • सुरक्षा सहयोग
    • अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद एवं अपराध पर वार्षिक संयुक्त कार्य समूह की बैठकें।
  • प्रवासन एवं गतिशीलता
    • इटली में रोजगार के लिए भारतीय स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए सुरक्षित एवं कानूनी प्रवासन मार्गों तथा प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
  • संस्कृति, शैक्षणिक एवं लोगों-से-लोगों का आदान-प्रदान
    • विश्वविद्यालय सहयोग एवं व्यावसायिक शिक्षा आदान-प्रदान को मजबूत करना।

संयुक्त विमोचन 2024

हाल ही में भारतीय सेना ने अहमदाबाद एवं पोरबंदर, गुजरात में ‘संयुक्त विमोचन 2024’ अभ्यास का सफलतापूर्वक आयोजन किया।

संयुक्त विमोचन अभ्यास

  • यह एक बहुपक्षीय वार्षिक संयुक्त मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (Humanitarian Assistance and Disaster Relief- HADR) अभ्यास है।
  • यह अभ्यास भारतीय सेना की दक्षिणी कमान के ‘कोणार्क कोर’ द्वारा आयोजित किया गया था।
  • उद्देश्य
    • तैयारियों एवं तत्परता को बढ़ाकर प्राकृतिक आपदाओं का प्रभावी ढंग से सामना करने में  भारत की क्षमता में सुधार करना।

अभ्यास की मुख्य झलकियाँ

  • चक्रवात प्रबंधन पर टेबल टॉप अभ्यास 
    • अवस्थिति: अहमदाबाद
    • थीम: ‘गुजरात के तटीय क्षेत्र में चक्रवात’।
    • एक टेबलटॉप एक्सरसाइज (Tabletop Exercise- TTX) ने आपदा राहत रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ओखा-पोरबंदर समुद्र तट को प्रभावित करने वाले एक चक्रवात का अनुकरण किया।
    • मुख्य उद्देश्य: अंतर-एजेंसी सहयोग में अंतराल की पहचान करना एवं त्वरित, समन्वित आपदा प्रतिक्रिया के लिए तंत्र स्थापित करना।
  • बहु-एजेंसी क्षमता प्रदर्शन के बारे में
    • इस दिन चक्रवात परिदृश्य में आपदा प्रबंधन का लाइव सिमुलेशन दिखाया गया।

ग्रीन वर्ल्ड अवार्ड्स 2024

कोयला मंत्रालय के तहत कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) को कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) श्रेणी में हरित विश्व पर्यावरण पुरस्कार, 2024 प्राप्त हुआ।

संबंधित तथ्य 

  • CIL को यह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार CSR अर्थात् थैलेसीमिया बाल सेवा योजना के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य के लिए दिया गया है। 
  • पर्यावरणीय स्थिरता एवं सामाजिक जिम्मेदारी में योगदान के लिए कंपनी को ग्रीन वर्ल्ड एंबेसडर की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।

हरित संगठन 

  • स्थापना:  वर्ष 1994। 
  • मुख्यालय: ईस्ट एमहर्स्ट, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका। 
  • यह एक स्वतंत्र गैर-राजनीतिक, गैर-लाभकारी समूह है।

पुरस्कार समारोह

  • यह पुरस्कार ‘द ग्रीन ऑर्गनाइजेशन’ द्वारा प्रदान किया गया।
  • यह समारोह द ऑरेंजरी, केंसिंग्टन पैलेस, लंदन में हुआ।

थैलेसीमिया बाल सेवा योजना 

  • यह बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant- BMT) नामक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के माध्यम से थैलेसीमिया रोगियों के लिए उपचारात्मक उपचार प्रदान करता है।
  • योजना की उपलब्धियाँ
    • कार्यक्रम के तहत 600 से अधिक रोगियों को स्थायी उपचार प्राप्त हुआ है।
    • BMT प्रक्रिया के अनुसार, ₹10 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • यह पहल पूरे भारत में 17 प्रमुख अस्पतालों के साथ साझेदारी में है।

कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) 

  • यह एक राज्य के स्वामित्व वाली कोयला खनन कंपनी है।
  • स्थापना: वर्ष 1975
  • वर्गीकरण: भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के तहत एक ‘महारत्न’ उद्यम के रूप में वर्गीकृत।
  • मुख्यालय- कोलकाता।

इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार

हाल ही में शांति, निरस्त्रीकरण एवं विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार 2023 प्रदान किया या गया। 

पुरस्कार प्राप्तकर्ता

  • डैनियल बरेनबोइम: वह अर्जेंटीना में जन्मे प्रतिष्ठित शास्त्रीय पियानोवादक हैं।
    • संगीत एवं सांस्कृतिक संवाद के माध्यम से शांति को बढ़ावा देने के लिए मान्यता प्राप्त।
  • अली अबू अव्वाद: फिलिस्तीनी शांति कार्यकर्ता को उनके संगठन ‘रूट्स’ के माध्यम से अहिंसक वकालत एवं संवाद प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया, जिसे उन्होंने इजरायली जेल में समय बिताने के बाद शुरू किया था। 

इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार 

  • इंदिरा गांधी पुरस्कार, जिसे इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार के रूप में भी जाना जाता है, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा प्रस्तुत एक वार्षिक पुरस्कार है।
  • स्थान: नई दिल्ली।
  • प्रथम पुरस्कार: वर्ष 1986।
  • नामकरण: पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी। 
  • पात्रता एवं मानदंड
    • यह व्यक्तियों या संगठनों को उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित करता है:
      • अंतरराष्ट्रीय शांति एवं विकास को बढ़ावा देना।
      • एक नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का समर्थन करना।
      • यह सुनिश्चित करना कि वैज्ञानिक खोजों से मानवता को लाभ हो।
  • पुरस्कार घटक
    • पुरस्कार में शामिल हैं:
      • 2.5 मिलियन रुपये का नकद पुरस्कार।
      • प्राप्तकर्ता के योगदान को मान्यता देने वाला एक प्रशस्ति-पत्र।

अफ्रीकी पेंगुइन

हाल ही में अफ्रीकी पेंगुइन को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।

अफ्रीका पेंगुइन 

  • उन्हें ‘केप पेंगुइन या दक्षिण अफ्रीकी पेंगुइन के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि वे दक्षिणी अफ्रीकी जल तक ही सीमित हैं। 
  • वैज्ञानिक नाम: स्फेनिस्कस डेमर्सस। 
  • वर्तमान स्थिति: वैश्विक स्तर पर 10,000 से भी कम प्रजनन योग्य जीव बचे हैं, जो मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका में केंद्रित हैं, जो वर्ष 1991 में 42,500 से अधिक थे।
    • अफ्रीकी पेंगुइन के वर्ष 2035 तक विलुप्त हो जाने की आशंका है।

  • IUCN स्थिति: गंभीर रूप से लुप्तप्राय।
  • पर्यावास: नामीबिया से पोर्ट एलिजाबेथ तक अफ्रीका के दक्षिण-पश्चिमी चट्टानी तट एवं आसपास के कई द्वीपों पर पेंगुइन की बड़ी संख्या पाई जाती हैं। 
    • सबसे बड़ी कॉलोनी डायर द्वीप पर स्थित है। 
  • शिकार: पेंगुइन का पसंदीदा शिकार सार्डिन या एंकोवी, कैपेलिन एवं नाइट स्मेल्ट के साथ-साथ स्क्विड तथा क्रस्टेशियंस हैं।
  • विशेषताएँ
    • आकार: अफ्रीकी पेंगुइन सबसे छोटी पेंगुइन प्रजातियों में से एक है।
    • स्वरूप: वे काले, सफेद एवं भूरे रंग के घने, जलरोधक पंखों से ढके होते हैं। उनके पास एक अद्वितीय तेज नुकीली चोंच तथा काले पैर भी होते हैं।
      • फ्लेक: उनकी शरीर  पर कई बिंदु जैसे निशान बने होते हैं, जो प्रत्येक पेंगुइन के लिए अद्वितीय होते हैं।
    • संचार: पेंगुइन स्वरों एवं शारीरिक भाषा के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं। 
  • गिरावट का कारण
    • पोषण एवं भोजन की कमी: जब पेंगुइन भूखी रहती हैं और पर्याप्त भोजन नहीं करती हैं तो वे प्रजनन करना छोड़ देती हैं।
    • अन्य कारण: जलवायु परिवर्तन, शिकारी, बीमारी, तेल रिसाव आदि।
  • खतरा 
    • पर्यटन: प्रत्येक वर्ष हजारों लोग पेंगुइन क्षेत्र का दौरा करते हैं, जिससे वे संवेदनशील हो जाते हैं।
    • औद्योगिक मत्स्यपालन: उद्योग के साथ उनके प्राथमिक खाद्य स्रोत के लिए सीधी प्रतिस्पर्द्धा के परिणामस्वरूप भोजन की कमी हो रही है, जिससे उनका प्रजनन व्यवहार प्रभावित हो रहा है।
    • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से प्रेरित ग्लोबल वार्मिंग उनके आवास एवं पारिस्थितिकी तंत्र को बदल रही है। 
  • संरक्षण
    • मछली पकड़ने पर प्रतिबंध: छह पेंगुइन कॉलोनियों के आसपास 10 वर्षों के लिए वाणिज्यिक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
    • प्रजनन में सहायता के लिए कृत्रिम घोंसले एवं नई पेंगुइन कालोनियाँ बनाई जा रही हैं।

यूनिकॉर्न मास्ट के सह-विकास के लिए भारत-जापान MoI

भारत एवं जापान ने भारतीय नौसेना के युद्धपोतों के लिए UNICORN (यूनिफाइड कॉम्प्लेक्स रेडियो एंटीना) नोरा-50 एकीकृत मस्तूल के “सह-विकास” के लिए कार्यान्वयन ज्ञापन (MoI) पर हस्ताक्षर किए हैं।

  • यह समझौता भारत-जापान रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग, 2015 के ढाँचे के तहत लागू किया जाएगा एवं यह जापान से भारत में रक्षा प्रौद्योगिकी का पहला निर्यात होगा।

UNICORN (यूनिफाइड कॉम्प्लेक्स रेडियो एंटीना) मस्ट  (Mast):

  • मस्ट एक शंक्वाकार संरचना है, जिसमें नौसेना प्लेटफॉर्मों के ऊपर एंटीना एवं एकीकृत संचार प्रणालियाँ होती हैं, जो उनकी गोपनीय विशेषताओं को बढ़ाती हैं।
    • द्वारा निर्मित: यह तीन जापानी कंपनियों के बीच सहयोग का परिणाम है- NEC कॉरपोरेशन, संपा कोग्यो K.K., तथा द योकोहामा रबर कंपनी लिमिटेड।
  • भारतीय भागीदार: भारतीय युद्धपोतों के लिए यूनिकॉर्न मस्ट को भारत में जापानी सहयोग के साथ भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा सह-विकास किया जाएगा। 
    • भारतीय नौसेना, वर्तमान में BEL द्वारा प्रदत्त एडवांस्ड कंपोजिट कम्युनिकेशन सिस्टम (ACCS) का उपयोग करती है।
  • प्रमुख विशेषताएँ
    • रेडोम: यह अनेक संचार एंटीना को एक एकल, अत्याधुनिक रडार डोम में एकीकृत करता है, जिसे रेडोम के रूप में जाना जाता है, जो इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षरों को न्यूनतम करता है और स्टेल्थ को बढ़ाता है।
    • TACAN (Tactical Air Navigation System) (टैक्टिकल एयर नेविगेशन सिस्टम): UNICORN TACAN एंटीना डिजाइन ढाँचे में एक सुधार है।
      • TACAN प्रणाली एक मोबाइल ट्रांसमिटिंग इकाई का गठन करती है। हवाई इकाई, नौसेना मंच के साथ मिलकर, अजीमुथ एवं दूरी की जानकारी दोनों की दृश्य प्रस्तुति के लिए प्रेषित संकेतों को संसाधित करती है। 
    • व्यापक जाँच सीमा: यूनिकॉर्न प्रणाली एक विस्तृत क्षेत्र में रेडियो तरंगों को महसूस करके दूर से मिसाइलों तथा ड्रोन की आवाजाही का पता लगा सकती है।

भारत-जापान रक्षा सहयोग

  • तरंग शक्ति अभ्यास 2024: यह भारतीय वायु सेना द्वारा आयोजित पहला बहुपक्षीय अभ्यास है एवं जापान की भागीदारी ने जापानी लड़ाकू विमानों की भारत की पहली हवाई यात्रा को चिह्नित किया है। 
  • वीर गार्जियन 2023: यह जापान एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स (Japan Air Self Defence Force -JASDF) एवं भारतीय वायु सेना  (IAF) के बीच द्विपक्षीय लड़ाकू अभ्यास का पहला संस्करण है।
  • भारतीय नौसेना एवं JMSDF, मालाबार तथा मिलन अभ्यासों की बहुपक्षीय बैठकों के अलावा हर वर्ष JIMEX के दौरान द्विपक्षीय रूप से अंतरसंबंध स्थापित करते हैं।
  • अंडमान एवं निकोबार द्वीप का विकास: जापान ने द्वीपों को विकसित करने के लिए भारत को 4.02 बिलियन येन (31 मिलियन डॉलर) की सहायता दी है। यह पहली बार था कि भारत ने द्वीप पर विकास के लिए विदेशी सहायता स्वीकार की।

जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल

जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल के अध्यक्ष एवं संस्थापक ‘तजेपोरा बर्मन’ ने हाल ही में बाकू में COP-29 में ग्रह के लिए नवीनतम खतरों के बारे में जानकारी दी।

जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल

  • लॉन्च: इस विचार की संकल्पना वर्ष 2016 में की गई थी एवं आधिकारिक तौर पर क्लाइमेट ब्रेकथ्रू अवार्ड के माध्यम से वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया था।
  • समर्थन: संधि को 14 देशों-राज्यों द्वारा समर्थन दिया गया है, जिनमें शामिल हैं, 
    • वानुअतु, तुवालु, टोंगा, फिजी, सोलोमन द्वीप, नीयू, एंटीगुआ एवं बारबुडा, तिमोर-लेस्ते, पलाऊ, कोलंबिया, समोआ, नाउरू, मार्शल द्वीप तथा माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य।
  • पहली मंत्रिस्तरीय बैठक: जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल ने मई 2024 में एंटीगुआ एवं बारबुडा में अपनी पहली बैठक बुलाई।
  • उद्देश्य: FF-NPT जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण को समाप्त करने एवं मौजूदा उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से कम करने तथा नवीकरणीय ऊर्जा में उचित परिवर्तन का प्रबंधन करने के लिए इसे राष्ट्रों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाना चाहता है।
  • स्तंभ
    • अप्रसार: यह कोयला, तेल एवं गैस उत्पादन के विस्तार को समाप्त करने के लिए एक वैश्विक सहयोग मॉडल है।
    • निष्पक्ष योजना: सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारी सिद्धांत को शामिल करके मौजूदा जीवाश्म ईंधन उत्पादन को बंद करने की एक निष्पक्ष एवं न्यायसंगत योजना। 
    • संक्रमण में वृद्धि: सार्वभौमिक रूप से जीवाश्म ईंधन से दूर नवीकरणीय ऊर्जा एवं आर्थिक विविधीकरण को तेजी से अपनाने के लिए।
  • पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप: संधि का उद्देश्य पेरिस समझौते का समर्थन करना है:
    • नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य को लागू करना: इसका उद्देश्य वर्ष 2025 के बाद विकासशील देशों को उनके जलवायु कार्यों में सहायता करने के लिए एक नया वित्तीय लक्ष्य स्थापित करना है।
    • राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान (देशों द्वारा प्रस्तुत जलवायु कार्य योजना) एवं ‘जस्ट ट्रांजिशन वर्क प्रोग्राम’ के माध्यम से।

सलिल चौधरी की 100वीं जयंती

पश्चिम बंगाल में कलाकारों ने सलिल चौधरी की शताब्दी मनाई, जिनका कार्य भारतीय संगीत की विभिन्न शैलियों में विस्तृत है।

सलिल चौधरी

  • जन्म एवं पृष्ठभूमि: 19 नवंबर, 1925 को पश्चिम बंगाल, भारत में जन्म।
  • संगीत प्रशिक्षण: वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में निपुण थे, उन्होंने अपनी रचनाओं में विविध संगीत शैलियों का कुशलतापूर्वक मिश्रण किया।
  • IPTA सदस्यता: वह इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (IPTA) के सक्रिय सदस्य थे, उन्होंने अपने जीवनकाल में क्रांतिकारी गीतों की रचना की।

सलिल चौधरी का योगदान

  • फिल्मों में योगदान: बंगाली, हिंदी, मलयालम, तमिल, असमिया एवं अन्य सहित कई भाषाओं में 100 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया।
  • चेम्मीन (1965): एक अभूतपूर्व परियोजना, जिसने केरल की तटीय संस्कृति को चित्रित करने के लिए बंगाली लोक संगीत को पश्चिमी आर्केस्ट्रा के साथ जोड़ा।
  • हिंदुस्तानी शास्त्रीय, पश्चिमी शास्त्रीय एवं लोक शैलियों के अनूठे मिश्रण के माध्यम से, भारतीय सिनेमा, विशेषकर मलयालम में संगीत में क्रांति ला दी।
  • विरासत: फिल्म संगीत के लिए ‘मेलोडी-फर्स्ट’ दृष्टिकोण की शुरुआत की, जो अब मलयालम सिनेमा में एक मानक है।
    • ‘मेलोडी फर्स्ट अप्रोच’ में गीत लिखने से पहले संगीत की रचना की जाती है।

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संदर्भ 

भारतीय प्रधानमंत्री ने दूसरे भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन के लिए गुयाना (Guyana) की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारत-कैरिकॉम संबंधों को मजबूत करने के लिए सात स्तंभों का प्रस्ताव रखा। इसके अलावा भारत के प्रधानमंत्री को डोमिनिका एवं गुयाना का सर्वोच्च सम्मान दिया गया।

गुयाना और डोमिनिका द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रदान किए गए पुरस्कार 

  • गुयाना: राष्ट्रपति इरफान अली द्वारा असाधारण राजनेता और भारत-गुयाना संबंधों को मजबूत करने के लिए गुयाना के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, द ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया।
    • भारत के लोगों और ऐतिहासिक भारत-गुयाना संबंधों को समर्पित।
    • मोदी को जॉर्जटाउन शहर की एक प्रतीकात्मक चाबी भी सौंपी गई।
  • डोमिनिका: राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन (Sylvanie Burton) द्वारा सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, ‘डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर’ भी दिया गया।
    • 70,000 कोविड-19 टीके उपलब्ध कराने और भारत-डोमिनिका संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सम्मानित।
    • वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा और जलवायु लचीलेपन में उनके नेतृत्व के लिए सम्मानित।

भारत-कैरिकॉम संबंधों के प्रमुख सात स्तंभ

भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत और कैरिकॉम देशों के बीच संबंधों को गहरा करने के लिए सात प्रमुख स्तंभों को रेखांकित किया, जो कि संक्षिप्त नाम ‘सी-ए-आर-आई-सी-ओ-एम’ (C-A-R-I-C-O-M) के अनुरूप हैं:

  • क्षमता निर्माण: कैरिकॉम क्षेत्र के लिए एक फोरेंसिक केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव।
    • प्रौद्योगिकी, प्रशासन, कानून और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सिविल सेवकों के निरंतर प्रशिक्षण के लिए भारत के iGOT कर्मयोगी के समान एक पोर्टल बनाने का सुझाव दिया।
  • कृषि और खाद्य सुरक्षा: कैरिकॉम देशों में कृषि पद्धतियों में सुधार और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सहयोग पर जोर।
  • नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन: नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं और जलवायु परिवर्तन शमन पर ध्यान केंद्रित करना।
    • नवीकरणीय ऊर्जा पहलों के लिए पहले ही 150 मिलियन डॉलर की ऋण सीमा की घोषणा की गई।
  • नवाचार, प्रौद्योगिकी और व्यापार: तकनीकी सहयोग और व्यापार संबंधों को मजबूत करना।
    • निजी क्षेत्रों और हितधारकों को जोड़ने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल का प्रस्ताव दिया गया। 
    • वर्ष 2019 में SME विकास के लिए 1 मिलियन डॉलर के अनुदान की घोषणा की गई, जिसमें कार्यान्वयन पर जोर दिया गया।
  • क्रिकेट और संस्कृति: क्रिकेट को एक साझा सांस्कृतिक जुनून और लोगों के बीच संबंधों के लिए एक सेतु के रूप में बढ़ावा देना।
    • भारत और कैरिकॉम के बीच सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और साझाकरण।
  • महासागरीय अर्थव्यवस्था: सतत् विकास के लिए ‘ब्लू इकॉनोमी’ क्षेत्रों की क्षमता का दोहन करना।
  • चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा: स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मजबूत करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करना।

भारतीय प्रधानमंत्री के प्रमुख प्रस्ताव

  • ऑनलाइन पोर्टल: भारत और कैरिकॉम देशों के निजी क्षेत्र और हितधारकों को जोड़ने के लिए एक पोर्टल बनाने का सुझाव दिया गया।
  • SME के लिए सहायता: क्षेत्र में लघु और मध्यम उद्यमों (SME) को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2019 में 1 मिलियन डॉलर के अनुदान की घोषणा की गई।
  • आर्थिक सहयोग: नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की गई।
    • नवीकरणीय ऊर्जा पहलों के लिए वर्ष 2019 के आरंभ में 150 मिलियन डॉलर की ऋण-सीमा की घोषणा की गई।
  • सहयोग के लिए दृष्टिकोण: प्रधानमंत्री ने भारत-कैरिकॉम संबंधों को बढ़ाने, आपसी विकास सुनिश्चित करने और साझा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रमुख स्तंभों के रूप में पाँच ‘T’व्यापार (Trade), प्रौद्योगिकी (Technology), पर्यटन (Tourism), प्रतिभा (Talent) और परंपरा (Tradition) को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

कैरेबियाई समुदाय (CARICOM) के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 1973 में चगुआरामास (Chaguaramas) की संधि द्वारा कैरेबियन समुदाय के एक साझा बाजार को स्थापित किया गया।

  • सचिवालय: जॉर्जटाउन (Georgetown), गुयाना (Guyana) में अवस्थित है।
  • अध्यक्षता: सदस्य देशों के प्रमुखों के बीच प्रत्येक छह माह में बारी-बारी से होती है।
    • वर्तमान अध्यक्ष: एंटीगुआ (Antigua) और बारबुडा (Barbuda)।
  • कैरिकॉम के उद्देश्य
    • आर्थिक एकीकरण: सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग और एकीकरण को बढ़ावा देना।
    • साझा लाभ: सुनिश्चित करना कि एकीकरण के लाभ निष्पक्ष रूप से साझा किए जाएँ।
    • विदेश नीति में आपसी समन्वय: क्षेत्र की विदेश नीतियों में सामंजस्य स्थापित करना।
  • सदस्य (15): एंटीगुआ और बारबुडा, बहामास, बारबाडोस, बेलीज, डोमिनिका, ग्रेनेडा, गुयाना, हैती, जमैका, मोंटसेराट, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, सूरीनाम और त्रिनिदाद और टोबैगो।
  • पर्यवेक्षक और सहयोगी सदस्य 
    • पर्यवेक्षक राज्य: अरूबा, कोलंबिया, डोमिनिकन गणराज्य, मैक्सिको, प्यूर्टो रिको, वेनेजुएला।
    • सहयोगी सदस्य: एंगुइला, बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन द्वीप, केमैन द्वीप, तुर्क और कैकोस द्वीप।
  • वैश्विक स्थिति: आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक के रूप में मान्यता प्राप्त।

भारत-कैरिकॉम साझेदारी का महत्त्व

  • सामरिक महत्त्व
    • ग्लोबल साउथ अलायंस: ग्लोबल साउथ में भारत की स्थिति को मजबूत करता है।
    • राजनयिक लाभ: अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए अतिरिक्त मंच प्रदान करता है।
  • जलवायु कार्रवाई और स्थिरता
    • साझा चिंताएँ: दोनों क्षेत्रों को जलवायु परिवर्तन से खतरा है, मुख्यत: रूप से छोटे द्वीपीय राष्ट्रों को।
    • भारत का नेतृत्व: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और CDRI में भारत की भूमिका समाधान प्रदान करती है।
    • वित्तीय सहायता: अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भारत की 140 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता।
  • आर्थिक सहयोग
    • व्यापार और निवेश: IT, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा पर्यटन में भारतीय व्यवसायों के लिए अवसर।
    • क्षमता निर्माण: डिजिटल स्वास्थ्य सेवा और नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की विशेषज्ञता कैरिकॉम को लाभ पहुँचा सकती है।
  • सांस्कृतिक संबंध और प्रवासी
    • साझा विरासत: कैरेबियन में भारतीय प्रवासी लोगों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत बनाते हैं।
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: दोनों क्षेत्रों के बीच समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है।

संदर्भ

COP-29 प्रेसीडेंसी ने जैविक अपशिष्ट से मेथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए क्षेत्रीय लक्ष्य निर्धारित करने हेतु जैविक अपशिष्ट से मेथेन को कम करने संबंधी एक घोषणा (Reducing Methane from Organic Waste Declaration) प्रस्तुत की।

जैविक अपशिष्ट से मेथेन कम करने की घोषणा 

  • यह पहल पिछली जलवायु प्रतिज्ञाओं पर आधारित है और वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी लाने के लिए वैश्विक मेथेन प्रतिज्ञा (Global  Methane Pledge) के साथ संरेखित है।
  • लॉन्च: UNEP द्वारा आयोजित जलवायु और स्वच्छ वायु गठबंधन (Climate and Clean Air Coalition-CCAC) के साथ साझेदारी में COP-29 में घोषित किया गया।
  • हस्ताक्षरकर्ता: 30 से अधिक देश, जिनमें जैविक अपशिष्ट से दुनिया के शीर्ष 10 मेथेन उत्सर्जकों में से सात शामिल हैं।
    • जैविक अपशिष्ट से वैश्विक मेथेन उत्सर्जन के 47% के लिए जिम्मेदार देशों का संयुक्त प्रतिनिधित्व।
    • भारत ने COP-29 घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
  • लक्ष्य: जैविक अपशिष्ट क्षेत्र को लक्षित करके मेथेन उत्सर्जन को कम करना।
    • इन लक्ष्यों को भविष्य के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) में शामिल करना।

इस घोषणा के प्रमुख क्षेत्र हैं:

  • NDCs एकीकरण: राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं में जैविक अपशिष्ट मेथेन लक्ष्यों को शामिल करना।
  • विनियमन: अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं में सुधार के लिए मजबूत नीतियों को लागू करना।
  • डेटा संवर्द्धन: अपशिष्ट उत्पादन और मेथेन उत्सर्जन पर नजर रखने के लिए डेटा प्रणाली को प्रभावी बनाना।
  • वित्त: अपशिष्ट प्रबंधन और मेथेन न्यूनीकरण पहलों के लिए धन जुटाना।
  • वैश्विक सहयोग: ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए साझेदारी को प्रोत्साहित करना।

प्राथमिक कार्रवाइयाँ

  • जैविक अपशिष्ट के उत्पादन को रोकना।
  • जैविक अपशिष्ट के अलग-अलग संग्रह को प्रोत्साहित करना।
  • लैंडफिल और अपशिष्ट जल प्रणालियों में जैविक अपशिष्ट के प्रबंधन को बढ़ाना।

मेथेन उत्सर्जन से निपटने के लिए भारत की पहल

  • गोबरधन योजना (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources Scheme- Gobardhan Scheme]: मवेशियों के गोबर और अन्य जैविक अपशिष्ट को बायोगैस और खाद में बदलने को बढ़ावा देती है।
  • हरित धारा (Harit Dhara): जल संसाधनों के संरक्षण और सतत् कृषि को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से कृषि प्रथाओं से मेथेन उत्सर्जन को कम कर सकती है।
  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission): पशुधन से मेथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए हरे चारे के उत्पादन, साइलेज बनाने और बेहतर चारा प्रबंधन जैसी पहलों को बढ़ावा देता है।
  • राष्ट्रीय बायोगैस और जैविक खाद कार्यक्रम: खाना पकाने और प्रकाश व्यवस्था के लिए बायोगैस प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित करता है, जीवाश्म ईंधन और मेथेन उत्सर्जन पर निर्भरता को कम करता है।

मेथेन उत्सर्जन 

  • मेथेन, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद दूसरी सबसे प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली मानवजनित ग्रीनहाउस गैस है, लेकिन यह पृथ्वी को अधिक गर्म करती है।
    • एक सदी से अधिक समय में, मेथेन की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता CO2 से 28 गुना अधिक है और दो दशकों जैसी छोटी अवधि में यह और भी अधिक हो जाएगी।
  • स्रोत: वैज्ञानिक रूप से मेथेन के विभिन्न स्रोतों की पहचान की गई हैं, जिनमें से अधिकांश दो श्रेणियों में आती हैं: बायोजेनिक और थर्मोजेनिक
    • बायोजेनिक: यह मेथेन माइक्रोबियल क्रिया के कारण उत्पन्न होती है।
    • थर्मोजेनिक: जब प्राकृतिक गैस या तेल जैसे जीवाश्म ईंधन को पृथ्वी की भूपर्पटी के भीतर से निकाला जाता है, तो थर्मोजेनिक मेथेन निकलती है।
  • जैविक अपशिष्ट से मेथेन
    • मेथेन जैविक अपशिष्ट के अवायवीय पाचन द्वारा निर्मित होती है।
    • मानवजनित गतिविधियों में अपशिष्ट और लैंडफिल, चावल के खेत, आंतरिक किण्वन, तेल और गैस और कोयला शामिल हैं।

संदर्भ

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दूसरे भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्षिक शिखर सम्मेलन में एक महत्त्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा साझेदारी पर हस्ताक्षर किए।

संबंधित तथ्य

  • भारत-ऑस्ट्रेलिया ने अपने द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों की पूरी क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई।
  • शिखर सम्मेलन के संयुक्त वक्तव्य में भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ऑस्ट्रेलिया की ‘फ्यूचर मेड इन ऑस्ट्रेलिया’ पहलों के बीच रोजगार सृजन तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पूरकता पर प्रकाश डाला गया।

भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (Economic Cooperation and Trade Agreement-ECTA)

  • भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA एक ​​व्यापक मुक्त व्यापार समझौता है, जो 29 दिसंबर, 2022 को लागू हुआ।
  • इस समझौते का उद्देश्य टैरिफ और अन्य व्यापार बाधाओं को हटाकर दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देना था।

वर्ष 2024 में भारत के लिए ECTA के प्रमुख लाभ

  • अधिमान्य बाजार पहुँच: भारत को ऑस्ट्रेलिया में अपनी टैरिफ लाइनों के 100% पर अधिमान्य बाजार पहुँच से लाभ हुआ।
  • शून्य-शुल्क  पहुँच (Zero-Duty Access): ऑस्ट्रेलिया को भारत के 96% निर्यात में शून्य-शुल्क  पहुँच है।
  • भारतीय पेशेवरों के लिए बेहतर अवसर: STEM क्षेत्रों में भारतीय स्नातकों को ऑस्ट्रेलिया में विस्तारित अध्ययन-पश्चात् कार्य वीजा प्रदान किया जाता है।

भारत-ऑस्ट्रेलिया द्वितीय वार्षिक शिखर सम्मेलन 

  • अक्षय ऊर्जा भागीदारी (REP): भारत और ऑस्ट्रेलिया ने एक महत्त्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा भागीदारी को अंतिम रूप दिया, जिसमें सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में ऊर्जा भंडारण निवेश और संबद्ध क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • रक्षा और सुरक्षा: आपसी क्षमता बढ़ाने और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान देने के लिए रक्षा तथा सुरक्षा में दीर्घकालिक सहयोग का एक साझा दृष्टिकोण।
    • भारत-प्रशांत क्षेत्र में तनाव के बीच नौवहन की स्वतंत्रता, संप्रभुता के प्रति सम्मान और अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) के पालन के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
  • हिंद-प्रशांत विजन: दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता जैसी क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करते हुए एक खुले, समावेशी, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत के लिए समर्थन दोहराया गया।
    • क्वाड (Quad) को ‘फोर्स फॉर ग्लोबल गुड्स’ (Force For Global Good) के रूप में रेखांकित किया, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम उत्पन्न कर रहा है।
  • वैश्विक शांति और सुधार के प्रति प्रतिबद्धता: संवाद और कूटनीति के माध्यम से वैश्विक संघर्षों को हल करने के महत्त्व पर बल दिया, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में और उभरती चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
  • शिक्षा, गतिशीलता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासियों और छात्रों की सुरक्षा का आश्वासन दिया, जिससे सामुदायिक स्तर पर संबंधों को मजबूती मिलेगी।

संदर्भ

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने 20 नवंबर को ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रेन 2024′ रिपोर्ट जारी की है।

       विश्व बाल दिवस 2024

  • विश्व बाल दिवस, UNICEF का ‘बच्चों के लिए कार्रवाई का वैश्विक दिवस’ है, जो बाल अधिकारों पर कन्वेंशन (1989) को अपनाने का प्रतीक है, यह प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को मनाया जाता है।
  • विश्व बाल दिवस 2024 की थीम “भविष्य की बात सुनें (Listen to the Future)” है।

UNICEF की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रेन 2024 रिपोर्ट के निष्कर्ष  

  • अनुमानित बाल जनसंख्या: भारत में वर्ष 2050 तक 350 मिलियन बच्चे होंगे, जो वैश्विक बाल जनसंख्या का 15% है।
  • जलवायु जोखिम: वर्ष 2050 तक, 2000 के दशक की तुलना में लगभग आठ गुना अधिक बच्चे अत्यधिक जलवायु  परिवर्तन के संपर्क में आएँगे।
  • डिजिटल डिवाइड: एक गंभीर ‘डिजिटल डिवाइड’ उपस्थित है क्योंकि कम आय वाले देशों में केवल 26% लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा है, जबकि उच्च आय वाले देशों में यह 95% से अधिक है।
  • स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर प्रभाव: जलवायु संकट का विशेष रूप से ग्रामीण एवं कम आय वाले समुदायों में बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा तथा जल जैसे आवश्यक संसाधनों तक पहुँच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
  • शहरीकरण की आवश्यकताएँ: चूँकि वर्ष 2050 तक भारत की लगभग आधी आबादी के शहरी क्षेत्रों में रहने का अनुमान है, इसलिए बच्चों के अनुकूल, जलवायु समर्थित शहरी योजना एवं बुनियादी ढाँचे में निवेश की तत्काल आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) 

  • UNICEF मूल रूप से संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष है, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष आधिकारिक तौर पर वर्ष 1946 से संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है, जो विश्व भर में बच्चों को मानवीय एवं विकासात्मक सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।
  • स्थापित: यह वर्ष 1946 में स्थापित हुआ एवं 192 देशों एवं क्षेत्रों में संचालित है।
  • वित्तीयनग: सरकारी योगदान एवं व्यक्तिगत स्वैच्छिक दान द्वारा समर्थित।
  • मार्गदर्शक रूपरेखा: बाल अधिकारों पर कन्वेंशन (1989)।
  • पुरस्कार: अंतरराष्ट्रीय भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार (1965)।
  • प्रमुख रिपोर्टें
    • स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रेन रिपोर्ट।
    • UNICEF की वार्षिक रिपोर्ट।

संदर्भ

शासन प्रणालियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का एकीकरण, लोक प्रशासन में एक परिवर्तनकारी युग का प्रतीक है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बारे में

  • परिभाषा: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीनों में मानव बुद्धि के अनुकरण को संदर्भित करता है, जो स्वायत्त रूप से सोचने, सीखने तथा समस्याओं को हल करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास

  • प्रारंभिक दिन (1960-1980): IIT कानपुर तथा IISc बंगलूरू जैसे संस्थानों ने AI अनुसंधान के लिए आधार तैयार किया था।
    • वर्ष 1986 में शुरू की गई ज्ञान आधारित कंप्यूटर प्रणाली (Knowledge Based Computer Systems- KBCS) परियोजना भारत का पहला महत्त्वपूर्ण AI कार्यक्रम था।
  • नींव (1990 के दशक): वर्ष 1988 में सी-डैक की स्थापना ने सुपरकंप्यूटिंग को बढ़ावा दिया, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से AI अनुसंधान को समर्थन मिला।
    • भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों ने व्यवसाय स्वचालन के लिए AI की खोज शुरू कर दी है।

विकास चरण (2000 का दशक)

  • TCS, इन्फोसिस तथा विप्रो जैसी IT दिग्गज कंपनियों ने AI शोध में निवेश किया तथा शैक्षणिक संस्थानों ने AI और मशीन लर्निंग कार्यक्रमों का विस्तार किया।
  • संक्रमण काल (2010 का दशक): ‘डिजिटल इंडिया’ पहल (वर्ष 2014- वर्ष 2015) ने AI सहित उभरती प्रौद्योगिकियों पर जोर दिया गया था।
    • वर्ष 2018 में, नीति आयोग ने आर्थिक विकास तथा सामाजिक समावेशन पर ध्यान केंद्रित करते हुए AI के लिए राष्ट्रीय रणनीति जारी की, जिससे AI स्टार्टअप्स में वृद्धि हुई।
  • वर्तमान युग (वर्ष 2020): AI अब सरकार और उद्योग दोनों के लिए प्राथमिकता है, भारत का लक्ष्य ‘AI for All’ जैसी पहलों के माध्यम से वैश्विक AI केंद्र बनना है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा, कृषि तथा शिक्षा जैसे क्षेत्रों में AI को एकीकृत किया जाएगा।


  • शब्द की उत्पत्ति: ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ शब्द वर्ष  1956 में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक जॉन मैकार्थी द्वारा गढ़ा गया था।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रकार: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को वर्गीकृत किया जा सकता है
    • क्षमता के आधार पर
      • प्रारंभिक AI (कमजोर AI): विशिष्ट कार्यों (जैसे, सिरी, गूगल ट्रांसलेट) के लिए डिजाइन किया गया।
      • सैद्धांतिक AI (मजबूत AI): सैद्धांतिक AI, जो किसी भी बौद्धिक कार्य को मनुष्य की तरह कर सकता है।
    • कार्यक्षमता के आधार पर 
      • प्रतिक्रियाशील मशीनें: कोई स्मृति नहीं, विशिष्ट कार्यों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
        • उदाहरण के लिए, डीप ब्लू शतरंज कार्यक्रम।
      • सीमित ‘मेमोरी’: जटिल वर्गीकरण कार्यों को सँभाल सकती हैं, निर्णयों के लिए पिछले डेटा का उपयोग करती हैं।
        • उदाहरण के लिए, स्व-चालित कारें।
      • मन का सिद्धांत (Theory of Mind): भावनाओं तथा अंतःक्रियाओं  (विकास के अधीन) को समझती हैं।
      • स्व-जागरूक AI (Self-Aware AI): चेतना तथा आत्म-जागरूकता के साथ काल्पनिक AI, जिसे एक दीर्घकालिक लक्ष्य माना जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के कारण भारत में शासन में परिवर्तन

  • पिछले दशक में भारत विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है तथा सरकारी बजट का आकार तीन गुना बढ़ गया है।
  • प्रौद्योगिकी-संचालित शासन ने अकुशलताओं के स्थान पर नागरिक केंद्रित, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को स्थापित कर दिया है।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI)

  • ‘डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ न्यूनतम प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप, सार्वजनिक-निजी शासन तथा जीवंत बाजार नवाचार को मिलाकर, बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को हल करने का एक तरीका है।
  • आम उदाहरणों में इंटरनेट, मोबाइल नेटवर्क, GPS, सत्यापन योग्य पहचान प्रणाली, अंतर-संचालन योग्य भुगतान नेटवर्क, सहमति डेटा साझाकरण, ओपन लूप डिस्कवरी और पूर्ति नेटवर्क, डिजिटल हस्ताक्षर आदि शामिल हैं।

शासन में AI  (GovAI) के प्रमुख अनुप्रयोग

  • डेटा संचालित निर्णय-निर्माण: सूचित नीति-निर्माण, संसाधन आवंटन तथा सामाजिक आवश्यकताओं की पहचान के लिए बड़े डेटा विश्लेषण का लाभ उठाना है।
    • उदाहरण: भारत में आधार-लिंक्ड कल्याण कार्यक्रम सब्सिडी तथा लाभों की लक्षित डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए बड़े डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करते हैं, जिससे रिसाव और दोहराव कम होता है।
  • प्रक्रियाओं का स्वचालन: स्वचालन के माध्यम से सार्वजनिक सेवा वितरण में मैनुअल प्रयास तथा मानवीय त्रुटि को कम करना है।
    • उदाहरण: भारत में पासपोर्ट सेवा केंद्रों में अपॉइंटमेंट शेड्यूलिंग स्वचालित हो गई है, जिससे कार्यकुशलता में सुधार हुआ है।
      • वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (GSTN) लेन-देन डेटा का विश्लेषण करने, धोखाधड़ी का पता लगाने तथा कर संग्रह को अनुकूलित करने के लिए AI का उपयोग करता है।
  • व्यक्तिगत नागरिक सेवाएँ: AI-संचालित चैटबॉट तथा प्लेटफॉर्म जो विविध आबादी को अनुरूप सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • उदाहरण: MyGov पोर्टल में AI-संचालित सुविधाएँ हैं, जो नागरिकों की सहभागिता तथा सार्वजनिक योजनाओं के लिए सुझावों को व्यक्तिगत बनाती हैं।
  • पूर्वानुमानित विश्लेषण: प्राकृतिक आपदाओं, बीमारी के प्रकोप या आर्थिक रुझानों जैसी चुनौतियों का पूर्वानुमान लगाना।
    • उदाहरण: भारतीय मौसम विभाग (IMD), चक्रवातों की भविष्यवाणी करने तथा आपदा की तैयारी में सुधार करने के लिए AI का उपयोग करता है।
  • बेहतर निगरानी और मूल्यांकन: नीति कार्यान्वयन तथा फीडबैक तंत्र का वास्तविक समय पर मूल्यांकन करता है।
    • उदाहरण: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में आवास योजना की प्रगति की निगरानी तथा संसाधनों को कुशलतापूर्वक आवंटित करने के लिए ‘रीयल टाइम डैशबोर्ड’ की सुविधा है।
  • नीति तथा योजना प्रदर्शन: सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के डिजाइन तथा प्रभावशीलता को बढ़ाना। 
    • उदाहरण: भारत में आरोग्य सेतु तथा उमंग जैसे AI-संचालित प्लेटफॉर्म।
  • आर्थिक क्षेत्र: कृषि, मत्स्यपालन और पशुपालन में आजीविका में सुधार हुआ है।
  • भाषा अनुवाद: बेहतर सेवा वितरण के लिए भाषायी बाधाओं को दूर करना।
    • उदाहरण: ई-संजीवनी ऐप देश भर में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (Ayushman Bharat Health & Wellness Centres- AB-HWC) में सहायक टेली-परामर्श (डॉक्टर-से-डॉक्टर) को सक्षम करने के लिए बहुभाषी इंटरफेस प्रदान करता है।

भारत में GovAI के तीन संचालक

  • तीव्र डिजिटलीकरण
    • भारत सबसे ज्यादा कनेक्टेड तथा डिजिटल देश बनने जा रहा है, जहाँ वर्ष 2026 तक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 90 करोड़ से बढ़कर 120 करोड़ हो जाएगी।
    • सरकार के नेतृत्व वाली डिजिटल पहलों ने विशेष रूप से फिनटेक क्षेत्र में 1,00,000 से अधिक स्टार्टअप को प्रेरित किया है।
    • GovAI, AI आधारित मॉडलों, उत्पादों और प्लेटफॉर्मों में नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए IndiaAI पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक बढ़ा सकता है।
  • AI के आधार के रूप में डेटा
    • डिजिटलीकरण तथा DPI पहलों के कारण भारत सबसे बड़े डेटा रिपॉजिटरी में से एक बन गया है।
    • बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत एवं गैर-व्यक्तिगत डेटा के संरक्षक के रूप में सरकारें उच्च गुणवत्ता वाले AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए डेटा का लाभ उठा सकती हैं।
      • भारत डेटासेट कार्यक्रम व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा कानूनों का पालन करते हुए सरकार के नेतृत्व वाले AI मॉडल के लिए आधार प्रदान करेगा।
      • ‘स्माल लैंग्वेज मॉडल’ (SLM),लार्ज लैंग्वेज मॉडल’ (LLM) के साथ संयुक्त रूप से शासन के लिए एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र बना सकते हैं।
  • राजनीतिक लक्ष्य के रूप में दक्षता
    • कोविड-19 के बाद, वैश्विक स्तर पर सरकारें सीमित संसाधनों के साथ दक्षता के लिए प्रयास कर रही हैं।
    • भारत के डिजिटल सरकारी परिवर्तन ने दिखाया है कि कैसे DPI तथा AI सार्वजनिक व्यय के प्रभाव को बढ़ा सकते हैं, शासन को ‘न्यूनतम संसाधनों के साथ अधिकतम शासन’ प्राप्त करने के लिए फिर से परिभाषित कर सकते हैं।

शासन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लागू करने में चुनौतियाँ

  • डेटा गोपनीयता तथा सुरक्षा: AI सिस्टम को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए व्यक्तिगत डेटा सहित बड़े डेटासेट की आवश्यकता होती है। इससे गोपनीयता, डेटा सुरक्षा तथा  निगरानी के बारे में चिंताएँ पैदा होती हैं।
    • उदाहरण: आधार डेटा उल्लंघन नागरिक डेटा तक अनधिकृत पहुँच के जोखिम को उजागर करता है।
  • डिजिटल डिवाइड: डिजिटल सेवाओं तक पहुँच में अंतर है, खास तौर पर हाशिए पर पड़े समुदायों में, जो AI संचालित शासन की पहुँच को सीमित करता है।
    • उदाहरण: ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे में अंतर के कारण AI संचालित सरकारी सेवाओं तक सीमित पहुँच है।
  • कौशल में अंतर: सरकारी कर्मियों के बीच तकनीकी विशेषज्ञता की कमी AI सिस्टम की प्रभावी तैनाती और प्रबंधन में बाधा डालती है।
    • उदाहरण: सरकारी कर्मचारियों के पास AI प्रौद्योगिकियों का प्रबंधन करने या उनके आउटपुट की व्याख्या करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण नहीं हो सकता है।
  • कार्यान्वयन की लागत: AI सिस्टम विकसित करना, बनाए रखना और बढ़ाना महंगा है, जो सीमित बजट वाली सरकारों के लिए एक बाधा हो सकती है।
    • उदाहरण: स्मार्ट सिटीज मिशन में AI-संचालित बुनियादी ढाँचे का निर्माण तथा उसे बनाए रखने के लिए उच्च लागत शामिल है।

शासन में AI के कार्यान्वयन में नैतिक मुद्दे

  • पूर्वाग्रह और निष्पक्षता: AI मॉडल को ऐसे डेटा पर प्रशिक्षित किया जाता है, जो सामाजिक पूर्वाग्रहों को दर्शा सकता है और यदि ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो ये सिस्टम मौजूदा असमानताओं को बनाए रख सकते हैं या उन्हें खराब कर सकते हैं।
    • उदाहरण: AI भर्ती उपकरण और फेस रिकग्नीशन प्रणालियाँ प्रशिक्षण डेटा में अंतर्निहित पूर्वाग्रहों के कारण भेदभाव को कायम रख सकती हैं।
  • नागरिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की चिंताएँ: विशेष रूप से निगरानी में AI सिस्टम, यदि उचित निगरानी के बिना उपयोग किए जाते हैं, तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन कर सकते हैं, जिससे गोपनीयता एवं नागरिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
    • उदाहरण: सरकारों या निगमों द्वारा बड़े पैमाने पर निगरानी से नागरिक स्वतंत्रताएँ बाधित हो सकती हैं तथा नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
  • जवाबदेही और पारदर्शिता: कई AI सिस्टम ‘ब्लैक बॉक्स’ के रूप में कार्य करते हैं, जिससे यह समझना मुश्किल हो जाता है कि निर्णय कैसे लिए जाते हैं। पारदर्शिता की यह कमी जवाबदेही के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करती है, विशेषकर उच्च लागत वाले अनुप्रयोगों में।
    • उदाहरण: स्वायत्त वाहनों में, AI निर्णय-प्रक्रिया के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से यह प्रश्न उठता है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है: निर्माता, डेवलपर, या स्वयं AI।
  • नौकरी का विस्थापन: AI द्वारा संचालित स्वचालन में विभिन्न क्षेत्रों में श्रमिकों को विस्थापित करने की क्षमता है, जिससे आर्थिक असमानता एवं सामाजिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।
    • उदाहरण: विनिर्माण या सेवा उद्योगों में AI-संचालित स्वचालन से बड़ी संख्या में नौकरियाँ समाप्त हो सकती हैं, जिससे बेरोजगारी दर और भी विकराल हो सकती है।
  • सूचित सहमति: नागरिकों को यह पूरी तरह से समझ में नहीं आ सकता है कि उनके डेटा का उपयोग AI सिस्टम द्वारा किस तरह किया जा रहा है, न ही उन्हें यह पता है कि शासन में AI निर्णयों का क्या प्रभाव होगा।

वैश्विक डिजिटल समझौता (Global Digital Pact)

  • ‘ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट’ डिजिटल सहयोग और AI गवर्नेंस के लिए पहला व्यापक वैश्विक ढाँचा है।
  • यह डिजिटल प्रौद्योगिकी की अपार संभावनाओं का दोहन करने और डिजिटल विभाजन को कम करने के लिए वैश्विक डिजिटल सहयोग हेतु एक रोडमैप तैयार करता है।
  • ‘ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट’ भविष्य के लिए समझौते का हिस्सा है, जिस पर सितंबर 2024 में भविष्य के संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में चर्चा की गई और उसे अपनाया गया।

शासन में AI को एकीकृत करने के लिए सरकारी पहल

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (Global Partnership on Artificial Intelligence- GPAI): वर्ष 2020 में, भारत ने उभरती प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदार उपयोग के लिए रूपरेखा स्थापित करने के लिए GPAI बनाने के लिए 15 अन्य देशों के साथ मिलकर कार्य किया।
    • भारत GPAI (AI की वैश्विक भागीदारी) का वर्तमान अध्यक्ष है। 
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, AI और शासन के लिए डेटा पर घोषणा: यह G20 ट्रोइका (भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा एक संयुक्त विज्ञप्ति है, जिसका समर्थन कई G20 देशों, अतिथि देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा किया गया है।
  • इंडियाएआई मिशन (IndiaAI Mission): भारत सरकार ने अगले पाँच वर्षों के लिए 10,372 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसके तहत सरकार देश में AI कंप्यूटिंग क्षमता स्थापित करने की इच्छुक निजी कंपनियों को सब्सिडी देने के लिए धन आवंटित करेगी।
  • ‘एआई फॉर ऑल’ (AI for All): यह एक स्व-शिक्षण ऑनलाइन कार्यक्रम है, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर (IndiaAI Innovation Centre): इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वदेशी लार्ज मल्टीमॉडल मॉडल (LMMs) और डोमेन-विशिष्ट आधारभूत मॉडल के विकास एवं तैनाती का कार्य करेगा।
  • स्मार्ट सिटी मिशन (Smart Cities Mission): स्मार्ट सिटी मिशन के तहत, स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली और निगरानी के माध्यम से शहरी शासन को बढ़ाने के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए AI का उपयोग किया जा रहा है।

आगे की राह

  • डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा को मजबूत करना: सरकारों को मजबूत डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रूप से संगृहीत एवं प्रबंधित कर सके।
    • मजबूत एन्क्रिप्शन, एक्सेस कंट्रोल और वैश्विक डेटा सुरक्षा कानूनों के अनुपालन के माध्यम से डेटा गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने से AI-संचालित शासन में जनता का विश्वास बढ़ेगा।
  • कार्यबल को पुनः कौशल प्रदान करना और उसे उन्नत बनाना: AI संचालित युग में सफल होने के लिए, कार्यबल को पुनः कौशल प्रदान करने और उसे उन्नत बनाने पर ध्यान देना आवश्यक है।
    • केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के FutureSkills PRIME जैसे कार्यक्रम व्यक्तियों को AI अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक कौशल से लैस कर सकते हैं।
    • केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिए ऐच्छिक विषय के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत की है।
  • साइबर विनियमन को मजबूत करना: जैसे-जैसे AI तकनीक विकसित होती है, सरकारों को AI द्वारा उत्पन्न नए जोखिमों एवं चुनौतियों, जैसे डेटा सुरक्षा, गोपनीयता संबंधी चिंताओं और AI के नैतिक उपयोग को संबोधित करने के लिए साइबर विनियमन को कठोर करना चाहिए।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना: सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शासन में AI सिस्टम पारदर्शी हों, जिसमें जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में निर्णय लेने की स्पष्ट रूपरेखा हो।
  • समावेशी पहुँच को बढ़ावा देना: समावेशी शासन सुनिश्चित करने के लिए, यह महत्त्वपूर्ण है कि AI-संचालित सार्वजनिक सेवाएँ हाशिए पर पड़े और ग्रामीण समुदायों सहित सभी नागरिकों के लिए सुलभ हों।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना: सरकारों को सार्वजनिक सेवा आवश्यकताओं के अनुरूप AI अनुप्रयोगों को विकसित करने में उनकी विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए निजी क्षेत्र, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।

निष्कर्ष

GovAI दक्षता, पारदर्शिता तथा सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार करके शासन को बदल सकता है। हालाँकि, इसकी सफलता नैतिक दृष्टिकोण, डेटा गोपनीयता और जवाबदेही, सामाजिक न्याय और मानवीय मूल्यों के साथ AI की परिवर्तनकारी शक्ति को संतुलित करने पर निर्भर करती है।

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